Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi : जिस गति ऊर्जा साधनों का दोहन किया जा रहा हैं निकट भविष्य में सम्पूर्ण विश्व को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा.
एनर्जी के conventional resources अर्थात परम्परागत ऊर्जा स्रोत सिमित मात्रा में हैं. हमें non conventional energy resources के उपयोग को बढ़ावा देना होगा, यहाँ हम बच्चों के लिए गैर परम्परागत ऊर्जा पर निबंध बता रहे हैं.
Essay on Non Conventional Energy Sources in Hindi
ऊर्जा किसी मनुष्य की कार्य करने की क्षमता को कहते हैं. ऊर्जा भोजन से मिलती हैं. जिस प्रकार मोटर ट्रेनों आदि के संचालन के लिए खनिज तेल या विद्युत की आवश्यकता होती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य को भोजन की.
जिन संसाधनों से हमें ऊर्जा प्राप्त होती हैं उन्हें हम ऊर्जा के स्रोत कहते हैं. उन्हें ऊर्जा के परम्परागत स्रोत एवं जीवाश्म ईंधन भी कहा जाता हैं. ऊर्जा के ये परम्परागत स्रोत सिमित हैं.
यदि हम इनका सावधानी से प्रयोग नहीं करेगे तो हमारे सामने विकट समस्या पैदा हो जाएगी. चूँकि इन्हें प्राकृतिक रूप से निर्मित होने में लाखों वर्षों का समय लगता हैं.
आज जिस तरह से संसाधनो का दोहन हो रहा हैं, यदि इसी तरह आगे भी दोहन होता रहा तो 2050 ई के बाद पृथ्वी पर इन संसाधनों का अभाव हो जाएगा. ऊर्जा के संसाधनों की इसी कमी को ऊर्जा संकट कहा जाता हैं.
ऊर्जा संकट के समाधान के लिए इसके वैकल्पिक स्रोतों की तलाश की गई हैं. इन्हें ही हम ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत कहते हैं. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो गैस, भूतापीय ऊर्जा, इत्यादि ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत हैं.
ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों की जानकारी
सौर ऊर्जा
सूर्य ऊर्जा का असीमित भंडार हैं. इससे सौर ऊर्जा हमें प्रकाश एवं ताप दो रूपों में मिलती हैं. इसका प्रयोग हम दो प्रकार से कर सकते हैं. सौ फोटोवोल्टेक और सौर तापीय.
सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत् में परिवर्तित कर या इसके ताप का सीधे प्रयोग कर हम सौर ऊर्जा से लाभान्वित हो सकते हैं.
सौर ताप यंत्रों का प्रयोग पानी गर्म करने, खाना बनाने, विद्युत् उत्पादन इत्यादि कार्यों में होता हैं. सौर फोटोवोल्टेक प्रणाली में सौर ऊर्जा के प्रयोग की उच्च क्षमता विद्यमान हैं. यह प्रणाली सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित कर देती हैं.
पवन ऊर्जा
वायु से प्राप्त ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहा जाता हैं. पवन ऊर्जा के लिए प्रायः पवन चक्की का प्रयोग किया जाता हैं.
जल विद्युत्
जल विद्युत् ऊर्जा का एक प्रमुख गैर पारम्परिक स्रोत हैं. ऊर्जा संकट की समस्या के समाधान के लिए आधुनिक ऊर्जा में जल विद्युत् को भी विशेष महत्व दिए जाने की आवश्यकता हैं.
बायोगैस
बायोगैस ऊर्जा पशुओं के गोबर, मल, सड़ी रद्दी, सड़ी सब्जियों, फलों के अपशिष्ट, इत्यादि से प्राप्त की जाती हैं. बायो गैस के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम के अंतर्गत देश भर में 40 लाख से अधिक परिवारों के लिए बायो गैस संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी हैं.
कचरा
शहरी एवं औद्योगिक कचरे भी ऊर्जा के अच्छे स्रोत हैं. बायोमिथेनेशन एवं आर डी एफ कंबशचन प्रोद्योगिकी के आधार पर निर्मित संयंत्रों के माध्यम से इनसे विद्युत् उत्पादन किया जा सकता हैं.
भूतापीय ऊर्जा
पृथ्वी की ऊपरी सतह के नीचे अनेक स्थानों पर ऐसी चट्टानें हैं, जिनके नीचे उच्च स्तरीय ताप पाया जाता हैं. इसी ताप के कारण भू सतह पर हमें गर्म जल के स्रोत मिलते हैं.
यही ज्वालामुखी गर्म लावा निकालते हैं. आधुनिक समय में वैज्ञानिक इस ताप से ऊर्जा प्राप्त करने में सफल हुए हैं.
समुद्री ऊर्जा
समुद्री ऊर्जा के विभिन्न रूपों में समुद्री लहरें, समुद्री ताप ऊर्जा परिवर्तन ज्वार भाटा, इत्यादि शामिल हैं.
बायोडीजल
आजकल ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्रोत के रूप में बायोडीजल के प्रयोग में वृद्धि हुई हैं. इसका व्यापक प्रयोग ऊर्जा संकट का एक अच्छा समाधान हो सकता हैं.
बायोडीजल बनाने के लिए सोयाबीन, अलसी, अरंडी जैसे कृषि जन्य उत्पादों से वसा या वनस्पति तेल का प्रयोग किया जाता हैं. बायोडीजल वह वैक्ल्पिक ईंधन हैं, जो पूरी तरह से जलकर ऊर्जा देता हैं.
निसंदेह पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राकृतिक संसाधन सिमित मात्रा में हैं. विश्व की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं. सभी प्राकृतिक संसाधनो पर निर्भर हैं.
मनुष्य को निर्भरता खत्म करते हुए गैर परम्परागत ऊर्जा के साधनों का उपभोग करना होगा. इसके लिए लोगों में जागरूकता फैलानी होगी.
गौरतलब हैं कि भारत में गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय नई एवं पुनरुपयोगी ऊर्जा प्रणालियों तथा युक्तियो से सम्बन्ध सभी मामलों के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी का कार्य करता हैं.
ऊर्जा के पुनरुपयोगी उपकरणों एवं उनकी प्रणालियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए तथा ऐसी प्रणालियों और प्रविधियों की मरम्मत एवं रखरखाव के उद्देश्य से देश के विभिन्न कस्बों एवं नगरों में अक्षय ऊर्जा दुकानें खोली गयी हैं.
देश में उपलब्ध सौर, पवन, बायोगैस और लघु जल विद्युत् जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से लाभ उठाने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई हैं. इसके माध्यम से देश में प्रतिवर्ष ऊर्जा की कुल संस्थापित क्षमता के लगभग आठ प्रतिशत से अधिक ऊर्जा का उत्पादन हुआ हैं.
यह हम सबके लिए अच्छी बात हैं. इस ऊर्जा के उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता हैं. जरूरत है तो सिर्फ सबके एक साथ कदम बढ़ाने की, यदि हम यह संकल्प कर लें कि हमें अधिक से अधिक ऊर्जा के गैर परम्परागत साधनों का प्रयोग करना हैं.
तो हमें कोई शक्ति डिगा नहीं सकती. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों का प्रयोग यानी ऊर्जा का विकास. ऊर्जा का विकास यानी मनुष्य का विकास.