दिवाली मेला पर निबंध essay On Diwali mela in hindi: दीपावली हिन्दुओं और सिखों का महत्वपूर्ण पर्व हैं इसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता हैं.
दिवाली से दो पूर्व से ही दिवाली मेला fair आरंभ हो जाता हैं जो दस दिनों तक चलता हैं. आज के निबंध में हम दिवाली के मेले पर स्पीच जानकारी स्टूडेंट्स के लिए बता रहे हैं.
दिवाली मेला पर निबंध essay On Diwali mela in hindi
300 शब्दों में दिवाली मेला पर निबंध
हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार दिवाली हर साल अक्टूबर अथवा नवंबर के महीने में आता है जिसे पूरे भारत देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
इसके साथ ही जहां जहां पर दुनिया में हिंदू समुदाय की आबादी रहती है वहां वहां पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।
दिवाली का त्यौहार आने के 1 महीने पहले ही हिंदू धर्म के लोग अपने घर की साफ सफाई करना चालू कर देते हैं और अपने घरों की रंगाई पुताई भी करते हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि दिवाली के दिन घर में माता लक्ष्मी जी प्रवेश करती हैं।
दिवाली के मौके पर भारत में कई जगह पर मेले का आयोजन करवाया जाता है जिसमें काफी लोग इकट्ठा होते हैं। दिल्ली जैसे राज्य में डिफेंस कॉलोनी में दिवाली का मेला बहुत ही शानदार तरीके से संचालित होता है।
यह मेला दिल्ली के साउथ में लगता है। दिवाली के मेले में विभिन्न प्रकार के कपड़ों की दुकान दुकानदारों के द्वारा लगाई जाती है, जहां पर बच्चों से लेकर के बड़े व्यक्तियों के कपड़े मिलते हैं।
इसके अलावा मेले में खाने-पीने के साथ ही साथ मिठाइयों की भी कई बड़ी-बड़ी दुकानें होती हैं। मेले में विभिन्न प्रकार की रंगीन झालर और लाइट भी होती है जिसे लोग अपने अपने घरों को सजाने के लिए लेकर के जाते हैं।
दिवाली के मेले में आर्टिफिशियल दीपक भी बिकते हैं और मेले में इसके अलावा भी अन्य कई चीजों की दुकानें होती हैं।
काफी सालों से यह मेला मेला कमेटी के द्वारा लगाया जा रहा है और इसीलिए मेले में किसी भी प्रकार की गड़बड़ ना हो इसके लिए प्रशासन के द्वारा भी उचित व्यवस्था की जाती है।
मेले में आने वाले सभी लोग बहुत ही खुश होते हैं क्योंकि उन्हें दिवाली के त्यौहार को धूमधाम से मनाने के लिए जिन भी चीजों की आवश्यकता होती है, वह उन्हें मेले में प्राप्त हो जाती है।
दिवाली मेला निबंध 1000 words में
भारत के सबसे बड़े त्योहार की बात करे तो वह दिवाली ही हैं. महीनों पूर्व से लोगों को इसका बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है हर कोई अपने घर की साफ़ सफाई और दिवाली की तैयारी में लग जाता हैं. इस अवसर पर सभी सरकारी कर्मचारियों को भी छुट्टियाँ मिल जाती हैं.
असत्य पर सत्य, अंधकार पर प्रकाश के प्रतीक पर्व दिवाली के अवसर पर रोशनी, मिठाई, पटाखे और रंगोली सभी के लिए आकर्षण का केंद्र होता हैं. इस पर्व पर कुछ स्थानों में दिवाली मेले का आयोजन भी किया जाता हैं. जहाँ सभी दोस्त रिश्तेदार एक साथ मिल जाते हैं.
रावण को मारकर जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो उनके आगमन के हर्ष में लोगों ने घी के दिए जलाकर दिवाली का उत्सव पहली बार मनाया था.
आज भी दशहरा के दिन रावण के पुतले जलाए जाते है तथा दिवाली को घी के दिए जलाकर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती हैं. राजधानी दिल्ली के कई स्थानों पर दिवाली मेलों का आयोजन होता हैं जहाँ लोग खरीददारी एवं मेल मिलाप के लिए एकत्रित होते हैं.
दिवाली मेले का इतिहास महत्व (History of diwali fair in hindi)
उत्तराखंड के उधमसिंह डिस्टिक में स्थित नानकमत्ता साहिब सिख समुदाय का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं.
यहाँ दिवाली के दिन विशाल मेला भारत है यह भारत का सबसे बड़ा दिवाली मेला भी हैं, जहाँ प्रतिवर्ष 10 से 15 लाख हिन्दू व सिख आकर गुरु के चरणों में शीश नवाते हैं.
यह धार्मिक मेला दिवाली से ठीक दो दिन पूर्व धनतेरस के दिन से आरंभ होकर अगले 10 दिनों तक चलता हैं. गुरुद्वारा कमेटी की ओर से मेले में आने वाले आगंतुकों के लिए विशिष्ट व्यवस्थाएं भी की जाती हैं. उनके रूकने के लिए 200 कमरों की एक बड़ी सराय तथा कई टेंट लगे रहते हैं.
उधमसिंह के दिवाली मेले के प्रथम तीन दिन सिख धर्म के लिए हैं. इन दिवसों में सिख धर्म के संत महात्माओं द्वारा धर्म से जुड़े व्याख्यान व भजन कीर्तन प्रस्तुत किये जाते हैं.
इस दौरान सर्वाधिक लोगों की उपस्थिति होती हैं. इसके बाद आदिवासी जाति रानाथारु के लोग देशभर से यहाँ एकत्रित होते हैं.
इस दिवाली मेले में आने वाले दर्शनार्थियों के लिए भोजन की व्यवस्था गुरुद्वारा समिति द्वारा ही किया जाता हैं, यहाँ वर्ष भर लंगर चलता हैं. मेले के दिनों नित्य लाखों की तादाद में श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं. शहर में कोई खाने की होटल नहीं हैं बस कुछ चाट और मिष्ठान की छुटपुट दुकाने व ठेले ही यहाँ देखने को मिलते हैं.
मेले में सुरक्षा के प्रबंध भी कड़े रहते हैं. सुरक्षा का जिम्मा कोतवाली पुलिस के हाथ में होता है जो प्रत्येक पल सतर्क रहते हुए इसे व्यवस्थित रूप से चलाने में मदद करती हैं.
यहाँ बच्चों तथा मनोरंजन प्रेमियों के लिए कुछ अस्थायी सिनेमाघर, नाटक सर्कस, झूले, मौत का कुआ, इंद्र जाल और जादू वाले भी आते हैं.
घरेलू सामान, वस्त्र, खिलौने आदि की दुकाने आसानी से मिल जाया करती हैं. इसके अतिरिक्त तलवारों, कृपाणों, भाला, बरछी और लाठी-डण्डों की भी कुछ दुकाने हैं.
दीवाली मेला – Diwali Mela
मैं अपने छोटे से परिवार के साथ तीन हजार की आबादी वाले गाँव में रहता हूँ, जो शहर से 15 किमी की दूरी पर हैं. पास ही के शहर में हर साल दिवाली के अवसर पर एक मेला लगता हैं. मुझे मेले का भ्रमण बेहद प्रिय हैं मैं हर साल अपने मम्मी पापा के साथ इस मेले को देखने के लिए जाता हूँ.
यह दो दिवसीय मेला है जो दीपावली के दो दिन पूर्व अर्थात धनतेरस के दिन आरंभ होकर अमावस्या के दिन खत्म हो जाता हैं यहाँ टिकट के लिए कई दिन पूर्व से ही बुकिंग शुरू हो जाती हैं,
अतः हमने भी दो सप्ताह पूर्व अपने बड़े भाई से टिकट मंगवा ली थी. यहाँ आस पास के गाँवों से हजारों की तादाद में लोग एकत्रित होते हैं.
बेहतरीन ढंग से सजावट तथा विविध तरह के वस्त्रों, खिलौनों, झूलो तथा सर्कसों से मेले बेहद सुंदर नजारा प्रस्तुत कर्ता हैं. यहाँ कई लोटरी तथा विविध खेलों के दुकान लगे होते हैं, जिनमें कंचे अथवा तस्तरी फेककर मिली वस्तु को ईमान देने के खेल खूब खेलते हैं.
चाट-पकौड़ी, चुस्की, नूडल्स, मिष्ठान आदि के भोजन भंडार और स्टाल हर जगह नजर आ जाती हैं. मेले में प्रवेश द्वार के पास ही दिवाली की सामग्री मोमबत्ती, दिए, लाइट, लक्ष्मी पूजन की सामग्रियों तथा मूर्तियों के स्टाल भी लगे रहते हैं. दिवाली मेले में बच्चों के लिए झूले, सर्कस और जादू व मदारी के खेल उन्हें बेहद भाते हैं.
दस्तकार का दिवाली मेला
दस्तकार फेस्टिवल ऑफ लाइट्स दिल्ली में आयोजित दिवाली मेला हैं जो नेचर बाजार में अंधेरिया मोड़ के पास हर साल आयोजित होता हैं. इसका आयोजन दस्तकार समिति तथा दिल्ली के पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता हैं. इस मेले में लाइट्स और क्राफ्ट की बनी वस्तुएं सस्ते दामों में बिकती हैं.
देशी विदेशी विक्रेता यहाँ अपने उत्पादों को बिक्री के लिए सजाते हैं. पिछले वर्ष 100 से अधिक कम्पनियां अपने बेहतरीन प्रोडक्ट के साथ मेले में आई थी.
सुगंधित मोमबत्तियां लेनी हों या पेपर लैंप्स या पॉटरी, मिनिएचर, मधुबनी पेंटिंग या फिर घर की सजावट से जुडी कोई भी सामग्री खरीदनी हो तो आप सस्ते दामों में यहाँ से खरीद सकते हैं. मेले में प्रवेश के लिए बेहद कम शुल्क रखा जाता हैं, जो इंट्री पॉइंट पर चार्ज किया जाता हैं.
एपिक सेंटर दिवाली मेला
राजधानी दिल्ली में दिवाली के अवसर पर लगने वाले मेलों में एपिक सेंटर का दिवाली फेयर भी एक हैं. जो दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में गुडगाँव में हर दीपावली के अवसर पर भरता हैं.
इस मेले में खरीददारी की सभी वस्तुए तो मिलती ही हैं साथ ही ग्राहकों को रिझाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का भी आयोजन होता हैं.
सांस्कृतिक परिधान, दीए, लाइट्स, घर की सजावट की वस्तुएं यहाँ आसानी से प्राप्त हो जाती हैं. यहाँ एक फ़ूड कोर्ट भी बना हैं. यदि आप राजधानी में बसते हैं तो अपने परिवार तथा बच्चों के साथ इस मेले में जाकर आनन्द एवं उत्सव के साथ दिवाली की खरीददारी भी कर सकते हैं.
डिफेन्स कॉलोनी दिवाली मेला
देश की राजधानी में दिवाली के अवसर पर आयोजित मेलों की धूम मची हुई हैं. शहर के हर क्षेत्र में कोई न कोई मेला अवश्य भरता हैं. साउथ दिल्ली की डिफेन्स कोलोनी में भी डिफेन्स कॉलोनी रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता हैं.
यह मेला मुख्य रूप से बेहतरीन स्वादिष्ट व्यंजनों तथा मनोरंजन के कार्यक्रमों तथा ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए जाना जाता हैं. दीपावली के अवसर पर इस मेले का आयोजन होता हैं जिसमें लोग बड़े ही उल्लास के साथ भाग लेते हैं. हजारों की संख्या में लोग यहाँ आते हैं.
बच्चों के लिए यहाँ कपड़े, खाने, खिलौनों की दुकाने सजी रहती हैं दिवाली पर पूजन की सामग्री, सजावट, पकवान से लेकर विभिन्न घरेलू आवश्यकता की पूर्ति की वस्तुएं इस मेल से खरीदी जाती हैं. मेले के आयोजन के दौरान पुलिस प्रशासन का भी सख्त पहरा रहता हैं.
दिल्ली के अन्य दिवाली मेलों में डिफेन्स कोलोनी का मेला सर्वाधिक प्राचीन फेयर हैं. यह विगत 50 वर्षों से इसी स्थान पर मनाया जा रहा हैं.
दिवाली के दो दिन पूर्व आरंभ होकर यह अगले दस दिनों तक चलता हैं. जिसमें स्त्री, पुरुष, नौजवान, बच्चे, बुड्ढ़े सभी उम्रः के लोग भाग लेते हैं.