लक्ष्य पर सुविचार अनमोल वचन | Goal Quotes In Hindi

Goal Quotes In Hindi (लक्ष्य पर सुविचार) : जीवन में कोई लक्ष्य नही हो तो कुछ भी पाना असंभव है, लक्ष्य (Goal) ही जीवन को एक दिशा प्रदान करते है.

विद्यार्थी जीवन से ही अपने जीवन करियर आदि के बारे में अपने लक्ष्य का निर्धारण कर ही लेना चाहिए, आज हम लक्ष्य पर अनमोल वचन (Goal Quotes) पढ़ेगे.

लक्ष्य पर सुविचार अनमोल वचन | Goal Quotes In Hindi

लक्ष्य पर सुविचार अनमोल वचन Goal Quotes In Hindi

1#. यदि हम अपना प्रथम उद्देश्य परमात्मा को प्रसन्न करना बना ले, तो इससे अनेक समस्याएं तुरंत हल हो जाती हैं.


2#. हमकों प्रेरित करने के लिए उद्देश्य सर्वथा आवश्यक नही है, बल्कि लक्ष्य हमकों जीवित रखने के लिए भी अनिवार्य हैं.


3#. लक्ष्य आलस्य के विरुद्ध परमात्मा के आदेश के अतिरिक्त कुछ नही हैं. अतः अपने उद्देश्य / लक्ष्य को प्राप्त करो.


4#. लक्ष्य भेद के पूर्व तुमकों लक्ष्य बनाना चाहिए.

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5#. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.


6#. उद्देश्य के सम्बन्ध में सबसे आवश्यक चीज है कि वह होना चाहिए.


7#. बिना लक्ष्य का अर्थ है कि मैदान में आप भागदौड तो करेगे मगर एक भी गोल नही कर पाएगे.


8#. असल में हम जीवन में उन चीजों को नही पा लेते है जिनका मूल कारण होता है उन कारणों के बारे में सोचना जिससे हम वो चीज क्यों नही हासिल कर सकते हैं.


9#. लक्ष्य पाने के लिए हर चीज का दो बार स्रजन आवश्यक है एक बार मस्तिष्क में दूसरी बात धरातल पर.


10#. लक्ष्य एक टाइम पीरियड में देखा गया ड्रीम हैं.


11#. जिस तरह घर बनाने के लिए हमें एक स्कीम की जरूरत पड़ती है ठीक इसी तरह जिन्दगी बनाने के लिए भी एक योजना, लक्ष्य उद्देश्य बनाना पड़ता हैं.


12#. जिनके सपने लिखित में होते है वे दुसरे लोग जब तक सपना निर्धारित कर पाते है तब तक वे हासिल कर लेते हैं.


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13#. अपने लक्ष्य को अपनी सांसों में रखे और मंजिल को बाहों में हर जीत आपकी है बस अपने लक्ष्य को नजरों में रखो.


14#. जिन्दगी की त्रासदी यह नही कि आप अपना लक्ष्य पूरा नही कर पाए असल त्रासदी तो यह है कि पहुचने के लिए आपके पास कोई लक्ष्य नही था.


15#. अगर कभी लगे कभी कि लक्ष्य पूरा नही हो पाएगा तो लक्ष्य मत बदलों बल्कि अपने प्रयासों में तेजी लाओ.


16#. किस्मत भी उन्ही का साथ देती है जो मुश्किल घड़ी में भी अपनी मजिल को लेकर कृत संकल्प रखते हैं.


17#. कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नही है. हमेशा हारा वही है जो लड़ा ही नही.


18#. यदि आपकों अपना लक्ष्य बड़ा लग रहा है तथा एक ही प्रयास में पूरा करना मुश्किल लगे तो उन्हें टुकड़ों में बांटकर पूरी करने की शुरुआत अभी से कर सकते हैं.


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19#. हजारों मील की यात्रा की शुरुआत भी एक कदम के साथ ही होती हैं.


20#. यदि आप जीवन में सफलता हासिल करना चाहते है तो स्वयं को अपने लक्ष्य से बांधिए ना कि चीजों और लोगों से.


21#. यदि आप अपने लक्ष्य को जल्दी ही पाना चाहते है तो सबसे पहले नीद से उठिए.


22#. आपकों कितनी सफलताएं मिली है इसमें आपका लक्ष्य अहम भूमिका निभाता हैं.


23#. बिन उद्देश्य के जीवन उस डाक लिफ़ाफ़े की तरह है जिस पर पता नही लिखा हो.

लक्ष्य पर सुविचार

मनुष्य ने अगर इस धरती में जन्म लिया है तो उसके जीवन का कोई ना कोई लक्ष्य होना चाहिए जिसे पूरा करने के लिए उसे प्रयत्न करना चाहिए।


बिना लक्ष्य के मनुष्य दिशाहीन होता है और हर बात में शंका के घेरे में घिर जाता है।


मनुष्य को अपने लक्ष्य को अपने जीवन आदर्शों के समान फलीभूत करना चाहिए।


मनुष्य अपनी मेहनत, कोशिशों, लगन, दृढ़ निश्चयता, आशा, विश्वास, समर्थता, आत्मशक्ति से अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेता है।


मनुष्य के जीवन का अर्थ उसके द्वारा निर्धारित जीवन के लक्ष्य में निहित होता है।


मनुष्य बिना लक्ष्य बनाए न सफलता हासिल कर सकता है और न ही खुशी, सुख, समृद्धि, संपन्न प्राप्त कर सकता है।


मनुष्य के जीवन में कोई भी पड़ाव आए बिना लक्ष्य के राह सिर्फ भ्रमित ही करती है और कुछ भी पाना असंभव हो जाता है।


अपने सपनों को पूरा करने के लिए लक्ष्य बनाना पड़ता है क्योंकि लक्ष्य की प्राप्ति इतनी आसानी से नहीं होती है।


मनुष्य के जीवन के लक्ष्य जीवन जीने का हौसला देते हैं, एक नई उमंग, नई स्फूर्ति का संचार करते हैं।


मनुष्य को अपने जीवन में लक्ष्य ज़रूर बनाने चाहिए तभी जीवन जीने का वास्तविक अर्थ दर्शित होता है वरना जीवन निरर्थक सा लगता है।


बिना सोच के लक्ष्य को अंजाम तक नहीं पहुँचाया जा सकता है।


मनुष्य जीवन की महत्वपूर्णता व उपयोगिता तभी सिद्ध होगी जब जीवन का कोई लक्ष्य होगा और मनुष्य अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण भावना से भरा होगा।


मनुष्य का अस्तित्व संसार में तभी आता है जब मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है।


अपने लक्ष्य की प्राप्ति में प्रयासरत मनुष्य जीवन को सकारात्मक रूप से जीता है।


मनुष्य को अगर अपने जीवन को खुशहाल बनाना है तो उचित स्वरूप समय को अपने लक्ष्य प्राप्ति में लगाना चाहिए।


मनुष्य की प्रेरणा लक्ष्य ही होती है जो उसकी कामयाबी व जीत हासिल करने में सहायक होती है।


मनुष्य जीवन में लक्ष्य होना ही अपने आप में श्रेष्ठ होता है।


मनुष्य का अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना अपने जीवन को महत्वपूर्ण बनाने का अवसर प्रदान करती है।


मनुष्य कई लक्ष्य बनाता है और उसकी पूर्ति होने पर खुशी बयां नहीं हो पाती मानो जीवन को नया आयाम मिल गया हो।


मनुष्य के जीवन में अनेकों उद्देश्य होते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए लक्ष्य साधना पड़ता है।


लक्ष्य की प्राप्ति का हौसला हो तो बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को भी आसान बनाया जा सकता है।


अपने जीवन को यूँ ही बिना लक्ष्य व्यर्थ करने से अच्छा है जीवन लक्ष्य बनाना, उसे प्राप्त करने के लिए अपने अनमोल समय का सदुपयोग करना।


अगर संसार में महान बनना है, इतिहास में अपनी जगह बनानी है तो अपने लक्ष्य के लिए आशा बनाए रखनी पड़ती है और दृढ़ संकल्प से पूरी तरह लक्ष्य के प्रति समर्पित होना पड़ता है।


मनुष्य को अगर अपने जीवन में सुख शांति प्राप्त करनी है तो अपने लक्ष्य को पूरा करना चाहिए।


परिवार भी पूर्ण रूपेण नियोजित तभी होता है जब घर के बड़े अपने लक्ष्य को पूरा करते हैं।


बड़ों को अपने बच्चों को इस प्रकार सीख देनी चाहिए कि बच्चे अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक रहें।


जीवन में संघर्ष ये संकेत देता है कि लक्ष्य जीवन का हिस्सा बन चुका है क्योंकि लक्ष्य प्राप्ति में संघर्ष का रूप जीवन में आता ही है।


लक्ष्य को पूरा वही मनुष्य नहीं कर पाता जो लक्ष्य के प्रति समर्पित नहीं रह पाता है।


मनुष्य को अगर अपनी जीत पानी है तो लक्ष्य के प्रति आशा रखनी होगी और लक्ष्य प्राप्ति हेतु पथ पर अग्रसर रहना होगा।


मनुष्य का लक्ष्य बताता है कि कितना समय प्राप्ति लग जाएगा व लक्ष्य ही बताता है कि मनुष्य को सफलता किस रूप में मिलेगी।


मनुष्य के हौसलों, संघर्ष और साहस से लक्ष्य की प्राप्ति होती है और लक्ष्य इनसे बड़ा नहीं हो सकता है। 


अपने लक्ष्य की प्राप्ति में हार वही मान सकता है जो संघर्ष करने से पीछे हटता है।


जो मनुष्य अपने लक्ष्य में शंकित नहीं होते हैं जिनके लक्ष्य सटीक रूप से साफ व निश्चित होते हैं वे लक्ष्य में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।


मनुष्य अगर अपने लक्ष्य का निर्धारण करता है तो अपने जीवन राह को सही रूप में नियंत्रित कर सकता है।


जीवन में लक्ष्य अगर ना हो तो जीवन बिना ड्राइवर की कार समान होता है जिसके ऐक्सिडेंट होने का खतरा रहता है और कोई दिशा निर्धारित नहीं होती है।


बिना लक्ष्य के कोई कार्य सिद्ध नहीं कर सकता है।


जीवन हो या कोई कार्य या कोई खेल बिना लक्ष्य के मनुष्य अपने रास्ते से भटक जाता है।


मनुष्य के जीवन में लक्ष्य होना ही एक अहम कार्य है जिसको पूर्ण करना ज़िम्मेदारी बन जाता है।


बड़ों को अपने बच्चों के लक्ष्य प्राप्ति में मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।


बड़ों का कर्तव्य होता है कि अपने बच्चों को जीवन में लक्ष्य की महत्वपूर्णता बताएँ व ऐसे संस्कार दें कि बच्चा लक्ष्य को अपना दायित्व बना ले।


मनुष्य अपनी जिंदगी में बहुत कुछ चाहता है, कई सपने देखता है जिन्हें पूरा करना चाहता है, जीवन सम्बन्धित कई उद्देश्य निर्धारित करना चाहता है, कई कार्य को अपना ध्येय बनाता है,अपने परिवार के लिए कई बातों को पूरा करना चाहता है इन सब की पूर्ति अपने लक्ष्य निर्धारण से होती है जिसके  लिए प्रयासरत रहना पड़ता है और अपनी सोच, विचारों, व्यवहार में सकारात्मक सोच को अपनाना पड़ता है। 


लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लक्ष्य के प्रति अपनी सोच और उसको साकार बनाने हेतु हकीकत में व्यवहारिक रूप देना पड़ता है।


मनुष्य अगर घर बनाने का लक्ष्य बनाना चाहता है तो घर का नियोजन ज़रूरी होता है उसी प्रकार मनुष्य के जीवन का लक्ष्य भी जीवन को सार्थकता देता है।


मनुष्य लक्ष्य की प्राप्ति कर पाए न पाए लेकिन महत्वपूर्ण है जीवन में लक्ष्य का होना जो जीवन जीने की प्रेरणा देता है।


मनुष्य को लक्ष्य प्राप्ति के लिए वक्त अनुसार अपने कार्य करने चाहिए तभी सकारात्मकता प्राप्त होती है।


मनुष्य के जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य का होना ज़रूरी है।


मनुष्य की सफलता में मनुष्य द्वारा निर्धारित लक्ष्य एक अहम भूमिका निभाता है।


मनुष्य अगर अपने लक्ष्य प्राप्ति में अपना समय निश्चित कर पूरी तरह समर्पित हो जाए तो अपने लक्ष्य से दूर कभी नहीं हो सकता है।


जीवन में लक्ष्य बनाना ज़रूरी है तभी अच्छे से जीवन व्यतीत कर पायेगें और अगर लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे तो लक्ष्य प्राप्ति में सकारात्मक सोच पायेगें।


मनुष्य द्वारा लक्ष्य बनाना प्रेरणा के साथ साथ जीवन को गतिशील बनाता है वरना जीवन का कोई अर्थ नहीं रह जाता है बस नाम की जिंदगी बन जाती है और जीवन में सक्रियता नहीं रहती है।


मनुष्य को अपने लक्ष्य प्राप्ति में मन मस्तिष्क से साथ देना होता है तभी लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सकता है।


मनुष्य को अपने लक्ष्य की पूर्ति के रास्ते में परेशानी और चिंता को अलग रखकर सिर्फ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बारे में सोचना चाहिए।


जीवन के लिए मूलभूत आवश्यकता को पूरा करना ज़रूरी होता है लेकिन अपना लक्ष्य सांसारिक वस्तुओं से ज्यादा अपने जीवन से संबंधित रखें। भौतिक वस्तुएँ पूर्णरूपेण जीवन को खुशी नहीं दे पाती हैं।

खुशाल जीवन के लिए अपने लक्ष्य की प्राप्ति सुखद होती है। अपने जीवन का मूल अर्थ लक्ष्य प्राप्ति को स्वयं की खुशी से जोड़ अपने मनोरथ पूरे करने चाहिए व अपने साथ दूसरों का भी उद्धार करना चाहिए जिससे ईश्वर कृपा प्राप्ति होती है।

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