बीरबल सिंह का जीवन परिचय | Birbal Singh Biography In Hindi

Birbal Singh Biography In Hindi | बीरबल सिंह का जीवन परिचय भारतमाता की जय , इन्कलाब—जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए आजादी का यह मतवाला तिरंगा यात्रा में सबसे आगे था,

सामन्ती शासन के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाने वाले बीरबल सिंह जब तिरंगा फहराने लगे तो उन पर गोलिया बरसा दी गई. 1 जुलाई, 1946 के दिन इनकी शहादत के बाद क्रांतिकारियों ने उनके पार्थिव शरीर के साथ जुलुस निकाला.

बीरबल सिंह का जीवन परिचय | Birbal Singh Biography In Hindi

बीरबल सिंह का जीवन परिचय | Birbal Singh Biography In Hindi
पूरा नामबीरबल सिंह ढालिया
जन्मअज्ञात
जन्म भूमिरायसिंह नगर
जातिजीनगर
पिताश्री सालगराम जी
जीवन साथीश्रीमती मूलीदेवी
प्रसिद्धिस्वतंत्रता सेनानी
मृत्यु1 जुलाई, 1946

बीरबल सिंह गंगानगर जिले के रायसिंह नगर में अनुसूचित जाति के जीनगर समाज में जन्म लिया था. बचपन से ही उसके विचार राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रेत थे. वह बीकानेर प्रजा परिषद का सदस्य था. और सामंती अत्याचारों का विरोध करने एवं नागरिक अधिकारों की प्राप्ति के हर आंदोलन में अगुवा रहता था.

प्रजा परिषद ने 30 जून 1946 को रायसिंह नगर में एक कार्यकर्ता सम्मेलन कर भावी रणनीति का विचार किया. 1 जुलाई 1946 के दिन झंडा अभिवादन के तहत कार्यकर्ता हाथों में तिरंगे झंडे लिए सम्मेलन स्थल पर पहुचे.

इसी बीच रेलवे स्टेशन पर कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और उन पर जुल्म की सूचना पाकर बीरबल सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ता तिरंगा लिए स्टेशन की ओर बढ़ने लगे.

सरकारी अधिकारी जनता के जोश और उफान को देखकर घबरा गये और उन्होंने गोली चलवा दी. इन्ही में से एक गोली का शिकार बीरबल सिंह बना. लेकिन उसने तिरंगे को गिरने नहीं दिया. घायलावस्था में भी बीरबल सिंह के बोल फूट रहे थे, झंडा ऊँचा रहे हमारा झंडा ऊँचा रहे हमारा.

उसी दिन 1 जुलाई 1946 को रायसिंह नगर में बीरबल सिंह के शव का जुलुस निकाला गया. हजारों लोगों ने इस वीर की अर्थी को कंधा दिया. आजाद हिन्द फौज के कर्नल अमरसिंह तिरंगा झंडा लिए हुए शव के आगे आगे चल रहे थे.

रायसिंहनगर में जहाँ अमर शहीद बीरबल सिंह को गोली लगी थी, उसी स्थान पर उसकी संगमरमर की मूर्ति स्थापित है और प्रतिवर्ष यहाँ 30 जून एवं 1 जुलाई के दिन शहीद मेला भरता हैं.

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