अंटार्कटिका महाद्वीप के बारे में जानकारी | Facts About Continent Of Antarctica In Hindi: अंटार्कटिका महाद्वीप दक्षिणी धुव्र के चारों ओर स्थित है इसलिए यह हमेशा बर्फ की मोटी परत से ढका रहता है, यह सबसे ठंडा महाद्वीप है.
अतः इस पर स्थायी रूप से मानव नही रहते है, केवल कुछ वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए यहाँ जाते है. सन 1960 में अंटार्कटिका महाद्वीप पर जाने वाले प्रथम भारतीय डॉक्टर गिरिराज सिंह सिरोही थे.
इनके नाम पर यहाँ के एक स्थान का नाम “सिरोही पॉइंट” रखा है, यहाँ पर कई देशों के शोध केंद्र स्थित है. भारत ने भी मैत्री नामक स्थान पर एक शोध केंद्र स्थापित किया है.
अंटार्कटिका महाद्वीप के बारे में जानकारी Antarctica In Hindi
अंटार्कटिका महाद्वीप की खोज केप्टन जेम्स कुक ने सन 1773 में की, जबकि सन 1821 में इस पर पहला कदम जॉन डेविस ने रखा था.चलिए आपकों कुछ Interesting Facts About Antarctica बताते है, जो आप शायद नही जानते
अंटार्कटिका, संसार के सभी महाद्वीप सातों महाद्वीपों में सबसे ठंडा है. जिसका कारण चारो ओर से जल से घिरा होना भी है. तूफ़ान और बर्फी के पहाड़ यहाँ आम बात है, वनस्पति न्यून मात्रा में होने के कारण यहाँ वर्षा अल्प मात्रा में ही होती है,
इसी वजह से अंटार्कटिका को ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है, यहाँ बहुत गिने चुने ही लोग अपने पूर्ण प्रबंध के साथ अस्थायी रूप से रहते है, जबकि यहाँ के मूल निवासी कोई नही है. यहाँ पाए जाने वाले पेड़ पौधों में पेंगुइन, सील, निमेटोड, टार्डीग्रेड, पिस्सू प्रमुख है.
जिस तरह भारत का in अमेरिका का US और इंग्लैंड का UK है उसी तरह अंटार्कटिका का आधिकारिक डोमेन aQ है.
एक समय था जब अंटार्कटिका पर 20 डिग्री के अधिक तापमान रहता था, बदलती हुई प्राकृतिक परिस्थियों के साथ यहाँ का तापमान शून्य हो गया तथा सारी वनस्पति समाप्त हो गई, वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर ओजन परत में ब्लैक हॉल की घटना सबसे पहले यही पर देखि थी.
आपकों जानकर ताज्जुब होगा कि इस महाद्वीप पर 1962 से लेकर आज तक एक परमाणु संयंत्र भी चल रहा है जिसका नाम McMurdo Station है.
यहाँ का सबसे कम तापमान 128.56f दर्ज किया गया था इसके दक्षिणी छोर पर एल बार भी है इतनी अजीबोगरीब यहाँ की परिस्थतियाँ होने के उपरांत भी 1150 fungi की प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती है.
अंटार्कटिका का क्षेत्रफल 140 लाख वर्ग किलोमीटर है अधिकतर भाग 1.6 किलोमीटर मोटी बर्फ की परत से बना हुआ है. आज भी इस महाद्वीप पर 4,000 से अधिक वैज्ञानिक विभिन्न देशों से यहाँ आकर अनुसंधान कर रहे है.
किसी भी देश का दावा नहीं है
बता दें कि अंटार्कटिका महाद्वीप पर इंसानों की बस्तियां या तो है ही नहीं या फिर बहुत ही कम है जिसका एक प्रमुख कारण है कि अभी तक किसी भी देश ने अंटार्कटिका महाद्वीप पर अपना दावा नहीं ठोका है।
हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार यह स्थिति आगे भी बनी रहेगी, इसकी कोई भी गारंटी नहीं है, क्योंकि हो सकता है कि जैसे जैसे इंसानों की आबादी बढ़ेगी और उनके रहने के लिए जमीने कम पड़ेंगी, वैसे वैसे किसी देश के लोग अंटार्कटिका महाद्वीप पर अपना दावा ठोक दे।
मुख्य तौर पर देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और अमेरिका जैसे महा शक्तिशाली देश हमेशा से ही अपने विस्तार को बढ़ाने का प्रयास करते हैं, ऐसे में इन देशों के द्वारा अंटार्टिका महाद्वीप पर दावा ठोका जाए तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी।
इसके अलावा अगर किसी भी प्रकार से अंटार्कटिका महाद्वीप पर किसी भी देश को यह जानकारी प्राप्त हो जाती हैं कि वहां पर पेट्रोलियम, सोना जैसे खनिज पदार्थों की खान है तो निश्चित ही इस एरिया पर कब्जा करने के लिए विभिन्न देशों के बीच होड़ मच जाएगी। ऐसे में अधिक समय तक यह महाद्वीप किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र से फ्री नहीं रह पाएगा।
बता दें कि कई विद्वानों ने इस बात को प्रस्तुत किया है कि पृथ्वी के गर्म होने से अंटार्कटिका महाद्वीप की बर्फ काफी जल्दी से पिघल रही है। ऐसे में अगर कभी भविष्य में यह एरिया बरफ मुक्त हो जाता है तो धीरे-धीरे यह स्थान इंसानों के रहने के लायक बन जाएगा।
ऐसी अवस्था में यहां पर मनुष्यों का आना जाना बढेगा, जिसके कारण यहां पर पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा और जैसे-जैसे यहां पर इंसानों का आना-जाना बढ़ेगा, वैसे-वैसे यहां पर जमीन कबजाने की कोशिशें भी विभिन्न देशों के द्वारा चालू हो जाएंगी।
वनस्पतियों और पशुओं की है भरमार
अंटार्कटिका महाद्वीप में विभिन्न प्रकार के पशुओं की भरमार है जिनके नाम बिल्कुल अजीबोगरीब है। इसके अलावा यहां पर काफी बड़े पैमाने पर छोटी-छोटी वनस्पतियां भी पाई जाती हैं।
अभी तक की प्राप्त जानकारी के अनुसार तकरीबन 15 प्रकार से भी अधिक के पौधे इस महाद्वीप पर मिले हुए हैं, जिनमें से 3 मीठे पानी के पौधे हैं और बाकी अन्य पौधे हैं जो जमीन पर प्राप्त होते हैं।
इस महाद्वीप पर बड़ी बड़ी व्हेल मछली भी पाई जाती हैं। इसके साथ ही सील नाम का प्राणी भी यहीं पर पाया जाता है। इसके अलावा पेंग्विन नाम का पक्षी भी यहां पर पाया जाता है, जोकि किंग पेंग्विन के नाम से जाना जाता है।
यह पक्षी सामान्य पेंगुइन पक्षी से थोड़े से बड़े आकार के होते हैं। इसके साथ ही बता दे कि दुनिया में जितनी भी मछलियां प्राप्त होती है उनमें से तकरीबन 11 प्रकार की प्रजातियों की मछली यहां पर मिलती है।
आय की संख्या है जीरो
जो पशु धरती पर रहते हैं उनकी संख्या यहां पर ना के बराबर है। इसके अलावा ऐसे फूलों की संख्या भी यहां पर ना के बराबर है जिनकी खेती होती है या फिर जिन्हें मार्केट में बेचा जा सकता है। इसीलिए यहां पर इनकम के रास्ते बिल्कुल जीरो के बराबर है।
हालांकि ऐसा कहा जा सकता है कि अंटार्कटिका महाद्वीप में कुछ ऐसी चीजें दबी हुई हैं जिन पर अगर खोज की जाए तो इंसानों को अमूल्य धन संपत्ति प्राप्त हो सकती है। इसके लिए विभिन्न देशों को अंटार्कटिका महाद्वीप पर खोज करनी चाहिए तभी कुछ रिजल्ट सामने आएंगे।