Justice Quotes in Hindi | न्याय पर सुविचार अनमोल वचन
न्याय अँधा होता है, वह किसी को पहचानता नही हैं.
अधिकांश मनुष्यों में न्याय के प्रति प्रेम इस भय के कारण होता है कि उन्हें अन्यायपूर्ण दंड न भुगतना पड़े.
शक्तिरहित न्याय प्रभुत्वहीन होता है, न्यायरहित प्रभुत्व अत्याचारपूर्ण होता हैं.
एक सीमा के आगे न्याय भी अन्यायपूर्ण बन जाता हैं.
केवल न्याययुक्त व्यक्तियों के कार्य उनकी शाख में मधुर गंध देते है और फूल की तरह खिलते हैं.
उदार होने के पहले न्यायपूर्ण बनिये.
भले ही आसमान गिर पड़े, परन्तु न्याय किया जाना चाहिए.
न्याय पक्ष, मित्रता और रिश्तेदारी को अस्वीकार करता हैं और इसलिए उसका प्रतिनिधित्व एक अंधे व्यक्ति के रूप में किया जाता हैं.
परमात्मा की चक्की धीरे परन्तु निश्चित पीसती हैं.
परमात्मा के यहाँ देर है अंधेर नही.
जो व्यक्ति वही कहता है जो वह न्यायपूर्ण समझता है, अंत में ठीक वही प्राप्त करता है, जिसका वह अधिकारी होता हैं.
पूर्ण स्वतंत्रता न्याय का उपहास करती है और न्याय स्वतंत्रता को अस्वीकार करता हैं.
जो न्यायपूर्ण हैं उसको शक्तिशाली बनाने में असमर्थ होने के कारण हमने शक्तिशाली को न्यायपूर्ण बना दिया हैं.
न्याय सभ्य समाज की स्थायी नीति होता हैं.
सटीक न्याय दया की अपेक्षा दीर्घकाल में सामान्यतः अधिक उदार होता है, क्योंकि वह मनुष्य में उन सशक्त गुणों की वृद्धि करता है, जो उन्हें अच्छे नागरिक बनाते हैं.
उदारतारहित न्याय शाइलोक का न्याय बन सकता हैं.
न्याय के मूलभूत सिद्धांत यह है कि किसी को गलत रूप में कष्ट न भोगना पड़े और सार्वजनिक कल्याण की सेवा की जाए.
किसी भी जगह पर होने वाला अन्याय सर्वत्र न्याय के लिए एक धमकी बन जाता हैं.
समस्त नैतिक कर्तव्यों के योग का नाम न्याय हैं.
न्याय में विलम्ब अन्याय हैं.
न्याय में देर करना न्याय न करना हैं.
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