भारत में लोकतंत्र पर निबंध | Essay on Democracy in India in Hindi

Essay on Democracy in India in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम भारत में लोकतंत्र पर निबंध आपके साथ साझा कर रहे हैं.

लोकतंत्र क्या है, भारत में लोकतंत्र का भविष्य सम्भावनाएं व चुनौतियों पर आज का यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में यहाँ डेमोक्रेसी इन इंडिया इन हिंदी का छोटा बड़ा निबंध दिया गया हैं.

भारत में लोकतंत्र पर निबंध | Essay on Democracy in India in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध | Essay on Democracy in India in Hindi

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भारतीय लोकतंत्र पर निबंध Short Essay on Democracy in India in Hindi

प्रस्तावना- अब्राहम लिंकन के अनुसार जनतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन हैं. जनतंत्र का अर्थ है जनता का शासन.

इसका तात्पर्य ऐसी शासन प्रणाली से हैं जिसमें शासन चलाने वाले प्रतिनिधि जनता द्वारा ही चुने जाते है.

साथ ही इसमें आम जनता का सर्वागीण हित प्रमुख होता हैं. भारत में इस तरह की ही जनतंत्रात्मक शासन प्रणाली प्रचलित हैं.

आज भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्रात्मक देश है, लेकिन जनतंत्र की स्थिति यहाँ सबसे बदतर दिखाई देती हैं.

भारत की वर्तमान दशा- वर्तमान समय में हमारे देश की दशा अत्यंत शोचनीय हैं. हमारे देश की राजनीतिक, आर्थिक और आर्थिक दशा लडखडा रही हैं. राजनीतिक उथल पुथल और चुनौतियां आए दिन बढ़ती रहती हैं.

पंचवर्षीय योजनाओं का सही संयोजन न होने से यहाँ का अर्थतंत्र बिखरा हुआ हैं. मंदी, महंगाई और आर्थिक शोषण से आज लोग परेशान हैं.

सर्वत्र स्वार्थपरता एवं भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं. मानवीय मूल्य लुप्त हो रहे हैं. आतंकवादी हिंसा से भय का वातावरण बन रहा हैं. इस तरह कुल मिलाकर देश में युग विपर्यय की स्थिति हैं.

जनतंत्र के रूप में कमियां- हमारे देश में लोकतंत्र सम्रद्धि नहीं कर पा रहा हैं. मेरी दृष्टि में इसके कई कारण हैं.

  • आर्थिक असंतुलन इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा हैं आम जनता की आर्थिक स्थिति एक शोचनीय हैं.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी अशिक्षा फैली हुई हैं. उनमें राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने के लिए शिक्षा का प्रचार जरुरी हैं.
  • असीमित जनसंख्या वृद्धि एवं रोजगार की कमी भी हमारे लोकतंत्र को डगमगा रही हैं. शिक्षा प्रणाली दूषित हैं इससे बेरोजगारी बढ़ रही हैं.
  • राजनेताओं का स्वार्थ, देशव्यापी भ्रष्टाचार व सरकारी कार्यालयों में लालफीताशाही आदि से शासनतंत्र को कमजोर कर रहे हैं.
  • आर्थिक कार्यक्रमों को सही ढंग से व्यवहारिक रूप नहीं दिया जा रहा हैं. अधिकांश प्रगतिशील काम केवल कोरे नारे बन जाते हैं.

सुधार की आवश्यकता- ऐसी दशा में यह जरुरी है कि हमारे लोकतंत्र के सर्वमान्य स्वरूप को सुधारा जाए. इसके लिए हमें पूर्वोक्त सभी कमियों को दूर करना होगा.

आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को द्रढ़ता से लागू कर बेरोजगारी दूर करना प्रथम लक्ष्य होना चाहिए, तभी देश में आर्थिक स्थिति सुधरेगी और यहाँ मानव शक्ति का पूरा उपयोग हो सकेगा.

इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार भी जरुरी हैं, इनमें भी अधिक महत्व की बात हैं चारित्रिक द्रढ़ता. जब तक देशवासियों में ईमानदारी और सच्चाई नहीं आती, तब तक किसी भी तरह का सुधार कामयाब नहीं सकता

उपसंहार –अतः वह स्पष्ट है कि हमारे देश में जनतंत्र का भविष्य कुछ धूमिल हैं. जिन परिस्थतियों में आज हमारा देश जकड़ा हुआ हैं. यदि उनको नियंत्रित नहीं किया गया तो यहाँ जनतंत्र की सफलता असम्भव हैं.

अतः हम पहले देश की आर्थिक विषमता तथा अशिक्षा को दूर करने का प्रयास करे, जनतंत्र अपने आप पनपता जाएगा.

भारतीय लोकतंत्र का भविष्य सम्भावनाएं चुनौतियों पर निबंध Essay on Indian Democracy In Hindi

लोकतंत्र जिन्हें जनता का शासन भी कहा जाता हैं, विश्व के अधिकातर देशो ने इसी शासन व्यवस्था को अपनाया हैं. कई पश्चिमी देश कई सैकड़ो साल से इसी पद्दति को अपनाए हुए हैं.

जिन्हें लोकतंत्र का जनक भी कहा जाता हैं. मगर भारतीय लोकतंत्र को विश्व का सबसे बड़ा डेमोक्रेसी कहा जाता हैं. इसकी वजह निरंतर समय के साथ अपनी शासन व्यवस्था को सुद्रढ़ किया जाना भी हैं.

वर्तमान समय में भारत एक बड़ा लोकतान्त्रिक देश हैं. यह 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. उस समय भारतीय राष्ट्रिय आन्दोलन के नेता व प्रबुद्दजन भारत की नई शासन व्यवस्था को लेकर चिंतित थे.

उन्होंने कई वर्षो के अथक प्रयासों से पुरे विश्व से शासन व सुशासन प्रक्रिया के विचार को लेकर उन्हें एक जगह संग्रहित किया. इस विचारों व शासन की कार्यविधि को बताने वाले दस्तावेज को ही सविधान कहा गया.

लोकतंत्र क्या हैं- लगभग सभी लोकतान्त्रिक व्यवस्था रखने वाले देशो का अपना सविधान होता हैं. भारतीय सविधान में लोकतंत्र, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता भारतीय जनता के राष्ट्रिय लक्ष्य माने गये. हमारे देश के सविधान ने यहाँ लोकतान्त्रिक पद्दति की स्थापना की.

लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली के अंतर्गत मनमानी ढंग से निर्णय लिए जाने की सम्भावना नही होती हैं. यह लोकतान्त्रिक शासन जनता के प्रति उत्तरदायी होता हैं.

भारत में प्रत्येक नागरिक को 6 मौलिक अधिकार दिए गये हैं. हर व्यस्क नागरिक को मतदान करने व चुनाव लड़ने का अधिकार हैं.

लोकतंत्र की विशेषताएँ

लोकतान्त्रिक व्यवस्था में शक्ति एक अंग तक सिमित नही होती हैं. यहाँ शक्ति विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विकेन्द्रित कर दी जाती हैं.

भारत में कार्यपालिका एवं विधायिका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय व्यस्क जनता द्वारा चुनी जाती हैं. लोकतंत्र में राष्ट्रिय स्तर पर कुछ राजनितिक पार्टिया होती हैं.

जो अपने उम्मीदवारों को चुनाव में उतरती हैं. इन पार्टियों में से जिस पार्टी को बहुमत मिलता हैं, वह अपनी सरकार बनाती हैं.

अगर किसी को भी बहुमत ना मिले तो तो 2 या इससे अधिक पार्टिया मिलकर सरकार बनाती हैं. जिसे गठबंधन सरकार कहते हैं.

इस प्रकार लोकतंत्र शासन का ऐसा रूप हैं, जिनमे शासकों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता हैं. एक लोकतान्त्रिक देश में इतने अधिक लोग रहते हैं.

कि हर बात पर सबको एक साथ बैठकर सामूहिक निर्णय या फैसला नही लिया जा सकता. इसलिए एक निश्चित क्षेत्र से जनता अपना एक प्रतिनिधि चुनती हैं.

भारत में लोकतंत्र सभी नागरिको की समानता की वकालत करता हैं यह व्यक्ति की गरिमा को बढ़ता हैं.

लोकतंत्र और अधिकार

लोकतंत्र में नागरिको को सरकार के क्रिया कलापों पर विचार-विमर्श करने और उसकी त्रुटियों की आलोचना करने का अधिकार हैं. भारत में जनता को सूचना का अधिकार (RTI) दिया गया हैं.

सूचना का अधिनियम, 2005 हमारी संसद द्वारा पारित एक ऐतिहासिक कानून हैं. इसके द्वारा सामान्य नागरिक सरकारी कार्यालयों से उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता हैं. इस तरह भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था में उतरोतर सुधार किया जा रहा हैं.

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