दिवाली से जुड़े रोचक तथ्य और जानकारी Interesting Facts About Diwali In Hindi: दिवाली जिन्हें दीपावली भी कहा जाता है, यह प्रकाश पर्व हिंदुओ के साथ साथ बौद्ध जैन सिख समेत सभी धर्मो के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है.
इस शुभ अवसर पर दीपावली के बारे में रोचक तथ्य एवं फैक्ट्स आपके लिए लेकर आए है जिन्हें आपकों अवश्य पढ़ना चाहिए.
दिवाली के बारे में रोचक तथ्य Interesting Facts About Diwali In Hindi
- हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, तब तक किसान खरीफ की फसल की कटाई भी कर लेते है.
- यह पर्व पांच दिनों तक चलता है.
- इसकी शुरुआत दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस से हो जाती है जो दो दिन बाद तक चलता है.
- यह शरद ऋतू का आगमन का पर्व है.
- मुख्य शब्द दीपावली दीप और अवली से मिलकर बना है, जिसका अर्थ दीपों की श्रखला होता है. मूलतः यह संस्कृत भाषा का शब्द है.
- दिवाली के अगले दिन गौवर्धन पूजा और इसकी भाई दूज का पर्व होता है.
- कुछ लोग इसे यम निचेकता तथा अधिकतर लोग इसकी कथा भगवान् राम से जुड़ी मानते है.
- कार्तिक अमावस्या के दिन ही भगवान् रामचन्द्र 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे तभी लोगों ने उनके स्वागत में दीपक जलाए जहाँ से इस पर्व की शुरुआत हुई.
- यह उत्सव कब से मनाया जा रहा है, इस सम्बन्ध में कोई लिखित प्रमाण नही है.
- पश्चिम बंगाल में इस दिन दुर्गा पूजा का आयोजन होता है, जबकि शेष भारत में इस दिन लक्ष्मी पूजन होता है.
- हिन्दू मान्यताओं के अलावा बौद्ध सिख और जैन धर्म की कई कथाएँ इस पर्व से जुड़ी हुई है.
- भारत के बाहर भी कई देशों में इसे मनाया जाता है, करीब 100 करोड़ लोग लक्ष्मी पूजन करते है.
- दीपक की रोशनी पर्यावरण के लिए लाभदायक होती है तथा पर्यावरण स्वच्छ होता है इस लिहाज से दीपावली का वैज्ञानिक महत्व भी है.
- इस दिन नेपाल में मृत्यु के देवता की पूजा की जाती है.
- पश्चिम के देशों में जितनी खरीददारी क्रिसमस और ईद पर होती है उससे ज्यादा भारत में धनतेरस पर होती है.
- भारत सहित दर्जन देशों में इस दिन राजकीय अवकाश होता है.
- पंजाब के प्रसिद्ध स्वर्णमन्दिर का शिलान्यास दीपावली के दिन ही हुआ था.
- इस दिन को धन एवं एश्वर्य की देवी लक्ष्मी जी के ससम्मान में मनाया जाता है, जबकि इसकी शुरुआत भगवान् राम से मानी जाती है.
- इसे अन्याय पर न्याय और अँधेरे पर प्रकाश की विजय के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है.
- दीपावली से दो दिन पहले बर्तन, आभूषण और वाहनों की अधिक मात्रा में खरीद होती है, आकड़ो के अनुसार दिवाली पर सबसे अधिक 500 करोड़ की पटाखों की बिक्री होती है.
दिवाली से जुड़ी कुछ रोचक बातें और पौराणिक कथाएं
भारत में एक बात बहुत ही ख़ास हे “सात वार नो त्यौहार”. आये दिन कोई ना कोई त्यौहार होता ही रहता हे. अभी कुछ ही दिनों में दीपो का त्यौहार दीपावली आने वाला हे. इस दिन पूरा देश दीपो की रोशनी में जगमगा जाता हे. चारों और रोशनी ही रौशनी दिखाई देती हे.
यह त्यौहार हमें इस बात की सीख देता हे की हमारी जिंदगी इन दीपो की तरह कितनी रोशन हे. यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हे.
आईये जानते हे दीपो के इस त्यौहार दीपावली के बारे में कुछ ख़ास बातें और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में.
कब मनाते है दीपावली ? (when Deepawali celebrates)
दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती हे. दीपावली को दीवाली भी कहा जाता हे. दीपावली अपने आप में अकेला त्यौहार नहीं है इसके साथ कई त्यौहार जुड़े हुए हे.
दीपावली से 3-4 दिन पहले ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है. जिसमे रूप चौदस, धन तेरस आदि आते हे. हर त्यौहार से एक दंत कथा जुड़ी हुई है.
दीपावली से जुड़ी पौराणिक कथाएं (Stories related to Deepawali)
- इस दिन भगवान राम अहंकारी रावण का वश करके अपने नगर अयोध्या लौटे थे और इस ख़ुशी में अयोध्या के लोगों ने दीपक जलाये थे और इसी दिन से इसका नाम दीपावली पड़ गया.
- यह भी कहा जाता है की इस दिन कृष्ण भगवान ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था और इस राक्षस के मरने पर लोगों ने ख़ुशी से दीपक जलाये थे और इसी वजह से दीपावली मनाई जाती है.
- इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था और लोगों ने इस ख़ुशी में दिये जलाये थे और इसी वजह से इस दिन दीपावली मनाते है.
- जैनों का मत हे की इसी दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस हुआ था. इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था.
- दीपावली मानाने के पीछे ऐसे कई पौराणिक कथाएं है, जिसकी वजह से दीपावली मनाई जाती है. इसलिए हम कह सकते है की दीपावली खुशियों, हर्षोल्लास, बुराई पर अच्छे और सच्चाई का प्रतीक है .
दीपावली के साथ मनाये जाने वाले त्यौहार
दीपवली के साथ रूप चौदस, धन तेरस, भाई-दूज, अन्नकुट आदि त्यौहार मनाये जाते हे. इसी वजह से दीपावली सभी त्योहारों में सबसे खास त्यौहार है.
दीपावली से जुडी कुछ रोचक बातें
- दीपावली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हे दीप+आवली. दीप का मतलब होता है दीपक और आवली का मतलब होता है लाइन या श्रृंखला अर्थात दीपों की श्रृंखला.
- दीपावली को ज्ञान, प्रकाश, उम्मीद, आशा आदि का प्रतीक माना जाता है.
- दीपावली के दिन ही समुन्द्रमंथन से लक्ष्मी और धन्वंतरी प्रकट हुए थे.
क्या-क्या होता है दीपावली के दिन?
इस दिन बच्चे, बूढ़े, जवान सब सुबह जल्दी उठ जाते हे. इसी दिन दुकानें भी जल्दी खुलती है और इस दिन पूरा बाज़ार लोगो के आवागमन से भरा रहता है.
बच्चों के लिए यह बहुत ही ख़ास त्यौहार है. इस दिन बच्चे पटाखें और अपने लिए कपड़े खरीदते है, महिलाएं मिठाइयाँ और साड़ियाँ खरीदती है.
रात के टाइम घर के सब लोग स्नान करके तैयार होते हे माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और पूजा के बाद सब साथ मिलकर खाना खाते है और फिर पटाखे जलाते है.
इसके अगले दिन सब लोग एक-दुसरे के घर जाकर गले मिलते है. इस तरह यह त्यौहार हंसी-ख़ुशी के साथ पूरा होता है.
दीपावली का हर दिन है ख़ास, जानिये दिवाली के पाँचों दिनों का महत्व
Deepawali Ke Panch Din Ka Mahtav: दीपावली को स्वच्छता अभियान का त्यौहार कहना ज्यादा सही रहेगा. इस दिन घरो की पुताई की जाती है और पुरे घर की साफ़-सफाई की जाती है.
उबटन से स्नान करने नए-नए कपड़े पहने जाते है और सभी साफ़-सफाई का विशेष ध्यान रखते है. इस दिन दीप जलाना, रंगोलो बनाना, माता लक्ष्मी का पूजन करना, मिठाई बांटना, अच्छे-अच्छे पकवान बनाना और नई वस्तुएं खरीदने का महत्व रहता है. आईये जानते है दीपावली के पांचो दिनों के ख़ास महत्व के बारे में.
पहला दिन : धनतेरस
दीपावली के पहले दिन को धनतेरस कहा जाता है. धन तेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेद के जनक धनवंतरी की पूजा का महत्व है.
इस दिन समुंद्र मंथन से धनवंतरी प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण और बहुमूल्य रत्न भी प्राप्त हुए थे. इसलिए इस दिन बर्तन, आभूषण आदि खरीदने का महत्व है.
दूसरा दिन : रूप चौदस
इसे नर्क चतुर्दशी और छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16100 कन्याओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इस उपलक्ष्य में दीपक की बारात सजाई गई थी.
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन से स्नान करनी चाहिए, इससे सारे पाप समाप्त हो जाते है और सौन्दर्य बढ़ता है.
तीसरा दिन : दीपावली
तीसरा दिन जो सबसे ख़ास दिन होता है वह है दीपावली. इस दिन माँ लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और पटाखे जलाये जाता है. लोग अपने घर के अंदर और बाहर दीप जलाते है. कार्तिक मॉस की अमावस्या को ही माँ लक्ष्मी प्रकट हुयी थी जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है.
इस दिन राम भगवान रावण का वध करके सीता को उनसे मुक्ति दिलाकर अयोध्या लौटे थे और इस ख़ुशी में वहां के लोगों ने दीप जलाये थे.
इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 या 26 दीपकों के मध्य 1 तेल का दीपक जलाकर उसकी चारों बतियों को प्रज्वलित करना चाहिए. ऐसा प्रयास करना चाहिए की चार बतियों वाला दिया रात भर जलना चाहिए.
चौथा दिन : अन्नकूट या गोवर्धन पूजा
चौथे दिन यानी दीपावली से एक दिन बाद गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन घर के पालतू बैल, गाय, बकरी आदि को अच्छे से स्नान कराके उन्हें सजाया जाता है.
इस दिन घर के आँगन में गोबर से गोवर्धन बनाये जाते है और उनका पूजन करके पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गांववासियों को मुसलाधार बरसात से बचाया था.
पांचवा दिन : भाई दूज
दीपावली के ठीक दुसरे दिन को यानी दूज को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है. यह दीपावली का अंतिम दिन है. भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है.
रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को अपने घर बुलाता है और भाई दूज के दिन बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक कर भोजन कराती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है.
इस दिन मान्यता है की यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने के लिए उनके घर गये थे और यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया और वचन लिया था की इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए आयेंगे.
साथ ही जो बहन इस दिन अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराएगी तो उसके भाई की लंबी उम्र होगी.
दीपावली पर क्या करें और क्या ना करें?
दीपावली का त्यौहार आने से पहले ही अपने घर की अच्छी तरह से साफ सफाई करें। घर में से सभी कबाड़ को बाहर फेंक दें। इसके अलावा दीपावली के दिन अपने घरों को रंगीन झालरों से सजाए तथा अगर आपका घर कच्चा है तो घर में गोबर से लेपन करें।
अगर पक्का घर है तो भी घर में गोबर के द्वारा कुछ जगह पर लेपन करें। ऐसा करने से शुभ होता है। इसके अलावा साफ स्वच्छ कपड़े पहनने के पश्चात लक्ष्मी गणेश जी की आरती करें, साथ में पंच देव की पूजा करें।
इसके पश्चात एक दूसरे के घर जाएं और एक दूसरे का आशीर्वाद लें और कुशलक्षेम पूछे और फिर पकवान ग्रहण करके आतिशबाजी करके दीपावली का त्यौहार मनाए।
इस दिन किसी भी व्यक्ति के ऊपर अथवा जानवर के ऊपर अत्याचार ना करें, ना ही झूठ बोले और छल कपट को भी त्याग दें।