राजा बिन्दुसार का इतिहास जीवनी | History Of King Bindusara in Hindi

राजा बिन्दुसार का इतिहास | History Of King Bindusara in Hindi: भारत के इतिहास प्रसिद्ध मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य की सन्तान के रूप में बिन्दुसार का जन्म हुआ था. इनके बेटे का नाम सम्राट अशोक था, जिन्हें आज कौन नही जानता हैं. 

जैन लेखक हेमचन्द्र परिशिष्ठ के अनुसार बिन्दुसार की माता का नाम दुर्धरा था इनकी पत्नी का नाम सेलयूसिड्स था. आज के आर्टिकल में इस मौर्य शासक के जीवन परिचय इतिहास व जीवनी को संक्षिप्त में जानते है.

बिन्दुसार का इतिहास | History Of King Bindusara in Hindi

चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बिन्दुसार (२९७-२७३)उसका उत्तराधिकारी बना. यूनानी लेखक बिन्दुसार को अमित्रघात कहते थे, जबकि वायु पुराण में उसे मद्रसार कहा गया है.

जैन ग्रंथों में इसे सिंहसेन कहा गया है. अमित्रघात का अर्थ होता है. शत्रुओं का नाश करने वाला

बिन्दुसार का परिचय (Introduction to Bindusara)

पूरा नामचक्रवर्ती सम्राट बिन्दुसार मौर्य
जन्म320 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र
मातादुर्धरा
पिताचंद्रगुप्त मौर्य
भाईकेशनाक
पत्नीचारूमित्रा,सुभद्रांगी
पुत्रसुषीम, अशोक,तिष्य
उत्तराधिकारीसम्राट अशोक मौर्य
पूर्ववर्ती सम्राटचंद्रगुप्त मौर्य
साम्राज्यमौर्य साम्राज्य
प्रधानमंत्रीआचार्य चाणक्य
शासन298 ईसा पूर्व-272 ईसा पूर्व
मृत्यु270 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र

बिन्दुसार का इतिहास (Bindusara History in Hindi)

बिन्दुसार ने सुदूरवर्ती दक्षिण भारतीय क्षेत्रों को जीतकर मगध साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया था. बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए, जिनका दमन करने के लिए पहली बार सुपेम को भेजा था.

बिन्दुसार के राजदरबार में यूनानी शासक एंटीयोक्स प्रथम ने डायमेक्स नामक व्यक्ति को राजदूत के रूप में नियुक्त किया.

मिस्र नरेश फिलाडेल्फस टॉलमी द्वितीय ने डायोनेसियस नामक व्यक्ति को राजदूत के रूप में नियुक्त किया. बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था. बिन्दुसार की मृत्यु २७३ ई पू के लगभग हुई थी.

कई ऐतिहासिक साक्ष्यों में बिन्दुसार की मृत्यु का वर्ष २७० ई पू बताया जाता है. जबकि इतिहासकार उपिन्दर सिंह का मानना है कि इसकी मृत्यु २७३ ई पू में एक अन्य मत के अनुसार बिन्दुसार की मृत्यु २७४ ई पू में हुई थी. जो भी सत्यता हो २७०-२७३ की अवधि में बिन्दुसार की मृत्यु हुई थी.

इसकी मृत्यु के चार वर्ष उपरान्त सम्राट अशोक बिन्दुसार के उत्तराधिकारी पुत्र के रूप में 269-268 ई पू में मगध की राजगद्दी पर बैठा था. भारत के इतिहास में बिन्दुसार को “पिता का पुत्र और पुत्र का पिता” की उपमा से जाना जाता है.

यह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक एवं प्रतापी राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र एवं महान शासक अशोका के पिता थे, जिन्होंने आगे जाकर भारत पर एक छत्र शासन किया था.

बिन्दुसार का राज्य विस्तार दक्षिण भारत तक विस्तृत था, कई समकालीन विदेशी राज्यों के साथ उनके राजनयिक सम्बन्ध थे , इनके दरबार में सीरिया के शासक का राजदूत जिसका नाम डाइमेक्स था, रहा करता था.

इसके अतिरिक्त उनके दरबार में मिस्र के सम्राट् टॉलेमी फ़िलाडेल्फ़स का दूत रहना उनके अन्य राज्यों के साथ मैत्री सम्बन्धों को दर्शाता है. इतिहासकारों की माने तो बिन्दुसार के चार पुत्र थे,

अशोक ने भी इसका उल्लेख अपने शिलालेख में किया है जिसमें उसने कहा कि मेरे कई भाई बहिन है. हालांकि सुसीम तथा विगतशोक के अलावा किसी अन्य का नाम नही मिलता है.

माता-पिता

महावंसा और पुराणों से ज्ञात विवरण के अनुसार बिंदुसार बड़े राजा थे, ये चन्द्रगुप्त मौर्य की सन्तान थे. इनकी माता का नाम दुर्धरा था. बिन्दुसार की माँ कोई ग्रीक नहीं थी इसकी वजह यह मानी जाती हैं कि चन्द्रगुप्त के ग्रीक रानी नहीं थी.

इनका जन्म 297 ईसा पूर्व के आस पास बताया जाता हैं. हालांकि प्राप्त एतिहासिक स्रोत उस कालावधि के नहीं हैं. करीब एक हजार वर्ष बाद लिखे विवरणों से ही बिन्दुसार के बारे में जानकारी मिलती हैं.

बाहरवीं सदी के एक इतिहासकार हेमचन्द्र ने अपनी किताब परिशिष्ट परवाना में बिन्दुसार का सर्वप्रथम उल्लेख किया हैं. सम्राट अशोक के जीवन पर लिखी एक किताब अशोकवदान के मुताबिक़ बिन्दुसार के तीन बेटे सुशीम, अशोक और विग्ताशोका हुए थे.

बिन्दुसार का साम्राज्य (Bindusara Empire)

किसी शासक के शासनकाल को सफल अथवा असफल मानने का एक दायरा उनका राज्य विस्तार माना जाता हैं. इतिहास में किसी राजा के अतीत के आकलन में यह देखा जाता हैं कि उनके विरासत में कितना राज्य मिला था तथा गद्दी छोड़ते समय उन्होंने कितना राज्य विस्तार किया.

अगर बात करें बिन्दुसार की तो इनके राज्य विस्तार या बड़े सैन्य अभियानों का कोई विवरण नहीं मिलता हैं, सम्भवतः उनहोंने अपने पिता से अर्जित राज्य का संचालन किया तथा उसी मगध के राज्य को अपने पुत्र अशोक को सौप दिया था.

बिन्दुसार का धर्मं (Bindusara Religion)

सामंतापसादिका और महावंसा इन दो बौद्ध ग्रंथों में बिन्दुसार को हिन्दू ब्राह्मण बताया गया हैं, साथ ही बिन्दुसार को ब्राहमाणा भट्टो कहा गया हैं जिसका अर्थ होता हैं ब्राह्मणों की विजय.

मौर्य वंश के अन्य शासकों जैसे कि राजा बिंदुसार के पिता और इनके बेटे अशोक महान के धर्म को देखे तो इसमें भ्रमित करने वाले तथ्य मिलेगे.

अपने जीवन के अंतिम समय में चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म में दीक्षा ले ली थी, जबकि सम्राट अशोक ने बौद्ध मत अपना लिया था.

मृत्यु

जितना मतभेद इनके जन्म और शासनकाल की अवधि को लेकर हैं ठीक उसी तरह बिन्दुसार की मृत्यु को लेकर भी इतिहासकार एकमत नहीं हैं.

विभिन्न ऐतिहासिक सन्दर्भों में इनकी मृत्यु 270 ई पू बताई गई हैं. वही अलेन डेनीलोउ नामक 274 ई पू तथा उपिन्दर सिंह 273 ई पू बताते हैं.

एक अन्य इतिहासकार शैलेन्द्र नाथ सेन का मत हैं कि बिन्दुसार का देहावसान 273 – 273 ई पू इस अवधि में हुआ था.

इनकी मौत के करीब चार वर्षों तक सम्राट अशोक उत्तराधिकार के संघर्ष को 269-268 ई पू में समाप्त कर अगला मौर्य सम्राट बनता हैं.

इतिहास में बिन्दुसार को “पिता का पुत्र और पुत्र का पिता” की उपमा से जाना जाता हैं, इसकी वजह यह है कि भले ही बिंदुसार इतने इतिहास प्रसिद्ध राजा न हुए हो, मगर उनके पिता और उनके बेटे अशोक का नाम भारतीय इतिहास के सुनहरें अक्षरों में छापा गया हैं.

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