Essay On Aids In Hindi एड्स पर निबंध: एड्स/एचआईवी घातक बिमारी हैं जिसकी चपेट में आकर हर साल लाखों लोग अपनी जान गवां देते हैं.
इस एड्स दिवस पर निबंध में हम जानेगे कि एड्स क्या है लक्षण कारण उपचार के बारे में जानकारी बता रहे हैं. यहाँ स्टूडेंट्स के लिए सरल शब्दों में छोटा बड़ा निबंध यहाँ दिया गया हैं.
एड्स पर निबंध हिंदी में Essay On Aids In Hindi
विज्ञान की सहायता से मानव प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं. किन्तु इस प्रगति के लिए उसने पर्यावरण प्रदूषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी भयंकर बीमारियों को भी न्यौता दिया हैं.
इनमें से कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं जिनका अस्तित्व पहले कभी नहीं था. एड्स भी एक ऐसी ही बीमारी हैं. इसकी पहचान सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका में सन 1981 में की गई थी.
वैज्ञानिक शोधों से पता चला कि यह महामारी अमेरिका एवं अफ्रीका सहित विश्व के अलग अलग हिस्सों में लगभग एक ही समय में प्रारम्भ हुई.
एड्स पर निबंध
एड्स (Aids) जिसका पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम हैं. एच आई वी अर्थात ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस नामक विषाणु के कारण फैलती हैं.
यदपि अब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जा सका हैं कि एच आई वी संक्रमित व्यक्ति को एड्स हो ही जाएगा. यह विषाणु इतना सूक्ष्म होता हैं कि इसे सामान्य तथा नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता, इसको सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जाना संभव हैं.
ये विषाणु दो प्रकार के होते हैं एच आई वी 1 एवं एच आई वी 2. यह विषाणु मानव शरीर में प्रवेश कर उसकी रोग से लड़ने की क्षमता अर्थात रोगप्रतिरोधक क्षमता को धीरे धीरे खत्म कर देता हैं.
इसके कारण शरीर कमजोर होता चला जाता हैं. एवं अन्तः मनुष्य के लिए घातक स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं. अनुमानतः विश्व भर के लगभग चार करोड़ से अधिक व्यक्ति एच आई वी विषाणु से संक्रमित हैं. इस विषाणु से संक्रमित बच्चों की संख्या भी करोड़ो में हैं.
जहाँ तक एड्स के फैलने की बात है, तो एक एच आई वी संक्रमण असुरक्षित यौन सम्बन्धों, संक्रमित हुई सुईयों, सीरिजों के प्रयोग से एवं संक्रमित रक्त से फैलता हैं.
एच आई वी संक्रमित गर्भवती महिला से होने वाले नवजात शिशु के साथ भी एच आई वी संक्रमित का भी खतरा बना रहता हैं. एच आई वी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध के दौरान निकलने वाले वीर्य, रक्त अथवा योनिस्राव के सम्पर्क में आने से एच आई वी से संक्रमित होने का खतरा बना रहता हैं.
वह व्यक्ति जो मादक दवाओं के सेवन के लिए सुई/सीरिजों का साझा प्रयोग करते हैं, उनको एच आई वी संक्रमण की संभावना अधिक रहती हैं. संक्रमित रक्त व रक्त अवयवों के प्रयोग से एच आई वी फैलता हैं.
यदि गर्भवती महिला एचआईवी से संक्रमित हैं तो गर्भावस्था के दौरान जन्म के समय या स्तन पान के परिणामस्वरूप नवजात शिशु को एच आई वी संक्रमण हो सकता हैं.
एच आई वी संक्रमण होते ही एच आई वी विषाणु रक्त में प्रवाहित हो जाता हैं जो एंटीबॉडी टेस्ट की पहचान में आने के लिए दो से तीन महीने का समय ले सकता हैं.
एच आई वी से संक्रमित होने के दो से तीन महीने के बाद रक्त के एंटी बॉडी टेस्ट माध्यम से उसकी पहचान की जा सकती हैं. एच आई वी एड्स संक्रमित व्यक्तियों में एड्स के लक्षण उत्पन्न होने में 8 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता हैं.
एड्स पॉजिटिव व्यक्ति कई वर्षों तक बिना किसी बीमारी के लक्षण के भी रह सकता हैं. एच आई वी विषाणु के संक्रमित होने के संक्रमित होने के लक्षण निम्न प्रकार हैं.
- किसी भी व्यक्ति का वजन बिना कारण महीने में दस किलो तक कम हो जाना
- एक दो महीने तक लगातार शरीर में बुखार का रहना, थकान होना, पसीना आना.
- एक महीने से ज्यादा तक दस्त होना और दवाइयों से आराम न होना
- गर्दन, बगल व जाँघों की ग्रंथियों में सूजन आना
- मुहं में तथा जीभ पर सफेद छाले पड़ना
- शरीर में खुजली या दाने होना
- लगातार दवाई लेने पर भी किसी दवाई का ठीक न होना
एड्स पर निबंध Essay On Aids 500 Words In Hindi
एड्स के सन्दर्भ में कई प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं. इसलिए यह जानना आवश्यक हैं कि किन कारणों से एड्स नहीं फैलता हैं. किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में एड्स का संक्रमण केवल उसी दशा में संभव हैं.
जब एच आई वी पॉजिटिव व्यक्ति के शारीरिक द्रव दूसरे व्यक्ति के शारीरिक द्रव के सम्पर्क में आते हैं. एड्स संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य काम करते हुए संक्रमित होने का कोई खतरा नहीं होता.
एड्स संक्रमित व्यक्ति के साथ समान्य काम करते हुए संक्रमित होने का कोई खतरा नहीं होता. एड्स संक्रमित व्यक्ति के लार/ थूक, मल मूत्र एवं आंसू से भी एच आई वी एड्स विषाणु फैलने का खतरा नहीं होता.
एड्स संक्रमित रक्त के संदर्भ में एक बात ध्यान रखने योग्य यह हैं. कि कम मात्रा में रक्त होने की स्थिति में सूखने के बाद एच आई वी विषाणु निष्क्रिय हो जाता हैं.
एड्स के बारे में कहा जाता हैं कि सावधानी ही इसका इलाज हैं, क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका हैं.
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इससे बचने का प्रयास करनी चाहिए. एड्स की रोकथाम के लिए निर्मित नई दवाएँ एंटी रिट्रो वायरस ड्रग्स एच आई वी के कारण प्रतिरोधक क्षमता में होने वाली कमी को धीमा कर सकती हैं.
ये दवाएँ शरीर में एच आई वी एड्स के विषाणुओं की संख्या घटाकर व्यक्ति के जीवनकाल एव गुणवत्ता में वृद्धि करती हैं. सुरक्षित यौन सम्बन्धों के बारे में सारी जानकारी प्राप्त कर एवं कुछ सावधानियां बरत कर एड्स से बचा जा सकता हैं.
सुरक्षित यौन सम्बन्ध के दृष्टिकोण से प्रत्येक यौन सम्पर्क के दौरान सही प्रयोग करना चाहिए. यदि रक्त की आवश्यकता हो तो सदैव सरकारी या लाइसेंस शुदा रक्त कोष से ही लेना चाहिए.
शिशु के जन्म से पहले एड्स पॉजिटिव तथा नवजात शिशुओं को एंटी रिट्रो वायरस दवा देने से नवजात शिशु को एच आई वी एड्स से बचाया जा सकता हैं.
इसलिए एड्स पॉजिटिव गर्भवती महिला को स्त्री रोग विशेयज्ञ चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए कि किस प्रकार उसके बच्चें को एच आई वी एड्स के संक्रमण से बचाया जा सकता हैं.
सामान्यतया एच आई वी एड्स संक्रमित व्यक्ति को एड्स का प्रभाव कम करने के लिए पौष्टिक आहार तथा स्वच्छ पानी ग्रहण करना चाहिए. पूरी नीद लेनी चाहिए, व्यायाम एवं ध्यान करना चाहिए तथा पेशेवर परामर्शदाता से सेवा लेनी चाहिए.
उसे चाहिए कि वह अपने सभी व्यसनों का त्याग कर दे एवं किसी अन्य को इस बीमारी से संक्रमित न होने दे. उसे असुरक्षित यौन सम्बन्धों से भी बचना चाहिए. किसी भी एच आई वी संक्रमित व्यक्ति को रक्त दान की इजाजत नहीं दी जाती हैं.
अंधविश्वास एवं भ्रांतियां के कारण कुछ लोग एच आई वी संक्रमित लोगों से दुर्व्यवहार करते हैं. भारत में संवैधानिक मौलिक अधिकार बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्तियों के लिए समान हैं.
इसलिए एच आई वी एड्स संक्रमित को पढ़ाई, रोजगार स्वास्थ्य, विवाह, यात्रा, मनोरंजन, गोपनीयता सामाजिक सुरक्षा आदि सभी प्रकार के अधिकार हैं. एच आई वी संक्रमन के कारण किसी व्यक्ति के रोजगार को समाप्त करना पूर्णतया अमानवीय एवं असंवैधानिक हैं.
एच आई वी परिक्षण पूर्णतया स्वैच्छिक है, जो कि व्यक्तिगत सहमति के बाद ही होता हैं. किसी भी व्यक्ति को एच आई वी परीक्षण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
एड्स के नियंत्रण में सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं सभी सरकारी अस्पतालों में एच आई वी की जांच एवं इससे सम्बन्धित दवाएँ मुफ्त में दी जाती हैं.
एच आई वी पॉजिटिव पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति की पहचान को अस्पताल गोपनीय रखता हैं. एच आई वी संक्रमित व्य क्तियों के साथ हमें भी सामान्य व्यवहार करना चाहिए.