मेरा प्रिय खेल फुटबॉल Essay On Football In Hindi Language: हेलो दोस्तों आज आपके साथ मेरा प्रिय खेल फुटबॉल पर निबंध लेकर हाजिर हूँ. सभी के अपने अपने पसंदीदा खेल होते हैं कोई क्रिकेट, कोई हॉकी तो किन्ही को बैडमिंटन टेनिस आदि प्रिय खेल होते हैं.
मैं फुटबाल को अपना प्रिय खेल (My Favorite Sports) मानता हूँ, मेरा प्रिय खेल पर बच्चों को हिंदी अंग्रेजी भाषा में निबंध लिखने को कहा जाता हैं.
Football Essay In Hindi के द्वारा आप अपने पसंदीदा खेल फुटबॉल पर छोटा बड़ा 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए निबंध तैयार कर सकते हैं, माय फवरेट स्पोर्ट्स फुटबॉल एस्से की रूपरेखा यहाँ दी गई हैं.
प्रिय खेल फुटबॉल पर निबंध Essay On Football In Hindi
Football Match Essay: modern world many famous games cricket, hockey, and football of them.
these games are also too old but help to maintain our body and health. football improves our strength and stamina also.
this is played all over the world. Essay on Football Match in Hindi in this article my view on one football game that was played at my school.
school essay writing on football giving in the English language after that this Hindi translation gave the blow.
फुटबॉल मैच पर निबंध Essay on Football Match in Hindi & English
games and sports are an essential part of education. without playground activities, education is incomplete. physical fitness is as important as mental development.
our principal is good enough to encourage games and sports. an interclass tournament is organized every year.
a football match was played between class viii-a versus viii-b. the referee gave a whistle. the caption went near the referee.
our caption of class viii-a won the toss, he selected the goal and fixed the duties of players. on the next whistle, the match started. the team of viii-b scored 2 goals.
efforts were made by viii-a players to equate the goals, but it was not possible to do so. refreshment was given to teams during the interval.
the team of viii-b was declared the winning team. there was a big crowd of spectators. it was an interesting football match.
हिंदी
खेल कूद शिक्षा का एक अनिवार्य अंग हैं। खेल के मैदान की गतिविधियों के बिना, शिक्षा अधूरी सी लगती है। शारीरिक फिटनेस मानसिक विकास के लिए खेल अति महत्वपूर्ण है।
हमारे प्रिंसिपल स्कूल में खेल कूद को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करते है। हमारे विद्यालय में एक इंटरक्लास टूर्नामेंट हर वर्ष आयोजित किया जाता है।
एक फुटबॉल मैच कक्षा viii- A बनाम viii-b के बीच खेला गया था। रेफरी ने एक सीटी बजाई, खेल शुरू हुआ। दोनों टीम के कप्तान रेफरी के पास पहुचे।
क्लास viii-B के हमारे कप्तान ने टॉस जीता, उन्होंने खिलाड़ियों निश्चित स्थानों पर खड़ा किया। अगली विसल बजने के साथ ही खेल शुरू हो गया. गेम के पहले हाफ में टीम VIII B ने दो शानदार गोल किये।
viii A द्वारा स्कोर लेवल करने के हर संभव प्रयास किये गये. अंतराल के बाद शानदार खेल हुआ । मगर VIII बी अपनी बढत बनाए रखने में कामयाब रही।
अंत में viii-b मैच की टीम विजेता टीम घोषित की गई । दर्शकों की भीड़ ने दोनों टीमों के खिलाड़ियों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सराहा. मेरे लिए यह एक दिलचस्प फुटबॉल मैच था।
300 शब्दों में फुटबॉल पर निबंध
खेल दो प्रकार के होते है स्वदेशी जैसे गिल्ली डंडा कब्बडी और विदेशी खेल जैसे वालीवाल, फुटबॉल क्रिकेट आदि, इन खेलों में फुटबॉल मुझे विशेष पसंद हैं. यह एक सीधा सादा और सस्ता खेल हैं तथा इसमें शरीर का अच्छा व्यायाम भी हो जाता हैं.
खेल का स्वरूप– फुटबॉल का खेल एक बड़े चौरस मैदान में खेला जाता हैं. इसके खिलाड़ी दो दल में बंट जाते हैं. आमतौर पर 11-11 खिलाड़ियों की दो टोलियाँ बना ली जाती हैं. मैदान के बीचोबीच एक रेखा खीचकर दो भाग कर दिए जाते हैं.
प्रत्येक दल को अपने सामने वालेभाग में गोल करना होता हैं. एक दल गोल करने का प्रयत्न करता हैं और दूसरा उसे रोकता हैं. एक खिलाड़ी गोल के निकट रहता हैं. उसका कार्य केवल गोल की रक्षा करना होता हैं, इसे गोल रक्षक या गोल कीपर कहते हैं.
गोल के अन्य खिलाड़ी अपने अपने स्थान से गेंद को अंदर आने से रोकते हैं और दुसरे उसे गोल में ले जाने का प्रयत्न करते हैं. इस खेल का निर्णायक रेफरी कहलाता हैं.
वही खेल को आरम्भ करता हैं तथा वही गलती करने वाले खिलाड़ी को टोकता व हार जीत का निर्णय करता हैं. सारे कार्य उसकी सीटी के संकेत पर होते हैं.
खेल का महत्व- स्वास्थ्य के लिए खेल बहुत आवश्यक हैं. खेलने से भोजन पचता हैं और भूख अच्छी लगती हैं. मेरी दृष्टि में फुटबॉल का खेल विशेष महत्वपूर्ण हैं. इस खेल में शरीर को अधिक चोट लगने का भय नही रहता हैं.
फुटबॉल से शरीर का अच्छा व्यायाम भी हो जाता हैं. खेल के दो दलों में से एक जीतता हैं और दूसरा हारता हैं, किन्तु इस जीत हार से आपसी प्रेम घटने की बजाय बढ़ता हैं.
उपसंहार- हम बच्चों के लिए खेलों का विशेष महत्व होता हैं. खेल हमारे शरीर को स्वस्थ एवं सुंदर बनाते हैं. हम लोग आपस में तथा दूसरे विद्यालयों की टीमों से भी खेल खेलते हैं. फुटबॉल के खेल में हमारा उत्साह दिन दिन बढ़ता जा रहा हैं.
फुटबॉल पर निबंध – Short Essay on Football in Hindi
फुटबॉल एक ऐसा खेल है जिससे आपका शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहता हैं. यह एक प्रसिद्ध खेल हैं. इस खेल को पैर के साथ एक गेंद को ठोकर मारकर खेला जाता हैं. इसलिए इसे फुटबॉल कहा जाता हैं. फुटबॉल एक आउटडोर खेल हैं. यह खेल दो टीमों के मध्य खेला जाता हैं.
इसमें दोनों टीमों में 11-11 खिलाड़ी होते है. हर टीम का लक्ष्य एक दूसरे के खिलाफ अधिकतम गोल करना होता हैं. इस खेल की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता 90 मिनट की होती हैं. जिसे 45-45 मिनट के दो भागों में बांटा जाता हैं.
प्रतिद्वन्दी टीम के गोल को रोकने के लिए दोनों पक्षों में एक एक गोलकीपर होता हैं. इस खेल में गोलकीपर को छोड़कर किसी भी अन्य खिलाड़ी को गेंद को हाथ से छूने की अनुमति नहीं होती हैं.
जो टीम दूसरी टीम के खिलाफ अधिक गोल बनाती है, वह टीम जीत जाती हैं. फुटबॉल के खेल को खिलाड़ी उचित ढंग से खेले, खेल के नियमों का पालन करे इसके लिए एक रेफरी और दो लाइनमैन होते हैं. फुटबॉल के नियमों का सख्ती से पालन करना होता हैं.
अब फुटबॉल एक अंतर्राष्ट्रीय खेल बन चुका हैं. हर चार साल बाद वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के रूप में विश्व की श्रेष्ठ टीमों इस वर्ल्ड कप में भाग लेती हैं. फीफा वर्ल्ड कप की पिछली चार विजेता टीम 2002 में ब्राजील, 2006 में इटली, 2010 में स्पेन और 2014 में जर्मनी हैं.
नियमित रूप से फुटबॉल खेलने से एकाग्रता बढ़ती हैं, शरीर मजबूत और चुस्त रहता है. इस खेल को लगभग सभी आयुवर्ग के लोग खेल सकते हैं.
विशेषकर विद्यार्थियों को फुटबॉल का खेल जरुर खेलना चाहिए, क्योंकि इससे आपका शारीरिक और मानसिक विकास होता हैं.
फुटबॉल पर निबंध- Essay On Football In Hindi Language 500 In Words
छात्रों के लिए जितना अध्ययन आवश्यक हैं, उतना ही खेलना भी. इससे शारीरिक शक्ति की ही वृद्धि नही होती हैं, अपितु छात्रों की मानसिक शक्ति का भी विकास होता हैं. उनमें संकल्प की द्रढ़ता, संगठन की क्षमता तथा अनुशासनप्रियता बढ़ती हैं.
खेलों के प्रचार और खेलों के प्रति अभिरुचि जाग्रत करने के लिए फुटबॉल मैचों का आयोजन किया जाता हैं. प्रतिवर्ष इंटर स्कूल टूर्नामेंट किये जाते हैं. जिसमें फुटबॉल क्रिकेट आदि के मैच होते हैं.
विद्यार्थी इसमें अपनी अपनी अभिरुचि के अनुसार भाग लेते हैं. विजेता टीम को पुरस्कार के रूप में ट्राफी दी जाती हैं. अन्य अच्छे खिलाड़ियों को भी पुरस्कार मिलता हैं.
मैंने जो मैच देखा वह इंटर कॉलेज टूर्नामेंट का अंतिम मैच था, वह सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह में हुआ. यह गवर्नमेंट इंटर कॉलेज बुलन्दशहर तथा अग्रवाल इंटर कॉलेज सिकन्दराबाद के बिच हुआ था. यह मैच रविवार की शाम चार बजे रखा गया था.
शनिवार को ही प्रधानाचार्य को ने कॉलेज में यह सूचना प्रचारित करवा दी थी कि प्रत्येक छात्र को मैच देखने आना हैं. मेरा घर कॉलेज के निकट ही था, अतः मुझे वहां पहुचने में कोई कठिनाई नही हुई.
जो छात्र दूर रहते थे उन्हें भी प्रधानाचार्य जी की आज्ञा से विवश होकर आना पड़ा. 3 बजे हमारे कॉलेज के खिलाड़ियों की टीम कॉलेज के छात्रावास में एकत्रित हुई.
क्रीडाअध्यक्ष जी ने 10-12 मिनट तक खिलाड़ियों को मैच के विषय में कुछ आवश्यक निर्देश दिए. खिलाड़ियों ने अपने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और कॉलेज के खेल की पौशाक पहननी आरम्भ कर दी.
धीरे धीरे सभी खिलाड़ी एक से परिवेश में सुसज्जित हो गये, कोई अपनी जाँघों पर हाथ फेर रहा था, कोई अपनी भुजाओं पर. सभी खिलाड़ियों ने खेल के जुते पहन रखे थे.
कई बिना जूते ही खेलना चाह रहे थे. किन्तु क्रीडाअध्यक्ष की इच्छा थी कि वे भी जूते पहनकर ही खेले. अंत में उन्होंने क्रीडाअध्यक्ष की आज्ञा मान ली. अब सभी खिलाड़ी खेलने को पूर्ण रूप से तैयार थे.
सभी खिलाड़ी मैदान की ओर चल दिए, अभी साढ़े तीन ही बजे थी. हमारी टीम से पहले सिकंदराबाद की टीम आ पहुची थी. मैदान के चारों ओर दर्शक जमा होते जा रहे थे. गणमान्य व्यक्तियों के लिए एक ओर कुर्सियां बिछी हुई थी. दो मेजों पर पुरस्कार सजा कर रखे गये थे.
ठीक पौने चार बजे रेफरी ने सिटी बजाई और खेल आरम्भ करवा दिया. दोनों टीम के कैप्टन टॉस करने के लिए रेफरी के पास आ गये. टॉस में सिकन्दराबाद की टीम जीत गई.
इस पर उनके साथ आए हुए कुछ विद्यार्थियों ने ताली बजाकर ख़ुशी प्रकट की. इसके पश्चात दोनों टीम के कैप्टनों ने अपने अपने खिलाड़ियों को यथास्थान पर खड़ा किया.
ठीक चार बजे रेफरी ने फिर एक बार सिटी बजाई और खेल शुरू करवा दिया. उस समय का द्रश्य बड़ा ही मनमोहक था. खेल के मैदान के चारो ओर कोनो कोनो पर रंग बिरंगी झंडियाँ लगी हुई थी. गोल के दोनों स्थली पर जाली और बल्लियों का चौड़ा सा द्वार बना दिया गया था.
मैदान के चारो ओर लाइनों के पीछे विद्यार्थियों की और फुटबॉल के खेल में रूचि रखने वाले नागरिकों की भीड़ लगी हुई थी. आज के पुरस्कार वितरण के लिए सुप्रिड़ेंटेड पुलिस की धर्मपत्नी को आमंत्रित किया गया था.
वे दोनों पति पत्नी आए थे और अन्य गणमान्य दर्शकों के मध्य सौफे पर बैठे हुए खेल का आनन्द ले रहे थे. कॉलेज के गेट के बाहर कई मोटरगाड़ियाँ खड़ी हुई थी. खेल पूरे उत्साह और जोश के साथ हो रहा था. सिकन्दराबाद का गोलकीपर बहुत चुस्त और फुर्तीला था.
इस पर उसके समर्थन में विद्यार्थियों ने बड़ी शिष्टता से करतल ध्वनि की. विपक्ष टीम ने हमारी टीम को दबाना शुरू कर दिया. अब हमारी टीम जी तोड़कर खेल रही थी. लोग कह रहे थे.
अब खेल में जान पड़ी हैं. कुछ क्षणों के पश्चात खेल का आधा समय समाओर हो गया, रेफरी की सिटी सुनकर खेल समाप्त कर दिया गया. खिलाड़ी विश्राम के लिए चल दिए.
सिकंदराबाद के विद्यार्थी गोल करने वाले विद्यार्थी से लिपट गये. उसे गोदी में भरकर उठा लिया. उसने भी अपने खिलाड़ियों को खूब प्रोत्साहित किया. दोनों ओर के खिलाड़ियों को मौसमी और संतरे दिए.
पुरस्कार वितरण से पूर्व एस पी महोदय की धर्मपत्नी ने खेलों के महत्व और उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला. फिर इस टूर्नामेंट के अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए हमारे कैप्टन को ट्रॉफी प्रदान की.
सभी छात्रों ने हर्ष से करतल की ध्वनि की. लगभग 6 बजे हम लोग अपने अपने घर लौटे. दूसरे दिन हमने प्रधानाचार्य जी से मैच जीतने के उपलक्ष्य में एक दिन की छुट्टी प्राप्त की.
मेरा प्रिय खेल फुटबॉल पर निबंध हिंदी भाषा में
हमारा फुटबॉल मैच हीरालाल जैन सैकंडरी स्कूल में हुआ. हमारी टीम के खिलाड़ी भी किसी से कम नही थे. खेल के मैदान ने अपना नया स्वरूप धारण कर रखा था.
रंग बिरंगी झंडियों द्वारा खेल का मैदान सजाया गया था. जगह जगह पर चूने की लाइनें खीची हुई थी. दर्शकों की भीड़ पहले से ही मैदान को घेरे हुए थी. हमारे साथी भी हमें उत्साह दिलाने के लिए वहां पहुचें थे.
टॉस हम लोगों के विरुद्ध पड़ा और हमें सूर्य के सामने की ओर जाना पड़ा. साढ़े पांच बजते ही सीटी बजी और फुटबॉल बिच में रखी गई. हमारे सेंटर फॉरवर्ड ने फुटबॉल को उछालकर किक मारी और खेल आरम्भ हो गया.
जैन स्कूल के खिलाड़ियों ने भरसक प्रयत्न किया, किन्तु आधे समय हाफ टाइम तक कोई भी गोल न हो सका. फिर क्या था स्थान बदलने के बाद ज्यों ही खेल आरम्भ हुआ कि धक्का मुक्की होने लगी. दोनों ओर से खूब तालियाँ पीटी गई.
रेफरी साहब ने कितने ही फाउल दिए, किन्तु धक्केबाजी बंद न हुई, क्रोध में आकर रेफरी ने जैन स्कूल के एक लड़के को आउट दिया. अब तो सब चुप हो गये. समय समाप्त हो गया और दोनों टीमें बराबर रही.
पांच मिनट और बढाए गये, संयोगवश उनके एक खिलाड़ी से पेलंटी हो गई और हमारी किक होते ही गोल हो गया. हमारे आनन्द का पारावार न रहा. हम लोगों ने एक दुसरे को प्रसन्नता से गले गला लिया, नारे लगाए और परस्पर बैठकर नाश्ता किया.