गोवर्धन पूजा की कथा कहानी स्टोरी Govardhan Puja Story In Hindi: दिवाली 2021 का अगला दिन गोवर्धन पूजा अन्नकूट का दिन होता हैं. गोवर्धन पूजा की कथा बता रहे हैं.
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट उत्सव (गोवर्धन परिक्रमण) के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन बलिपूजा, मार्गपाली आदि होते हैं. गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट पर्व क्यों मनाते हैं व इसका महत्व इतिहास के बारे में यहाँ विस्तार से जानते हैं.
गोवर्धन पूजा की कथा कहानी Govardhan Puja Story In Hindi
Know The Story Story Behiand Govardhan Pooja In Hindi : इस दिन गोबर का अन्नकूट बनाकर या उसके समीप विराजमान श्री कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल बालों की पूजा की जाती हैं. यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार हैं. इस दिन मन्दिरों में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान का भोग लगाया जाता हैं.
Govardhan Puja & Krishna Govardhan Parvat Story In Hindi
गोवर्धन पूजा 2024: एक दिन भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि पूरे ब्रज में तरह तरह के मिष्ठान तथा पकवान बनाए जा रहे हैं. पूछने पर ज्ञात हुआ कि वृषासुर, संहारकर, मेघदेवता देवराज इंद्र की पूजा करने के लिए तैयार हो रहा हैं.
इंद्र की प्रसन्नता से वर्षा होगी, गायों को चारा मिलेगा, तथा जीविकापार्जन की समस्या हल होगी. यह सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की निंदा करते हुए कहा कि उस देवता की पूजा करनी चाहिए जो प्रत्यक्ष आकर पूजन सामग्री स्वीकार करे, गोपों ने यह वचन सुनकर कहा कि कोटि कोटि देवताओं के राजा इंद्र की इस तरह निंदा नही करनी चाहिए.
कृष्ण ने कहा- इंद्र में क्या शक्ति हैं जो पानी बरसा कर हमारी सहायता करेगा, उससे तो शक्तिशाली तथा सुंदर वह गोवर्धन पर्वत हैं, जो वर्षा का मूल कारण हैं. इसकी हमें पूजा करनी चाहिए.
गोवर्धन पूजा का महत्व और पौराणिक कथा
भगवान श्रीकृष्ण के वाग्जाल में फंसकर सभी ब्रजवासी घर जाकर गोवर्धन पूजा के लिए चारो ओर धूम मचा दी. तत्पश्चात नन्द जी ने ग्वाल गोपिकाओं सहित एक सभा में कृष्ण से पूछा- इन्द्र्जन से तो दुर्भिक्ष उत्पीड़न समाप्त होगा, चौमासे के सुंदर दिन आयेगे मगर गोवर्धन पूजा से क्या लाभ होगा.
उत्तर में श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन की भुरी भूरि प्रशंसा की तथा गोप गोपियों की आजीविका का एक मात्र सहारा सिद्ध किया. भगवान की बात सुनकर समस्त ब्रजमंडल बहुत प्रभावित हुआ तथा स्वग्रह जाकर सुमधुर पकवानों सहित पर्वत तराई में कृष्ण द्वारा बनाई विधि से गोवर्धन की पूजा की.
भगवान की कृपा से ब्रजनिताओं द्वारा अर्पित समस्त पूजन सामग्री को गिरिराज ने स्वीकार करते हुए खूब आशीर्वाद दिया, सभी जन अपना पूजन सफल समझ कर प्रसन्न हो रहे थे. तभी नारद जी इंद्र महोत्सव देखने के लिए ब्रज आ गये. पूछने पर ब्रज नागरिकों ने बताया कि श्रीकृष्ण की आज्ञा से इस वर्ष इंद्र महोत्सव समाप्त कर दिया गया हैं.
क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का पर्व
उसके स्थान पर गोवर्धन पूजा की जा रही हैं. यह सुनते ही नारद उलटे पाँव इंद्र लोक गये तथा खिन्न मुद्रा में बोले- हे राजन तुम महलों में सुख की नीद की खुमारी ले रहे हो, उधर ब्रजमंडल में तुम्हारी पूजा समाप्त करके गोवर्धन की पूजा हो रही हैं.
इसमें इंद्र ने अपनी मानहानि समझकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर प्रलयकालिक वर्षा से पूरा गाँव तहस नहस कर दे. पर्वताकार प्रलयकारी बादल ब्रज की ओर उमड़े, भयानक वर्षा देखकर ब्रजमंडल घबरा गया. सभी ब्रजवासी श्री कृष्ण की शरण में जाकर बोले- भगवान, इंद्र हमारी नगरी को डुबोना चाहता हैं, अब क्या किया जाय?
श्री कृष्ण ने सांत्वना देते हुए कहा कि तुम लोग अपनी गौओं सहित गोवर्धन की शरण में चलों वही तुम्हारी रक्षा करेगा. इस तरह समस्त ग्वाल बाल गोवर्धन की तराई में पहुच गये. श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया और सात दिन तक गोप गोपिकाओं उसी छाया में सुखपूर्वक रहे.
गोवर्धन पूजा 2024 कहानी मनाने का कारण और इतिहास
भगवान की कृपा से उनकों एक भी छींटा नही लग पाया. इससे इंद्र को महान आश्चर्य हुआ. तब भगवान की महिमा को समझकर तथा अपना गर्व नष्ट जानकर इंद्र स्वयं ब्रज आए और भगवान कृष्ण के चरणों में गिरकर अपना मुर्खता पर महान पश्चाताप किया.
सांतवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर इसी भांति प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी. तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा.
गोवर्धन पूजा अन्नकूट पूजा विधि शुभ मुहूर्त और महत्व Govardhan Pooja 2021 In Hindi
गोवर्धन पूजा हिंदुओ का अहम पर्व है, जिन्हें दीपावली के दुसरे दिन (कार्तिक प्रतिपदा) के दिन मनाया जाता है. द्वापर युग से चली आ रही गोवर्धन पूजा का सम्बन्ध भगवान श्रीकृष्ण से माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रज के लोग वर्षा के आगमन पर उत्सव मना रहे थे,
तथा इंद्र देव की पूजा कर रहे थे कृष्ण ने आकर जब उन्हें इसे मनाने का कारण पूछा तो उन्होंने इंद्र देव की मेहरबानी की फलस्वरूप वर्षा के आगमन का कारण बताया, कृष्ण ने गोपियों को समझाते हुए कहा कि ये वर्षा गौवर्धन पर्वत की वजह से हो रही है. जिसके बाद इन्द्रदेव के साथ शक्ति परिक्षण की कथा आती है.
इस साल 5 नवम्बर 2021 को गौवर्धन पूजा (अन्नकूट पूजा) की जानी है. विष्णु के अवतार कहे जाने वाले कृष्ण जी द्वारा इस दिन इंद्र को पराजित किया था. गोवर्धन पूजा 2021 पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त और इसे मनाने के महत्व की जानकारी इस लेख में दी जा रही है.
गोवर्धन पूजा महत्व
जब से श्रीकृष्ण इस लोक में अवतरित हुए है, तब से गोवर्धन पूजा यानि अन्नकूट पूजा का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन को महाराष्ट्र में बालि प्रतिपदा या पड़वा के रूप में मनाया जाता है.
यहाँ आमजन में प्रचलित एक मान्यता के अनुसार विष्णु की राजा बलि पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गुजराती नव वर्ष की शुरुआत होती है. इस दिन व्यापारी लोग अपने नये हिसाब खाते बही का श्रीगणेश करते है.
उत्तर भारत तथा देश के अधिकतर हिस्से में गोवर्धन पूजा को मनाने के पीछे का मुख्य कारण भगवान् श्री कृष्ण से जुड़ा मानते है. यहाँ के लोग वर्षा होने पर इंद्रदेव की पूजा अर्चना किया करते थे.
कृष्ण जी ने लोगों को समझाया कि यहाँ की वर्षा के लिए गोवर्धन पर्वत जिम्मेदार है. इसी बात को लेकर कृष्ण और इंद्र के बिच युद्ध होता है. जिसमे इंद्र ब्रज पर अतिवृष्टि करने लगते है श्याम ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गौवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लेते है, जिस कारण इंद्र का प्रभाव खत्म हो जाता है.
आखिर में कृष्ण की हठ के आगे देवराज इंद्र को हार माननी पड़ी, तथा उन्होंने गौवर्धन पर्वत को नीचे रखने की विनती की. कहा जाता है, श्री कृष्ण ने जिस दिन गौवर्धन पर्वत को जमीन पर रखा उस दिन से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई तथा इस दिन को लोग गोवर्धन पूजा अन्नकूट पूजा के रूप में मनाने लगे.