भारत की परमाणु नीति क्या है | Nuclear Policy Of India In Hindi: वर्ष 1960 के बाद से भारत ने अपनी परमाणु नीति को रूप देना प्रारम्भ किया. यह देश हित में आवश्यक हो गया था.
इस समय परमाणु निशस्त्रीकरण की आड़ लेकर अमेरिका, रूस व चीन जैसे परमाणु सम्पन्न राष्ट्र भारत को कमजोर बनाना चाहते थे.
भारत के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत के परमाणु कार्यक्रम के सूत्रधार माने जाते है. भारत की परमाणु नीति क्या रही है, इसके बारे में सक्षिप्त विवरण यहाँ दिया जा रहा है.
भारत की परमाणु नीति क्या है Nuclear Policy Of India In Hindi
भारत की परमाणु नीति
डॉक्टर कलाम का भारत की परमाणु नीति के बारे में कथन था कि भारत दो परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों के बिच स्थित है. भारत की सुरक्षा को संकट स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है.
अतः परमाणु शस्त्र व प्रक्षेपास्त्र के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना समय की मांग है. भारत प्रारम्भ से ही शांतिप्रिय देश रहा है.
तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसने निशस्त्रीकरण का समर्थन किया है. परन्तु तेजी से बदलते हुए विश्व परिद्रश्य व भेदभाव पूर्ण परमाणु कार्यक्रमों ने भारत को इस विषय पर आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित किया है.
भारत के परमाणु परीक्षण (India’s nuclear test)
परमाणु निशस्त्रीकरण तथा परमाणु अप्रसार संधियों की शर्ते भेदभावपूर्ण होने के कारण भारत को स्वीकार नही थी. परमाणु परिक्षण के मामले में भारत आधारभूत नीति का पालन कर रहा है.
भारत ने अपना पहला परमाणु परिक्षण 1974 में पोकरण में किया. 24 वर्ष के अंतराल के पश्चात 1998 में भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण किया. भारत की परमाणु नीति पर पाँचों परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
भारत ने बार बार यह स्पष्ट किया है, कि वह परमाणु शस्त्र विहीन संसार के लिए वचनबद्ध है.
परन्तु जब परमाणु सम्पन्न राष्ट्र अपने अस्त्र नष्ट नही करते, भारत न्यूनतम सुरक्षात्मक परमाणु अस्त्र नही रखेगा. जब तक व्यापक परमाणु परिक्षण संधि भेदभाव रहित नही की जाती, भारत इस पर हस्ताक्षर नही करेगा.
1968 के उपरांत भारत की परमाणु नीति की विवेचना
भारत की Nuclear Policy में यह साफ़ तौर पर कहा गया है ‘No First Use’ यानि इसका मतलब यह निकलता है कि भारत पहले आक्रमण नही करेगा.
परमाणु हथियारों के प्रयोग को लेकर भारत की इस Nuclear Policy का पड़ौसी देशों ने हर वक्त फायदा उठाने की चेष्टा की है.
वक्त के साथ परिस्थतियाँ भी बदल चुकी है, भारत को अब ऐसे मुल्कों को जगाने के लिए Nuclear Policy में बदलाव करने चाहिए, ताकि वो किसी गलतफहमी में नही रहे.
भारत की परमाणु नीति ( Nuclear Policy) के ये अर्थ है.
- Credible Minimum Deterrence-कम से कम शक्ति का उपयोग
- No First Use– पहला वार हमारी तरफ से नही होगा.
- Massive Retaliation– आणविक हथियारों के प्रयोग की आशंका पर भरपूर जवाबी कार्यवाही.
भारत vs पाकिस्तान परमाणु शक्ति (India vs Pakistan nuclear power)
फेडरेशन ऑफ अमेरिका की एक संस्था ने कुछ ही वर्ष पूर्व एक सर्वेक्षण किया था. जिसके द्वारा इन्होने विश्व के सभी बड़े परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों की परमाणु ताकत की एक रिपोर्ट जारी की,
हालांकि कोई भी देश अपने सुरक्षा से जुड़े मामलों की जानकारी साझा नही करता, इसलिए यह एक अनुमानित रिपोर्ट हो सकती है. इसमे कहा गया है कि नब्बे के दशक में सभी देशों के पास परमाणु हथियारों की संख्या 71 हजार थी, जो 2018 तक 15 हजार तक आ चुकी है.
किन देशों के पास कितने परमाणु हथियार हो सकते है, इस रिपोर्ट में usa और सोवियत रूस के पास 5-5 हजार परमाणु हथियार होने का दावा किया गया है.
यदि हम बात करे पाकिस्तान एवं भारत की परमाणु शक्ति की तो इस टेबल के जरिये आप इनकी ताकत का अंदाजा लगा सकते है.
पाकिस्तान की Nuclear Policy के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था. पाकिस्तान घास की रोटी खा कर गुज़ारा कर लेगा, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएगा.
इससे पाकिस्तान की परमाणु नीति के बारे में कयास लगाया जा सकता है, भारत की परमाणु नीति ठीक इसके उल्ट है.
Essay On india’s nuclear policy history in hindi- भारत की परमाणु नीति निबंध इतिहास
भारत मई 1974 में पहला परीक्षण कर परमाणु आयुध सम्पन्न राष्ट्रों की श्रेणी में आया, लेकिन इसकी शुरुआत 1940 के दशक के अंतिम सालों में होमी जहाँगीर भाभा के निर्देशन में हो चुकी थी.
भारत शांतिपूर्ण उद्देश्यों में इस्तेमाल के लिए अणु ऊर्जा का उपयोग करने के पक्ष में हैं. भारत ने परमाणु अप्रसार के लक्ष्य को ध्यान में रखकर की गई संधियों का विरोध किया क्योंकि ये सन्धियाँ उन्ही देशों पर लागू होती थीं.
जो परमाणु शक्तिहीन राष्ट्र थे. इनमें एनपीटी और CTBT जैसी परमाणु अप्रसार संधियाँ हैं. मई 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किये और दुनिया को यह जताया कि उसके पास भी सैन्य उद्देश्यों के लिए अणु शक्ति के इस्तेमाल की क्षमता हैं.
भारत की परमाणु नीति में सैद्धांतिक तौर पर यह बात स्वीकार की गई है कि भारत अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियार रखेगा लेकिन वह हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेगा लेकिन वह हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेगा.
इसके साथ ही भारत वैश्विक स्तर पर लागू और भेदभाव हीन परमाणु निशस्त्रीकरण के प्रति वचनबद्ध है ताकि परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व की रचना हो.
भारत द्वारा परमाणु नीति अपनाने के कारण (indian nuclear policy in hindi)
भारत ने सर्वप्रथम 1974 के एक तथा 1998 में पांच परमाणु परीक्षण करके विश्व को दिखला दिया कि भारत भी एक परमाणु सम्पन्न राष्ट्र हैं. भारत द्वारा परमाणु नीति एवं परमाणु हथियार को बनाने एवं रखने के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं.
आत्मनिर्भर राष्ट्र बनना– भारत परमाणु नीति एवं परमाणु हथियार बनाकर एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनना चाहता हैं. विश्व में जिन देशों के पास भी परमाणु हथियार हैं वे सभी आत्मनिर्भर राष्ट्र माने जाते हैं.
प्रतिष्ठा प्राप्त करना– भारत परमाणु नीति एवं परमाणु हथियार बनाकर विश्व में प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता है, क्योंकि विश्व के सभी परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों को आदर एवं सम्मान की दृष्टि से देखा जाता हैं.
न्यूनतम अवरोध की स्थिति प्राप्त करना– भारत परमाणु नीति एवं परमाणु हथियार बनाकर दूसरे देशों के आक्रमण से बचने के लिए न्यूनतम अवरोध की स्थिति प्राप्त करना चाहता हैं.
भारत ने सदैव यह कहा है कि भारत कभी भी पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा. भारत के पास परमाणु हथियार होने पर कोई भी देश भारत पर हमला करने से पहले सोचेगा.
शक्तिशाली राष्ट्र बनना– भारत परमाणु नीति एवं परिणाम हथियार बना कर विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र बनना चाहता हैं. विश्व में जितने भी देश परमाणु सम्पन्न हैं.
वे सभी के सभी शक्तिशाली राष्ट्र माने जाते हैं. इसके साथ ही परमाणु हथियारों की धारणा से भारत में केंद्रीय शक्ति और अधिक मजबूत एवं शक्तिशाली होती है जो कि बहुत आवश्यक है, क्योंकि जब कभी भी भारत में केंद्रीय सरकार कमजोर हुई है, भारत को नुकसान उठाना पड़ा हैं.
परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों की भेदपूर्ण नीति– परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों ने 1968 में परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी तथा 1996 में व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि CTBT को इस प्रकार लागू करना चाहा
कि उनके अतिरिक्त कोई अन्य देश परमाणु हथियार न बना सके. भारत ने इन दोनों संधियों को विभेदपूर्ण मानते हुए इन पर हस्ताक्षर नहीं किये तथा परमाणु कार्यक्रम जारी रखा.
भारत द्वारा लड़े गये युद्ध– भारत ने समय समय पर 1962, 1965, 1971 एवं 1999 में युद्धों का सामना किया. युद्धों में होने वाली हानि से बचने के लिए भारत परमाणु हथियार प्राप्त करना चाहता हैं.
दो पड़ोसी राष्ट्रों के पास परमाणु हथियार का होना– भारत के लिए परमाणु नीति एवं परमाणु हथियार बनाने इसलिए भी आवश्यक हैं, क्योंकि भारत के दोनों पड़ोसी देशों चीन एवं पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं.
और इन दोनों देशों के साथ भारत युद्ध लड़ चुका हैं. अतः भारत को अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाने का हक हैं.