संस्कृति व शिक्षा का अधिकार | Cultural And Educational Rights In Hindi: भारत का संविधान अपने नागरिकों को 6 प्रकार के अधिकार देता हैं. जिनमें संस्कृति व शिक्षा सम्बन्धी अधिकार महत्वपूर्ण है.
cultural & educational rights के लिए मूल संविधान में दो अनुच्छेद 29 व 30 को रखा गया हैं. जिसके अनुसार सभी को अपनी संस्कृति का पालन करने तथा प्रचार प्रसार करने तथा अनिवार्य बुनियादी शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया हैं.
संस्कृति व शिक्षा का अधिकार | Cultural Educational Rights In Hindi
fundamental rights to cultural and educational rights: हमारे देश में विविध धर्मों तथा संस्कृतियों के लोग बसते हैं, जिनमें अल्पसंख्यको भी विशेष अधिकार प्रदान किये गये हैं जिससे वे अपने धर्म, संस्कृति तथा शिक्षा को अपना सके तथा उसका प्रचार भी कर सके.
2002 का शिक्षा सभी के लिए अधिनियम तथा सर्व शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में रहने वाले हर नागरिक को शिक्षा के अवसर सुलभ करवाने के प्रयास किये गये हैं. cultural and educational rights article 29 and 30 के बारे में हम यहाँ विस्तार से जानेगे.
संस्कृति और शिक्षा (Culture and education)
विश्व में विद्यमान हर एक सभ्यता के मूल में एक विशिष्ट संस्कृति बसती हैं. जो वहां के निवासियों की विशेषताओं उनकी जीवन शैली, व्यवहार तथा ज्ञान का परिचय करवाती हैं.
संस्कृति के दायरे में क्षेत्र विशेष के लोगों के खानपान, उनकी मान्यताएं धर्म, सामाजिक जीवन, रीती रिवाज, संगीत कला आदि सम्मिलित हैं. अगर हम इन सभी को संस्कृति के तत्व माने तो शिक्षा इन्हें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करने का माध्यम अथवा प्रक्रिया हैं.
हमारा भारत बहु विविधताओं वाला देश हैं यहाँ न केवल धर्म, भाषा और क्षेत्रीय विभिन्नताएं है बल्कि एक ही धर्म या भाषा के समुदाय के मध्य भी मत, सम्प्रदाय और विश्वासों में विभिन्नता के दर्शन होते हैं.
भारतीय संविधान द्वारा मूल निवासियों से लेकर छोटे छोटे तबकों की संस्कृति की रक्षा तथा उन तक शिक्षा के अवसर मुहैया कराने के लिए संस्कृति एवं शिक्षा के अधिकारों का स्पष्ट उल्लेख मूल अधिकारों में किया हैं.
Cultural And Educational Rights In Hindi
अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की सुरक्षा (अनुच्छेद 29): इस अनुच्छेद के अनुसार देश के सभी नागरिकों को संस्कृति व शिक्षा सम्बन्धी स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया हैं.
नागरिकों के प्रत्येक वर्ग को अपनी भाषा, लिपि व संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूरा अधिकार हैं. इस तरह राज्य द्वारा संचालित संस्थानों में प्रवेश के लिए जाति, वर्ग के आधार पर कोई विभेद नहीं किया जाएगा.
अल्पसंख्यक वर्ग को शिक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा संचालन का अधिकार (अनुच्छेद 30)– इस अनुच्छेद के अनुसार अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी इच्छानुसार शिक्षण संस्थान की स्थापना व उनके संचालन सम्बन्धी अधिकार प्राप्त हैं.
राज्य दवारा वित्तीय सहायता प्रदान करते समय किसी भी ऐसी संस्था के साथ धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगे.
शिक्षा का अधिकार-संविधान के 86 वें संशोधन अधिनियम द्वारा 21 ए को धारा 21 के बाद जोड़कर शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया हैं. इसे राज्य के नीति निर्देश तत्वों से हटा लिया गया हैं.
इसके अनुसार राज्य के 6 से 14 वर्ष के आयु के सब बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा कानूनी रूप से स्वीकृत तरीके से प्रदान करनी होगी. इसी में यह भी कहा गया है कि 6 से 14 के वर्ष के आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना माता पिता या अभिभावक की जिम्मेदारी हैं.
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के प्रकार (Types of Minority Educational Institutions)
भारत का संविधान अनुच्छेद 30 के माध्यम से अपने अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी भाषा में बच्चों को शिक्षा दिलाने का अधिकार देता हैं. अल्पसंख्यक समुदाय तीन तरह के संस्थान के माध्यम से अपने बच्चों को शिक्षा मुहैया करवा सकते हैं.
प्रथम प्रकार के संस्थानों सीधे राज्य सरकार के अनुदान से संचालित शिक्षण संस्थान हैं. दूसरे जो राज्य की मान्यता से चलते है मगर किसी तरह का अनुदान नहीं लेते हैं.
तीसरे प्रकार के संस्थान न तो राज्य की मान्यता प्राप्त होते है न ही अनुदानित होते हैं. ये पूर्णतया समाज द्वारा चलाए जाते हैं.
Cultural and education rights in hindi