बाल ठाकरे निबंध Essay Bal Thackeray In Hindi : महाराष्ट्र की धरती का वह शेर जिन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहा गया। किताब की तरह खुला जीवन व्यतीत करने वाले बाला साहब ठाकरे स्पष्टवादी इंसान थे, जो दिल में होता वही जुबा पर आता।
वे स्वयं में सरकार थे जिनकी अवहेलना कोई नही कर पाता था किंग बनने की बजाय हमेशा किंगमेकर बने रहे। आज के निबंध में हम बाल ठाकरे के जीवन परिचय, इतिहास, जीवनी, भाषण पैराग्राफ यहाँ सरल भाषा मे बता रहे है।
Essay On Bal Thackeray Hindi
बाल ठाकरे 250 शब्द निबंध
बाल ठाकरे को लोग प्यार से बाला साहब ठाकरे भी कहते थे। इनका वास्तविक नाम बाल केशव ठाकरे था। बाल ठाकरे जी के द्वारा शिवसेना नाम की राष्ट्रवादी पार्टी की स्थापना महाराष्ट्र राज्य में की गई थी।
यह मराठी मानुष के मुद्दे को साथ में लेकर के चलते थे। आगे चलने पर उन्होंने कट्टर हिंदुत्व की राह को अपनाया। यह दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देने में विश्वास रखते थे।
बाल ठाकरे के जो भी सहयोगी थे, वह उन्हें बालासाहेब कहकर ही संबोधित करते थे। इसके अलावा इन्हें देश की जनता हिंदू हृदय सम्राट भी कहती थी।
बाला साहब ठाकरे का जन्म साल 1926 में महाराष्ट्र राज्य के पूणे शहर में 23 जनवरी के दिन माता रमाबाई और पिता केशव सीताराम ठाकरे के घर में हुआ था।
यह अपने माता-पिता के 9 संतानों में से एक है। बाला साहब ठाकरे कुल 9 भाई-बहन थे और यह सबसे बड़े थे। इनके द्वारा साल 1950 में हुए संयुक्त महाराष्ट्र अभियान मे भी भाग लिया गया था और इस अभियान के फल स्वरुप यह लगातार भारत की राजधानी को मुंबई बनाने की वकालत करते रहे।
बाला साहब ठाकरे ने मीना ठाकरे नाम की महिला से विवाह किया था जिससे इन्हें 3 बच्चे हुए। बिंदु माधव ठाकरे, उद्धव ठाकरे और जयदेव ठाकरे।
इन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत अंग्रेजी भाषा के एक कार्टूनिस्ट के तौर पर फ्री प्रेस जर्नल, मुंबई में की थी। साल 1960 में उन्होंने इस काम को छोड़ दिया था और फिर अपनी खुद की पत्रिका “मार्मिक” की शुरुआत की थी।
बाल ठाकरे पर निबंध 500 शब्द
भारतीय राजनीति के सात दशको में कई बड़े राष्ट्रीय व राष्ट्रीय नेताओं को जन्म दिया। अपने दल की विचारधारा को लेकर जिन्होंने एक बड़े जनसमुदाय पर अपनी छोड़ी।
ऐसे ही महान व्यक्तित्व के धनी थे बाल ठाकरे। महाराष्ट्र तथा देश की राजनीति में आज भी उनका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
देश मे पहली बार हिन्दुओ के हितों की आवाज उठाने वाले नेता के रूप बाल ठाकरे जाने जाते है। उनके द्वारा स्थापित शिवसेना ने आने वाले कई दशकों तक हिंदुत्व के विचार को लेकर ही काम किया।
महाराष्ट्र के चिरपरिचित राजनेता बाल ठाकरे का ओहदा एक नेता से कहि अधिक था। बड़ी बड़ी हस्तियां उनके दरबार मे हाजरी देती थी। इनका जन्म 23 जनवरी 1926 को तत्कालीन बॉमबे प्रान्त के पुणे शहर में हुआ था।
बाल ठाकरे के पिताजी का नाम सीताराम ठाकरे था। जिन्हें समाज सुधारक के रूप में भी याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त बाल विवाह की कुरीति को समाप्त करने के लिए आंदोलन किये थे।
बाल ठाकरे का विवाह मीना ठाकरे के साथ सम्पन्न हुआ था। इनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम बिंदु माधव ठाकरे, मंझले बेटे का नाम जयदेव ठाकरे तथा सबसे छोटे बेटे का नाम उद्धव ठाकरे हैं, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री है।
वर्ष 1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना के साथ ही सक्रिय राजनीति में कदम रखा था। राजनीति में कदम रखने से पूर्व ठाकरे कार्टूनिस्ट थे तथा एक अंग्रेजी अखबार के लिए काम करते थे।
एक सफल कार्टूनिस्ट के रूप में बाल ठाकरे की पहचान समूचे देश मे थी। हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर राजनीतिक प्रश्रय देने वाला कोई दल नहीं था, अतः इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने शिवसेना की स्थापना की।
अखबार के लिए कार्टून बनाने के साथ साथ ठाकरे ने सामना नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन भी शुरू किया, जो लोगो में काफी लोकप्रिय हुई। इसके पश्चात ठाकरे ने हिंदी व मराठी भाषा मे दो अखबारों का सम्पादन भी किया।
वे कई बार विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहते थे। 1966 में स्थापित शिवसेना अपने शुरुआती दौर में कुछ खास सफलता अर्जित नही कर पाई थी। मगर वे अभी भी अपनी पार्टी की विचारधारा के साथ थे।
निरन्तर मेहनत करते हुए शिवसेना ने 1995 में सत्ता तक पहुंचने का अवसर मिल गया। जब भाजपा शिवसेना गठबंधन ने प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे अभी पार्टी के कामकाज में बाल ठाकरे के सहयोगी रहे।
शिवसेना दल के संस्थापक और हिन्दू हृदय सम्राट कहे जाने वाले बाल ठाकरे का निधन 17 नवम्बर 2012 को हो गया था। शिवसेना के लिए यह बड़ी क्षति थी। बाल ठाकरे के देहांत के बाद शिवसेना ने भी लगभग अपनी हिंदुत्व की छवि को छोड़ सा दिया है।
बाल ठाकरे द्वारा अक्सर उत्तेजित बयान दिए जाते थे। इस वजह से उन पर सैकड़ो मुकदमें भी दर्ज किए गए थे। 2005 का वर्ष बाल ठाकरे और शिवसेना के लिए सबसे दर्दनाक साबित हुआ।
पार्टी में उद्धव को अधिक अहमियत दिए जाने के कारण राज ठाकरे ने नाराज होकर शिवसेना छोड़ दी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली।
ठाकरे के जीवन पर बालकडु मराठी फिल्म भी बनी है। बाला साहब के जीवन आदर्शों पर आधारित फिल्म के निर्माता स्वप्रा पाटेकर है। 2019 में उनके जीवन पर एक हिंदी फिल्म भी बनी है जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी तथा अमृता राव ने रोल निभाया है।
बाल ठाकरे 700 शब्द निबंध
बालासाहेब ठाकरे का पूरा नाम बाल केशव ठाकरे है और यह बालासाहेब ठाकरे के नाम से ही दुनियाभर में प्रचलित है। ठाकरे जी का जन्म साल 1926 में 23 जनवरी के दिन हुआ था।
ठाकरे जी महाराष्ट्र राज्य मुंबई शहर में पैदा हुए थे। इनके पिताजी का नाम केशव सीताराम ठाकरे और माताजी का नाम रमाबाई ठाकरे था।
इन्होंने मीना ठाकरे नाम की महिला से विवाह किया था, जिनसें इन्हें बिंदु माधव ठाकरे, जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे नाम की तीन संतान पैदा हुई थी। यह अपने माता पिता की सबसे बड़ी संतान थे। इन्हें भारतीय सरकार के द्वारा विशिष्ट सेवा पदक दिया गया था।
बाला साहब ठाकरे कट्टर हिंदुत्ववादी छवि में विश्वास रखते थे। इसलिए अक्सर मुस्लिम समुदाय के लोग इन्हें अपना दुश्मन मानते थे।
साल 2015 में बालकडू नाम की एक मराठी भाषा की फिल्म भी बालासाहेब के जीवन के उपर आधारित प्रस्तुत हुई थी। फिल्म की निर्माता स्वप्ना पाटकर थी और फिल्म के डायरेक्टर अतुल काले थे। इस फिल्म को श्रद्धांजलि देने के लिए 23 जनवरी के मौके पर फिल्म को रिलीज किया गया था।
बाला साहब ठाकरे के द्वारा साल 1966 में “शिवसेना” नाम की कट्टर हिंदूवादी पार्टी की स्थापना महाराष्ट्र राज्य में की गई थी। इस पार्टी को स्थापित करने के बाद शुरुआत में पार्टी को ज्यादा सफलता नहीं प्राप्त हुई थी,
परंतु धीरे-धीरे बाला साहब ठाकरे के प्रयासों के फलस्वरूप शिवसेना महाराष्ट्र की विधानसभा में अपनी उपस्थिति बनाती गई और साल 1995 में शिवसेना और भाजपा के गठबंधन की सरकार महाराष्ट्र राज्य में बनी।
साल 2005 में राज ठाकरे के द्वारा शिवसेना पार्टी को छोड़ दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे को पार्टी में ज्यादा महत्व दिया जा रहा है।
पार्टी छोड़ने के पश्चात राज ठाकरे के द्वारा साल 2006 में “महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना” नाम की नई पार्टी को गठित किया गया, जिसे संक्षेप में “मनसे” कहा जाता है।
बाला साहब ठाकरे अपने तेजतर्रार भाषणों के लिए जाने जाते थे और अपने भाषणों की वजह से ही कई बार उनके खिलाफ सैकड़ों मुकदमे दर्ज करवाए गए थे।
साल 2012 में 17 नवंबर के दिन हार्ड अटैक की वजह से बाला साहब ठाकरे परलोक सिधार गए। इनकी मृत्यु की खबर जैसे ही मुंबई के लोगों को हुई वैसे ही बाला साहब ठाकरे के घर के बाहर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई,
साथ ही कई लोगों ने शोक में शामिल होने के लिए अपनी दुकानें भी बंद कर दी और पूरे महाराष्ट्र राज्य में गवर्नमेंट के द्वारा हाई अलर्ट जारी कर दिया गया।
बालासाहेब के प्रति लोगों के प्यार को देखते हुए उस समय के भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोगों से शांति बनाए रखने की गुजारिश की। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी बालासाहेब ठाकरे को सम्मान पूर्वक विदाई दी।
बाला साहब ठाकरे की अंत्येष्टि मुंबई के शिवाजी पार्क में 18 अक्टूबर को की गई थी। यह वही शिवाजी पार्क है जहां पर शिवसेना पार्टी के द्वारा विभिन्न अभियान को अंजाम तक पहुंचाया गया था।
बाला साहब ठाकरे के अंतिम संस्कार में तकरीबन 200000 लोग उपस्थित हुए थे और इनके अंतिम संस्कार के कार्यक्रम को देश के प्रमुख न्यूज़ चैनल के द्वारा कवर किया गया था।
बालासाहेब ठाकरे ना तो लोकसभा के सदस्य थे ना ही राज्यसभा के सदस्य थे परंतु इसके बावजूद इन्हें काफी सम्मान प्राप्त हुआ था। ठाकरे को 21 तोपों की सलामी दी गई थी और बिहार के मुख्य सभागृह में भी पक्ष विपक्ष ने खड़े होकर के इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी।