Rajasthan Ki Rajdhani | राजस्थान की राजधानी | Capital of Rajasthan In Hindi: हम बात कर रहे हैं, Rajasthan Ki Rajdhani क्या है ? कहाँ पर स्थित हैं.
क्या है इसका इतिहास स्थापना किसने और कब की, प्रमुख दर्शनीय स्थल. Capital of Rajasthan राजस्थान के महानगरों में शुमार इस शहर को दुनियां भर में अपनी अनूठी पहचान के लिए जाना जाता हैं.
राजपूत शौर्यस्थली एवं आजादी के बाद से Rajasthan राज्य की Rajdhani का सम्मान प्राप्त इस शहर को पिंक सिटी, तथा पूर्व का पेरिस उपनाम से भी जाना जाता हैं. चलिए एक नजर जयपुर शहर के इतिहास एवं उनकी जानकारी पर.
Rajasthan Ki Rajdhani- Jaipur City In Hindi
Rajasthan ki Rajdhani Kya hai ? राजस्थान की राजधानी जयपुर को गुलाबी नगर यानी कि पिंक सिटी के नाम से जाना जाता हैं.
इसकी स्थापना महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1727 में की थी. जयपुर भारत का पहला सुनियोजित शहर था और राजाओं ने इसके निर्माण में बहुत रूचि दिखाई.
Jaipur Is The Capital of Rajasthan & Rajasthan Rajdhani
तत्कालीन राजाओं ने वास्तुकलाविदों और शिल्पकारों की मदद से पहले जयपुर का नक्शा बनाया गया. राजस्थान की राजधानी जयपुर भारत में सबसे रंगीन और जीवंत शहरों में से एक हैं.
यह अपनी समृद्ध भवन निर्माण परम्परा, सरस संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं.
यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ हैं. जयपुर में पहाड़ की बहुतायत हैं. यहाँ प्रकृति की अनोखी छटा देखते ही बनती हैं. जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने भवनों में गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती हैं.
ऐसा माना जाता है कि तत्कालीन महाराज रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रिंस ऑफ़ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था. तभी से इस शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ गया.
2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर हैं. राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा. यह बेहद हर्ष की बात है कि जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा भी हैं.
इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली आगरा व जयपुर आते हैं. भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति लोकेशन देखने पर यह एक त्रिभुज का आकार लेते हैं. इस कारण इसे भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन ट्रायंगल कहते हैं. यह शहर चारो ओर दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ हैं.
जिसमें प्रवेश द्वार के लिए 7 दरवाजे हैं. यह पूरा शहर करीब छः भागों में बटा हुआ हैं. जयपुर बहुत ही अच्छा टूरिस्ट प्लेस हैं.
यहाँ हवामहल, आमेर का किला, सिटी पैलेस, जयगढ़ का किला, नाहरगढ़ का किला, बिड़ला मंदिर, जल महल एवं जन्तर मन्तर दर्शनीय स्थल हैं.
यहाँ के प्रमुख उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र छपाई, हस्तकला, रत्न व आभूषण का आयात निर्यात तथा पर्यटन उद्योग शामिल हैं. जयपुर शहर में परिवहन की भी अच्छी व्यवस्था हैं.
जयपुर में ऐतिहासिक विरासत की झलक हर व्यक्ति को मोहित कर देती हैं. राजस्थान का राजधानी शहर जयपुर दिन प्रतिदिन प्रगति की ओर बढ़ रहा हैं.
राजस्थान की राजधानी जयपुर कैसे बनी इतिहास | How Jaipur Became Rajasthan Capital History In Hindi
रियासतों के एकीकरण के फलस्वरूप बनने वाले राजस्थान की राजधानी कहाँ रखी जाए, यह वर्ष 1948-49 के दौरान एकीकरण के समय एक महत्वपूर्ण प्रश्न था.
केंद्र सरकार के रियासती विभाग ने राजस्थान की राजधानी के चयन के लिए एक समिति गठित की जिसमें चार शहरों की दावेदारी पर विचार किया गया.
ये राज्य थे जयपुर, जोधपुर, अजमेर व उदयपुर. समिति में श्री बी आर पटेल (मुख्य सचिव पटियाला व ईस्ट पंजाब) अध्यक्ष ले कर्नल टी सी पूरी व श्री एपी सिन्हा सदस्य थे.
इस समिति ने 12 मार्च 1949 से कार्य करना आरम्भ किया. समिति के सामने विचारणीय योग्य विभिन्न मुद्दे थे जैसे प्रशासनिक सुविधा, भवनों की उपलब्धता, जलवायु पेयजल की सुविधा, बिजली व अन्य सुविधाएं.
राज्य के केंद्र में स्थित होने और भविष्य में राजस्थान के विलय की सम्भावना के बावजूद अजमेर की दावेदारी, पर्याप्त पेयजल की अनुपलब्धता व आवासीय समस्या के कारण निरस्त कर दी गई.
उदयपुर अपनी जलवायु व नयनाभिराम प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण एक प्रबल दावेदार था, किन्तु आवासीय समस्याएं, पर्याप्त पेयजल, तार, फोन व सड़क परिवहन की कमी के कारण वह इस दौड़ में पिछड़ गया. चुनाव अब जयपुर और जोधपुर के बीच था.
समिति ने निर्णय लिया कि जयपुर में उपलब्ध विभिन्न सुविधाएं जैसे चौड़ी सड़कें, आवास उपलब्धता, भूमिगत जल निकासी व्यवस्था व बेहतर दूर संचार सुविधाएं,
उनके राजधानी बनने में सहायक थी. और अन्तः जयपुर को राजस्थान की राजधानी घोषित कर दिया गया. यदपि समिति का निर्णय निर्विरोध और निर्विवाद नहीं था.
अजमेर के विलय के बाद राजधानी का प्रश्न फिर उठाया गया क्योकि अजमेर शासकीय हलकों में यह भावना व्याप्त थी कि जयपुर को राजधानी बनाने का निर्णय अस्थायी था.
अजमेर राज्य सरकार द्वारा सशक्त तर्क राजधानी के पक्ष में भारत सरकार के गृह मंत्रालय को दिए जिसने जुलाई 1957 में पी सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में राजस्थान कैपिटल इन्क्वायरी कमेटी गठित की गई. परन्तु पहले का निर्णय यथावत रहा.
7 अप्रैल 1949 को रियासती विभाग के परामर्श के अनुसार श्री हीरालाल शास्त्री के नेतृत्व में सरकार का गठन किया गया. सरकार के संचालन के लिए कई सलाहकार केंद्र सरकार द्वारा भी नियुक्त किये गये.
इस प्रकार राजस्थान का एकीकरण पूर्ण हुआ. इस भागीरथी प्रयास के सफल होने में सर्वाधिक श्रेय केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल व उनके विभाग के सचिव श्री बी पी मेनन को दिया जा सकता हैं.
जिन्होंने समय की नब्ज पहचानते हुए कभी नरमी तथा कभी रक्त व लौह नीति (Blood And Iron) का पालन किया.
श्री वी पी मेनन के अनुसार हमने राज्यों के हित व शेष भारत के हितों के बीच खड़े सारे कृत्रिमअवरोध नष्ट कर दिए और एकीकृत प्रशासनिक व वित्तीय प्रशासन की नीव डाली.
जयपुर को गुलाबी शहर क्यों कहा जाता है ?
प्राचीन रजवाड़ों की राजधानी जयनगर जिसे वर्तमान में जयपुर के नाम से जाना जाता है राजस्थान के सबसे सुंदर और मशहूर पर्यटक स्थलों में गिना जाता है जयपुर के इतने मशहूर होने की एक खास वजह है उसकी खूबसूरती! जयपुर को गुलाबी शहर के नाम से भी पुकारा जाता है।
जयपुर को गुलाबी शहर कहने के पीछे कई सारे कारण हैं। विभिन्न लोगों की मान्यताओं के अनुसार जयपुर को गुलाबी शहर पुकारे जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है –
1876 ईस्वी में जब वेल्स के राजकुमार और रानी विक्टोरिया भारत का दौरा करने के लिए आए थे तब उस समय राजस्थान के महाराजा सवाई राम सिंह ने अपने राज्य के स्लोगन “पधारो मारे देश” और हमारे देश के स्लोगन “अतिथि देवो भव:” का मान रखने के लिए दोनों अतिथियों का बहुत ही धूमधाम से स्वागत किया था।
और इस स्वागत के लिए उन्होंने जयपुर के प्राचीन महल और पुराने घरों को गुलाबी रंग से रंग करवाया था। क्योंकि गुलाबी रंग अतिथियों के स्वागत का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि जयपुर को गुलाबी शहर या पिंक सिटी के नाम से पुकारा जाता है।
राजस्थान की राजधानी का नाम जयपुर क्यों रखा गया ?
राजस्थान के महाराजा राम सिंह जी ने जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाया थी। जिसका सबसे बड़ा कारण जयपुर का इतिहास है।
क्योंकि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से राजस्थान के सभी पुराने महल और अन्य प्राचीन स्थल आकृतियां जयपुर में ही स्थित है।
साथ ही राजस्थान के अन्य शहरों के मुकाबले आर्थिक द्रष्टि से यह शहर अधिक सम्पन्न& विकसित है। इसलिए जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाया गया।
राजस्थान की राजधानी इतनी क्यों प्रसिद्ध है ?
राजस्थान की राजधानी आज केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है और जयपुर की इस अन्नंत प्रसिद्धि का कारण जयपुर की भौगोलिक विशेषताएं और जयपुर की संस्कृति है।
राजस्थान की राजधानी में कई ऐसे महल और प्राचीन स्थल है जहां पर लोगों को आज भी प्राचीन राजस्थान की झलक देखने को मिलती है। और इसी प्राचीनता का दर्शन करने के लिए लोग राजस्थान की राजधानी भ्रमण करने के लिए आते हैं।
जयपुर हमारे देश की राजधानी से कितनी दूर है?
हमारे देश की राजधानी दिल्ली है जयपुर देश की राजधानी से 280 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
राजस्थान की सर्वप्रथम राजधानी कौन सी थी ?
18 मार्च 1948 में जब धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह को राज्य का प्रमुख बनाया गया था तब उन्होंने अलवर को राजस्थान राज्य की राजधानी बनाया गया था।
राजस्थान की राजधानी जयपुर को भारत का पेरिस क्यों कहा जाता है ?
राजस्थान की राजधानी जयपुर है जयपुर राजस्थान की सबसे प्राचीन शहरों में से एक जाती है और पेरिस भी बहुत ही प्राचीन शहर है।
जयपुर और पेरिस दोनों का इतिहास बहुत ही पुराना है साथ ही साथ यह दोनों ऐसे स्थान है जहां दुनियाभर से लोग भ्रमण करने के लिए जाते हैं और दोनों की खूबसूरती देखने योग्य है यही कारण है कि जयपुर की पेरिस से तुलना करते हुए इसे भारत का पेरिस कहा जाता है।
राजस्थान में कितने पर्यटक स्थल हैं ?
राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां एक नहीं बल्कि कई सारे पर्यटक स्थल हैं। राजस्थान के हर राज्य में कोई ना कोई सुंदरता देखने को मिलती हैं क्योंकि यह राज्य प्राकृतिक दृष्टिकोण से बहुत ही ज्यादा संपन्न है।
जयपुर में राजा महाराजाओं के पुराने महल है और उदयपुर में सुंदर झीलें हैं। जोधपुर और बीकानेर में दुर्ग देखने को मिलते हैं जो बहुत ही ज्यादा सुंदर होते हैं। जयपुर का हवा महल शीश महल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
राजस्थान की राजधानी की पूरी जानकारी
जयपुर राजस्थान के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है इस शहर में न सिर्फ महाराजा और राजाओं द्वारा निर्मित बड़े बड़े दुर्ग और महल देखने को मिलते हैं बल्कि अन्य कई प्राचीन स्थल आकृतियां भी देखने को मिलती है वर्तमान समय में जयपुर राजस्थान के सबसे विकसित शहरों में से एक है।
जयपुर में हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं रेल मार्ग से लेकर हवाई अड्डे तक की सभी यातायात की सुविधाएं इस शहर में मौजूद है। साथ ही चंबल नदी के समीप स्तिथ जयपुर का कोटा शहर भी शिक्षा के लिए प्रमुख स्थान है।
राजस्थान में कुल कितने जिले हैं ?
राजस्थान में कुल 33 जिले हैं और उन जिलों के नाम हैं –
- भरतपुर
- जयपुर
- जैसलमेर
- जालोर
- चित्तौड़गढ़
- दौसा
- धौलपुर
- डूंगरपुर
- गंगानगर
- हनुमानगढ़
- भीलवाड़ा
- बीकानेर
- बूंदी
- चुरू
- अजमेर
- अलवर
- बांसवाड़ा
- बारां
- बाड़मेर
- झालावाड़
- झुंझुनूं
- जोधपुर
- करौली
- कोटा
- नागौर
- पाली
- प्रतापगढ़
- राजसमंद
- सवाई माधोपुर
- सीकर
- सिरोही
- टोंक
- उदयपुर
राजस्थान का सबसे बड़ा जिला कौन सा है ?
राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर है। राजस्थान के इस जिले का क्षेत्रफल 38,401 वर्ग किलोमीटर है। राजस्थान के इस जिले में सात लाख जनसंख्या निवास करती हैं।
राज्य का यह जिला रेगिस्तान पर बसा हुआ है और इसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान से भी जुड़ा हुआ है। क्षेत्रफल की दृष्टि से जैसलमेर भारत का तीसरा सबसे बड़ा जिला माना जाता है।