अच्छाई पर सुविचार अनमोल वचन | Goodness Quotes In Hindi

Goodness Quotes In Hindi (अच्छाई सुविचार) : जीवन में जो अच्छाई की राह पर चलता है उसके चले जाने के  बाद भी लोग उसे अच्छी स्मृतियों में याद रखते हैं. बुराई की राह  पर चलकर किसी को कुछ हासिल नही हुआ हैं.

इस गुण को अपने जीवन के मूल्यों में शामिल कर जिन्दगी को अपने और औरों के लिए मूल्यवान बना सकते हैं. आज हम अच्छाई पर सुविचार -Goodness Quotes में महान दार्शनिकों के थोट्स को जानेगे.

अच्छाई पर सुविचार अनमोल वचन | Goodness Quotes In Hindi

अच्छाई पर सुविचार अनमोल वचन Goodness Quotes In Hindi

1#. अनवरत रूप से अच्छाई/ भलाई/ पुण्य कार्य करते रहो और मस्तिष्क मन में बुराई को जन्म मत लेने दो. जो मन अच्छाई करने में प्रमाद करता हैं, उसको बुराई में आनन्द की प्राप्ति होती हैं.


2#. अच्छे कार्य मनुष्य के रक्षक होते हैं.


3#. एक अच्छा आदमी सिर से लेकर पाँव तक वरदानों से ढका रहता हैं, परन्तु एक बुरा आदमी मन ही मन अपने भाग्य को कोसता रहता हैं.


4#. अच्छा पुण्य कार्य ही सुंदर होता हैं.


5#. कुलीनता का मुख्य लक्षण तीन श्रेणी के व्यक्तियों में प्रत्येक के अनुकूल अपने व्यवहार को बनाना जो हमारी अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ है, जो हमारे बराबर हैं तथा जो हमारी उपेक्षा निम्न या नीचे हैं.


6#. दो प्रकार के मनुष्य पुर्णतः श्रेष्ठ होते है एक जो मर गये है, दो जिनका जन्म नही हुआ हैं.


7#. अन्य किसी प्रकार की उपेक्षा स्वयं अच्छे बनकर हम अधिक अच्छाई भलाई कर सकते हैं.


8#. सर्वोत्तम ही उत्तम का शत्रु होता हैं.


9#. अधिकतम का अधिकतम लाभ ही अच्छाई और बुराई की कसौटी हैं.


10#. लक्ष्य के व्यापकत्व पर धर्म का महत्व निर्भर होता हैं.


11#. अच्छे बनों तुम अकेले रह जाओगे.


12#. अच्छी वस्तु केवल ज्ञान हैं, और बुरी वस्तु केवल अज्ञान हैं.


13#. मानव मस्तिष्क के दो संचालक हैं- अच्छाई के प्रति ललक और बुराई के प्रति भय.


14#. त्रुटी में सत्य की आत्मा होती है, बुराई में अच्छाई की आत्मा होती हैं.


15#. फूलों की सुगध केवल हवा की दिशा मे फैलती है. लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा मे फैलती है


सब भलाई करो जो तुम कर सकते हो,
उन समस्त साधनों द्वारा जो तुम अपना सकते हो
उन समस्त तरीको से जिनके द्वारा तुम कर सकते हो.
उन समस्त स्थानों पर जहाँ तुम पहुच सकते हो.
उन समस्त अवसरों पर जो तुमकों प्राप्त हो सकते हैं.
उन समस्त अवसरों के प्रति जो तुम्हारे लिए संभव हो सकते हैं.
तब तक जब तक तुम कर सकते हो.

अच्छाई पर सुविचार

अच्छाई को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं होती है बल्कि अच्छाई सच्चाई के मेल से स्वयं परिचय दे देती है। अच्छाई स्वयं परिचय स्वरूप लक्षित होती है।


अच्छाई एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को  सामान्य से विशिष्ट बना देती है। अच्छाई स्वरूप मनुष्य अपनी विशेषता को जग में सुकर्मों द्वारा प्रसारित करता है।


अच्छाई समाज को नई दिशा देती है और समाज में सकारात्मक माहौल का रूप प्रदान करती है। समाज का एक अच्छा प्रारूप अच्छाई से ही संभव होता है।


अच्छाई से मनुष्य महानता की श्रेणी में शामिल हो जाता है। अच्छाई से ही संसार में कितनी महान आत्माओं ने अपनी जगह स्थापित की जो आज भी मार्गदर्शन स्वरूप दर्शित हैं।


अच्छाई कभी सीमित नहीं होती है अच्छाई असीमित रूप से विस्तार पाए तो जन कल्याण होता है। 


अच्छाई समाज कल्याण में प्रमुख भूमिका निभाती है। अच्छाई से जीवन को खुशी की अनुभूति होती है।


अच्छाई मनुष्य को दूसरे के हृदय में जगह देती है।


अच्छाई मानवता का सर्वोच्च गुण है।


अच्छाई से मनुष्य ईश्वर का आशीर्वाद व कृपा प्राप्ति का भागीदार बन जाता है।


अच्छाई जीवन राहों को सुकून व सुखानुभूति प्रदान करती है।


अच्छाई बच्चों में बचपन से ही संस्कार रूप में प्रेरित की जाए तो बड़े होने पर अच्छाई का असर होता है।


अच्छाई करने वाला मनुष्य बुराई को नहीं अपनाता है। अगर मनुष्य बुराई को अच्छाई में परिवर्तित कर ले तो जीवन का उद्धार होता है।


अच्छाई मनुष्य को महापुरुष की पद्ववी प्रदान करती है।


कितने महापुरुषों ने अपनी अच्छाई से इतिहास के स्वर्ण पन्नों पर अपनी विशिष्ट जगह बनाई है।


मनुष्य में अच्छाई जीवन को सत्कर्मों से भर देती है।


अच्छाई को अपनाकर मनुष्य अपने जीवन में आदर्श स्वरूप हो जाता है।


मनुष्य की अच्छाई उसके कर्मों में परिलक्षित होती है जो मनुष्य को सुमार्ग पर ले जाती है।


अच्छाई कभी दिखावे के लिए नहीं की जाती है और जो दिखावी अच्छाई करे वो अच्छाई का वास्तविक स्वरूप प्रस्तुत नहीं करती है।


मनुष्य की अच्छाई इतनी दृढ़ होनी चाहिए कि बुराई का असर ना पड़े चाहे बुराई का सामना ही क्यों ना करना पड़े।


अच्छाई को जीवन में आदत बनाई जाए तो जीवन सफल हो जाता है।


अच्छाई को मनुष्य अपने जीवन में अपनाकर अपने व्यक्तित्व को मज़बूत बना सकता है।


लोग कुछ भी कहें चाहे अच्छा या बुरा हमें अपनी अच्छाई को खुद से दूर नहीं करना चाहिए।


कोई मनुष्य तुम्हारे साथ बुरा करे या अच्छा, इस डर से मनुष्य को अपनी अच्छाई भरे दायित्व से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।


मनुष्य की सोच और विचारों में अच्छाई होनी चाहिए तभी मनुष्य उसे व्यवहार में ला पायेगें क्योंकि अच्छाई सिर्फ बोलने से नहीं बल्कि अपने व्यवहार में अपनाई जाए तो ही सही रूप प्रस्तुत करती है।


मनुष्य को एक दूसरे में अच्छाई देखनी चाहिए क्योंकि ज़माना तो मनुष्य की छोटी से छोटी बुराई को बड़ा बना देती है और कमी ही निकलती है।


मनुष्य अच्छाई से अपना व्यक्तित्व ऐसा बनाये कि अच्छाई को साबित करने की ज़रूरत ही ना पड़े।


मनुष्य की अच्छाई दूसरों की सहायता में निहित होती है।


मनुष्य में अच्छाई देखें और सच्चाई का पालन करें तो बुराई दूर हो जाती है।


मनुष्य की अच्छाई एक मनुष्य की यादों को दूसरे मनुष्य के मन और मस्तिष्क में स्थान देती है।


अच्छाई को मनुष्य अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन को मूल्यवान बना देता है।


मनुष्य को कुछ प्राप्त करने के लिए, अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अच्छाई की राह पर चलकर ही दिशा मिलती है।


मनुष्य अगर अपने जीवन में अच्छाई को पूर्ण रूप से अपनाता है तो बुराई को दूर करने की क्षमता प्राप्त कर पाता है।


मनुष्य की अच्छाई उसकी रक्षा कवच समान होती है जो उसे बुराई से बचाती है।


अच्छाई मनुष्य के अंतर्मन को सकारात्मक भावना से भर देती है।


अच्छाई मनुष्य को हर मुसीबत में रास्ता दिखा देती है।


अच्छाई का भाषण दूसरों को देने से बेहतर है दूसरों के सामने अच्छे बनने का व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत करना।


अन्य को नीचा दिखाने से बेहतर है अपनी अच्छाई से स्वयं ऊपर उठना एवं दूसरों को भी ऊँचाई पर पहुँचाने में सहयोग देना।


मनुष्य की अच्छाई उसके जीवन की औषधि समान है जिसके पास हर रोग का इलाज होता है।


मनुष्य अज्ञान में अच्छाई नहीं देख पाता है और अच्छाई से ही ज्ञान का आलोक पा सकता है।


मन मस्तिष्क से ही मनुष्य अच्छाई को अपनाए तो सार्थक होता है और बुराई का त्याग करे।


मनुष्य की अच्छाई समाज में क्रीति स्थापित करती है। मनुष्य की अच्छाई समाज में सीमित नहीं रहती है बल्कि मनुष्य की अच्छाई भरा यश फैलता ज़रूर है।


मनुष्य किसी को मार्गदर्शन अपने वाचन से ज्यादा अपने व्यवहार से उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करे तो अच्छा होता है।


अच्छाई छिपाने के लिए नहीं होती है बल्कि अच्छा करो दिल से करो, सब के प्रति अच्छा सोचो और करने की कोशिश करो स्वयं को अच्छा बनाओ यही अच्छाई के आदर्श वचन होते हैं।


मनुष्य अपने सामर्थ्य अनुसार अपनी अच्छाई को एक दूसरे मनुष्य के साथ साँझा करना चाहिए जो बुराई का साँझा करने से बेहतर है।


किसी की मदद करना, जरूरतमंद की सहायता करना, सत्य स्वरूप अपने‌ आदर्शों का पालन करना, झूठ का सहारा ना लेना, बुराई को सहयोग ना देना, सब के साथ प्रेम भावना रखना आदि अच्छाई का स्वरूप  होते हैं।


अच्छाई करो तो बिना स्वार्थ के करो, बिना मतलब  के अच्छा बनना ही मनुष्य के अस्तित्व को परवान चढ़ाता है। मतलबी और दिखावी अच्छाई बस दिखावा बन के रह जाती है।


मनुष्य को अपनी अच्छाई पर इतना विश्वास होना चाहिए कि अच्छाई को साबित करने की नौबत ही ना आए।


मनुष्य अगर दूसरों में सिर्फ गलतियाँ व कमियाँ ही ढूँढे़गा तो अच्छाई नज़र नहीं आएगी।


ज़रूरी नहीं जो मनुष्य अच्छा बनते हैं उनके आंतरिक मन में अच्छाई से भरी सोच हो और जो बुरे दिखते हैं या कहे जाते हैं वो वास्तव में बुरे ही हो क्योंकि अच्छा बनना और अच्छा होने में फर्क होता है व बुरा दिखने में और होने में फर्क होता है।


सच्चाई में अच्छाई नज़र आती है और झूठ में अक्सर बुराई के ही दर्शन होते हैं।


अच्छे लोगों को अक्सर दूसरों में सकारात्मक रूप से अच्छाई ही नज़र आती है बुरे लोगों को अधिकतर दूसरों में बुराईयाँ नज़र आती है।


अच्छाई इतनी हो की अपना मान न खो पाए क्योंकि लोग अच्छाई का भी फायेदा उठाते हैं।


किसी की अच्छाई व सच्चाई पर भरोसा करो ना कि दिखावी अच्छाई को भरोसेमंद बनाओ।


जो पुरुष नारी का सम्मान नहीं करते वे अपनी अच्छाई के इस गुण से अधिकतर दूर नज़र आते हैं।


अपने माता-पिता के लिए कभी बुरा नहीं बनना चाहिए और अच्छाई से उनका पूरा जीवन प्रेम भावना से भर देना चाहिए।


मनुष्य को उसकी अच्छाई से पहचानना चाहिए न कि गलतियों से और आलोचना कर किसी को ठेस पहुँचाने से अच्छा है अपनी अच्छाई से दूसरों को खुशी दे दो।


एक बुरा मनुष्य अपनी बुराई को अपने व्यवहार में लाता है और अच्छा इंसान अच्छाई को अपनी सोच, विचार में प्रवाहित कर जीवन में सीख स्वरूप अपनाता है।


प्रत्येक मनुष्य में अच्छाई और बुराई होती है और यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह अपनी सोच, अपने विचारों, व्यवहार, अपनी आदतों में अच्छाई को अपनाकर जीवन सँवारना चाहता है या बुराई के ज़रिए अपना जीवन नरक बनाना चाहता है क्योंकि बुराई अपनाने से किसी का भला नहीं होता है।

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