भारतीय किसान पर कविता | Poem On Farmer in Hindi Language

नमस्कार दोस्तों आज हम भारतीय किसान पर कविता Poem On Farmer in Hindi Language पढ़ेगे. कृषि प्रधान भारत देश की अर्थव्यवस्था की धुरी किसान ही है.

कड़ी धूप में दिन भर पसीना बहाने वाला यह किसान ही सवा सौ करोड़ देशवासियों के घर बैठे भोजन की व्यवस्था करता है.

किसान त्याग व तपस्या का दूसरा नाम है. कोई भी मौसम हो चाहे लू, गर्मी, सर्दी या मूसलाधार बरखा वो अटल हिमालय की भांति खेत की मेड पर खड़ा नजर आता है.

भारतीय किसान पर कविता Poem On Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर कविता | Poem On Farmer in Hindi Language

ऐसे परिश्रमी किसान को हमारा सलाम !, आज आपके साथ शेयर कर रहे है. किसान पर कविता (farmer poem in hindi),  मै एक किसान हू कविता (i am a farmer poem), किसान के दर्द पर छोटी कविता (short poem on farmer).

किसान पर कविता (farmer poem in hindi)

खेत में टिटहरी के
अण्डे नजर आने पर
उतनी जगह की जोत
छोड़ देता है
वो यात्रियों से भरी बस के
काँच कैसे फोड़ देता है ?

जो किसान
खड़ी फसल में
चिड़िया के अंडे/चूजे देख
उतनी फसल नहीं काटता है
वो किसी की सम्पत्ति
कैसे लूट सकता है ?
जो किसान

पिंडाड़े में लगी आग में कूदकर
बिल्ली के बच्चे बचा लेता है
वो किसी के घर में
आग कैसे लगा देता है ?
जो किसान

दूध की एक बूंद भी
जमीन पर गिर जाने से
उसे पोंछकर माथे पर
लगा लेता है
वो उस अमृत को
सड़कों पर कैसे बहा देता है ?
जो किसान

गाड़ी का हॉर्न बजने पर
सड़क छोड़ खड़ा हो जाता है
वो कैसे किसी का
रास्ता रोक सकता है ?
जो किसान

चींटी को अंडा ले जाते
चिड़िया को धूल नहाते देख
बता सकता है कि
कब पानी आएगा
वो कैसे किसी के

बहकावे में आयेगा ?
ये दुखद घड़ी क्यों आई
कुछ तो चूक हुई है
कुछ पुरुस्कार में फूल गए
नदी से संवाद करने वाले
किसानों से संवाद करना भूल गए।
जो किसान

अपनी फसल की
रखवाली के लिए
खुले आसमान के नीचे
आंधी तूफान हिंसक जानवर से
नहीं डरता
वो बन्दूक की गोली से नहीं, मीठी बोली से मानेगा।
एक बार उसके अन्दर का
दर्द अच्छे से जानिए
वो अन्नदाता है, उसे केवल मतदाता मत मानिये
अपनी पूरी ताकत झोंकिये

मै एक किसान हू कविता (i am a farmer poem)

किसान भोला जरूर है पर मूर्ख नही।
कब तक उसका व्यापारिक शोषण होगा,
ओर कब तक वह आत्महत्या करता रहेगा,
जबकि हमे किताबो में पढ़ाया गया कि
भारत एक कृषि प्रधान देश है और 70% कृषक है।

यो वो आपसे मांग क्या रहा है केवल
उसकी फसल का सही दाम
वो भी पड़े लिखे CA से जुड़वा कर
असली ओर नकली किसान के चक्कर मे मत आइये,
मेरे भाई

किसान बस एक ही है
जो खेती के अलावा और कुछ नही करता।
न उसके पास नोकरी है , ना दुकान है,
ना कोई व्यवसाय है, केवल ओर
केवल कृषि पर निर्भर है वो किसान है ।
।। जय जवान , जय किसान।।

किसान के दर्द पर छोटी कविता (short poem on farmer)

लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए

नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई

नहीं उम्मीद इसकी मुझे
खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए

आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा

भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
क्योंकि
लिखता मैं किसान के लिए
लिखता मै इंसान के लिए

क किसान का दर्द भारतीय किसान पर हिंदी कविता (Hindi poem on Indian farmer)

माना की मै एक चर्चित इंसान हू …
एक जागता हुआ किसान हू …

रात को जागना तो मेरी आदत है …
किसान फसलो की करता हिफाजत है ….

किसान वो क्या जो सो जाए ….
अपनी ही पीड़ा में खो जाए …

उसपर लाख बच्चो का भार है …
चलता उससे बाजार है …..

किसान न जगे तो कौन जाग पायेगा ..
उसकी मेहनत कौन आक पायेगा …

ये एक इसान ही है ..
जो मेहनत का धनवान है …

इसकी कुंडली में मौसम बलवान है …
ये इंसान नही “भगवान् ” है

जो पालता पेट है लाखो का …
आज वो कितना परेशान है …

इसकी आह सुनता सिर्फ भगवान् है ..
लूट रहा इसको शैतान है ….

दिल से निकली आह जिसके
समझो वो “कृष्णा ” भी आज उदास है

माना की मै एक चर्चित इंसान हू …
एक जागता हुआ किसान हू …

Kisan Poem in Hindi

जागो रे मज़दूर किसान
रात गई अब हुआ विहान
रात गई रे साथी !

किरनों की आहट पाकर कलियों ने आँखें खोलीं
ताक़त नई हवा से पाकर गूंगी लहरें बोलीं
गुन-गुन-गुन सब ओर गूँजता परिवर्तन का गान
रात गई रे साथी !

चलो साथियों चलो कि अपनी मंज़िल बहुत कड़ी है
उधर विजय ताज़ा फूलों की माला लिए खड़ी है
चलो साथियो तुम्हें जगाना पूरा हिन्दुस्तान
रात गई रे साथी !

खोने को हथकड़ियाँ पाने को है दुनिया सारी
चलो साथियो बढ़ो कि होगी अन्तिम विजय हमारी
सर पर कफ़न हथेली पर रख लें अब अपनी जान
रात गई रे साथी !

Farmer Poem  किसान कविता

जय भारतीय किसान
तुमने कभी नहीं किया विश्राम
हर दिन तुमने किया है काम
सेहत पर अपने दो तुम ध्यान
जय भारतीय किसान.

अपना मेहनत लगा के
रूखी सूखी रोटी खा के
उगा रहे हो तुम अब धान
जय भारतीय किसान.

परिश्रम से बेटों को पढ़ाया
मेहनत का उनको पाठ सिखाया
लगाने के लिए नौकरी उनको
किसी ने नहीं दिया ध्यान
जय भारतीय किसान.

सभी के लिए तुमने घर बनाए
अपने परिवार को झोपडी में सुलाए
तुमको मिला नही अच्छा मकान
जय भारतीय किसान.

लोकगीत को गा के
सबके सोए भाग जगा के
उगा रहे हो तुम अब धान
जय भारतीय किसान.
कोमल यादव

किसान की जिंदगी

तन पर खराब पुराने कपड़े होते हैं,
पैर मिट्टी में पूरी तरह सने होते हैं,
कड़ी सुलगती धूप में काम करते हैं जो,
ये कोई और नहीं सिर्फ किसान है वो,

धरती की छाती हल से चीर देते हैं,
हमारे लिए अन्न की फसल उगा देते हैं,
किसान अपनी फसल से बहुत प्यार करते हैं,
गरमी, सरदी, बरसात में जूझते रहते हैं,

मान लेते हैं की किसान बहुत गरीब होते हैं,
हमारी थाली में सजा हुआ खाना यही देते हैं,
इनके बिना हमें अनाज कभी मिल नहीं पाता,
दौलत कमा लेते पर कभी पेट न भर पाता,

भूमि को उपजाऊ बनाने वाले किसान है,
हमारे भारत का मान, सम्मान और शान हैं,
ये सच्ची बात सब अच्छे से जानते हैं,
किसान को हम अपना अन्नदाता मानते हैं,

हम ये बात क्यों नहीं कभी सोचते हैं,
गरीब किसान अपना सब हमें देते हैं,
हम तो पेट भर रोज खाना खा लेते हैं,
किसान तो ज्यादतर खाली पेट सोते हैं,
—Aruna Gupta

किसान जीवन

धरती को हरियाली से भर देने वाला,
वो किसान ही है बड़े दिलवाला,
जिनके घर खप्पर और मिट्टी से बने होते हैं,
किसान कमाई में कम पर दिल के अमीर होते हैं,

बारिश से भी इनकी छत तपकने लगती है,
इन्हे फसल के लिए बारिश की आस रहती है,
तपती धूप में ख़ूब बहाते हैं पसीना,
जाने क्यूं नहीं मिलता है इन्हे महिना,

छोटी छोटी कमाई होती है इनकी,
होंसलों की ऊंची उड़ान होती इनकी,
किसान छोटे बीज से फसल बनाते हैं,
अपने बच्चों को खूब पढ़ाते हैं,

कड़ी मेहनत करना इनको जन्म से आता है,
फूल खिलाना कोई इनको नहीं सिखाता है,
जाने क्यों कुछ लोग इनका तिरस्कार करते हैं,
वो नहीं जानते ये भगवान का दर्ज़ा रखते हैं,

गरीबी का जीवन जीते हैं,
फिर भी खिलखिलाते रहते हैं,
अन्नदाता है ये किसान हमारा,
हमें बनना चाहिए इनका सहारा,
—–Aruna Gupta

2 thoughts on “भारतीय किसान पर कविता | Poem On Farmer in Hindi Language”

  1. : नमस्ते सर,
    मैं दीपक काले,
    महाराष्ट्र से हूँ
    मुझे आपसे आपने लिखी कवीताओं के बारे में बात करनी थी |
    जो किसान जीवन पर लिखी हुई है|
    आपका वॉटसप नंबर मिले तो बहोत मदत होगी|

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