Essay on Cuckoo in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम कोयल पर निबंध को पढेगे. कोयल मधुर भाषी सुंदर पक्षी हैं. भारत में पाए जाने वाले आकर्षक पक्षियों में इसकी गिनती की जाती हैं.
कोयल पर भाषण, स्पीच, निबंध, अनुच्छेद, लेख, कुछ लाइन, 5 लाइन्स, फ्यू लाइन के इस लेख में हम कुक्कू अर्थात कोयल के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे.
कोयल पर लघु निबंध Essay on Cuckoo in Hindi
नमस्कार मित्रों कोयल एक अद्भुत पक्षी हैं जिनकी बोली बेहद मीठी होती हैं. इसलिए कहा भी जाता है कोयल जैसी मीठी वाणी मनुष्य को भी बोलनी चाहिए.
मेरे प्रिय पक्षी / फेवरेट बर्ड कोयल पर छोटा बड़ा निबंध क्लास 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए यहाँ 5 लाइन, 10 लाइन, 100 शब्द, 200 शब्द, 250 शब्द, 300 शब्द, 400 शब्द और 500 शब्द सीमा में दिया गया हैं,
आप अपनी आवश्यकतानुसार कोयल के निबंध को छोटा बड़ा कर सकते हैं.
5 lines on cuckoo bird in hindi
- कोयल एक मध्य आकार वाला सुंदर पक्षी हैं.
- यह एक भारतीय पक्षी है जो लगभग सभी स्थानों पर पाया जाता हैं.
- मूलतः कोयल काले रंग की होती है जो कुक्कू कुक्कू की आवाज करती हैं.
- मादा कोयल एक समय में पन्द्रह से बीस अंडे देती हैं.
- केवल नर कोयल ही गीत गाती हैं.
Short Essay on ‘Cuckoo’ in Hindi | ‘Koyal’ par Nibandh (200 Words)
कोयल पक्षी का वैज्ञानिक नाम यूडाइनेमिस स्कोलोपेकस है, जो कुक्कू कुल से सम्बन्धित होने के कारण इसे कुक्कू तथा मधुर स्वर में गाने के कारण कोकिला कहा जाता हैं. सम्पूर्ण भारत में कोयल पाई जाती हैं.
मध्यम श्रेणी के आकार के इस पक्षी का आकार दस सेमी तक होता हैं. इसकी चोंच घुमावदार व तीखी जबकि दो आँखे लाल रंग की होती हैं. नर कोयल काले रंग की व मादा कोयल गहरे भुरे रंग की होती हैं. यह कीट पतंगों, लार्वा एवं छोटे जीवों का भक्षण कर अपना पेट भरती हैं.
सम्पूर्ण भारत में कोयल को देखा एवं सुना जा सकता हैं. यह घने वृक्षों में रहना पसंद करती हैं. सुल्तानपुर एवं नेशनल जिम कार्बेट उद्यान में इसे हर समय देखा जा सकता हैं.
कोयल शर्मीली मगर चालाक पक्षी हैं. बताते है कि यह अपने अंडे नहीं सेती हैं बल्कि इसे कौएं के घौसले में रख जाती हैं. मुर्ख कौआ इसे मादा कौआ का अंडा समझकर सेकता हैं.
दुनिया भर में कोयल की पहचान अपनी मधुर आवाज के लिए हैं. यह झारखंड राज्य की राज्य पक्षी भी हैं. संसार भर में इसकी एक सौ से अधिक जातियां पाई जाती हैं. जो एशिया व अफ्रीका महाद्वीप में प्रमुखतया पाई जाती हैं.
इसका जीवन काल 6 वर्ष का ही होता हैं. यह हमें संदेश देती है कि किसी की पहचान उसके रूप रंग से न करके उसके गुणों से करनी चाहिए साथ ही अल्प आयु में भी संसार की प्रशंसा को पाया जा सकता हैं.
कोयल पर निबंध – Essay on Koyal in Hindi 400 शब्दों में
भारत में बहुत से सुंदर पक्षी पाए जाते हैं जिनमें कोयल चिड़ियाँ भी एक हैं. यह चिड़ियाँ अपनी मीठी आवाज के लिए प्रसिद्ध है इसे कुक्कू के नाम से भी जाना जाता हैं. भारत के दो प्रदेश झारखंड एवं पांडिचेरी में इसे स्टेट बर्ड का दर्जा प्राप्त हैं.
यह दिखने में भी सुंदर एवं आकर्षक हैं. मादा की तुलना में नर कोयल अधिक मधुर गाती हैं. इसे एक चालाक पक्षी भी माना जाता हैं, जो अंडे तो देती हैं मगर कौए से सिकवाती हैं.
एशिया एवं अफ्रीका महाद्वीप में इनकी अधिकतर जातियां पाई जाती हैं. सर्वेक्षण के अनुसार विश्वभर में इसकी 70 से 100 जातियाँ हैं. सभी के रंग रूप व आकार में थोड़ी भिन्नता पाई जाती हैं. यह प्रवास पर जाने वाली चिड़ियाओं में से एक हैं.
सर्दी के मौसम में यह उत्तर भारत से दक्षिण भारत में पलायन कर जाती है तथा गर्मी में फिर से लौट आती हैं. पूछ समेत इसकी लम्बाई एक फीट तक होती है, आकार में यह कौएं से कुछ छोटी होती हैं.
कोयल को मीठे फल बेहद प्रिय होते हैं, यह आमतौर पर आम के फलों को खाना पसंद करती हैं. भारत में वसंत के आगमन के साथ ही इन्हें आसानी से देखा जा सकता हैं. स्वभाव से यह सरल एवं सीदी सादी चिड़ियाँ हैं. इसमें शरारती गुण भी होते है तो यह शर्माने वाली भी होती हैं.
जब यह कुहू कुहू की टेर सुनाती है तो सभी के दिलो पर छा जाती हैं. इसकी और कौए की दुश्मनी मानी जाती हैं. यह कौवे से ही अपने अंडों को सिकवाती है तथा उनका चुग्गा दाने का प्रबंध करवाती हैं, इनके व कौएं के बच्चों में अधिक फर्क नहीं होता हैं इस कारण कौआ आसानी से धोखा खा जाता हैं.
कोयल मनुष्य को अपने जीवन से बहुत कुछ सीखने के लिए प्रेरित करती हैं. यही वजह है कि हमारे साहित्यकारों के इस पर अनेक कविताएँ, शायरी, दोहों की रचना की हैं.
इसकी मधुर वाणी को सभी ने सराहा है आज भी गायन के क्षेत्र में मधुर गाने वाली महिलाओं को कोकिला कहा जाता हैं यथा लताजी को स्वर कोकिला के उपनाम से भी जानते हैं.
संसार में रूप की बजाय गुण को महत्व दिया जाता हैं. रूप में कोयल और कौआ समान ही होते हैं मगर कौआ किसी को पसंद नहीं आता है जबकि कोयल सर्वप्रिय होती हैं.
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सुरीली आवाज की मालकिन कोयल पर अपनी छानबीन के बाद जो दावे किये है वे चौकाने वाले हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि इनके पंख बहुत अद्भुत है जिनकी मदद से वह दूसरे पक्षियों के घौसलों पर आसानी से काबिज हो जाया करती हैं.
कोयल ने स्वयं को इस तरह विकसित किया है कि वह स्पैरो हॉक की तरह नजर आती है जिसके कारण बहुत से पक्षी बड़ी आसानी से इससे डर जाते हैं.
वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि यह बेहद आलसी परजीवी में से एक हैं जो स्वयं का घौसला बनाने की बजाय अपने व्यवहार से दूसरे पक्षियों को भयभीत कर चालाकी से उनके घौसलें में अपने अंडे दे देती हैं.