भूस्खलन पर निबंध : अर्थ कारण प्रभाव बचाव Essay On Landslide In Hindi

भूस्खलन पर निबंध : अर्थ कारण प्रभाव बचाव Essay On Landslide In Hindi Causes, Effects and Types And Major Areas : मिट्टी व चट्टानों का ढ़लान पर उपर से नीचे की ओर खिचकने, लुढ़कने तथा गिरने की प्रक्रिया को भूस्खलन कहते है. 

भूस्खलन यदि बहुत बड़े परिमाण में होता है, तो उस क्षेत्र में गड़गड़ाहट धीरे धीरे शुरू होती है बाद में तेज आवाज के साथ मलबा नीचे की ओर गिरता है.

भूस्खलन पर निबंध : अर्थ कारण प्रभाव बचाव Essay On Landslide In Hindi

भूस्खलन पर निबंध : अर्थ कारण प्रभाव बचाव Essay On Landslide In Hindi

प्रिय साथियो आपका स्वागत है Essay On Landslide In Hindi में  हम आपके साथ भूस्खलन का अर्थ निबंध साझा कर रहे हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 तक के बच्चों को भूस्खलन क्या है अर्थ कहा जाता हैं तो आप सरल भाषा में लिखे गये इस हिन्दी निबंध को परीक्षा के लिहाज से याद कर लिख सकते हैं.

कोई बड़ी चट्टान यदि अचानक ढलान पर खिसक जाये तो इसे भू-स्खलन कह जाता है । भूस्खलन एक विश्वव्यापी प्रक्रिया है जो छोटे-बड़े पैमाने पर विश्व के सभी देशों में प्रायः होती रहती है,

परंतु व्यापक स्तर पर भूस्खलन की संख्या कम है जो निर्धारित ही हालातों में होता हैं. यह कुछ ही पलों में हो सकता है जबकि इसमें कुछ दिन और महीनो का अन्तराल भी हो सकता हैं

बहुत-से भूस्खलन नदियों के जलमार्गों के रास्ते में बाधक बनकर नयें जल स्रोतों को जन्म देते हैं जो मूल रूप से अस्थायी होते हैं. थोड़े वक्त के बाद इन रुके जल के बांधों के ऊपर से पानी बहना आरम्भ हो जाता हैं.

ऐसा होने से अच्छे अच्छे बाँध ढह जाते हैं. इस तरह भूस्खलन इन अस्थायी जलाशयों के लिए विनाशकारी होता हैं.

भूस्खलन अन्य प्राकृतिक आपदाओ जैसे भूकप, ज्वालामुखी, सुनामी की तरह नुकसानदेह नही होता हैं. मगर यदि किसी बसावट या नगर के पास भूस्खलन हो जाये तो व्यापक जान-माल का नुकसान हो सकता है ।

भूस्खलन की तीव्रता चट्टानो की संरचना तथा प्रकृति पर निर्भर करता है । चट्टान के बहाव, कीचड-बहाव, चट्टानी टुकड़ों में टूटना, मलबे का खिसकना भूस्खलन के कुछ लक्षण हैं.

भू-स्खलन से पहले

भू-स्खलन से पहले रखी गई सावधानी व्यापक मात्रा में होने वाली जन धन की हानि को सिमित किया जा सकता हैं. तथा जीवन बचानें में कारगर हो सकते हैं. भूस्खलन होने की स्थिति में जानकारों से पता लगाएं कि किस क्षेत्र में यह घटना घटित हुई हैं.

साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयत्न करे कि दुबारा भूस्खलन कहाँ कहाँ होने की सम्भावनाएं हैं. जमीन के धसने या हिलने के आरम्भिक संकेतों की पहचान करें.

  • दरवाजे तथा खिड़िकयो की चौखटो का फंसना
  • दरारे जहा चौखटे ठीक से नही बैठ रही हो या टाइट हो रही हो
  • डैक तथा बरामदे बाकी के सारे घर से कुछ दूरी पर खिसक या झुक रहे हो
  • धरती, सड़क या फुटपाथ मे नई दरारे या उभार आ गए हो
  • पेड़ो, रिटेनिग दीवारो या फेन्सिस मे झुकाव आना
  • ऐसे क्षेत्रों जो आम तौर पर गीले नही होते वहा पानी का अचानक निकलना, रिसाव या रूकाव होना

भूस्खलन के प्रकार (Types of Landslides)

वैसे तो किसी भी ढलान पर शैल के खिसकने को भूस्खलन कहा जाता हैं. फिर भी स्थलाकृति भूविशेषज्ञ भूस्खलन को निम्न श्रेणियों में विभक्त करते है.

(i) चट्टानों के टुकड़ों का गिरना

तेजी से शैल का गिरना एक प्रकार का भूस्खलन है, जिसमें शैल अथवा शैल के टुकड़े तेज गति से ढलान के साथ नीचे की ओर लुढकते है । इस प्रकार के भूस्खलन में भिन्न भिन्न शैल टुकड़े नीचे की ओर लुढकते है । ढलान के सतही भाग पर मलवा इकट्ठा हो जाता है.

(ii) मलवा स्लाइड

इस तरह के भूस्खलन मे तुलनात्मक रूप से सूखी चट्टानो के टुकड़े अपने साथ बड़े आकार में मिट्टी का मलबा लेकर नीचे की ओर खिसकते हैं.

(iii) मड फ्लो

यह एक प्रकार का मिश्रित भूस्खलन होता हैं. जिसमें पत्थर व मिट्टी के साथ जल भी होता हैं. इस तरह का भूस्खलन तरल पदार्थ की श्यानता एवं ढलान पर निर्भर करता हैं. इस तरह की आपदा में फसने वाली आबादी अथवा लोगों का बाहर निकलना असम्भव हो जाता हैं.

भूस्खलन के कारण (landslides causes and effects in hindi)

भूस्खलन के लिए किसी एक कारण को उत्तरदायी नही माना जा सकता है, अपितु कई कारक मिलकर भूस्खलन जैसी आपदा को जन्म देते है.

  • landslides का प्राकृतिक कारण- इसमें चट्टानों की सरंचना, भूमि की ढाल, चट्टानों में वलन व भ्रष्ण, वर्षा की मात्रा व वनस्पति का अनावरण आदि प्रमुख कारण है. नवीन मोडदार पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन अधिक होते है. क्योकिं वहां उत्थान की सतत प्रक्रिया के कारण चट्टानों को जोड़ कमजोर होते रहते है. व ढाल भी अधिक होता है. ऐसें में तीव्र वर्षा हो जाए तो वह स्नेहन का काम करती है.
  • landslides के मानवीय कारण– landslides जैसी प्राकृतिक आपदा को मानव ने अनियंत्रित विकास के कारण और अधिक बढ़ा दिया है. वन विनाश व मिट्टियों पर वृक्षों की जड़े अपनी मजबूत पकड़ छोड़ देती है, अतः मृदा अपरदन शुरू हो जाता है. सड़के, रेल मार्ग, सुरंगो के निर्माण तथा खनन से मानव landslides को बढ़ावा देता है.

भारत में landslides प्रभावित क्षेत्र

भारत में landslides हिमालय क्षेत्र में अधिक होता है. इसके बाद पश्चिमी घाट क्षेत्र है. इन क्षेत्रों में जहाँ नदियाँ प्रवाहित होती है. वहां landslides अधिक मात्रा में होता है.

पूर्वोतर भारत, जम्मू कश्मीर जहाँ नयी सडको के निर्माण का कार्य हुआ वहां भी landslides अधिक होते है. समुद्री किनारों सागरीय लहरों के कारण भी landslides होता है.

भूस्खलन की समस्या पर छोटा निबंध, cause and effect of landslide essay

भूस्खलन नदियों का मार्ग अवरुद्ध कर देता है. तो कही आवागमन के मार्गों को अवरुद्ध कर देता है. मार्ग अवरुद्ध हो जाने से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. मांग पर पूर्ति का संतुलन बिगड़ जाता है. 

भूस्खलन आबादी वाले क्षेत्रों में होता है तो उससे जन धन दोनों की हानि होती है. लोग मकान के मलबे के ढेर में दब जाते है. उतरांचल में भी landslides से भारी जन धन की हानि होती है.

landslides से नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते है. तथा वहां अस्थायी झील बन जाती है. यह झील कभी टूटती है तो बाढ़ से जन धन की हानि होती है केदारनाथ में आई बाढ़ इसका उदहारण है.

भूस्खलन व प्रबंधन (landslide and its management in hindi)

  • सरकारी व सामाजिक स्तर पर (At government and social level)- भारत में होने वाले लैंडस्लाइड का 90 प्रतिशत से अधिक भूस्खलन वर्षा ऋतू में होता है. अतः पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ कही भी परिवहन के मार्गों का निर्माण हुआ है, उन मार्गो के दोनों ओर वर्षा निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए. मार्गों के निर्माण के दोनों ओर 45 डिग्री के कोण पर मलबे को निर्माण के दौरान ही हटा देना चाहिए. यदि हटाना संभव नही हो तो मजबूत दीवार बनाकर दीवारों को सहारा दे देना चाहिए.
  • व्यक्तिगत स्तर पर (At the personal level)- स्वयं के वाहन पर जाते समय यदि भूस्खलन संभावित क्षेत्र में वर्षा प्रारम्भ हो गई हो तो वाहन को एक किनारे रोक दिया जाए. पर्वतीय क्षेत्रों में मकान मजबूत धरातल पर बनाये जाए. भूस्खलन से मार्ग अवरुद्ध होने पर फंसे हुए व्यक्तियों की दिल से हर तरह की हर संभव मदद की जाए.

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