माणिक्यलाल वर्मा का जीवन परिचय | Manikya Lal Verma Biography In Hindi

Manikya Lal Verma Biography In Hindi माणिक्यलाल वर्मा का जीवन परिचय: माणिक्यलाल वर्मा का जन्म 1897 ई में बिजौलिया ठिकाने के एक कायस्थ परिवार में हुआ. शिक्षा समाप्त कर ये बिजौलिया ठिकाने की नौकरी करने लगे.

विजयसिंह पथिक की प्रेरणा से इन्होने ठिकाने की नौकरी छोड़ दी और किसान आंदोलन में सम्मिलित हो गये. इन्होने अपने भाषणों एवं कविता द्वारा किसानो में जागृति पैदा की.

माणिक्यलाल वर्मा का जीवन परिचय | Manikya Lal Verma Biography In Hindi

माणिक्यलाल वर्मा का जीवन परिचय | Manikya Lal Verma Biography In Hindi
नाममाणिक्यलाल वर्मा
जन्म4 दिसम्बर 1897
जन्म भूमिबिजोलिया, भीलवाड़ा
मृत्यु14 जनवरी 1969 (उम्र 71)
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगीनारायणी देवी
बच्चे1 पुत्र व 5 पुत्रियां
धर्महिन्दू

कुछ समय तक इन्होंने बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व किया. वर्माजी ने 1934 ई में अजमेर से सात मील दूर नारेली नामक एक छोटे से गाँव में सेवाश्रम खोला, जिसका उद्देश्य रचनात्मक कार्यों के लिए कार्यकर्ताओं को तैयार करना था. 1934 ई में भीलों के उत्थान के लिए ये डूंगरपुर गये. वहां उन्होंने एक पाठशाला खोली.

1938 ई में वर्माजी पुनः मेवाड़ लौटे. 1938 ई में इन्होने हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ कांग्रेस ने रियासतों के प्रति अपनी नीति की घोषणा की.

24 अप्रैल 1938 ई को वर्माजी के सक्रिय सहयोग से मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना हुई. कुछ समय बाद इन्हें मेवाड़ से निष्कासित कर दिया गया. वर्माजी ने मेवाड़ राज्य में नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष छेड़ा.

तथा अजमेर से मेवाड़ का वर्तमान शासन नामक एक छोटी सी पुस्तिका प्रकाशित की, जिससे मेवाड़ सरकार क्रुद्ध हो गई. 2 फरवरी 1939 को वर्माजी को देवली के निकट ऊँचा गाँव से गिरफ्तार कर मेवाड़ सीमा में लाया गया तथा उनके साथ अमानुषिक व्यवहार किया गया.

माणिक्यलाल वर्मा ने मेवाड़ प्रजामंडल के प्रतिनिधि के रूप में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के 8 अगस्त 1942 के ऐतिहासिक सत्र में भाग लिया. उदयपुर पहुचकर इन्होने प्रजामंडल के कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श किया और 24 घंटे के भीतर महाराणा को ब्रिटिश सरकार से सम्बन्ध विच्छेद करने या जन आंदोलन का सामना करने की चेतावनी दे दी.

सरकार ने मेवाड़ प्रजामंडल की कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया एवं वर्माजी पर चेतावनी वापिस लेने का दवाब डाला गया. लेकिन वर्माजी ने चेतावनी वापिस लेने से इनकार कर दिया. मेवाड़ में विधानसभा एवं संविधान लागू करने के लिए भी वर्माजी ने काफी जोर दिया.

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वह वृहत्तर राजस्थान के प्रधानमंत्री बने, मृत्यु पर्यन्त लोगों की सेवा करते हुए 14 जनवरी 1969 को वर्माजी परलोक सिधारे.

पीड़ितों के अनन्य सेवक माणिक्यलाल वर्मा

लोक हितैषी समाज सेवक माणिक्यलाल वर्मा जी के सब अपने वो सभी के अपने थे. गाडिया लोहार हो या पहाड़ों की टेकरी पर रहने वाले भील हो. सदा से जन्म जात अपराधी समझे जाने वाली कंजर या खारी जाति के लोग हो या सांप पालने वाली कालबेलिया जाति सभी के चहेते थे वर्मा.

भारत पाक सीमा पर बसे हरिजनों और मुस्लिम गोपालकों से भी उनकी गहरी मित्रता थी, वर्मा जी की मृत्यु पर उन्होंने अपना सहारा खोया हुआ पाया.

वर्माजी के देहावसान पर आधा तिरंगा झुका, सम्मान में राजकीय अवकाश घोषित हुआ जयपुर में उनकी अंत्येष्टि हुई भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया.

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3 comments

    1. It is a well scripted note. Have provided all the necessary information.

      Thank you and regards
      Pallavi mathur
      Grand daughter of Manikya Lal Verma

      1. Hello Mam,
        I am a researcher at the University of Delhi, doing PhD on Verma Ji’s efforts for the welfare of the Adivasis of southern Rajasthan. I will be greatful if I could you in any and get any further information.

        Krishna Kant
        PhD Scholar
        Department of Anthropology
        University of Delhi

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