भारत अमेरिका सम्बन्ध पर निबंध | Essay On India America Relation In Hindi

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वैश्विक शक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका और उभरती हुई शक्ति भारत के बीच के रिश्तों पर आज का निबंध दिया गया हैं, आजादी से पूर्व बाद तथा 2023 में भारत यूएएस रिलेशनशिप के बारे में जानेगे.

भारत अमेरिका सम्बन्ध पर निबंध Essay On India America Relation In Hindi

भारत अमेरिका सम्बन्ध पर निबंध | Essay On India America Relation In Hindi

भारत और अमेरिका दोनों ही दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देश हैं, एक समय तक दोनों इंग्लैंड के उपनिवेश थे. इस कारण परस्पर रिश्तों में सहानुभूति देखी जा सकती हैं. भारत को आजादी मिलने तक अमेरिका भी भारत की स्वतंत्रता का समर्थक था.

मगर दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद भारत द्वारा गुटनिरपेक्षता की निति अपनाने तथा सोवियत संघ के साथ दोस्ताना रिश्तों से अमेरिका भारत सम्बन्धों (indo us relations) में कटुता का दौर था.

भारत द्वारा रूस का साथ देने पर अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को प्रत्यक्ष समर्थन देना एक तरह से उसकी विवशता ही थी.

इस बात में कोई शक नही कि शुरुआत में भारत अमेरिका के रिश्ते उतने अच्छे नही थे, जितने होने चाहिए थे. इसकी वजह भारत द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिद्वंदी सोवियत रूस का समर्थन देना था.

इस कारण अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य व आर्थिक मदद देकर भारत को अमेरिका अपने से दूर रहने का परिणाम दिखाना चाहता था. कई वर्षों तक दोनों देश एक दूसरे को शंक की नजर से देखते रहे.

1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका ने पाकिस्तान की हर संभव सहायता की. इसी समय 1974 को भारत ने पहला परमाणु परीक्षण पोकरण में किया तो अमेरिका को यह नागवार लगा,

भारत को दंडित करने के उद्देश्य से उसने भारत पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए थे, तथा विश्व संगठनों तथा अन्य देशों से मिल रही आर्थिक मदद व व्यापार को अमेरिका ने बाधित करवा दिया था.

भारत अमेरिका सम्बन्धों का इतिहास

अमेरिका से भारत को तारापुर परमाणु संयत्र के इंधन की आपूर्ति होती थी, जो 1980 में बंद कर दी गईं. शीत युद्ध काल 1945 से 1990 तक जब भारत ने सोवियत संघ का समर्थन किया,

अमेरिका भारत के संबंध खटास भरे रहे.जब 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया और कोल्ड वॉर समाप्त हो गया, उस समय भारत ने वैश्विक स्थति को ध्यान में रखते हुए विश्व के लिए अपने बाजार खोल दिए अर्थात् उदारीकरण की निति को अपनाया.

इसी दौरान भारत के अमेरिका के साथ राजनितिक तथा आर्थिक सम्बन्धों में बड़ा सुधार देखने को मिला. 1997 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत की यात्रा की, इससे लग रहा था,

कि दोनों देशों के रिश्ते अब परिपक्व हो रहे हैं. तभी 1998 में भारत ने अमेरिका की आँखों में धूल झोकते हुए अपना दूसरा परमाणु परमाणु परीक्षण भी कर दिया, इससे अमेरिका क्रुद्ध हो गया तथा फिर से रिश्तों में दरार पैदा हो गई.

भारत-अमेरिका सामरिक वार्ताओं का नया दौर

११ सितम्बर 2001 को अमेरिका के ट्रेड सेंटर पर अल कायदा के हमले के बाद अमेरिका को आतंकवाद की परिभाषा समझ आई. यह पहला अवसर था, जब पाकिस्तान के बारे में अमेरिका के विचारों तथा नीतियों में बदलाव आया.

इससे पूर्व तक अमेरिका जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए परोक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन करता आ रहा था. अब उसे आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत जैसे साथी की आवश्यकता महसूस हुई,

इससे भारत अमेरिका सम्बन्धों के नयें दौर की शुरुआत हुई तथा परमाणु तथा सामरिक क्षेत्र में नई वार्ताओं तथा समझौतों का दौर शुरू हुआ.

2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जोर्ज बुश की भारत यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों को नयें आयाम दिए, 2 मार्च 2006 को दोनों देशों के बीच हुए सैन्य समझौतों ने भारत को अमेरिका की विदेश निति में ऐसा स्थान दिया,

जो अब तक किसी देश को प्राप्त नही हुआ था. एपीटी चार्टर पर हस्ताक्षर न करने के बावजूद भारत आज तक परमाणु इंधन और तकनीकी को वैध तरीके से आज तक अमेरिका के सहयोग से प्राप्त कर रहा हैं.

अमेरिका ने अपनी संसद के कानूनों में बदलाव कर अपनी विदेश निति तथा द्विपक्षीय मामलों में भारत को सबसे अधिक महत्व दिया.

अमेरिका ने पिछ्ले वर्षों में ऊर्जा, तकनीक, चिकित्सा व कृषि जैसे कार्यों में भारत के साथ नए समझौते किए हैं. दोनों देशों के बीच आकाश समझौता हो चूका हैं, जिसके तहत दोनों देशों के नागरिकों एक से दूसरे देश में उड़ान भरने की सुविधाएं उपलब्ध हैं.

27 मई को जापान व ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर चार पक्षीय वार्ता की पहली बैठक की, जिसमें चारो देशों के राजनितिक मौर्चे पर मिलकर काम करने की बात कही गई.

2008 में मुंबई के ताज होटल में आतंकी हमलें के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान पर कड़ा दवाब बनाया, जो भारत अमेरिका के अच्छे सम्बन्धों की शुरुआत थी, इससे पूर्व तक अमेरिका पाकिस्तान का सीधे तौर पर समर्थन करता आ रहा था.

चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने तथा पाकिस्तान चीन के बिच गठजोड़ पर नियंत्रण पाने के लिए अमेरिका व भारत को एक दूसरे की अब गहरी आवश्यकता हैं. बराक ओबामा और अब डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में भारत अमेरिका रिश्तों में अभूतपूर्व सुधार आया हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के साथ अच्छे दोस्ताना संबंध स्थापित किए, जिसका नजारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हेनरी तथा ट्रम्प दोनों ही भारत के अपना सच्चा दोस्त मानकर, मोदी के साथ मिलकर अमेरिका की विकास की बात जनता तक प्रेषित कर रहे थे.

आज अमेरिका की आईटी कम्पनी में 80 फीसदी कर्मचारी व मुख्य अधिकारी और इंजिनियर भारतीय हैं. आपकों जानकार आश्चर्य होगा,

अमेरिका की बड़ी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के सबसे अधिक CEO भारतीय-अमेरिकी मूल के हैं. इस तरह दोनों देशों के बिच अब पारिवारिक सम्बन्धों की तरह रिश्ते तैयार कर लिए गये हैं.

अमेरिका भारत की दोस्ती को हर संभव बनाए रखना चाहता हैं. भारत एक तरफ दुनिया का सबसे बड़ा बाजार हैं, वही चीन जैसे देशों को रोकने का सामर्थ्य भारत के सिवाय किसी अन्य देश में नही हैं.

वही भारत को आर्थिक तथा तकनीक के विषय में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अमेरिका जैसे मित्र की आवश्यकता हैं.

भारत अमेरिका संबंध 2018 वर्तमान दौर

आज भारत विश्व उन देशों की श्रेणी में स्वयं को ला चुका हैं, जहाँ से कोई भी देश भारत से मुँह नही मोड़ सकता. अमेरिका और भारत के रिश्तों पर यूएस असेम्बली में दोनों देशों के नये सम्बन्धों के प्रस्ताव को प्रस्तुत किया गया हैं.

दक्षिण एशिया में स्थिरता, परमाणु अप्रचार, आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे पर भारत की अमेरिका ने हर संभव मदद की हैं.

दोनों देशो के बिच आर्थिक व सैन्य सहयोग निरंतर नयें आयामों को स्थापित कर रहा हैं. भविष्य में भारत के साथ अमेरिकी सम्बन्धों का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा हैं, जिससे पाकिस्तान व चीन को पेट में अवश्य दर्द होगा.

भारत अमेरिका सम्बन्ध 2023

अमेरिका में पिछली तीन सरकारों (बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प, जॉन बिडेन) के कार्यकाल में भारत के साथ रिश्ते बेहद करीब और मित्र रूप में रहे हैं. तीनों प्रधानमंत्री के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे व्यक्तिगत सम्बन्ध भी थे.

भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा के दौरान हाउ डी मोदी और ट्रंप के भारत में नमस्ते ट्रंप जैसे पब्लिक कार्यक्रमों में दोनों देशों के प्रमुखों के मिलने का यह पहला अवसर था.

जो बाइडन और ट्रम्प ने भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत को सहयोगी के रूप में देखा हैं. अफगान पीस प्रोसेस और चाइना को एंगेज करने में भारत ने अमेरिका का हर दम सहयोग किया हैं.

वही दोनों देशों के लोगों के मध्य सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सम्बन्धों में भी मजबूती आई हैं. भारतीय मूल की कमला हैरिस यूएसए की पहली महिला उपराष्ट्रप्ति होने के साथ ही कई भारतीय अमेरिकी सरकार और रक्षा विभाग के अहम पदों पर हैं.

संसार के सबसे बड़े प्रवासी समूहों में अमेरिकी भारतीय समूह सबसे बड़ा और प्रभावशाली माना जाता हैं. अमेरिका में भारत के हितों की वकालत करने और उन्हें बनाएं रखने में इस समुदाय की अहम भूमिका दोनों देशों के रिश्तों में रही हैं.

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