हजरत अली का इतिहास जीवनी Hazrat Ali History In Hindi : 17 मार्च 600 से तक़रीबन 1400 वर्ष पहले मुस्लिम तीर्थ स्थल काबा में जन्मे अली इब्ने अबी तालिब जिन्हें में हज़रत अली भी कहते हैं|
ये पैगम्बर मोहमद साहब की बेटी के पति भी थे| अली को पहले इस्लामिक साइंटिस्ट होने का श्रेय प्राप्त हैं| इस लेख में हजरत अली की जीवनी इतिहास उनके कोट्स शायरियों का सगढ अपने पाठकों के लिए लेकर आए हैं|
आप इस्लामिक इतिहास के अनोखे चरित्र हैं| इन्होने पहले खलीफा पहले इस्लामिक इमाम (First Islamic Imam) और वैज्ञानिक होने का श्रेय हासिल हैं| अली के जीवन परिचय (जीवनी) पर एक नजर|
हजरत अली का इतिहास जीवनी Hazrat Ali History In Hindi
काबे की दीवार खुलने के लिए मक्के के सभी निवासियों को भोजन परोसा जाने लगा| ताकि वो अल्लाह को खुश कर काबे का दरवाजा खोला जाए|
तभी वहा के लोगों के लिए लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी|हज़रत अली का जन्म काबा में हुआ था| अबू तालिब और उनकी गर्भवती पत्नी दोनों की इच्छा थी, कि वे अपनी सन्तान को काबा में जन्म दे|
फ़ातिमा जो हजरत अली की माँ थी काबे में दाखिल थी, जब लोगों ने उन्हें देखा तो वह एक बच्चे के साथ बाहर निकल रही थी सभी औरते ने फ़ातिमा को चारों ओर से घेर लिया| उनके जेहन में एक ही सवाल था| जरा फातिमा से पूछे उसने बेटे का नाम क्या रखा हैं|
हजरत अली की जीवनी Hazrat Ali In Hindi
मगर तभी काबे के स्थल पर एक आकाशवाणी हुई और कहा गया बेटे का नाम अली ही रखा जाए| माता पिता ने बड़ी सिद्दत से अली को पाल-पोशकर बड़ा किया था|
यहाँ तक खुद खाना चबाकर अली के मुह में डालते थे| वह समय था जब इस्लाम का इतना प्रचार नही हुआ था| लोग इस्लाम से अपरिचित थे|
तभी अब्बू अली को हेरा नामक पहाड़ी की गुफा में ले जाया करते थे| वो कहा करते थे इस गुफा को सिर्फ दो लोग ही जानते हैं मै और हमारे पैगम्बर मुहमद|
अजीब सी रौशनी और खुशबु से भरी उस जगह में अल्लाह का फरमान हुआ अपने परिवार और रिश्तेदारों को इस्लाम का न्योता दो|
पैग़म्बर ने सभी रिश्तेदारों को अपने घर पर खाना खाने बुलाया| कई लोग आए खाना कम था मगर उपर वाले की मर्जी सभी ने भर पेट खाया |
अपनी दावल पूरी होने के बाद पैग़म्बर सभी से बोले में अल्लाह के हुक्म से सभी को इस्लाम की दावत में बुलाया हैं|
उन्होंने अपनी बात का अनुसरण करने वाले को खड़ा होने को कहा- जो मेरा उतराधिकारी बनेगा| तीन बार अपनी बात दोहराने के बावजूद एक ही व्यक्ति खड़ा हुआ वो थे| हजरत अली|
हजरत अली मोहम्मद साहब के पहले अनुयायी और उतराधिकारी बने| अपनी सारी शक्ति और उर्जा मोहम्मद के साथ लगा दी| वे ही मोहम्मद साहब के पहले उतराधिकारी और इमाम बने|
हुनैन की जंग
हुनैन की जंग का इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान हैं, इस्लाम के शुरूआती समय में इस युद्द विजय ने इनकी पकड और मजबूत कर दी| ताइफ़ एक स्थान का नाम जो सऊदी अरब का हरा भरा क्षेत्र हैं,
इस क्षेत्र में गुलाब और अंगूर की खेती बहुतायत की जाती हैं, इस क्षेत्र में अधिकतर आबादी सुन्नी मुस्लिम थी| इसके अतिरिक्त अन्य देशो के लोग भी यहाँ प्रवासी बनकर अपना जीवन गुजारा करते थे|
ताइफ़ शहर और मुस्लिमो के बिच हुनैन की जबरदस्त लड़ाई चली| आखिर मुस्लिमो की फतह हुई| वहा के लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया|
अल्लात का मंदिर तोड़ दिया गया| हुनैन की जंग में दुश्मन सेना ने मुसलमानों को घेर लिया| सभी लोग अपनी जान की खातिर वहा से भाग निकले| दो लोग उस रणभूमि में डटे रहे हजरत अली और पैग़म्बर मोहम्मद|
हजरत ने मोर्चा सम्भाला और विद्रोही सेना के सेनापति मरहब को मार डाला| शहर के किले का दरवाजा जिन्हें 25 लोग मिलकर खोलते थे| उखाड़कर अपना रक्षा कवच बनाया और दुश्मनों पर टूट पड़े|
हजरत अली हदीस कोट्स
- भरोसा और सब्र रखने भर से फतह हासिल हो सकती हैं|
- स्पष्ट मना कर देना हजारो झूट बोलने और प्रोमिश करने से हजार गुना अच्छा हैं|
- अगुली करना वो लोग अपनाते हैं जो स्वय को अच्छा और बेहतर बनाने में नाकाफी होते हैं|
- हर व्यक्ति के तीन ही दुश्मन और दोस्त होते हैं तुम्हारा दोस्त दोस्त का दोस्त और उसका दोस्त दुश्मन भी इसी कर्म में बने होते होते हैं|
- जब दुनिया आपकों हराकर गिरा दे तो वह प्रेयर की सबसे अच्छी स्थति हैं|
- हर व्यक्ति को सच्चाई अच्छे की तरफ ले जाति हैं और जन्नत का दरवाजा खोलती हैं|
- विनम्रता सबसे बड़ी मौन प्राथना हैं|
- भीख मागने से बदतर कोई कर्म इस दुनिया में नही हैं|
- अपने खुदा पर यकीन रखो डरो और बचो केवल बुरे कर्मो से|