रवीश कुमार का जीवन परिचय | Ravish Kumar Biography in Hindi

रवीश कुमार का जीवन परिचय | Ravish Kumar Biography in Hindi आज हम जिस शख्स के बारे में बात करने वाले हैं उनका नाम टीवी जगत में खूब अदब और सम्मान से लिया जाता है।

क्योंकि रवीश कुमार एक ऐसा नाम है जो अपना काम पूरी ईमानदारी, सच्ची पत्रकारिता और निस्वार्थ भाव से निष्पक्षता के साथ करते है ।

रवीश कुमार का जीवन परिचय | Ravish Kumar Biography in Hindi

रवीश कुमार का जीवन परिचय | Ravish Kumar Biography in Hindi

सामाजिक मुद्दों पर, गरीबो और बेसहारा लोगो पर बनाई गयी रिपोर्ट , सरकारी तंत्र से लड़ने के लिए उठाई गयी आवाज और अपने खुद के अलग अनोखे लेख के लिए रवीश कुमार जाने जाते है।

कौन है रवीश कुमार इनके बारे में जानकारी

रवीश कुमार ऐसा नाम है जो पत्रकारिता नाम सुनते ही आपके दिमाग में सबसे पहले आता है क्योंकि जिस इमानदारी और निडरता से अपनी पत्रकारिता में वे देश के उन मुद्दों को उठाते है और देश के सामने लाते है ,

ऐसा कोई ओर पत्रकार या टीवी, न्यूज़ चैनल नहीं कर पाता है । इनकी ईमानदारी और बेबाकी से बोलने और नहीं डरने के जज्बे के आगे बड़े बड़े नेता, सरकार या प्रशासन भाग खड़े होते है ।

तो शुरू करते है रवीश कुमार की स्टाइल में आज की बायोग्राफी – नमस्कार मै रविश कुमार की रिपोर्ट लेके आया हूँ आपके सामने – उम्मीद करता हूँ की आप इसको पढ़ने के बाद अपनी तरफ से निष्पक्ष और ईमानदारी से जीवन जीने के लिए अग्रसर रहोगे ।

व्यक्तिगत जानकारी

वास्तविक नाम – रविश कुमार पांडेय
पिता का नाम – बलिराम पांडेय
भाई का नाम – ब्रजेश कुमार पांडेय
पत्नी का नाम – नयना दासगुप्ता
घर – मोतिहारी बिहार

शैक्षणिक योग्यता

रवीश कुमार की शुरुआती शिक्षा लॉयलो हाई स्कूल पटना में हुई । उसके बाद आगे की पढाई के लिए वो दिल्ली आ गए । दिल्ली में उन्होंने देशबंधु कॉलेज से ग्रेजुएशन किया ।

वो UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए भी पढ़े पर पास नहीं कर पाए । इन्होने ” indian institute of mass comunication ” से हिंदी पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया ।

वैवाहिक जानकारी

रवीश कुमार जब “M Phil” कर रहे थे , तब उनकी मुलाकात दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज में पढ़ने वाली नयना दासगुप्ता से हुई । फिर धीरे-धीरे इनकी दोस्ती प्यार में बदल गई ।

नयना के साथ रविश कुमार ने काफी कुछ सीखा। सबसे महत्वपूर्ण ये रहा की नयना ने रविश को बुक पढ़ने की आदत सिखाई । यह दोनों साथ में पूरी दिल्ली घूमे यह वह दौर था जब रविश के पास कुछ खास पैसे नहीं होते थे, इसलिए ये दोनों ज्यादातर लॉन्ग वाक पर जाते या छोटे मोटे कॉफ़ी हाउस चले जाते थे ।

7 साल तक एक दूसरे को डेट करने के बाद जब रविश कुमार ने अपने घरवालों को नयना दस गुप्ता से शादी करने के बारे में बताया तो इनके घरवाले नहीं माने । घरवालों की नाराजगी के बावजूद रविश कुमार ने नयना से शादी कर ली।

रवीश कुमार और नयना दासगुप्ता की आज 2 बेटिया है । नयना देश गुप्ता लेडी श्री राम कॉलेज में इतिहास की टीचर है । एक इंटरव्यू में रवीश ने कहा कि हर सफल इंसान की लाइफ में किसी का हाथ होता है उनकी लाइफ में सफलता के पीछे वो अपनी पत्नी नयना दास का हाथ मानते है ।

रवीश कुमार का शानदार करियर

पत्रकारिता के क्षेत्र में इमानदारी और निष्पक्षता से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर सवाल उठाना और लगातार गरीब और बेसहारा लोगो के जीवन को ऊँचा उठाने में लगे रहना इतना आसान तो नहीं रहा होगा ।

पर जिस तरह से रविश कुमार के जबरदस्त शो “रविश की रिपोर्ट” , “प्राइम टाइम” और “हम लोग” को देखते है तो लगता है कोई तो है जिसे देश के गरीब, बेसहारा, बेरोजगारों की चिंता है जिसे हो रहे देश के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक और जातिगत अन्याय नजर आते है ।चलिए देखते है

रवीश कुमार का सफर कैसे शुरू हुआ?

रवीश कुमार 1996 में NDTV से जुड़े । आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि एनडीटीवी में पहली नौकरी के रूप में रविश कुमार को अपने ऑफिस में जो चिट्ठी आती थी, वह उनको अलग करने का काम करते थे । साथ में चिट्ठी को पढ़ते रहते थे । तो वहां से उनको खूब सारी महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी हुई ।

बाद में राजदीप सरदेसाई और प्रणय राय जो कि उनके सीनियर थे, उन्होंने उनको पत्रकारिता करने की सलाह दी

वह कड़ी मेहनत और ईमानदारी के साथ इस काम के अंदर लगे रहे और वक़्त के साथ अपनी कमियों में सुधर करते रहे और इसी के चलते निरंतर सुधर और मेहनत के जरिए रविश कुमार NDTV के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक बन गए ।

रवीश कुमार के एनडीटीवी प्राइम टाइम शो, हम लोग, रवीश की रिपोर्ट बहुत ही ज्यादा देखे जाने वाले शो है।

एनडीटीवी इंडिया के साथ ravish कुमार पिछले 20 साल से भी ज्यादा समय से जुड़े हुए है । आइए यह जानने की कोशिश करते हैं कि 

इतने लोकप्रिय क्यों है ??

जैसे ही हम इस सवाल का जवाब ढूंढते है, और उनके किसी भी शो पर नजर डालते है तो पता चलता है की वो जनता के हित के मुद्दे पर बात करते हैं , ऐसे मुद्दों पर बात करते है जहाँ बाकि पत्रकार सरकार या नेता या प्रशासन के डर से बात नहीं करते है । 

सरकार की गलतियों या कमियों को बड़े साहस और निडरता से जनता के सामने लाते है । उन मुद्दों की बात करते है जिनकी बात से देश में बदलाव आता है जैसे कि बेरोजगारी , किसानो कि समस्या, मीडिया का निष्पक्ष न होना, सामाजिक असमानता इत्यादि ।

कुमार किसी भी राजनैतिक पार्टी, नेता और सरकार के खिलाफ आवाज उठा देते है अगर वो जनता के साथ धोका कर रहे हो, घोटाला कर रहे हो, या जनता को सही मुद्दों से भटका रहे हो। 

क्योंकि रवीश कुमार एकदम से आम सरल भाषा का प्रयोग करते हैं । कोई बड़े कठिन शब्द प्रयोग नहीं करते। उनकी पत्रकारिता में बेहद सरल शब्द सुने जाते हैं जैसे मां बाबूजी, बाग बगीचे, चिड़िया ,गरीबी, खेत खलिहान, जो की आम आदमी को सीधे सरल तरीके से समझ आ जाते है।

वह हमेशा गरीबों और जनता के हित से जुड़े हुए मुद्दों को उठाते हैं इनके अलावा उन्होंने अपना एक ब्लॉग भी शुरू कर रखा है जिसका नाम है – कस्बा।

इनके अलावा इनके बोलने का देशी अंदाज़ , वो साधारण सा दिखने वाला चेहरा और आम लोगो के बीच वाली बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना। इनको आम जनता से जोड़ती है । सबसे महत्वपूर्ण है इनकी ईमानदारी, इनकी निडरता, साहस जिसको देखकर हर आम आदमी इनके ऊपर विश्वाश करता है ।

रवीश कुमार बड़े बड़े अवार्ड्स से सम्मानित हुए है

कुमार का करियर कितना शानदार रहा होगा इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हो कि उन्हें एशिया का “नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाले रमन मैग्सेसे अवार्ड” से 2019 में सम्मानित किया गया ।

यह अवार्ड पत्रकारिता के क्षेत्र में आज तक भारत के सिर्फ दो लोगों को मिला है । इस अवार्ड के अलावा रविश कुमार को खूब सारे अवार्ड मिले हैं।

चलिए बात करते हैं ओर कौन-कौन से अवार्ड मिले हैं रवीश कुमार-

  • 2010 में उन्हें राष्ट्रपति के हाथो गणेश शंकर छात्र पुरुस्कार मिला ।
  • 2013 और 2017 में पत्रकारिता के क्षेत्र में रामनाथ गोयनका पुरुस्कार से सम्मानित किये गए।
  • 2014 में भारतीय टेलीविज़न द्वारा सर्वश्रेष्ठ टीवी एंकर का पुरुस्कार मिला।
  • पत्रकारिता में गौरी लंकेश का अवार्ड भी मिला ।
  • फिर 2017 में साहित्य के क्षेत्र में रविश कुमार को गणेश शंकर विद्यार्थी पुरुस्कार मिला ।
  • 2016 में द इंडियन एक्सप्रेस ने रविश कुमार को 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगो की लिस्ट में रखा ।
  • मुंबई प्रेस क्लब की तरफ से जौनलिस्ट ऑफ़ द ईयर का अवार्ड भी जीत चुके है रविश कुमार ।

रवीश कुमार की लिखी गयी किताबे

ज्यादातर लोग रवीश कुमार को उनकी पत्रकारिता और टीवी शो “प्राइम टाइम” और “रविश की रिपोर्ट” की वजह से जानते हैं ।

बहुत कम लोगों को पता है कि रविश कुमार बहुत अच्छे लेखक भी हैं और उनके द्वारा लिखी गई कुछ शानदार पुस्तकों के नाम निम्नलिखित है।

  •  # The Free voice- भारतीय लोकतंत्र , संस्कृति और देश के बारे में ( इंग्लिश में )
  • # बोलना ही है- भारतीय लोकतंत्र , संस्कृति और देश के बारे में ( हिंदी में )
  •  # इश्क में शहर होना ( हिंदी में )
  •  # देखते रहिए ( हिंदी में ) # रवीशपन्ति ( हिंदी में )
  •  # A city Happens in Love( इंग्लिश में )

वादविवाद

यूँ तो ईमानदार आदमी और न्यूज़ रिपोर्टर होने के नाते रविश कुमार का आये दिन किसी न किसी नेता , बिज़नेस मैन या कट्टर सोच रखने वाले किसी विशेष धर्म और जाति के लोगो के साथ वाद विवाद होता ही रहा है ।

पर हम यहाँ मुख्यत 2 विवादों को बताना चाहेंगे जिनमे से एक विवाद रविश के सगे भाई के खिलाफ योन शोषण की शिकायत होने पर जुड़ा और दूसरा विवाद हुआ प्रधानमंत्री मोदी की मीडिया के साथ जिसको रविश कुमार ने गोदी मीडिया नाम दिया है ।

1- रविश के भाई ब्रजेश की गलती से सोशल मीडिया पर आलोचना हुई रविश की

रविश कुमार के भाई ब्रजेश कुमार ने जब योन शोषण के मामले में कांग्रेस से इस्तीफा दिया तो सोशल मीडिया पर रविश कुमार की काफी आलोचना हुई ।

दरअसल रवीश कुमार के सगे भाई ब्रजेश कांग्रेस 2017 में बिहार कांग्रेस के उपाध्य्क्ष पद पर थे । तब उन पर अपने किसी साथी की बेटी से छेड़छाड़ और योन शोषण के आरोप लगे । इसके चलते ब्रजेश कुमार उपाध्य्क्ष पद से इस्तीफा दे कर खुद तो साइड में हो गए। पर सोशल मीडिया पर रविश कुमार के आलोचक और प्रसंसको में एक जंग सी छिड़ गयी थी ।

कुछ लोगो ने इस घटना का सहारा लेते हुए रविश कुमार को उनके भाई के नाम से खूब बदनाम करने की कोशिश की और खूब कीचड़ उछाला गया ।

वही कुछ लोगो ने रवीश पर कीचड़ उछलने वालो को दुतकारते हुए रविश कुमार की पत्रकारिता और अच्छाई के किस्से सुनाये ।

2- गोदी मीडिया

टीवी , न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया पर आपने ये नाम जरूर सुना होगा अगर आप थोड़े से भी राजनीती की बातो में रुचि रखते हो तो।

गोदी मीडिया नाम रवीश कुमार ने उन लोगो को दिया है जो बिना किसी तथ्य या सच्चाई को जाने सीधे तौर भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देते है । रविश कुमार गुस्सा और नाराज है उन लोगो से जो अपनी न्यूज़ बेचते है न की सचाई दिखाते है।

गोदी मीडिया शब्द को एनडीटीवी के पत्रकार रविश कुमार द्वारा गढ़ा और प्रचलित किया गया।

रवीश कुमार ने गोदी मीडिया पर आरोप लगाया कि यह इमानदारी और निष्पक्ष्ता से पत्रकारिता नहीं करते हैं । ये सिर्फ फर्जी खबरों और भड़काऊ कहानियों को चलाते रहते हैं जो कि ज्यादातर झूठी होती है । इन टीवी चैनल का सीधा संबंध भारतीय जनता पार्टी और बड़े बड़े बिजनेसमैन के साथ होता है ।

गोदी मीडिया एक निंदात्मक शब्द है जिसके तहत एनडीटीवी के रवीश कुमार उन सारे टीवी चैनल और मीडिया की बुराई करते हैं जो नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( भारतीय जनता पार्टी ) का सीधे तौर पर समर्थन करते हैं ना सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं ना तथ्य की गहराइयों को जानने की कोशिश करते हैं ।

टीवी और समाचार चैनल जिनको गोदी मीडिया कहा जाता है उनमें प्रमुख है जी न्यूज़ , टाइम्स नाउ , रिपब्लिक टीवी भारत, रिपब्लिक टीवी, आज तक , इंडिया टुडे ,एबीपी न्यूज़ ,इंडिया टीवी है ।

रवीश ने जब रमन मेग्सेस पुरुस्कार स्वीकारते वक्त कहा था कि ” भारतीय मीडिया संकट में है , और ये संकट अचानक नहीं हुआ है इसको धीरे धीरे ढांचागत तरीके से बनाया गया है ।

” उन्होंने आगे कहा कि ” हर जंग जितने के लिए नहीं लड़ी जाती कुछ जंग इसलिए भी लड़ी जाती है कि दुनिया को बताया जा सके कि कोई लड़ रहे है ” और उन सारे सच्चे पत्रकारों कि तरफ से ये सम्मान मैं स्वीकार करता हूँ ।”

रवीश कुमार है देश के हीरो –

जहाँ पर देश में ज्यादा तर टीवी चैनल और मीडिया की खुले तौर पर बुराई की जाती है वही रवीश कुमार जैसे कुछ ईमानदार लोगो की वजह से अब भी लोग मीडिया पर भरोषा करते है ।

अपनी शानदार समझ भरी बहस और जनता के असली मुद्दे उठाने के लिए वो काफी सराहे जाते है। अगर हिंदी पत्रकारिता की बात की जाये तो वे बिना किसी संदेह के भारत के सबसे बड़े और चेहते पत्रकार है ।

रवीश कुमार को बहुत बार जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है इसके बावजूद वे अपना काम ईमानदारी और निडरता से किये जा रहे है।

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