नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं, स्त्री पुरुष समानता निबंध हिंदी Gender Equality Essay In Hindi में आसान भाषा में लैंगिक समानता पर निबंध दिया गया हैं. स्टूडेंट्स के लिए आसान भाषा में स्त्री पुरुष समानता क्या हैं इसके महत्व पर सरल निबंध यहाँ पढ़े.
स्त्री पुरुष समानता पर निबंध | Gender Equality Essay In Hindi
शायद हमे इस बात का ख्याल नहीं है कि स्त्री और पुरुष के चित में बुनियादी भेद और भिन्नता है. और यह भिन्नता अर्थपूर्ण है, पुरुष और स्त्री का सारा आकर्षण उसी भिन्नता पर निर्भर है.
वे जितनी भिन्न होगी वे जितनी दूर हो उनके बिच आकर्षण होगा.उतना ही उनके बिच प्रेम का जन्म होगा. जितना उनका फासला हो, उनकी भिन्नता हो जितने उनके व्यक्तित्व अनूठे और अलग अलग हो.
जितने वे एक दुसरे जैसे नही बल्कि एक दुसरे से परिपूरक, कप्लिमेटरी हो. अगर पुरुष गणित जानता हो और स्त्री भी गणित जानती हो तो ये दोनों बाते उन्हें निकट नही लाती है.
ये बाते उन्हें दूर ले जाएगी. अगर पुरुष गणित जानता हो और स्त्री काव्य जानती हो, संगीत जानती हो, नृत्य जानती हो, तो वे ज्यादा निकट आएगे.
वे जीवन में ज्यादा गहरे साथी बन सकते है. जब एक स्त्री पुरुषो जैसी दीक्षित हो जाती है तो ज्यादा से ज्यादा वह पुरुष को स्त्री होने का साथ भर दे सकती है.
लेकिन उसके ह्रद्य के उस अभाव को स्त्री के लिए प्यासा और प्रेम से भरा होता है. उस अभाव को पूरा नही कर सकती है.
पशिचम में परिवार टूट रहा है. भारत में भी परिवार टूटेगा और परिवार के टूटने के पीछे आर्थिक कारण उतने नही है जितना स्त्रियों को पुरुष जैसा शिक्षित किया जाना.
पुरुष की भाँती शिक्षित होकर स्त्री एक नकली पुरुष बन जाती है, असली स्त्री नही बन पाती है. लेकिन भिन्नता का कोई भी ख्याल नही है और भिन्न शिक्षा और दीक्षा का हमे कोई विचार नही है.
यह बात जगत की सारी स्त्रियों को कह देने जैसी है- उन्हें अपने स्त्री होने को बचाना है. कल तक पुरुषो ने उन्ही को हीन समझा था. नीचा समझा था और इसलिए नुकसान पंहुचा था.
आज अगर पुरुष राजी हो जाएगा कि तुम हमारे समान हो, तुम हमारी दौड़ में सम्मलित हो जाओं- इस दौड़ में स्त्रियाँ कहाँ पहुचेगी और सवाल यह नही है कि स्त्रियों को नुक्सान होगा, सवाल यह है कि पूरा जीवन नष्ट होगा.
सी एम जोड ने पशिचमी के एक विचारक ने एक अद्भुत बात लिखी. उसने लिखा कि जब मै पैदा हुआ तो मेरे देश में घर थे. होम्स थे लेकिन जब अब में बुढा होकर मर रहा हु तो मेरे देश में होम जैसी कोई चीज नही है.
घर जैसी कोई चीज नही है, केवल मकान केवल होउसेस रह गये है. होम और हाउस में क्या फर्क है? घर और मकान में कोई भेद है. होटल और घर में कोई फर्क है. अगर कोई भी फर्क है तो वह सारा फर्क स्त्री के ऊपर निर्भर है और किसी पर निर्भर नही है.