सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा पर निबंध | Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay In Hindi

नमस्कार दोस्तों सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा पर निबंध Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 Students के लिए दिया गया हैं.

हम उम्मीद करते है सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा का निबंध पसंद आएगा.

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा पर निबंध

सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा पर निबंध | Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay In Hindi

विषुवत रेखा का वासी जो जी लेता है हांफ हाँफ कर
रखता है अनुराग अलौकिक वह भी अपनी मातृभूमि पर

प्रस्तावना

हर प्राणी को अपनी जन्म भूमि से स्वाभाविक प्रेम होता हैं. स्वदेश के अन्न, जल और वायु से ही मनुष्य को जीवन मिलता हैं.

उसका इतिहास और परम्पराएँ उसके सिर को गर्व से ऊँचा करती हैं. मुझे भी अपने भारत से असीम प्यार हैं. मुझे भारतीय होने पर गर्व हैं. मेरा देश सबसे न्यारा हैं, सबसे प्यारा हैं.

नामकरण और भौगोलिक स्थिति- राजा दुष्यंत और शंकुतला के प्रतापी पुत्र सम्राट भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत हुआ, भरतखंड, जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, हिंदुस्तान, इंडिया भी भारत के अन्य नाम रहे हैं.

हमारे देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित हैं. इसके उत्तर में हिमालय के धवल शिखर हैं और दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्वी सीमा पर असम, नागालैण्ड त्रिपुरा आदि प्रदेश हैं और पश्चिम में राजस्थान तथा गुजरात प्रदेश हैं.

इतिहास एवं संस्कृति

भारत विश्व के प्राचीनतम देशों में गिना जाता हैं. भारत के प्राचीन वैभव का परिचय हमें वेद, उपनिषद एवं पुराण आदि ग्रंथों से मिलता हैं.

भारतीय संस्कृति संसार की प्राचीनतम एवं महानतम संस्कृति रही है. इस संस्कृति ने सर्वे भवन्तु सुखिनः तथा वसुधैव कुटुम्बकम् आदि महान संदेश दिए हैं.

इस संस्कृति ने सत्य, अहिंसा, परोपकार, दान, क्षमा आदि क्षेष्ठ जीवन मूल्यों को अपनाया हैं. दधीची, शिवि, रंतिदेव, कर्ण जैसे दानी और परोपकारी राम, कृष्ण, अर्जुन जैसे वीर, हरीश चन्द्र जैसे सत्यनिष्ठ बुद्ध और महावीर जैसे अहिंसा के पालक भारतीय संस्कृति की ही देन हैं अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की ही विशेषता हैं. विधर्मी से बैर हमारी संस्कृति में निषिद्ध हैं.

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्ता हमारा

प्राकृतिक वैभव

मेरी भारत भूमि पर प्रकृति ने अपार प्रेम बरसाया हैं. बारी बारी से छः ऋतुएँ इसका श्रृंगार करती हैं. मधुकंठ विहंगो की अवली, नित मंगलगीत सुनाती हैं.

एक ओर नभस्पर्शी हिमालय और दूसरी और हरे भरे विस्तृत मैदान बलखाती नदियाँ, दर्पण से झील ताल, वनस्पतियों से भरे वनांचल और सागर के अनंत विस्तार, क्या नहीं दिया हैं प्रकृति ने भारत को. यहाँ खनिजों का भंडार हैं जीवनोपयोगी विविध वस्तुओं के उपहार हैं.

वर्तमान स्थिति

आज मेरा भारत विश्व का विशालतम और स्थिर लोकतंत्र हैं. यह अपने चहुमुखी विकास में जुटा हुआ हैं. ज्ञान विज्ञान, व्यवसाय, शिक्षा एवं आध्यात्म हर क्षेत्र में अपनी प्रगति के परचम फहरा रहा हैं. विश्व की महाशक्ति बनने की और अपने कदमो को बढ़ाता जा रहा हैं.

उपसंहार

मेरा देश सबसे न्यारा और निराला हैं. ऐसी सांस्कृतिक उदारता और साम्प्रदायिक सद्भाव अन्यत्र देखने को नहीं मिलता. भारत के समान वैशिष्ट्य अन्य देशों में नहीं मिलता.

भारत अनुपम है संसार के समस्त देशों में भारत अर्थात हिंदुस्तान के समान उत्तम कोई देश नहीं हैं. इसी कारण शायर इकबाल ने लिखा हैं कि

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलिस्तां हमारा

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