Poem On Jati Pratha In Hindi जाति प्रथा पर कविता : जाति प्रथा अर्थात Caste System प्राचीन भारतीय समाज की व्यवस्था हैं जिसे आज भी हम उसी स्वरूप में लेकर आगे बढ़ रहे हैं. यदि बात हिन्दू धर्म की जाए तो निश्चय हमारे विखंडन का मूल कारण जाति प्रथा ही हैं, जिसने मानव मानव में भेद कर उसे विभाजित कर दिया हैं. आज के समय में यह व्यवस्था प्रासंगिक नहीं रही हैं. अतः समय के बदलाव के साथ हमें जातीय सीमाओं के बन्धनों को समाप्त कर देना चाहिए. Jati Pratha Poems जानते हैं.
Poem On Jati Pratha In Hindi जाति प्रथा पर कविता
व्यक्ति का नीची जाति में जन्म हुआ हो तो उन्हें छोटा तथा अस्प्रश्य समझा जाता हैं, जबकि उच्च जाति में जन्म भर लेने वाले को श्रेष्ठ समझा जाना मानवता के विरुद्ध हैं. गीता में भी कहा गया है कि व्यक्ति अपने कर्मों से महान बनता हैं फिर इस तरह के जातीय बंधन को आज भी क्यों माना जाता हैं.
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Poem On Jati Pratha In Hindi
जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.खुद आगे बढ़ो और दूसरों को आगे बढ़ाने का प्रयास करो.
हर नौजवान को आगे बढ़ने को प्रेरित करो.जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.
इंसान की पहचान सिर्फ उसके कर्म से हो.ऐसे ही समाज का निर्माण तुम करो.
हर पल खुश रहो और दूसरों को खुश रखो.जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.
खुद आगे बढ़ो और दूसरों को बढ़ने दो.जिंदगी के खुशी के पल जीने का प्रयास तुम करो.
समाज के इस दोष को दूर तुम करो.हर पल खुशी खुशी बस तुम जिया करो.
जाति प्रथा पर कविता
अहम का बीज लगातार नफरत पैदा करता रहा
कोई पीसता रहा यहाँ कोई घुट घुट कर जीता रहा
हर इन्सान खुद को सबसे महान जाति का बताता रहा
मानव जाति थी सबकी जाति, क्यूँ ये हर इन्सान भूलता गया.
खोखले दावों की ओड़ में, जाने किस राह देश बढ़ रहा हैं
अब जातिवाद का श्राप मानवता का दमन भी कर रहा
दोष न दो किसी और को की किसने ये आग लगाई है
इस अहम के जहर की चिंगारी तो तुम्हारे घर से ही निकलकर आई हैं
सीमा पर खड़ा जवान क्यों हर जाति धर्म की जान बचाता रहा
जब यहाँ जाति को ही सीमा बनाकर, हर इन्सान नफरत से मरता गया.
क्यूँ जातिवाद सबका आत्म सम्मान बन रहा
अरे इस अहम की दौड़ में, हासिल किसी को कुछ भी न हो रहा
अब इस द्वेष कप जड से मिटाने, किसी को तो कदम बढ़ाना होगा
जातिवाद एक सैलाब है आग का, किसी को तो पैर जलाना ही होगा.
Caste System Poem In Hindi
न जात की बात करूंगा, न धर्म की बात करुगा
न गर्व की बात करूँगा, न शर्म की बात करूँगा
इन्सान होने का वो महान फर्ज बस तुम अदा कर दो
ला दे जो दुनियां में ख़ुशी मैं उस कर्म की बात करुगा.
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