दर्श या पिठोरी अमावस्या 2024 व्रत कथा विधि | Pithori Amavasya Vrat Story Vrat Pooja Vidhi In Hindi

दर्श या पिठोरी अमावस्या 2024 व्रत कथा विधि | Pithori Amavasya Vrat Story Vrat Pooja Vidhi In Hindi: अमावस्या एक हिन्दू व्रत है, इस दिन महिलाओं द्वारा व्रत धारण किया जाता हैं.

सावन अथवा भादों माह में पड़ने वाली इस पिठोरी अमावस्या को दक्षिण भारत के कई स्थानों में पोलाला अमावस्य भी कहा जाता हैं.

इस आर्टिकल में हम इस अमावस्या को व्रत रखने वाली बहिनों के लिए पिठोरी की कथा, पूजा विधि, 2024 में व्रत की डेट के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं.

दर्श या पिठोरी अमावस्या 2024 व्रत कथा विधि

इस अमावस्या के दिन विवाहित महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती है. शिव एवं शक्ति के स्वरूप सप्तमातृका की पूजा की जाती हैं.

इस अवसर पर माँ दुर्गा समेत 64 देवियों को प्रसन्न करके के लिए उनकी आटे से प्रतिमा बनाई जाती हैं तथा उनका पूजन किया जाता हैं.

पिठोरी अमावस्या कब हैं (Pithori Amavasya Vrat Date In 2024)

पिठोरी/पोलाला अमावस्या 2024 में भाद्रपद महीने की अमावस्या तिथि को मनाई जा रही हैं. इस दिन माँ अपने सन्तान की सुख सम्रद्धि एवं दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखती हैं.

उत्तर भारत में इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती हैं, वही दक्षिणी भारत के राज्यों में दुर्गा के एक अन्य रूप पोलेरम्मा का पूजन होता हैं.

इस पिठोरी अमावस्या की 2024 में तिथि 2 सितम्बर हैं. इस दिन व्रत रखने वाली स्त्रियों की यह मान्यता रहती है कि देवी दुर्गा का आशीर्वाद इस दिन भक्तों पर विशेष रूप से बरसता हैं.

उनकी दया से मृत सन्तान भी जीवित हो सकती हैं. इसी विश्वास एवं आस्था के चलते 64 आटे के पिंड से दुर्गा पूजन किया जाता हैं.

पिठोरी अमावस्या व्रत कथा कहानी (Pithori Amavasya Story Vrat Katha In Hindi)

पुरानी मान्यता के अनुसार एक समय एक परिवार रहा करता था, जिसमें सात सगे भाई हुआ करते थे. परिवार में समस्त प्रकार के सुख साधन थे. सभी भाइयों के संताने थी.

किसी के बताने पर उन भाइयों की सातों पत्नियों को लगा कि भादों अमावस्या की पिठोरी अमावस्या के दिन उन्हें व्रत रखना चाहिए.

सभी अपनी सन्तान की दीर्घायु प्राप्ति का वरदान लेने के लिए पिठोरी का इन्तजार करने लगी. जब भादों अमावस्या आई तो केवल बड़ी बहूँ ने ही व्रत धारण किया. संयोगवंश उस दिन उसके लाडले का देहांत हो गया.

अब यह एक क्रम बन चूका था, हर साल पिठोरी अमावस्या की तिथि को उनके एक बेटे का देहांत होते होते सात वर्ष बीत गये.

मगर उस बड़े भाई की पत्नी ने अपने बेटे के शव का अंतिम संस्कार न करके अज्ञात जगह पर छुपा कर रख दिया था. उस गाँव की रक्षक मां पोलेरम्मा गाँव की पहरेदारी किया करती थी.

जब उसने उस बेटी का रोना सुना, वह उनके पास गई तथा उन्हें धीरज बंधाकर उनके रोने का कारण पूछने लगी. उसने देवी पोलेरम्मा को अपनी सारी व्यथा सुनाई. माँ का ह्रदय इस दुखांत घटना को सुनकर पानी पानी हो गया. वह दया भाव से कहने लगी- जा बेटी जहाँ जहाँ तेरे पुत्रों के मृत शरीर है उन पर हल्दी छिड़क आ.

बड़े भाई की पत्नी ने वैसा ही किया, जब वह हल्दी छिड़ककर घर पहुची तो उन्हें अपनी आँखों पर यकीन न था. क्योंकि उनकें सातों पुत्र घर में माँ का इन्तजार कर रहे थे. इसी पौराणिक कथा के कारण अब दक्षिण भारत के हर क्षेत्र में पिठोरी अमावस्या का व्रत रखा जाता हैं.

व्रत व पूजा विधि (Pithori Amavasya Pooja Vidhi In Hindi)

पोलाला या पिठोरी अमावस्या का व्रत उन्ही माताओं द्वारा किया जाता हैं. जिनकें सन्तान हो क्योंकि यह मात्र सन्तान सुख एवं उनकी लम्बी आयु की कामना के लिए किया जाने वाला व्रत हैं. व्रत रखने वाली माता को दिन के उदय होने से पूर्व उठाना चाहिए.

तथा व्रत के आरम्भ से पूर्व उन्हें अच्छी तरह नहा धोकर स्वच्छ कपड़े धारण करने चाहिए, वैसे अमावस्या तिथि को नदी या जल स्रोत में स्नान करना भी पुण्यकारी माना जाता हैं. सूर्य भगवान् को जल का अर्ध्य देवे तथा अपनी सन्तान की दीर्घायु की कामना करे.

पिठोरी अमावस्या की पूजा में 64 आटे के पिंडों को मूर्ति का स्वरूप दिया जाता है तथा इनकों दुर्गा की 64 देवियों का स्वरूप मानकर एक पाट अथवा पूजा योग्य स्थल पर रखकर पूजन किया जाता हैं. देवी दुर्गा को प्रसाद, नारियल अथवा घर के बने भोजन का भोग लगाए और विधि विधान के अनुसार पूजा करे.

जब पूजा सम्पन्न हो उससे पूर्व दुर्गा की मुख्य मूर्ति पर सिंदूर अवश्य चढाएं तथा फिर ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भी भोजन ग्रहण कर पिठोरी के व्रत को तोड़े.

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