लाला लाजपत राय का जीवन परिचय Lala Lajpat Rai Biography In Hindi: भारत के आजादी अभियान में लाल बाल और पाल की तिगड़ी का भूतपूर्व योगदान रहा था.
लाला लाजपत राय भारत के महान क्रन्तिकारी रहे है. वे एक आदर्श राजनेता, समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी थे.
जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया उनके विचार आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक बने हुए हैं. जिन्होंने भारत के पूर्ण स्वराज्य की बात सबसे पहले कही थी.
आज हम उनके जीवन परिचय, जीवनी इतिहास को विस्तार से जानेगे.
लाला लाजपत राय का जीवन परिचय Lala Lajpat Rai Biography In Hindi
एक प्रसिद्ध राष्ट्रवादी तथा समर्पित समाज सुधारक थे इन्ही की उपलब्धियों के फलस्वरूप पूरा देश उन्हें शेर ए पंजाब और पंजाब केसरी के नाम से जानता हैं.
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का जन्म 1865 में लुधियाना में हुआ. उन्होंने अपना जीवन वकील के रूप में शुरू किया.
इनका जन्म एक साधारण मोंगा परिवार में हुआ था. लालाजी के पिता पिता लाला राधाकृष्ण शिक्षक थे. उन्ही के जीवन से लाला जी को सर्वाधिक प्रेरणा मिली.
बचपन से ही ये पढने लिखने में तेज थे. अपनी स्कूल की पढाई को पूरा करने के पश्चात उन्होंने कुछ समय तक वकालत भी की. मगर अंग्रेजी सरकार की दोषपूर्ण नीतियों ने उन्हें सरकार विरोधी बना दिया.
लाहौर में रहते हुए उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया, शुरू शुरू में वह महात्मा हंसराज के सम्पर्क में आए और उन्ही के प्रेरक पुरुष व गुरु बन गये. एक प्रसिद्ध आर्यसमाजी होते हुए लाला लाजपत राय ने लाहौर में डी ए. वी कॉलेज की स्थापना की.
उनके क्रांतिकारी विचारों ने बालगंगाधर तिलक तथा विपिनचंद्र पाल के साथ मिलकर एक प्रसिद्ध समूह बाल, पाल, लाल की स्थापना की.
1905 में गोखले की इंग्लैंड यात्रा निराशापूर्ण रही तथा पूरे भारतवासियों के बीच यह संदेश गया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हम सबको मिलकर आगे आना होगा.
वह 1914 में ब्रिटेन की यात्रा पर गये तथा साथ अमेरिका की भी यात्रा की ताकि अंतर्राष्ट्रीय जनसमुदाय को भारत की समस्याओं से अवगत कराया जा सके.
सितम्बर 1920 में कलकत्ता के विशेष अधिवेशन में वह सर्वसम्मति से अध्यक्ष नियुक्त किये गये. गाँधी का असहयोग आंदोलन वास्तव में लाला लाजपत राय की पहली पसंद नहीं था.
उन्होंने मोतीलाल नेहरु तथा चितरंजन दास के साथ मिलकर स्वराज पार्टी की स्थापना की. 1923 व 1926 में उन्होंने केन्द्रीय विधान परिषद् में एक स्वराजवादी के रूप में प्रवेश किया था.
पंजाब के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में इन्होने स्वतंत्रता संग्राम तथा बैकर दोनों के जरिये भारतीय लोगों को जगाने का कार्य किया. पंजाब नेशनल बैंक तथा लक्ष्मी बीमा कंपनी की इन्होने स्थापना की, उस समय में यह कार्य बेहद कठिन था.
मगर वे हर मुशिकल से लड़ने वाले जुझारू व्यक्तित्व थे. वे देश के गरमपंथी नेताओं में गिने जाते है इन्होंने अपनी विचारधारा के साथ कांग्रेस में रहते हुए, अंग्रेज सरकार की खिलाफत करते रहे.
साइमन कमिशन के विरोध के फलस्वरूप लाहौर में एक जुलुस का नेतृत्व करते हुए ब्रिटिश सरकार के सिपाहियों ने लाठी से उनके ऊपर संघातिक प्रहार किये, जिसके फलस्वरूप वह गम्भीर रूप से घायल हो गये तथा 27 नवम्बर 1928 को उनका देहांत हो गया.
लाला लाजपत राय द वंदेमातरम् पत्र के संस्थापक सम्पादक थे. तथा साथ ही साथ पंजाबी तथा द पीपुल को भी संपादित करते थे. अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन के दौरान वे कई बार जेल भी गये थे.
लाला लाजपत राय के प्रमुख नारे lala lajpat rai slogan in hindi
दुनियां में लोग चले जाते है मगर उनके विचार और कही गई बाते उन्हें अमर बना जाती हैं. लालाजी देश के वो सपूत थे जिन्होंने तमाम कठिनाइयों भरे क्रांतिकारी जीवन को चुना और लाहौर में इसी राह पर चलते हुए पुलिस द्वारा इनकी हत्या कर दी गई थी.
साइमन कमीशन वापस जाओ लालाजी का प्रमुख नारा था. जब सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक अंग्रेज शिष्टमंडल भारत पंहुचा तो साइमन वापिस जाओ के नारे देश के हर प्रान्त में गूंजे, पंजाब में इस विरोध का नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे. वे इस कमिशन को भारत विरोधी मानते थे.
मेरे सिर पर लाठी का एक एक प्रहार अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा, यह उनका और दूसरा व अंतिम नारा ही साबित हुआ.
कमिशन के विरोध में जब ये विशाल भीड़ के साथ साइमन का विरोध कर रहे थे तो पुलिस ने बेरहमी से उन पर लाठियां चलाई थी,
जिसके फलस्वरूप उनका देहांत हो गया तथा तथा उनका यह नारा वाकई में सच साबित हुआ एक और दिन अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा.