गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना राजस्थान राज्य सरकार अनाथ और वंचित बच्चों के लिए समय समय पर सरकारी योजनाएं आरम्भ की जाती हैं.
इसी दिशा में वित्तीय बजट में प्रस्तावित गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर स्कीम प्रमुख हैं. मारवाड़ के राजवंश को बचाने के लिए अपने दूध पीते बेटे को औरंगजेब की तलवार के नीचे सुलाने वाली महान बलिदानी माँ गोराधाय के नाम से इस योजना को संचालित किया गया हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब इस योजना की स्वीकृति दे दी हैं. राज्य के सभी 33 जिलों में योजना संचालित की जाएगी.
गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना राजस्थान
Gora Dhay Group Foster Care Scheme Rajasthan Short Info
योजना का नाम | गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर |
संचालक | राज्य सरकार, राजस्थान |
लाभार्थी | अनाथ व वंचित बच्चें |
उद्देश्य | अनाथ बच्चों की देखभाल व पालन पोषण |
योजना वर्ष | 2021-22 |
क्षेत्र | राजस्थान के 33 जिले |
क्या हैं गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर स्कीम हिंदी में
अनाथ, उपेक्षित बच्चों की देखरेख एवं पुनर्वास के लिए गहलोत सरकार ने गोराधाय ग्रुप फोस्टर केयर स्कीम आरंभ की हैं.
इस योजना में राज्य के अनाथ एवं उपेक्षित बच्चों की देखरेख और पुनर्वास के लिए जिला स्तर पर सामूहिक देखरेख की व्यवस्था की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने शानदार पहल करते हुए राज्य के 33 जिला मुख्यालयों पर एनजीओ व सिविल सोसायटी के सहयोग से गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना के संचालन को हरी झंडी दे दी हैं.
राज्य सरकार द्वारा गोरा धाय केयर योजना को राज्य बजट 2021-22 में रखा था, अब सरकार ने आवश्यक दिशा निर्देशों को जारी कर अनुमोदन कर दिया हैं.
गोरा धाय स्कीम में 0 से 18 वर्ष के वे समस्त बालक बालिकाएं पात्र होगी जिन्हें विशेष देख भाल की जरूरत हैं.
उन्हें योजना में सम्मिलित किया जाएगा. पूर्व में संचालित समेकित बाल संरक्षण सेवाएं (आईसीपीएस) योजना के तहत बनी जिला बाल संरक्षण इकाई अपने एरिया में एनजीओ को योजना की सेवा प्रदाता के रूप में चयनित कर इस की अनुशंसा जिला बाल कल्याण समिति को भेजी. समिति उस स्वयंसेवी संस्था को अनाथ बच्चों की देखरेख की मान्यता देगी.
योजना के शुरूआती तीन वर्षों के लिए जिला बाल कल्याण समिति द्वारा अपने क्षेत्र के किसी एनजीओ को सेवा प्रदाता के रूप में चिन्हित कर समिति को मान्यता देने के लिए प्रस्ताव रखेगी.
तीन वर्ष पश्चात सेवा प्रदाता एनजीओ की कार्यशैली और अनुकूलता के आधार पर समीक्षा कर आगामी 3 और वर्षों के लिए उन्हें सेवा प्रदाता के रूप में रखा जा सकेगा.
इस सम्बन्ध में जिला स्तरीय बाल कल्याण समिति का निर्णय ही अंतिम माना जाएगा. गोरा धाय ग्रुप फोस्टर स्कीम के तहत लाभार्थी बच्चों को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) आदर्श अधिनियम-2016 के तहत आवासीय व पोषण सुविधाएं दी जाएगी.
गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना का लाभ व खर्च
इस स्कीम के तहत एक ग्रुप फोस्टर केयर में अधिक से अधिक 8 बालक बालिकाओं को रखा जा सकता हैं. सेवा प्रदाता को बच्चों के पालन पोषण हेतु बाल संरक्षण यूनिट की ओर से आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी.
अनाथ और वंचित बच्चों के लिए पोषण, वस्त्र, शिक्षा और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बालक बालिका के लिए चार हजार रूपये और देखभाल करने वाले वार्डन को 20 हजार रूपये प्रतिमाह पारिश्रमिक के रूप में मानदेय होगा. इसके अतिरिक्त अन्य व्यय हेतु संचालक संस्थान को प्रतिमाह दस हजार रूपये की राशि अलग से दी जाएगी.
गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना का उद्देश्य संरक्षण एवं पुनर्वास की जरूरत वाले बच्चों के सुनहरें भविष्य के लिए उनकी अच्छी देखभाल और शिक्षण प्रशिक्षण की व्यवस्था राज्य सरकार के सहयोग से करना हैं.
योजना के संचालन की संस्था के रूप में राज्य स्तर पर राज्य बाल संरक्षण समिति तथा जिला स्तर पर जिला बाल संरक्षण इकाई योजना के क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण, पोषक माता-पिता और बच्चों व एनजीओ के मध्य कड़ी के रूप में काम करेगी.
इस योजना पर आईसीपीएस योजना में राज्य की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा राज्य सरकार सालाना 1.17 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
कौन थी गोरा धाय टाक
राजस्थान के 33 जिलों में संचालित गोरा धाय फोस्टर ग्रुप केयर योजना 2021 उस वीरांगना के नाम पर हैं जिन्होंने बीस वर्षों तक मारवाड़ के राजवंश को बचाने खातिर अपने बेटे की बलि देकर राजकुमार का लालन पोषण किया.
राज्य के इतिहास में दो धाय माँ जगत प्रसिद्ध है पहली पन्ना धाय और दूसरी गोरा धाय टाक. गोरा का असली नाम बघेली रानी था जो मनोहर गहलोत की पत्नी थी.
महाराजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद 1679 में महाराजा अजितसिंह का जन्म हुआ. औरंगजेब ने उन्हें मारने के बहाने से दिल्ली बुला लिया. परन्तु दुर्गादास राठौड़ और गोरा धाय व अन्य सरदारों ने सुझबुझ से काम लेते हुए उन्हें सुरक्षित निकाल लिया. एक सफाई कर्मी का वेश धारण कर गोरा धाय राजकुमार के पास जाती है
और अपने छोटे बेटे को अजित सिंह की जगह सुलाकर उन्हें वहां से ले आती हैं. बीस वर्षों तक अपने बेटे की तरह अजित सिंह की परवरिश की और जोधपुर के वंश को बचाया,
वर्ष 1704 में बलिदानी गोरा धाय की मृत्यु हो गई. अजित सिंह ने उनकी स्मृति में उम्मीद स्टेडियम के सामने छः खम्भों की छतरी बनाई.
अनाथ बच्चों के लिए अन्य सरकारी योजना
केंद्र और राज्य सरकार गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना राजस्थान की तरह अन्य तरह की सरकारी स्कीम संचालित कर रही हैं जिनका लाभ अनाथ और वंचित बच्चों को मिलना चाहिए. यहाँ कुछ बड़ी योजनाओं के बारे में बता रहे हैं जिनका लाभ इस श्रेणी के बच्चों को मिल सकता हैं.
पालनहार योजना
राजस्थान सरकार द्वारा संचालित इस योजना में अनाथ बच्चों के लिए कही से अलग केयर हाउस बनाने की बजाय उन्हें समाज में ही अपने रिश्तेदारों अथवा परिचित व्यक्ति को पालनहार बनाकर उनके साथ रखा जाता हैं.
सरकार योजना के लाभार्थी बालक बालिका को शिक्षा, भोजन, वस्त्र और अन्य जरूरत की चीजे मुहैया कराती हैं.
वर्ष 2005 में पालनहार योजना की शुरुआत केवल अनुसूचित जाति के अनाथ बच्चों को लेकर हुई थी जिसमें बदलाव करते हुए सभी अनाथ बच्चो को अब शामिल किया गया हैं.
योजना के तहत पालनहार परिवार की सालाना आय एक लाख बीस हजार रु कम होने की स्थिति में प्रत्येक अनाथ बच्चे के लिए 5 वर्ष का होने तक 500 रु प्रतिमाह और 18 वर्ष का होने तक 1000 रु प्रतिमाह और इसके अतिरिक्त अन्य जरूरतों के लिए 2 हजार रूपये वार्षिक अनुदान राशि दी जाती हैं.
योजना के लाभार्थी बच्चों को 2 साल की आयु में आंगनबाड़ी और 6 वर्ष का होने पर स्कूल भेजने की जिम्मेवारी पालनहार अभिभावक की होगी.
स्पांसर शिप एंड फास्टर केयर योजना
राजस्थान में संचालित गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर स्कीम की तरह ही केंद्र सरकार लावारिस और अनाथ बच्चों के लिए फास्टर केयर स्कीम चला रही हैं.
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से चलाई जा रही इस स्कीम में अनाथ बच्चों की पहचान कर बच्चों के परिजन को 2 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती हैं.
बाल श्रमिक विद्या योजना
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित बाल श्रमिक विद्या योजना 8 से 18 वर्ष के अनाथ बेसहारा और गरीब बच्चों की सहायता शुरू की गई.
योजना के लाभार्थी के परिवार को आयुष्मान भारत, PM आवास योजना और CM आवास योजना से जोड़ा जाएगा जिससे शासन द्वारा संचालित सभी योजनाओं का लाभ गरीब परिवार को मिल सके.
योजना में बालकों को प्रतिमाह एक हजार रु और बालिकाओं को 1200 रु की आर्थिक सहायता राशी दी जाती हैं. इसके आलावा 8 वीं, 9 वीं और 10 वीं की पढाई कर रहे इस श्रेणी के बच्चों को 6 हजार रूपये की सालाना आर्थिक मदद भी दी जाएगी.
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उम्मीद करता हूँ आपकों गोरा धाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना राजस्थान का यह आर्टिकल पसंद आया होगा. योजना के बारे में आपकों सटीक जानकारी देने की कोशिश की हैं,
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