गंगा सफाई अभियान पर निबंध | Ganga Safai Abhiyan Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध, गंगा सफाई अभियान पर निबंध Ganga Safai Abhiyan Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं.

गंगा सफाई केम्पेन के इस निबंध में हम सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए निबंध लेकर आए हैं. सफाई अभियान क्या है कब से शुरू किया गया, आवश्यकता और महत्व पर इसमें जानकारी दी गई हैं.

गंगा सफाई अभियान पर निबंध Ganga Safai Abhiyan Essay In Hindi

गंगा सफाई अभियान पर निबंध | Ganga Safai Abhiyan Essay In Hindi

गंगा एक भारत की पवित्र एवं सबसे लंबी नदी ही नही, हिन्दू धर्म के लोग गंगा नदी को माँ का दर्जा देते हैं. जिस तरह माँ लालन पोषण कर अपनी संतानों का पेट भरने का कार्य करती हैं.

ठीक वैसे ही निस्वार्थ भाव से आदि अनादी काल से गंगा मैया हम सबका पालन पोषण कर रही हैं, हमें पीने का स्वच्छ हिमालयी जल, सिंचाई का पानी ही नही देती मृत्यु के बाद आत्मा  की शान्ति के लिए हमारी अस्थियों को अपने संग ले जाती हैं. 

गंगा नदी में प्रदूषण के कारण आज इसका स्वरूप बदला सा नजर आता हैं. स्वच्छ गंगा परियोजना नमामि गंगे योजना (clean ganga) के जरिये माँ स्वरूप गंगा को स्वच्छ करने का प्रयत्न चल रहा हैं.

सभी जानते है कि मनुष्यमात्र, जीवों एवं वृक्ष वनस्पतियों के लिए जल का महत्व कितना अधिक हैं. हमारी काया भी जल से बनी हैं और जल की पूर्ति निरंतर होती रहे, हम बराबर इसका ध्यान रखते हैं. 

भारत बड़ा गौरवशाली देश हैं कि यहाँ पूरब से पश्चिम एवं पश्चिम से पूर्व, उत्तर से दक्षिण निरंतर सरिताएं प्रवाहित होती रहती हैं.

पर इन सब में गंगा को भारतवर्ष की जीवनधारा कहा जाता हैं. इसके प्रवाह के पीछे संस्कृति हैं, एक विशिष्ट सभ्यता हैं एवं आध्यात्म दर्शन हैं. इसे पवित्रतम नदी माना जाता हैं.

गोमुख से निकलकर हिमालय से उतरकर यह 2525 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर गंगासागर में जा मिलती हैं. आर्यावृत या आधा भारत इसके द्वारा सींचा जाता हैं. पूरी मात्रा में अनगिनत नदियाँ, नाले जल स्रोत इसमें मिल जाते हैं.

अपने तीव्र अविरल प्रवाह के कारण सभी को अपने मार्ग में समाती चली जाती हैं. प्रवाहमान अविरल गंगा में कभी अनगिनत गुण थे, पर मानवी सभ्यता के तथाकथित विकास ने मोक्षदायिनी इस पावन नदी को आज न पीने, न नहाने लायक छोड़ा हैं.

जिस नदी के सम्मान में अनगिनत गरिमामय गान गाये जाते हैं, उसमें कस्बों, नगरों का मैला, उद्योगों का कचरा, नालों का पानी, शव इत्यादि हम नित्य बहा रहे हैं.

गंगा सफाई अभियान निबंध (Ganga Safai Abhiyan Essay)

आज गंगा के साथ इतना अन्याय होने के उपरांत भी वह अनवरत बह रही हैं. हिमालय पर ग्लेशियर इसे जलधारा से अभिपुरित करते हैं. तो ऋषिकेश हरिद्वार में नीचे आने पर वृक्ष वनस्पतियों की हरी चादर इसे भरा पूरा बनाती हैं.

पर हो क्या रहा हैं ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं. वृक्ष वनस्पतियों के कटने के कारण भूक्षरण हो रहा हैं.

हर वर्ष भयानक बाढ़ आ रही हैं , धरती पर उतरने के बाद इससे प्रवाहमय बनाने का कार्य इसके किनारे लगे वृक्ष क्षुप आदि ही करते हैं. ये ही जमीनी स्तर पर गंगा या किसी भी नदी के ग्लेशियर हैं पर हो क्या रहा हैं.

अंधाधुंध शहरीकरण की होड़ के कारण गंगा का किनारा यहाँ ही नही गंगोत्री से नीचे टिहरी के जलाशय व नीचे देवप्रयाग तक तथा बद्रीनाथ से नेचे देवप्रयाग तक और इसके बाद ऋषिकेश तक प्रभावित हुआ हैं.

गंगा नदी के किनारे बड़े बड़े होटल बने हैं, धर्मशालाएं है aतथा रिसोर्ट बन गये हैं. पनबिजली के छोटे प्रोजेक्ट चलाए जाने थे. अब बड़े बांध बना दिए गये हैं या बनाए जा रहे हैं. 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद भी होश नही आया. हम यह विचार नही कर पा रहे हैं कि हम कितनी तेजी से गंगा का आस्तित्व खत्म कर रहे हैं.

गंगा सफाई अभियान” -चुनौतियां और समस्याएं

इन पंक्तियों के लेखक, पत्रिका के सम्पादक ने स्वय भागीरथी व अलकनंदा जो गंगा बनाती हैं, का किनारा चप्पा चप्पा छाना हैं. देखा है कि हम कितना नुकसान अपने पर्यावरण के साथ कर रहे हैं.

यही नही जिसे माँ कहा हैं एवं लाखो करोड़ो भारतवासी जिसके नाम मात्र से पवित्र होने का भाव करते हैं उसका भी हम चीरहरण कर रहे हैं, उसका अस्तित्व हम समाप्त कर रहे हैं.

जब तक कि हर मनुष्य यह नही समझ जाता कि गंगा के अस्तित्व से ही उसका अस्तित्व हैं. पूरे आर्यावृत भारत का अस्तित्व गंगा हैं, जिसमें लगभग 31 से ज्यादा छोटी बड़ी नदियाँ मिलती हैं.

शुद्ध करनी होगी तो उन सबको करनी होगी. इससे अधिक से अधिक स्वयंसेवी कार्यकर्ता नियोजित करने होंगे, ताकि यह कार्य निरंतर होता चले.

निर्मल गंगा जन अभियान, जल संरक्षण एवं पानी की खेती हेतु विविध कार्यक्रम एवं श्रीराम सरोवर इन तीन स्वरूपों में यह अभियान विगत वर्ष आरम्भ हुआ हैं, इस वर्ष वसंत से इसने तीव्र गति पकड़ी हैं.

निर्मल गंगा जन अभियान (Divine India Youth Association)

हिमालय का ह्रदय पिघलता हैं ग्लेशियर पिघलते है, तो गंगा गोमुख से प्रवाहित होकर धरती पर उतरती हैं. यह भारतीय दर्शन आध्यात्म संस्कृति का पवित्र प्रवाह हैं मात्र जल का प्रवाह नही हैं. श्रीकृष्ण इसे गीता में कहते हैं स्रोतसामस्मी जाह्वी अर्थात नदियों में जलस्रोतों में गंगा जी के रूप में मौजूद हूँ.

यह साधारण नदी या जल का प्रवाह नही हैं साक्षात् योगेश्वर इसमें समाए हुए हैं. यही जल स्रोत जिसे उद्गम पर छलांग लगाकर पार भी किया जा सकता हैं, तब बिहार तथा बंगाल तक पहुचता हैं तो उसमे स्टीमर चलते हैं बहुत चौड़ा इसका पाट होता हैं तब यह गंगा सागर में मिलती हैं तो यह द्रश्य देख्ने लायक होता हैं.

नमामि गंगे योजना अर्थात स्वच्छ गंगा परियोजना भारतीय जनता पार्टी के 2014 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र की मुख्य घोषणाओं में से एक था. नरेंद्र मोदी द्वारा गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए अपने वायदे के मुताबिक़ उन्होंने यह परियोजना आरम्भ की थी.

आध्यात्म से जुड़ा विषय होने के कारण जन जन का सहयोग प्रधानमंत्री मोदी को इस योजना में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से मिल रहा हैं.

केंद्रीय बजट 2014-15 में 2,037 करोड़ रूपये के साथ इस स्वच्छ गंगा परियोजना की शुरुआत की गई थी. गंगा संरक्षण मिशन के रूप में नमामि गंगे पर काफी बजट खर्च किया गया, ताकि गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण कर इसे रोकने के कारगर उपाय किये जा सके.

मुख्य रूप से औद्योगिक अपशिष्टों से प्रदूषित गंगा नदी को स्वच्छ बनाना अपने आम में एक बड़ा लक्ष्य हैं. यह परियोजना कब पूरी होगी, इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा सुप्रिम कोर्ट के एक सवाल के जवाब में कहा कि चूँकि गंगा देश की सबसे बड़ी नदी हैं जो उत्तर से दक्षिण तक सम्पूर्ण देश को सींचती हैं इस कारण इसे पूरा होने में 18 वर्ष का समय लगेगा.

आपकों बता दे गंगा नदी के अपवाह तंत्र में भारत के पांच राज्य उत्तराखण्ड, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार आते हैं. तथा कुछ हिस्सों में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में भी बहती हैं

अतः इन राज्यों में भी गंगा की स्वच्छता के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को स्वच्छ बनाने के लिए जनजागरूकता के जरिये सहयोग दिलाने की अपील की हैं.

स्वच्छ गंगा परियोजना के तथ्य

  • योजना क्षेत्र- 2,500 किमी ( 29 बड़े शहर, 48 कस्बे और 23 छोटे शहर )
  • आधिकारिक नाम- नमामि गंगे
  • स्वच्छ गंगा परियोजना कमेटी का गठन- जुलाई 2014
  • परियोजना की लागत 2037 करोड़ रुपये
  • परियोजना में शामिल मंत्रालय केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प
  • परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी की सफाई
  • परियोजना प्रारंभ तिथि जुलाई 2014
  • परियोजना की अवधि 18 साल

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