पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास Padmanabhaswamy Temple History In Hindi: भारत में हजारों धार्मिक महत्व के विशाल प्राचीन मंदिर हैं. जिनकी ख्याति देश विदेश में है लाखों लोग श्रद्धा से इनका दर्शन करने आते हैं.
ऐसा ही एक मन्दिर है भारत के केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर. इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि यह पांच हजार वर्ष पुराना विष्णु मंदिर है वर्तमान में देश के सबसे बड़े खजाने वाले मन्दिरों में इसकी गिनती की जाती हैं.
इसका इतिहास, निर्माण काल, महत्व, सातवें दरवाजे का रहस्य और आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से पढेगे.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास Padmanabhaswamy Temple History In Hindi
केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाथस्वामी प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर हैं जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं. इसके सम्बन्ध में कहा जाता है कि यहाँ स्थित विष्णु प्रतिमा की स्वयं भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने पूजा की थी.
दक्षिण भारत के वैष्णव मन्दिरों में यह अहम मंदिर हैं. हजारों वर्ष पुराने इस मन्दिर का पुनर्निर्माण त्रावणकोर राजपरिवार के एक वंशज मार्तण्ड वर्मा ने 1733 ई में करवाया.
मन्दिर के विशाल गर्भगृह में शैय्या पर लेटे विष्णु की मूर्ति स्थापित है जिसके दर्शन करने के लिए देशभर से भक्त आते हैं. ऐसा भी कहा कि तिरुवनंतपुरम शहर भी विष्णु जी जिस शैय्या पर अनंत नाग पर विराजमान है उसी नाग के नाम पर हैं.
केरल राज्य की संस्कृति का अनूठा संगम इस मन्दिर में देखने को मिलता हैं. महीन कारीगरी तथा अपनी सम्रद्धि के कारण भी मंदिर की अपनी पहचान हैं.
पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास – Shree Padmanabhaswamy Temple History In Hindi
केरल के प्रतिष्ठित हिन्दू मन्दिरों में से एक पद्मनाभस्वामी मंदिर का निर्माण केरला और द्रविड़ शैली के समन्वित रूप से बनाया गया हैं. मन्दिर को भारत के सबसे धनी मन्दिरों में गिना जाता हैं. अपनी अपार धन दौलत के कारण यह मन्दिर कई बार चर्चा में भी आया.
हीरे जवाहरात सोने आभूषण से मन्दिर के ७ द्वार भरे हुए हैं. १९९१ में मन्दिर के स्वामित्व को लेकर हुए विवाद के बाद इसकी सम्पति की गणना की गई. अभी तक मन्दिर के ६ द्वारो की पूंजी को ही गिना गया हैं.
मन्दिर के सातवें द्वार में अथाह सम्पदा है. यह द्वार अभी तक रहस्य बना हुआ हैं ऐसा माना जाता है कि कलयुग की शुरुआत के दिन इस मन्दिर का निर्माण हुआ था तथा जिस दिन यह सांतवा खजाने का द्वार खोला गया उस दिन समूल विनाश हो जाएगा. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इस द्वार को न खोलने की आज्ञा देना भी इस रहस्य को अधिक चिंतनीय बनाता हैं.
त्रावणकोर के शासक सदैव इस मन्दिर की विरासत को सहेज कर रखते थे. मन्दिर में केवल हिन्दुओं के प्रवेश को ही अनुमति दी गई हैं यहाँ स्त्री तथा पुरुषों के लिए अलग अलग वेशभूषा का प्रावधान हैं जिसके बिना मन्दिर में प्रवेश वर्जित माना गया हैं.
कई हिन्दू धर्म ग्रंथों एवं पुराणों यथा ब्रह्म, मत्स्य, वर, स्कन्द, पद्म, वायु, भगवत और महाभारत पुराण में पद्मनाथस्वामी मंदिर का उल्लेख मिलता हैं. स्थानीय तमिल साहित्य के ५०० ई पू के ग्रंथों में भी मन्दिर का नाम आता हैं.
कई आधुनिक इतिहास कारों ने इसे सोने के मन्दिर के रूप में उल्लेखित किया हैं. तमिल कवि नाम्माल्वर कहते है कि मन्दिर की दीवारे शुद्ध स्वर्ण से निर्मित हैं. मन्दिर के अधिकतर भागों को सोने धातु से बनाया गया हैं.
मन्दिर के इतिहास और निर्माण के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि अहीर राजा मार्तण्ड ने इसका निर्माण करवाया था. मन्दिर अपनी भव्यता और शिल्प सौन्दर्य के कारण अलग पहचान रखता है इसी बात को ध्यान में रखते हुए पुनर्निर्माण में भी ख़ास ख्याल रखा गया.
दक्षिण भारत के अन्य मन्दिरों की भांति श्री पद्मनाभस्वामी मन्दिर को भी गोपुरम वाली द्रविड़ शैली में निर्मित किया गया था. भारतीय वास्तुकला का यह जीविन्त उदाहरण हम कई साउथ इंडियन फिल्म में इसका नजारा देख सकते हैं.
विशाल परिसर वाला सात मंजिला मन्दिर की दीवारों को सुंदर कलाकृतियों से भी सुसज्जित किया गया हैं. मन्दिर के समीप एक सुंदर सा तालाब भी हैं जिसे पद्मातीर्थ कुलम के नाम से जाना जाता हैं.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम का नक्शा – Padmanabhaswamy Temple Thiruvananthapuram Map
श्री पद्मनाभस्वामी तिरुवनंतपुरम मंदिर की सम्पत्ति Property of Sri Padmanabhaswamy Thiruvananthapuram Temple
त्रावणकोर के राजपरिवार के पास मन्दिर प्रबन्धन रहा था. वर्मा शासको द्वारा ही मन्दिर के निर्माण इसकी देखरेख और पुन र्निर्माण का कार्य करवाया गया था. कई शासकों ने अपनी पूरी जायदाद पद्मनाभ स्वामी के चरणों में अर्पित कर दी थी.
जाहिर है मन्दिर के स्वामित्व का दावा इसी राजपरिवार के वंशजों का होगा. परन्तु सम्पति के स्वामित्व को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब अंतिम वारिश बलराम वर्मा की म्रत्यु के बाद इस पर उसके भाई ने दावा किया. इस तरह यह प्रकरण न्यायालय में चला गया.
इस तरह लम्बे अरसे तक मन्दिर की सम्पति की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया, इसमें एक सदस्य त्रावणकोर राज परिवार से हुआ करता था. मगर अब उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सम्पति का उत्तराधिकारी पुनः राजपरिवार को ही माना हैं.
जून 2011 में सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में कुछ अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई, जिसे पद्मनाभस्वामी मन्दिर की कुल सम्पति का आंकलन करने के लिए कहा गया. पुरातत्व विभाग के साथ मन्दिर के तहखानों और गुप्त खजानों का निरिक्षण हुआ.
जारी आंकड़ों के अनुसार मंदिर के पास दो लाख करोड़ रूपये की सम्पति हैं, अभी तक सातवें दरवाजे को नहीं खोला गया हैं, इस रहस्यमयी दरवाजे के बारे में ऐसा कहा जाता हैं कि यहाँ अथाह खजाना है जिसे गिन पाना भी सम्भव नहीं है.
प्रतिमा
12008 शालिग्राम की पद्मनाभस्वामी की मूर्ति इस मन्दिर के मुख्य आकर्षण केन्द्रों में से एक थी, इसे नेपाल में बहने वाली गन्धकी नदी से तट से यहाँ लाया गया था.
मन्दिर के मूल गर्भ गृह में एक विशाल चट्टान पर स्थापित इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 18 फीट हैं इसे कई दरवाजों से भी देखा जा सकता हैं. प्रथम द्वार से प्रतिमा के सिर व सीने के तथा द्वितीय द्वार से हाथ व तृतीय द्वार से पैरों के दर्शन किये जा सकते हैं.
पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में कुछ रोचक बाते- Interesting Facts About Padmanabhaswamy Temple
- 1991 में त्रावणकोर के अंतिम महाराजा बलराम वर्मा की मौत के बाद से लेकर 2007 तक स्वामित्व राजपरिवार के पास ही रहा, 2007 सुंदरराजन नामक अधिकारी ने इसे चुनौती पेश की थी, जिसका निर्णय अब आ चूका हैं.
- 27 जून 2011 को मन्दिर के तहखाने को खोलने और सम्पति के आंकलन का कार्य शुरू हुआ, मन्दिर के पञ्च द्वारों में एक लाख करोड़ की सम्पति निकली, जबकि एक द्वार अभी खोला जाना शेष हैं.
- पद्मनाभस्वामी मन्दिर में त्रावणकोर शासक का शाही मुकुट रखा गया हैं. विष्णु जी के सेवक के रूप में यहाँ के राजा शासन करते थे.
- मकर सक्रांति के दिन पद्मनाभस्वामी मंदिर में लक्षा दीपम पर्व मनाया जाता हैं. प्रत्येक छः वर्ष में यह तानुरी में मनाया जाता हैं. इस दिन एक साथ लाखों दीपक जलाएं जाते हैं. पदमनाभ, नरसिम्हा और कृष्ण की मूर्तियों के साथ भव्य शोभा यात्रा भी निकाली जाती हैं.
- श्री पद्मनाभस्वामी मन्दिर ऐसे सुरक्षित स्थल में बना हुआ है जहाँ अभी तक कोई हमला नही हुआ हैं. 1790 ने इस पर असफल कोशिश भी कि मगर उसे हार का मुहं देखना पड़ा था.
- मन्दिर में छुपे खजाने के सम्बन्ध में यह मान्यता प्रचलित हैं कि त्रावणकोर महाराज ने सातवें दरवाजे को मोटी दीवारों से बनाकर इसके पीछे अथाह खजाना रखा था. बिना ताले के इस दरवाजे को एक बार खोलने की कोशिश की गई मगर जहरीले साँपों के काटने से उन लोगों की मृत्यु हो गई थी.
- हाल ही में पद्मनाभस्वामी मन्दिर में चोरी की बात भी सामने आई हैं. 776 किलो वजन के सोने के बर्तन होने का मामला बताया जाता हैं. इनकी कीमत दौ सो करोड़ के आसपास बताई जाती हैं. मन्दिर में ऐसे तकरीबन दो हजार सोने के बर्तन थे जो अब मात्र 397 रह गये हैं.
- सातवें दरवाजे के सम्बन्ध में यह मान्यता भी प्रचलित हैं कि द्वार को नाग बन्धम मन्त्रों का उपयोग कर बंद किया गया था अब इसे गुरूड मन्त्रों के सही जाप से ही खोला जा सकता हैं. मगर इस दौरान हुई किसी भूल का मतलब मृत्यु हैं. आज तक विश्व में ऐसा कोई इन्सान साधू तांत्रिक आदि नहीं मिला है जो इस रहस्य को सुलझा सके.
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में प्रवेश के लिए ड्रेस कोड – Sri Padmanabhaswamy Temple Dress Code In Hindi
देश के बहुत से मन्दिरों में वेशभूषा को लेकर खास प्रावधान किये जाते हैं. श्री पद्मनाभस्वामी मन्दिर तिरुवनंतपुरम में भी विशेष ड्रेस कोड हैं. जिसका पालन काफी सख्ती के साथ किया जाता हैं.
मंदिर में प्रवेश पर महिलाओं को साड़ी, मुंडु नीरथुम (सेट-मुंडू), स्कर्ट और ब्लाउज अनिवार्य माना जाता हैं. वहीँ 12 साल से छोटी बच्चियां मन्दिर में गाउन पहनकर ही आ सकती हैं.
पुरुषों को धोती पहनकर आना होता हैं. जो लोग दूसरे क्षेत्रों से दर्शन के लिए आते है तथा उनके पास मंदिर के प्रावधानों के अनुसार ड्रेस नहीं होती है वे असुविधा से बचने के लिए किराएं पर कपड़े लेकर दर्शन के लिए जा सकते हैं.
पद्मनाभस्वामी मंदिर की यात्रा का अच्छा समय – Best Time To Visit Padmanabhaswamy Temple In Hindi
हरेक यात्रा स्थल की विजिट करने का एक सुहावना समय होता हैं. यदि आप पद्मनाभस्वामी मंदिर के दर्शन की योजना बना रहे हैं तो यहाँ आने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम माना जाता हैं. अक्टूबर से लेकर मार्च और अप्रैल के दिनों में यहाँ का मौसम बेहद सुहावना रहता हैं, इस दौरान आप दर्शन के लिए आ सकते हैं.
समुद्री तटीय प्रदेश होने के कारण ग्रीष्म काल में यहाँ भयंकर गर्मी पडती है वही बरसात के दिनों में थोड़ी कम गर्मी पड़ती हैं, मगर यह समय भी यात्रा के लिए अनुकूल नहीं माना जाता हैं.