मेरे पड़ोसी पर निबंध essay on my neighbour in hindi: प्रिय दोस्तों आपका स्वागत हैं आज हम Students और School kids के लिए simple Language में यहाँ my neighbour का Short में Hindi Essay बता रहे हैं.
neighbour के विषय में हम सभी जानते हैं. ये हमारे घर के आसपास रहते है neighbour ही हमारे सुख दुःख के सच्चे साथी होते हैं. चलिए पड़ोसी पर दिया गया निबंध (Essay) पढ़ते हैं.
मेरे पड़ोसी पर निबंध essay on my neighbour in hindi
मेरे प्यारे दोस्तों आज के निबंध में हम मेरे नेबर यानी पड़ोसी पर 3 छोटे बड़े निबंध यहाँ दिए गये हैं. स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए सरल एस्से आप यहाँ पढ़ सकते हैं तथा अपने ज्ञानवर्धन के लिए उपयोग कर सकते हैं.
(150 Words) मेरे पड़ोसी पर निबंध | My Neighbour Essay In Hindi And English
हमारे पड़ोस में रहने वाले पड़ोसी पर सरल भाषा में यहाँ कई निबंध दिए गये हैं. इन निबंध में हमने सच्चा पड़ोसी कैसा होता है उनका हमारे साथ व्यवहार किस तरह का होता है क्यों नेबर को परमेश्वर कहा जाता है आदि बिंदु इसमें कवर करेगे.
My Neighbour Essay: Being humans we live in groups after the family member Neighbour is own. we share & spent with him happiest and sorrow with our Neighbour.
in this My Neighbour Essay, we are talking about the importance of Neighbour, why these are the partner of our every moment.
Neighbour Essay In Hindi And English is helpful for students and children they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10. short and long length (100, 150, 200, 250, 300, 350, 400, 500) words essay on My Neighbour gave blow first in English language after that in Hindi language.
Essay In English
Mr. Jain is next door neighbor. I live in bazar sita ram. MR Jain is a teacher. he serves in ramjas school Karol Bagh. he is the good-natured fellow. his wife is a gentle lady. he has cultured children.
we respect the feelings of each other. MR jain is not proud. he belongs a middle-class family. he is regular in his duty routine. he gets up early. he goes for a walk. after taking bath, he worships god for a few minutes. he is a God fearing.
he calls on us. he asks about our welfare. he exchanges sweets on Diwali. his wife is a fine lady. both of them treat us like relatives.
we are on good terms with our Neighbour. no doubt, my good terms with our Neighbour, is a friend relative, and guide, to me.
हिंदी निबंध
श्री जैन मेरे घर के पास ही रहते है, वो मेरे अच्छे पड़ोसी हैं। मैं सीता राम बाजार में रहता हूं। एमआर जैन एक शिक्षक है। वह रामजास स्कूल करोल बाग में पढ़ाते है। वे अच्छी प्रकृति वाले इंसान है। उनकी पत्नी एक सभ्य महिला है। उनके बच्चे अच्छी तरह सुसंस्कृत एवं सभ्य है।
हम एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं। मुझे अपने पड़ोसी एमआर जैन पर गर्व है। वह एक मध्यम श्रेणी के परिवार से संबंधित है। वह नियमित रूप से अपनी ड्यूटी करते है। वे सुबह जल्दी उठते है। उठने के बाद ये मोर्निंग वाक पर जाते है। स्नान करने के बाद, वह कुछ मिनटों के लिए भगवान की पूजा करते है।
कभी कभी वो हमें अपने घर पर बुलाता है, हमारे हाल-चाल के बारे पूछता है. दिवाली इत्यादि त्योहारों पर मिठाई आदान प्रदान करते है. उसकी पत्नी एक अच्छी महिला है। वे दोनों रिश्तेदारों की तरह हमारे साथ व्यवहार करते हैं।
हमारे अपने पड़ोसी के साथ अच्छे रिश्ते हैं। निस्संदेह, हमारे पड़ोसी के साथ मेरे रिश्ते, मेरे लिए एक दोस्त एवं रिश्तेदार, मार्गदर्शक की तरह हैं।
(200 शब्द) मेरे पड़ोसी पर निबंध My Neighbour in Hindi
हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अलग-अलग स्वभाव के होते हैं जिनमें से कुछ लोगों का स्वभाव अच्छा होता है तो कुछ लोगों का स्वभाव थोड़ा अडि़यल होता है।
अक्सर हमें पड़ोसी के तौर पर कुछ अच्छे और कुछ बुरे लोग मिलते हैं जो लोग अच्छे होते उनके साथ हमारी अच्छी पटती है और जो लोग बुरे होते हैं उनके साथ हमारी बातचीत नही होती है।
अगर हम हमारे पड़ोसी के बारे में बात करें तो हमारे पड़ोसी मिस्टर शर्मा जी है जिनका नाम अनिल शर्मा है और उनकी पत्नी का नाम माधुरी शर्मा है।
यह दोनों बहुत ही साधारण स्वभाव के हैं। अनिल शर्मा जी एलआईसी एजेंट है तो वहीं माधुरी शर्मा जी सामान्य ग्रहणी है और दोनों ही काफी अच्छे पढ़े-लिखे हैं।
इनके घर में जब भी कोई समस्या आती है तो हम एक पड़ोसी की तौर पर नहीं बल्कि एक परिवार के तौर पर उनके घर की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते हैं, वही जब हमारे घर में कोई समस्या होती है अथवा कोई खुशी का पल आता है तो शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ हमारे घर के सुख और दुख में भी शामिल होते हैं।
हम तकरीबन 3 साल से एक दूसरे के पड़ोसी हैं और आज तक कभी भी हमारी किसी भी बात को लेकर बहस नहीं हुई है। हम दोनों हर त्यौहार और पर्व एक दूसरे के परिवार के साथ मिलकर मनाते हैं। हमें उम्मीद है कि हमारा यह दोस्ताना और मिलनसार पड़ोसी का व्यवहार लगातार बना रहेगा।
400 शब्द मेरे पड़ोसी निबंध
हमारे घर के अगल बगल में जो लोग रहते हैं उन्हें पड़ोसी कहकर बुलाया जाता है। जो लोग हमारे घर के अगल-बगल रहते हैं उनके पड़ोसी हम होते हैं और हम जिन लोगों के घर के अगल-बगल रहते हैं वह हमारे पड़ोसी होते हैं।
पड़ोसी अच्छे भी होते हैं और बुरे भी होते हैं।यह कुल मिलाकर इस बात पर डिपेंड करता है कि पड़ोसियों का स्वभाव कैसा है।
अगर किसी व्यक्ति को अच्छा पड़ोसी मिल जाता है तो उसे पड़ोसी नहीं बल्कि उसे उसके परिवार का सदस्य मिल जाता है यह किस्मत की बात होती है कि किसे अच्छा पड़ोसी मिले और किसे नहीं।
हमारे पड़ोसी जो है उनका नाम शशांक सिंह है जो कि बहुत ही अच्छी फैमिली से संबंध रखते हैं और वह स्वभाव से भी काफी अच्छे और मिलनसार हैं।
जिस तरह से शशांक सिंह स्वभाव अच्छे हैं ऊसी तरह उनकी पत्नी सरिता सिंह भी काफी मिलनसार स्वभाव की हैं।शशांक सिंह प्रोफेशन से एक डॉक्टर है वहीं सरिता सिंह एक हाउसवाइफ है।
मेरी माता जी भी धार्मिक प्रवृत्ति की हैं और सरिता सिंह भी धार्मिक प्रवृत्ति की हैं इसलिए मेरी माता जी और सरिता सिंह की आपस में बहुत ही बनती है।
डॉक्टर होने के नाते शशांक सिंह के पास काफी अच्छी दौलत है परंतु उन्हें अपनी दौलत का जरा सा भी घमंड नहीं है। वह सिर्फ अपने पड़ोसियों की ही नहीं बल्कि अपने पास आने वाले पेशेंट की भी भरपूर देखभाल करते हैं और अपनी हैसियत के हिसाब से पेशेंट की सहायता भी करते हैं।
डॉक्टर होने के नाते जब भी हमें हेल्थ से संबंधित कोई समस्या आती है तो हम सबसे पहले डॉक्टर शशांक को ही अपनी समस्या के बारे में इंफॉर्मेशन देते हैं और वह हमें हमारी स्थिति के हिसाब से उचित दवाई बताते हैं।
डॉ शशांक और हमारा परिवार तकरीबन 2 साल से एक दूसरे के पड़ोसी के तौर पर रह रहा है और इन 2 सालों में हमारे बीच इतना अच्छा संबंध स्थापित हो चुका है.
हमें यह लगता ही नहीं कि डॉ शशांक 2 साल पहले तक हमारे लिए कोई अनजान व्यक्ति थे, बल्कि हमें लगता है कि हम डॉक्टर शशांक को काफी पहले से ही जानते हैं और यह हमें हमारे परिवार के सदस्य की तरह ही लगते हैं।
हमारा परिवार भी डॉक्टर शशांक के हर सुख और दुख में शामिल होता है और उन्हें अपना दोस्त और अपने परिवार का मेंबर ही मानता है। डॉ शशांक जैसा पड़ोसी पाकर हम तो काफी खुश हैं।
पड़ोसी पर निबंध 600 शब्द
हमारे जीवन में पड़ोसी की बड़ी भूमिका होती हैं जीवन के सबसे ख़ुशी के या गमगीन पलों में वे ही हमारा साथ निभाते हैं. दोस्त बदले जा सकते हैं मगर नेबर नहीं बदले जा सकते हैं. इसलिए हमारा उनके साथ अच्छा व्यवहार होने जरुरी हैं.
एक अच्छे पड़ोसी को परमेश्वर की संज्ञा दी जाती हैं. जब कभी घर में रिश्ता आता है या किसी के बारे में जानना हो तो उसकी टोह उसके पड़ोसियों से ही ली जाती हैं.
जब भी जीवन में विपदा के पल आते हैं तो पड़ोसी ही ढाढस बंधाते नजर आते हैं. नजदीकी दोस्त या रिश्तेदार भी ऐसे पलों में साथ नहीं होते हैं वे भी पड़ोसी की सूचना पर ही पहुँचते हैं. हरेक व्यक्ति को चाहिए कि उनका अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव हो तो जीवन स्वर्ग बन जाता हैं.
पड़ोसी अच्छे या बुरे नहीं होते हैं बल्कि हमारा व्यवहार ही उन्हें अच्छा या बुरा बनाता हैं. यदि हम जरूरत पड़ने पर अपने पड़ोसियों की मदद करते हैं उनके आवश्यक कोई वस्तु हमारे पास हैं तो उन्हें देने में संकोच नहीं करते हैं तो निश्चय ही वे भी आपके साथ अच्छा बर्ताब करेगे तथा वक्त पड़ने पर आपकी भी पूरी मदद करेंगे.
दो पड़ोसियों के बीच का रिश्ता सहयोग की बुनियाद पर टिका होता हैं जो लेनदेन तथा मदद से और मजबूत होता जाता हैं.
हमारे धर्म के ग्रंथों में अतिथि को देवता माना गया हैं मगर पड़ोसी देवता से बढ़कर होता हैं जो ख़ुशी के समय खुशियों को दुगुनी करता हैं तो दुःख में हाथ बटाकर धीरज दिलाता हैं.
एक दिन की बात हैं ठंड का मौसम था हमारे घर के सभी लोग खा पीकर जल्दी सो गये थे. तेज जाड़े के बीच में अपने कमरे में पढ़ रहा था देर रात सोने की कोशिश कर रहा था मगर नींद नहीं आ रही थी,
शरीर में हल्का ज्वर था मैं उठा पानी पीया और फिर सोने की कोशिश करने लगा मगर बुखार ओर तेज होता गया. अंत में कपकपाने वाली ठंड के साथ बुखार ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया.
मैंने मम्मी पापा को आवाज दी बड़ा भाई भी घर पर था, सभी मेरे पास आ गये रात के दो बजे थे मगर बुखार के मारे मेरी हालत और खराब हो रही थी. हमारे घर के पास ही चौधरी चाचा का घर हैं वे अचानक बाहर निकले तो देर रात हमारे घर में सुगबुगाहट सुनकर उन्होंने मेरे पापा को फोन किया, जब वे सारी बात समझ गये तो मेरे घर आए.
उन्होंने आते ही मुझे देखा और पिताजी की तरफ मुड़कर बोले अब डॉक्टर के पास चलना होगा, बुखार बहुत तेज हैं सुबह होने में भी देर हैं. हमारे शहर के अस्पताल बंद हो चुके थे. वे अपने एक दोस्त डॉक्टर को फोन मिलाते हुए अपने घर गये तथा अपनी गाड़ी मेरे घर के आगे लाकर हमें चलने के लिए बोलने लगे.
मुझे उठाकर गाड़ी में लिटाया और कुछ ही मिनट में हम डोक्टर किल्निक में पहुँच गये. जहाँ मेरे पड़ोसी चौधरी चाचा का दोस्त स्वयं डॉक्टर था.
उन्होंने मुझे कुछ इंजेक्शन व दवाई देकर आराम करने को कहा, आधे घंटे बाद ज्वर उतर गया और मैं चौधरी चाचा के पास गया और उन्हें धन्यवाद देते हुए अब घर चलने को कहने लगा. इस तरह हम रात के चार बजे वापिस घर लौट आए.
मेरे लिए यह जीवन का सबसे कठिन पल था, जब मेरे पड़ोसी मेरे लिए देवदूत बनकर आए और जब पूरा शहर सो रहा था तो वे हमारी मदद के लिए जगते रहे. तब से मैंने एक पड़ोसी के महत्व को जाना हैं.
उस घटना के बाद से मेरा अपने पड़ोसियों के प्रति नजरिया बदल गया. अब मेरा दिल उन्हें पराया मानने की बजाय अपना मानने लगा.
हम मानव हैं साथ ही एक सामाजिक प्राणी भी. हमें कभी मदद की आवश्यकता होती हैं तो कभी दूसरों के दुःख दर्द में साथ भी देना चाहिए. पड़ोसी अच्छे और बुरे भी होते हैं.
कुछ अच्छे संत महापुरुष स्वभाव के लोग होते हैं जो हमेशा आगे बढ़कर सभी की मदद करते हैं. मेलजोल से रहते हैं एक दूसरे के घर आते जाते हैं तथा तन मन धन से एक दूजे का सहयोग भी करते हैं.
वहीँ पड़ोसी एक अन्य तरह के भी होते हैं. जो स्वभाव से कंजूस, चिडचिडे, बात बात पर झगड़ा करने वाले, जोर जोर से चिल्लाने वाले या केवल लोगों की मदद व उधार चीजे लेने वाले तथा दूसरे की जरूरत पड़ने पर मदद की बजाय मना कर देने वाले अथवा बहाना खोजने वाले होते हैं. ऐसे पड़ोसी के साथ अधिक घुलमिल नहीं जाए तो भी मुहं से गलत शब्द या गाली गलोच नहीं करना चाहिए.
हमें अच्छे तथा बुरे दोनों प्रकार के पड़ोसियों के साथ संतुलित व्यवहार रखना चाहिए. पता नहीं कब किसका ह्रदय परिवर्तित हो जाए या हमारे किसी शब्द या व्यवहार से किसी को ठेस पहुँच जाए तथा वह मन ही मन हमेशा बदला लेने का अवसर ढूढता रहे.
इसलिए हमेशा अपने पड़ोसी के साथ मधुर रिश्ते रखे. जो लोग आपकी या दूसरों की मदद करते हैं उन्हें अपना दोस्त बनाए. उनके घर भी जाए तथा उन्हें अपने घर पर भी आमंत्रित करे तथा आवश्यकता पड़ने पर अपने पड़ोसी की दिल खोल कर मदद करे.
__पड़ोसी पर हिंदी निबंध समाप्त__