Essay On Youth Power In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज का यह युवा शक्ति पर निबंध लेख विद्यार्थियों के लिए लिखा गया हैं.
इंडियन यूथ एंड यूथ पावर एस्से अर्थात युवाशक्ति पर निबंध में हम कक्षा 1, 2, 3, 4, 5,6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में युवा शक्ति पर लेख उपलब्ध करवा रहे हैं.
युवा शक्ति पर निबंध लेख | Essay On Youth Power In Hindi
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यूथ पॉवर पर निबंध Essay On Youth Power In Hindi In 600 Words
जिस देश में 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम आयु की हो, भला वह देश कहा पीछे रह सकता हैं. युवा शक्ति ही किसी भी देश के लिए सबसे बड़ी पूंजी होती हैं.
यदि सरकारों द्वारा अच्छा दिशानिर्देश और आगे बढ़ने का अवसर उपलब्ध करवाया जाए तो वह देश प्रगति में पीछे कभी नही रखता.
ठीक जैसे आज भारत की युवी शक्ति अपना परचम दुनिया में फहरा रही हैं. आईटी क्षेत्र हो चिकित्सा शिक्षा हो शांति इस देश का युवा मोर्डेन डे महाराजा की भांति विश्व के बहुत से देशो की अर्थव्यस्था का बहुत बड़ा जिम्मा उठा रहे हैं, चाहे सयुक्त राज्य अमेरिका में ही देख लो न.
युवा शक्ति क्या हैं या किन्हें युवा शक्ति कहेगे- किसी भी देश के वे नौजवान जो 15 से 35 वर्ष की आयुसीमा के हैं. उन्हें हम युवा कह सकते हैं. किसी भी देश का वर्तमान और भविष्य उनके युवाओं के कौशल पर निर्भर करता हैं.
वर्तमान समय में 70 करोड़ के आस-पास युवाओं की संख्या हैं. विश्व के 95 ऐसें देश हैं जिनकी आबादी नही हैं उतनी संख्या में भारत के पास युवा शक्ति हैं. दुसरे शब्दों में यदि भारत को युवा देश अर्थात यूथ सुपर पॉवर कहा जाए तो कुछ भी गलत नही होगा.
कुछ समस्याए जो आजादी के बाद से हमारा पीछा छोड़ने का नाम ही नही ले रही जिनमे पिछड़ेपन, बेरोजगारी, अशिक्षा, रूढ़ीवाद, भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्या होने के उपरान्त भी भारतीय युवा विश्व में अपनी अद्भुत क्षमता के साथ विशेष पहचान बनाए हुए हैं.
यदि पिछले एक दशक का आकलन किया जाए तो हमारा देश आर्थिक तकनिकी और सांस्कृतिक क्षेत्र में अन्य प्रतिस्पर्धी देशो के मुकाबले में तेजी से आगे बढ़ रहा हैं. इस तेज और तीखी रफ़्तार का केंद्र बिंदु हमारी युवा शक्ति ही तो हैं.
पुरानी पीढ़ी के लोगों से अधिक कार्यकुशल, तकनीक उन्नत और साहसी हैं. जो दुसरो के निर्णयों या आदेश पर चलने की बजाय स्वय अपने निर्णय लेने में कुशल हैं.
आज की युवा शक्ति बनाम ओल्ड जनरेशन
आज युवा US डोलर या पोंड की बजाय अपने ही रूपये के दम पर अपनी पहचान को बनाकर इन्हे मंजिल तक पहुचाते हैं. किसी भी मामले में आज के युवा पुरानी पीढ़ी के लोगों से कही बेहतर और आगे हैं.
आज के तकनिकी युग में ओल्ड जनरेशन इन सभी तकनिकी उपकरणों में असहाय नजर आती हैं. वही आज की पीढ़ी के युवा के पास लेटेस्ट स्मार्टफोन बाइक, कंप्यूटर से लेकर वे तमाम चीजे उनके उपयोग में रहने के साथ-साथ वह इनमे पूर्णतया दक्ष भी हैं.
युवा और पुरानी पीढ़ी के लोगों में कई मुलभुत अंतर हैं, जिनमे सोच और नजरिया भी शामिल हैं. किसी समस्या पर ओल्ड जनरेशन के लोग उन्ही पारम्परिक तरीके या इलाज की तरफ रुख करते हैं. जबकि युवा शक्ति इन मामलो में नए प्रयोग अथवा आविष्कार की ओर देखती हैं.
नईं पीढ़ी की भारतीय युवा शक्ति ने अपनी बुद्दि कौशल और क्षमता के आधार पर दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया हैं. आज बहुराष्ट्रीय कंपनिया आईआईएम और iit के भारतीय युवाओं के लिए उचे वेतनमान और सुविधाएँ उपलब्ध करवा रही हैं.
आज के परिद्रश्य में सभी क्षेत्रो में तुलना की जाए तो सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारतीय युवा ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चाइना, सयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाडा सहित दुनिया के सभी देशो में फैले हुए हैं.
आज खेल कूद में विराट कोहली साइन नेहवाल, पीवी सिन्धु, महाबली शेरा, विजेंद्र, कृष्णा पुनिया जैसे दिग्गज खिलाड़ी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओ में अपनी धाक जामाए हुए हैं.
राजनीती में अरविन्द केजरीवाल, सचिन पायलट, अगाथा संगमा, नवीन जिंदल, जैसे युवा समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं.
इन्टरनेट की इस दुनिया में भारतीय युवा शक्ति विश्व के तकनीक सम्पन्न देशो की स्पर्धा कर रहे है. इनके अतिरिक्त जीने का ढंग, रहन-सहन, व्यवहार बोलचाल इत्यादि में इस युवा शक्ति का कोई जवाब नही हैं.
तमाम परेशानियों के होने के बावजूद आज के युवा अपनी राह बनाकर आगे बढ़ रहे हैं. यही सुनहरे भारत के भविष्य के प्रतीक हैं.
भारतीय युवा और जिम्मेदारी पर निबंध, आज का युवा वर्ग Essay On Youth Power In Hindi In 500 Words With Headings
युवावस्था का महत्व- अदम्य उत्साह, अटूट साहस, अपार ऊर्जा और सुनहरे सपने, यदि इन सभी को एक नाम दिया जाए तो वह होगा जवानी, युवावस्था प्रकृति का एक अनमोल उपहार हैं. जीवन का श्रृंगार हैं. युवा वर्ग राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं. इस युवा शक्ति का सही प्रयोग राष्ट्र को उन्नति के शिखर पर ले जा सकता हैं.
राष्ट्र निर्माण का स्वरूप- राष्ट्र का निर्माण राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करना हैं. भूमि, भूमि पर निवास करने वाले लोग और उनकी एक साझा संस्कृति, इन तीनों से मिलकर एक राष्ट्र बनता हैं. अतः राष्ट्र के इन तीनों अंगों की सुरक्षा, सम्पन्नता और सम्मान के लिए परिश्रम करना ही राष्ट्र निर्माण हैं.
भारत एक विशाल भूखंड पर स्थित देश हैं. इसमें विविध रंग रूप, भाषा, आचार विचार रंग धर्म और उपसंस्कृति के लोग निवास करते हैं. इन सभी को सुखी समृद्ध और परस्पर प्रेमभाव से पूर्ण बनाना ही राष्ट्र निर्माण हैं.
युवा वर्ग और छात्रों का योगदान- कुछ वर्षों बाद भारत युवकों का देश होने वाला हैं. अतः राष्ट्र निर्माण में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान देश के युवा ही कर सकते हैं. छात्रों के रूप में अनुशासनबद्ध और सुशिक्षित होकर देश को शक्ति सम्पन्न और प्रगतिशील बना सकते हैं.
सैनिकों के रूप में वे देश की सुरक्षा में योगदान कर सकते हैं. व्यवसायियों के रूप में देश को सम्पन्न और सुख सम्रद्धि से पूर्ण बना सकते हैं.
जागरूक नागरिक बनकर देश को भ्रष्टाचार और सामाजिक समस्याओं से छुटकारा दिला सकते हैं. राजनीति में भाग लेकर वे भ्रष्ट, पदलोलुप और समाज को बांटने वाले राजनेताओं की छुट्टी कर सकते हैं.
इसके अतिरिक्त कलाकार, वैज्ञानिक, समाज सुधारक, चिकित्सक, कृषक आदि अनेक भूमिकाओं द्वारा भारत को उन्नति के शिखर पर ले जाया जा सकता हैं.
वयोवृद्धों से अपेक्षा– युवा वर्ग राष्ट्र का भविष्य होता हैं. उसे सही मार्गदर्शन करना और जिम्मेदारी संभालने योग्य बनाना देश की वयोवृद्ध पीढ़ी का कर्तव्य होता हैं.
यदि वृद्ध लोग सत्ता और स्वार्थ के मोह से ग्रस्त होकर अपने पदों से चिपके रहेगे तो देश का भविष्य कभी उज्ज्वल नहीं हो सकता. अतः युवाओं को योग्य बनकर उन्हें राष्ट्र की बागडोर सौप देनी चाहिए.
छात्र और युवा आगे बढ़े– आज राष्ट्र निर्माण का ठेका, बूढ़े, कुटिल, साहसविहीन, सत्ता लोलुप राजनेताओं ने ले रखा हैं. इन लोगों के भ्रष्ट आचरण के नित्य नयें कारनामें जनता के सामने आ रहे हैं.
इन लोगों ने अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए देश के सम्मान और सुरक्षा को भी दांव पर लगा दिया हैं. अब छात्रों और युवा पीढ़ी को इनके जाल से मुक्त होकर राष्ट्र निर्माण का कार्य अपने हाथों में लेना होगा.
युवा शक्ति और भारत का भविष्य पर निबंध
कहते है, जिधर जवानी चलती है उधर जमाना चलता है। जवानी और जमाने का हवाला देते हुए आज हम भारत के परिपेक्ष में बात करेंगे।
इतिहास और वर्तमान इस बात की गवाही रहे हैं, और है, कि युवा शक्ति के बल पर कोई भी राष्ट्र इच्छिक सामाजिक और आर्थिक बदलाव ला सकता है।
विश्व में युद्धभूमियों से लेकर, सामाजिक और धार्मिक चेतना या गुलामी के काल के अंत तक और आर्थिक बुलंदियों या मानवता के हित का हर दौर, किसी न किसी रूप में दृढ़ युवा शक्ति का साक्षी रहा है। जिस देश के भंडार में युवा ताकत है, वह कभी भी सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर नहीं आंका जा सकता।
कहा जाए तो युवा शक्ति की पूंजी, एक राष्ट्र के तौर पर हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। दुनिया में किसी समय हाशिए पर रहे देश अपनी युवा शक्ति के दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति के बल पर दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकतों को सामाजिक और आर्थिक रूप से कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद और भगतसिंह जैसे आदर्श, युवा वर्ग की विशाल जनसंख्या और बहुत नजदीक डेमोग्राफिक डिविडेंड, भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिए स्वर्णिम तिगड़ी का काम करेंगे।
युवाशक्ति और भारत
भारत युवा शक्ति बनने जा रहा है या यूं कहे की महाशक्ति बनने जा रहा है, तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी। डेमोग्राफिक डिविडेंड शब्द भारत के स्वर्णिम और मजबूत भविष्य की सुनिश्चितता है,
यदि हम डेमोग्राफिक डिविडेंड का सही समय और सही दिशा में उपयोग कर सके तो। और यदि ऐसा ना हो पाया तो Demographic Dividend का Demographic Disaster में बदलना लगभग तय होगा।
इस समय भारत में विशाल आबादी और दुर्भाग्यवश गुणवत्ताहीन आबादी है। यह डेमोग्राफिक डिविडेंड भी इसी समय भारत के भाग्य में आ रहा है।
अतः इस डिविडेंड का फायदा उठाने के लिए इस देश को कड़ी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना भी करना पड़ेगा। क्योंकि युवा शक्ति अगर महाशक्ति बनने जा रही हो और सही दिशा में हो तो किसी भी राष्ट्र की शास्त्र और शस्त्र, में तरक्की बड़ी ही सहजता से सुनिश्चित होगी।
भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश होगा जिसके लिए डेमोग्राफिक डिविडेंड का काल लगभग 5 दशक तक का रहेगा। 2004-05 से शुरू होकर 2055-56 तक।
इस समय भारत की तकरीबन 62.5 प्रतिशत आबादी 15 से 59 वर्ष के बीच की है जोकि 2036 तक अपनी चरम पर होगी। यानी यह आंकड़ा 65% को छू लेगा ( इकोनॉमिक सर्वे 2018-19 के अनुसार, 2041 में भारत में इसका चरम 59% के साथ रहेगा)।
यह आंकड़े भारत के मजबूत भविष्य के मजबूत आधार का गवाह रहेंगे। जिन को देखते हुए दुनिया में भारत के महाशक्ति बनने की कवायद हो पंख लग जाने तय है, बशर्ते भारत इस मौके को दोनों हाथों से लपक लेने में कामयाबी हासिल कर ले।
क्योंकि जितनी ताकत इस डेमोग्राफिक डिविडेंड में है भारत के लिए यह इसे साकार करने का सुनहरा मौका उतनी ही कड़ी चुनौतियों भरा रहेगा।
दुनिया में जहां 121 करोड़ युवा है ,वहीं अकेला भारत इनके 25% का प्रतिनिधित्व करता है। यानी करीब 25 करोड़ युवा भारत में है। जनसंख्या के हिसाब से, कुल जनसंख्या का भारत में 18% और पाकिस्तान में 20% युवा आबादी है।
लेकिन आंकड़ों पर जाए तो भारत में युवाओं की आबादी पाकिस्तान की कुल आबादी से भी 3 करोड़ ज्यादा है। वहीं चीन की कुल आबादी से भारत की आबादी 6 करोड़ कम है लेकिन भारत में युवा आबादी चीन से 8 करोड़ ज्यादा है।
युवा शक्ति का महत्व
देश की प्रगति और विकास के परिपेक्ष्य में किसी भी राष्ट्र के लिए युवा शक्ति अहम भूमिका निभाती है। राष्ट्र की प्रगति हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक और धार्मिक चेतना जैसी मूलभूत आवश्यकताएं युवा वर्ग के योगदान से ही संभव/हासिल हो पाती है।
भारत जैसे देश में निजी प्रगति के तो अनेकों किस्से मिल जाएंगे, लेकिन दुर्भाग्य है कि आजादी के सात दशकों के बाद भी हम राष्ट्र के रूप में प्रगति कर पाने में अभी तक पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं।
विशाल आबादी को गुणवत्ता युक्त कर और आने वाली युवा पीढ़ी को दृढ़ निश्चयी एवं राष्ट्र के लक्ष्यों के प्रति सचेत कर हम यह उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।
विशाल आबादी और बड़े भूभाग पर विस्तार लिए हुए भारत जैसे देश के विकास के लिए युवाओं का योगदान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। सरकारों द्वारा चलाई गई विकास नीतियां किस हद तक सफल होगी, इसकी सफलता या विफलता के पीछे भी देश के युवा वर्ग की अहम हिस्सेदारी रहती है।
यदि युवा वर्ग राष्ट्र के हित के प्रति संकल्पित है तो सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक को मिल सकता है। क्योंकि शिक्षा के अभाव में बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए दिन-ब-दिन चुनौती बनती जा रही है।
अतः समय रहते बड़े कदम उठाकर इस डिजास्टर को डिविडेंड में बदलना भी भारत के स्वर्णिम भविष्य को लेकर किए जाने वाले प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित होगा।
अनुशासित युवा वर्ग और शिक्षित आबादी भारत के हर कोने के विकास की गारंटी बनेगी। आधुनिकता के जाल में फंस कर और भारतीयता के मूलभूत सिद्धांतों को भूल कर जनसंख्या और युवा वर्ग गलत दिशा की ओर गतिशील है।
समाज के हर वर्ग को अनुशासन में लाना, उनके सुनहरे भविष्य को लेकर योजनाएं बनाना और राष्ट्रीय प्रगति की तरफ ध्यान केंद्रित करना विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में पहला और सबसे मजबूत कदम होगा।
सामाजिक चेतना देश को एकता के सूत्र में बांधे रखने के लिए सबसे जरूरी शर्त है। वहीं अगर युवा शक्ति को भी सही दिशा में बढ़ाया जाए तो देश की तमाम आर्थिक चुनौतियां काफी हद तक मिट सकती है क्योंकि युवा शक्ति जिस को दूसरे शब्दों में हम वर्किंग एज पापुलेशन का नाम भी दे सकते हैं, देश के लिए और देश की आर्थिक ताकत के लिए अहम योगदान देती है।
(उदाहरण के तौर पर हम जापान को देख सकते हैं जिसने अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड (1964-2004) का सफलतापूर्वक योग किया है।)
जिसके बूते न सिर्फ आर्थिक असमानता कम होगी बल्कि औद्योगिकीकरण और लेबर फोर्स के बीच भी सामंजस्य बैठेगा। जिससे कि औद्योगिक उत्पादन की लागत कम रहेगी और भारत का निर्यात ऊंचाइयां प्राप्त करेगा।
डेमोग्राफिक डिविडेंड आने वाले बेहतर और सुरक्षित कल की गारंटी साबित होगा। यदि आज और इसी समय इसके प्रति हम पूरी सजगता और सतर्कता बरतें।