रमा एकादशी 2024 व्रत कथा | Rama Ekadashi Vrat Katha In Hindi: देवी लक्ष्मी का दूसरा नाम रमा है, हिन्दू धर्म में कार्तिक माह की इस एकादशी का विशेष महत्व हैं.
लक्ष्मी जी के साथ साथ विष्णु जी के केशव स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती हैं. यह चतुर्मास की आखिरी एकादशी भी हैं, इसकी कथा पूजा विधि व्रत तिथि इस प्रकार हैं.
रमा एकादशी 2024 व्रत कथा | Rama Ekadashi Vrat Katha In Hindi
यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता हैं. इस दिन भगवान केशव का सम्पूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य तथा आरती का प्रसाद वितरित कर ब्राह्मणों को खिलाये तथा दक्षिणा बांटे.
रमा एकादशी कब मनाई जाती हैं (Rama Ekadashi Date)
आंध्रप्रदेश, कर्नाटका, गुजरात एवं महाराष्ट्र में रमा एकादशी अश्वायूज माह तमिल कैलेंडर के अनुसार पुरातास्सी माह की एकादशी तिथि को रमा एकादशी कहा जाता हैं.
कई भागों में आश्विन महीने की एकादशी का व्रत रखा जाता हैं. उत्तर भारत में दिवाली पर्व से चार दिन पूर्व यह व्रत रखा जाता हैं, ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी का व्रत रखने से मानव पाप मुक्त हो जाते हैं.
अगर साल 2024 में रमा एकादशी व्रत की तिथि की बात करें तो कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को व्रत रखा जाता हैं, इसकी अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार तिथि इस तरह हैं.
एकादशी तिथि शुरू | 28 अक्टूबर |
एकादशी तिथि ख़त्म | 29 अक्टूबर |
रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi vrat Story)
एक समय मुचकुंद नाम का दानी और धर्मात्मा राजा राज्य करता था, उसे एकादशी व्रत का पूरा विश्वास था, इसलिए वह प्रत्येक एकादशी को व्रत रखता था.
उसने अपनी प्रजा पर भी यह नियम लागू कर दिया था. उसके चन्द्रभागा नामक एक कन्या थी, वह भी अपने पिता से अधिक इस व्रत पर विशवास करती थी. उसका विवाह राजा चन्द्रसेन के पुत्र शोभन के साथ हुआ. जो राजा मुचकुंद के साथ ही रहता था.
एकादशी के दिन सभी ने व्रत किये. शोभन ने भी व्रत किया, परन्तु क्षीणकाय होने से भूख से व्याकुल हो मृत्यु को प्राप्त हो गया, इससे राजा रानी और पत्नी अध्यधिक दुखी हुए. शोभन के व्रत के प्रभाव से मन्दराचल पर्वत पर स्थित देव नगर में उन्हें आवास मिला.
वहां उसकी सेवा में राम्भादी अप्सराये तत्पर थी. अचानक एक दिन राजा मुचकुंद मन्दराचल पर टहलते हुए पहुचा तो वहां अपने दामाद को देखा और घर आकर सब वृतांत अपनी पुत्री को सुनाया,
पुत्री भी यह समाचार पाकर पति के पास चली गई तथा दोनों सुख से पर्वत पर ही रंभादिक अप्सराओं से सेवित निवास करने लगे.
रमा एकादशी उपवास पूजा विधि (Rama Ekadashi vrat Puja Vidhi)
- दशमी तिथि के सायंकाल से ही एकादशी तिथि शुरू हो जाती है इसलिए शाम को भी निराहार रहकर यह व्रत किया जाता हैं, इसकी विधि इस तरह हैं.
- सूर्योदय से पूर्व उठकर नहा धोकर एकादशी व्रत का संकल्प करे और ईश्वर का स्मरण करें.
- इस दिन निराहार रहकर व्रत रखा जाता हैं.
- व्रत समाप्त करने के समय को पराना कहते है यह अगले दिन द्वादशी की तिथि को होता हैं.
- जो व्यक्ति रमा एकादशी का व्रत नहीं रख सकते उन्हें इस दिन चावल और उससे बनने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.
- पूजा के सही मुहूर्त में भगवान विष्णु को फूल, फल अगरबत्ती से भोग लगाकर पूजा अर्चना करें.
- विष्णु जी को तुलसी प्रिय होती है अतः उन्हें तुलसी के पत्ते भी चढाएं.
- पूजा कार्य सम्पन्न होने के पश्चात आरती और प्रसाद वितरित करें.
- इस तरह विधि विधान के अनुसार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा अराधना करने से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है तथा जीवन में सुख सम्रद्धि और अच्छा स्वास्थ्य फल मिलता हैं.
रमा एकादशी व्रत का महत्व
धर्मराज युधिष्ठिर के आग्रह पर भगवान श्री कृष्ण द्वारा सभी पापों से मानव को मुक्त करने वाली पावन रमा एकादशी के महात्म्य के बारे में बताते हैं.
जो मनुष्य साल भर आने वाली एकादशी तिथि के व्रत धारण नहीं कर पाता है वो महज इस एकादशी का व्रत रखने से ही जीवन की दुर्बलता और पापों से मुक्ति पाकर आनन्दित जीवन जीने लगता हैं.
पद्म पुराण वर्णित इसके महत्व के बारे में बताया गया हैं कि जो फल कामधेनु और चिन्तामणि से प्राप्त होता है उसके समतुल्य फल रमा एकादशी के व्रत रखने से प्राप्त हो जाता हैं.
सभी पापों का नाश करने वाली और कर्मों का फल देने वाली रमा एकादशी का व्रत रखने से धन धान्य की कमी भी दूर हो जाती हैं.