स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका Female Freedom Fighters Of India In Hindi Language प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं.
1857 से 1947 तक चले महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका क्या रही आजादी प्राप्ति के इस अभियान में उनका योगदान क्या था,
कौन कौनसी वीर वीरांगना ने भारत की स्वतंत्रता में अपना अहम योगदान दिया. महिलाओं की भूमिका के निबंध को आज हम विस्तार से जानेगे.
Essay On Female Freedom Fighters Of India In Hindi
स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका पर निबंध
स्वतंत्रता संग्राम का प्रारम्भ (Start of freedom struggle)
ब्रिटिश सता की स्वार्थी, कपटपूर्ण नीतियों, जनता को सताने, दबाने एवं अन्यायपूर्ण शोषण करने की कुचालों से भारतीय जनमानस में विद्रोह उभरने लगा.
सनः 1857 में मेरठ छावनी तथा देश में अन्य स्थानों पर अशस्त्र क्रांति अर्थात प्रथम स्वतंत्रता संग्राम प्रारम्भ हुआ. उस घटना से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति के अनेक प्रयास किये गये,
जो गांधीजी एवं अन्य नेताओं के प्रयासों के साथ ही अनेक देशभक्त युवाओं के बलिदान से 15 अगस्त 1947 को आजादी के रूप में प्रतिफलित हुआ.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का सक्रिय योगदान (indian female freedom fighters wikipedia hindi)
अंग्रेजों के विरुद्ध इस लड़ाई में पुरुषों के साथ महिलाओं के सक्रिय योगदान की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही. प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 में पुरुषों की संघर्षशील भूमिका के मध्य, महारानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल, रानी चेन्नमा आदि वीरांगनाओं के साहस और सक्रिय योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता.
प्रेरणा के रूप में महिलाओं का योगदान (Women’s contribution as inspiration)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पीछे महिलाओं के योगदान की महती प्रेरणा रही. महिलाओं ने आंदोलन में भाग लेने वालों, जेल जाने वालों, फांसी के फंदों पर झूलने वालों को तिलक लगाकर और राखी बांधकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की बलिदानी प्रेरणा प्रदान की और अंग्रेजों के खिलाफ होने वाले आंदोलनों में कंधे से कंधा मिलाकर उनमें जोश जगाने का प्रेरणात्मक कार्य किया.
प्रसिद्ध महिलाओं का जीवन परिचय/बायोग्राफी (Famous women’s life introduction / biography)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पुरुषों की भांति अनेक महिलाओं ने अपनी साहसिक भागीदारी, बलिदान, सहयोग और प्रेरणा देकर भूमिका निभाई.
संक्षिप्त परिचय के उदहारण के रूप में रानी चेन्नमा- दक्षिणी राज्य मिल्लुर के शासक मल्ल सर्ग की पत्नी थी. महारानी लक्ष्मीबाई- झाँसी के राजा गंगाधर राव की पत्नी थी. झलकी बाई- महारानी लक्ष्मीबाई की सहयोगिनी थी.
बेगम हजरत महल- अवध के नवाब की बेगम थी, 1857 की क्रांति में जन एकत्रीकरण की दृष्टि से महती भूमिका निभाई. कस्तूरबा गांधी- महात्मा गांधी की पत्नी थी.
सुभद्राकुमारी चौहान प्रसिद्ध कवयित्री थी, आंदोलन में भाग लेकर, जेल गई. सरोजनी नायडू- प्रसिद्ध कवयित्री थी. जिन्होंने कविताओं के माध्यम से जन चेतना को जाग्रत किया.
राष्ट्र के नव निर्माण में योगदान (Contribution to the new creation of the nation)
राष्ट्र के नव निर्माण में महिलाओं का योगदान सराहनीय है. वे अपनी योग्यता और साहस के बल पर पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर ही नही, बल्कि एक कदम आगे चल रही है.
उन्होंने भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल आदि का दायित्व बड़ी कुशलता से संभाला है. और संभाल रही है.
इनके अलावा ये प्रशासनिक सेवा पद, विज्ञान, शिक्षा अनुसंधान, सेना, अंतरिक्ष, व्यापार, खेल, चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में अपना अविस्मर्णीय योगदान दे रही है. राष्ट्र अपने नव निर्माण में इनके योगदान से गौरवान्वित अनुभव कर रहा है.
स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी पर निबंध lady freedom fighters of india in hindi
इतिहास गवाह है मानव मन की घुटन से ही विद्रोह के भाव जागे हैं. यह विद्रोह सत्ता के प्रति हुआ हो, या अनीतियों अन्यायों के प्रति साहसिकता से उसका सामना कर बलिदान और त्याग के आधार पर उसको विजित कर आजादी का परचम फहराया गया हैं.
इसी क्रम में विदेशी अंग्रेजों ने व्यापार करने के माध्यम से हमारे देश में प्रवेश कर देशी राजाओं में फूट डालों राज्य करो की कूटनीति अपना कर देश कर राज्य स्थापित कर उसे खोखला कर दिया.
परिणामस्वरूप भारतीय मानसिकता में विद्रोह की आग धीरे धीरे सुलगी. सन 1857 में मेरठ की एक छावनी से मंगल पांडे के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम प्रारम्भ हुआ.
विद्रोह की आग धीरे धीरे सुलगती रही, बलिदान होते रहे. अंग्रेजी शासन की नीव हिलती रही. इस विद्रोही तूफान का समापन गांधी अहिंसा के बल पर 15 अगस्त 1947 को आजादी के रूप में हुआ.
अंग्रेजों के विरुद्ध घर की इस लड़ाई में पुरुषों के साथ महिलाओं के सक्रिय योगदान की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही, प्रथम स्वाधीनता संग्राम 1857 में पुरुषों की संघर्षशील भूमिका के मध्य, महारानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल, रानी चेन्नमा आदि वीरांगनाओं के साहस और सक्रिय योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
वीर शिवाजी की स्वराज्य स्थापना के पीछे उनकी वीर माता जीजा बाई का जैसा हाथ था, उसी प्रकार स्वतंत्रता संग्राम के पीछे महिलाओं के योगदान की महती प्रेरणा रही.
महिलाओं ने आंदोलन में भाग लेने वालों, जेल जाने वालों, फांसी के फंदों पर झूलने वालों को तिलक लगाकर और राखी बांधकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की साहसिक प्रेरणा प्रदान की व अंग्रेजों के खिलाफ होने वाले आंदोलनों में कंधे से कंधा मिलाकर उनमें प्रेरणात्मक जोश का योगदान के रूप में जागरण किया.
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