भोजन पर कविता | Poem on food in Hindi

भोजन पर कविता | Poem on food in Hindi में आपका स्वागत हैं. आज के आर्टिकल में हम फूड यानी भोजन के बारे में कुछ बेहतरीन कविताएँ साझा कर रहे है. उम्मीद है आपको यह कविता संग्रह पसंद भी आएगा. काव्य संग्रह पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

हरेक व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकताओं में भोजन सबसे प्रमुख है. इसके बिना अधिक समय तक जीवित रहना सम्भव नहीं हैं. दुनियां में तरह तरह के भोजन व्यंजन बनते है और उन्हें खाया जाता हैं. क्षेत्रीय भिन्नता के साथ इसके स्वाद और स्वरूप व बनाने का अंतर भी देखा जाता हैं.

भोजन पर कविता | Poem on food in Hindi

भोजन पर कविता | Poem on food in Hindi

जीवन में भोजन के महत्व, भारतीय खाने के विषय पर अलग अलग रचनाकारों द्वारा रचित कविताओं को यहाँ बता रहे है. हिन्दुस्तानी खाने की लजीजी और खूबियों को इन आसान कविताओं में जानेगे.

बाल कविता : हिन्दुस्तानी खाना

न कौएं को पिज्ज़ा भाता,
न कोयल को बर्गंर।
उन्हे चाहिये हल्दी वाला,
दूध कटोरें भर-भर।

दोनो मिलें लंच टेबिल पर,
बोलें नही सुहाता।
पिज्ज़ा-बर्गर-चाउमीन से,
तो जी ऊकता जाता।

गर्म पराठें मक्ख़न वाले,
सुबह-सुबह आज़माओ।
और लंच मे दाल-भात-घीं,
सब्ज़ी के संग ख़ाओ।

तभी मिलेगे पूर्णं विटामिन,
पोषक़ तत्व मिलेगे।
दिनभर उडते रहे गगन मे,
फ़िर भी नही थकेगे।

सारी दुनियां को भाता हैं,
हिन्दुस्तानी ख़ाना।
हमनें ही अपने ख़ाने का,
मोल नही पहचाना।

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