द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography In Hindi

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography In Hindi उड़ीसा के एक सामान्य परिवार से आने वाली द्रौपदी भारत की 15 वीं राष्ट्रपति हैं.

एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराकर देश की दूसरी व पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया.

आज के इस जीवनी के लेख में मुर्मू कौन है इनके जन्म, शिक्षा, परिवार तथा राजनैतिक करियर के बारे में विस्तार से जानेगे

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography In Hindi

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography In Hindi

व्यक्तिगत जीवन

पूरा नामद्रौपदी मुर्मू
पिताजी का नामबिरांची नारायण टुडू
पेशाराजनीतिज्ञ
पार्टीभारतीय जनता पार्टी
पतिश्याम चरण मुर्मू
जन्म तिथि20 जून 1958
आयु64 वर्ष
राष्ट्रीयताभारतीय
जन्म स्थानमयूरभंज, उड़ीसा, भारत
वजन74 किलो
लंबाई5 फिट 4 इंच
जातिअनुसूचित जनजाति
हिंदूधर्म
शौककिताबें पढ़ना
वैवाहिक अवस्थाविधवा
आंखों का रंगकाला
बालों का रंगकाला
बेटीइतिश्री मुर्मू
संपत्ति10 लाख
भाईभगत टूडू,सरानी टूडू
भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी1997

द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन 

एनडीए गठबंधन के द्वारा भारत के अगले राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत की गई द्रौपदी मुर्मू का जन्म साल 1958 में 20 जून के दिन भारत देश के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज इलाके में हुआ था। 

बता दें कि द्रौपदी मुरमू आदिवासी समुदाय से संबंध रखती है और इस प्रकार अगर यह राष्ट्रपति के पद का चुनाव जीत जाती है तो यह पहली ऐसी आदिवासी महिला होंगी, जो भारत देश की राष्ट्रपति बनेंगी।

अभी के समय में द्रोपदी झारखंड के राज्यपाल के पद को संभाल रही हैं। उन्होंने काफी संघर्षों के बाद यहां तक पहुंचने में सफलता हासिल की।

द्रोपदी मुर्मू की शिक्षा

जब इन्हें थोड़ी समझदारी प्राप्त हुई तब पढ़ाई करवाने के उद्देश्य से इनके अभिभावक के द्वारा इनका एडमिशन मयूरभंज इलाके के ही एक स्कूल में करवाया गया। इस प्रकार द्रौपदी मुर्मू ने मयूरभंज इलाके में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय से अपनी प्रारंभिक एजुकेशन को हासिल किया। 

प्रारंभिक एजुकेशन को कंप्लीट करने के पश्चात उन्होंने ग्रेजुएशन करने के लिए भुवनेश्वर शहर का रुख किया। भुनेश्वर शहर में मौजूद रामा देवी महिला कॉलेज में इन्होंने एडमिशन पाने में सफलता हासिल की और ग्रेजुएशन की डिग्री भी इन्होंने रामा देवी महिला कॉलेज से प्राप्त की।

ग्रेजुएशन की डिग्री हाथ में आने के बाद द्रौपदी ने ओडिशा गवर्नमेंट के बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के पद को प्राप्त करने में सफलता हासिल की और इस प्रकार से साल 1979 से लेकर के साल 1983 तक इन्होंने जूनियर असिस्टेंट के पद को संभाला।

इसके पश्चात साल 1994 में द्रोपदी ने अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में टीचर के तौर पर काम किया। यह एजुकेशन सेंटर रायरंगपुर में मौजूद था। यहां पर इन्होंने अपनी सेवा 1994 से लेकर के 1997 तक दी।

लव स्टोरी और कॉलेज लाइफ

वर्ष 1969 से 1973 के दौरान मुर्मू ने एक आदिवासी आवासीय स्कूल से पढ़ाई की. ग्रेजुएशन के लिए इन्होने उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में एडमिशन लिया. कॉलेज पढ़ाई के दौरान ही इनकी दोस्ती श्याम चरण नामक युवक से हुई.

दोनों एक ही कॉलेज में अध्ययनरत थे, दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गई. यह वर्ष 1980 की बात है जब दोनों प्रेम विवाह करके एकसाथ जीवन बिताने के लिए तैयार हो गये.

श्याम चरण ने अपने घर वालों को मनाकर रिश्ता लेकर द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू के घर पहुचे, मगर वो किसी कीमत पर इस रिश्ते को मानने के लिए तैयार नहीं थे.

मगर श्याम चरण कहा मानने वाले थे, उनकी हठ थी कि अगर विवाह करेगे तो केवल द्रोपदी से ही, वे गाँव के बाहर डेरा डालकर तीन दिन बैठे रहे. आखिर में बिरंची नारायण टुडू जी ने हार मानकर यह रिश्ता स्वीकार कर लिया.

द्रौपदी मुर्मू का परिवार 

इनका जन्म आदिवासी परिवार में हुआ था और पिता के तौर पर इन्हें बिरांची नारायण टुडू मिले। जब झारखंड राज्य बन करके तैयार हो गया तो उसके बाद 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली यह पहली महिला राज्यपाल बनी। इनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ है। यह संताल आदिवासी खानदान से ताल्लुक रखती हैं।

द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन

  • इन्होंने साल 2000 से लेकर के साल 2004 तक उड़ीसा गवर्नमेंट में स्टेट मिनिस्टर स्वतंत्र प्रभार के तौर पर ट्रांसपोर्ट और वाणिज्य डिपार्टमेंट संभाला।
  • उड़ीसा गवर्नमेंट के राज्य मंत्री के तौर पर पशुपालन और मत्स्य पालन डिपार्टमेंट को इन्होंने साल 2002 से लेकर के साल 2004 तक देखा।
  • भाजपा पार्टी की तरफ से अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर यह साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक रही।
  • द्रौपदी ने साल 2006 से लेकर के साल 2009 तक भाजपा पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद को संभाला।
  • एसटी मोर्चा के पद पर बने रहने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर के पद को भी उन्होंने साल 2013 से लेकर के साल 2015 तक संभाला।
  • साल 2015 में यह झारखंड की राज्यपाल बनी और साल 2021 तक यह झारखंड के राज्यपाल के पद पर रही।
  • 1997 में बनी जिला पार्षद
  • इन्होंने साल 1997 में उड़ीसा राज्य के रायरंगपुर जिले से जिला पार्षद का चुनाव लड़ा था और अपनी काबिलियत के दम पर इन्होंने इस चुनाव में विजय हासिल की थी। चुनाव में विजय हासिल करने के बाद यह रायरंगपुर जिले की जिला पार्षद बनी, साथ ही इन्हें रायरंगपुर जिले के उपाध्यक्ष का पद भी प्राप्त हुआ। 
  • साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक भाजपा पार्टी के द्वारा इन्हें मयूरभंज जिले का भाजपा अध्यक्ष बनाया गया। उसके पश्चात साल 2004 में हुए विधायक के चुनाव में इन्होंने बमपर विजय हासिल की और साल 2015 में झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य का राज्यपाल द्रौपदी को बनने का मौका हासिल हुआ।

एनडीए द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना

एनडीए गठबंधन की तरफ से भारत के अगले राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने किया गया है, जो कि आदिवासी समुदाय से संबंध रखती हैं।

अगर यह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव को जीत जाती हैं तो यह पहली ऐसी आदिवासी महिला होंगी, जो भारत देश की राष्ट्रपति बनेगी। इनके पहले प्रतिभा पाटिल भारत के राष्ट्रपति के पद को संभाल चुकी हैं।

भारतीय गणराज्य की पन्द्रहवीं राष्ट्रपति मुर्मू

प्रतिभा पाटिल के पश्चात भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुई द्रौपदी मुर्मू दूसरी महिला हैं. साथ ही आदिवासी वर्ग से यह गौरव पाने वाली महिला महिला होगी.

21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना में 2061 मत पाकर मुर्मू ने सीधे मुकाबले में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर विजय हासिल की.

द्रौपदी मुर्मू एक मजबूत व्यक्तित्व वाली आदिवासी महिला हैं देश के सर्वोच्च पद के लिए nda की ओर से नामित होने के बाद ही देशभर से उनकी जीत के लिए लोग प्रार्थनाएं करते रहे, कई क्षेत्रीय और बड़े राजनैतिक दलों के नेताओं ने भी पार्टी के स्टैंड के खिलाफ जाकर मुर्मू को वोट दिया.

शपथ

24 जुलाई 2022 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. सेंट्रल हॉल में दस बजे आयोजित शपथ समारोह में 21 तोपों की सलामी के साथ ही उन्हें शपथ दिलाई गई.

इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमणएम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख असैन्य एवं सैन्य अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

पारिवारिक दुख को सहन किया

द्रोपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू के साथ हुई थी और विवाह होने के पश्चात इन्हें टोटल 3 संतान हुई जिसमें एक बेटी थी और दो बेटे थे। हालांकि अपनी पर्सनल लाइफ में इन्हें काफी दुख का सामना करना पड़ा।

दरअसल ना तो इनके पति अब जिंदा है ना ही इनके दोनों बेटे अब जिंदा है। इनकी बेटी ही जिंदा है जिसका नाम इतिश्री है। इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम नाम के व्यक्ति के साथ हुई है।

द्रोपदी मुर्मू को प्राप्त पुरस्कार 

सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए साल 2007 में इन्हें नीलकंठ पुरस्कार प्राप्त हुआ जो कि ओडिशा विधानसभा के द्वारा दिया गया था।

द्रौपदी मुर्मू की कुल संपत्ति

इनके पास नकद के तौर पर 180000 हैं। वही बैंक डिपॉजिट के तौर पर इनके पास 505000 है। एलआईसी और दूसरी इंश्योरेंस पॉलिसी को मिला करके इनके पास 130000 की इंश्योरेंस पॉलिसी है।

द्रौपदी के पास तकरीबन 260000 की ज्वेलरी है। इस प्रकार कुल मिलाकर देखा जाए तो इनके पास साल 2009 की रिपोर्ट के अनुसार 610000 की टोटल संपत्ति है।

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