Short Essay On Hindi Diwas 2023 In Hindi | 14 सितम्बर हिंदी दिवस पर निबंध

Short Essay On Hindi Diwas दोस्तों आपका स्वागत करता हूँ, 14 नवम्बर 2023 को हर वर्ष की भांति हिंदी दिवस मनाया जा रहा हैं.

14 सितम्बर हिंदी दिवस 2023 Hindi Diwas Short Essay  पर निबंध स्टूडेंट्स के लिए यहाँ लिखा गया हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स इन निबंध भाषण के माध्यम से राष्ट्रीय हिंदी डे को अपनी भाषा में समझ सकते हैं.

Essay On Hindi Diwas 2023 In Hindi

Short Essay On Hindi Diwas 2023 In Hindi | 14 सितम्बर हिंदी दिवस पर निबंध

देवनागरी हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है. 14 सितम्बर 1949 के ऐतिहासिक दिन पर हमारे सविधान द्वारा इसे भारत की आधिकारिक राष्ट्रिय भाषा का दर्जा दिया गया.

इस दिन को यादगार बनाने के उद्देश्य से इसे Hindi Diwas (विश्व हिंदी दिवस) के रूप में हर वर्ष मनाया जाता हैं. राष्ट्रभाषा के इतिहास, महत्व तथा इस मुकाम पर पहुचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोगों को 14 सितम्बर हिंदी दिवस 2023 पर याद किया जाता है.

14 सितम्बर हिंदी दिवस पर निबंध

essay in hindi language on hindi diwas: किसी भी देश के अधिकतर लोगों द्वारा स्वेच्छा से अपनाई गई व बड़े क्षेत्र में बोली एवं समझी जाने वाली भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है.

गणतन्त्र भारत द्वारा हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल, तेलगु, मराठी, कन्नड़ समेत 22 भाषाओँ को सविधान द्वारा राष्ट्रिय भाषाओं का दर्जा दिया गया.

इन सभी क्षेत्रीय में हिंदी सबसे लोकप्रिय भाषा है. जिन्हें राजभाषा का दर्जा दिया गया है. राज भाषा वह लिपि या भाषा होती है, जिन्हें सरकारी (राजकीय) कार्यो में उपयोग किया जाता है.

हिंदी दिवस के महत्व पर निबंध (hindi diwas ka mahatva in hindi language)

हमारे सविधान द्वारा तो हिंदी को अंग्रेजी के साथ-साथ राज भाषा का पद दिया गया. मगर व्यवहारिक जीवन में हम अधिकतर राज कार्यो में हिंदी की जगह आम तौर पर अंग्रेजी को ही पाते है.

हिंदी को अपना वास्तविक सम्मान और स्थति प्राप्त करने के लिए दशकों से संघर्ष करना पड़ रहा है. हिंदीभाषियों द्वारा ही अपनी मातृभाषा कों सम्मानित स्थान प्रदान किया जा सकता है.

क्यों एक उन लोगों की विदेशी भाषा आज भी हम पर अधिपत्य जमाएं बैठी है, जिनसे हम 1947 से ही आजाद है. हमारे आम जन की भाषा जिन्हें अधिकतर लोग जानते है समझते है वो तिरस्कृत क्यों है. यह सब जानने के लिए हमे हिंदी की सवैधानिक स्थति का अवलोकन करना होगा.

हमारे गणतंत्र के आधार सविधान के अनुच्छेद 343 के खंड क में हिंदी को राजभाषा के रूप में देव नागरी लिपि के साथ स्वीकार किया गया है. पूर्व स्थति के अनुसार सविधान के लागू होने के 15 साल बाद तक सहायक राष्ट्र भाषा के रूप अंग्रेजी का उपयोग होता रहेगा.

सैकड़ो वर्षो तक अंग्रेजी ही राज काज की मुख्य भाषा होने के कारण आजादी के तदोपरांत हिंदी को पूर्ण रूप से राष्ट्रिय भाषा बनाए जाना व्यवहारिक रूप से कठिन था.

इसी उद्देश्य से आरम्भिक 15 वर्षो तक 26 जनवरी 1965 तक हिंदी की सहायक भाषा के रूप में अंग्रेजी में राजकीय कार्य स्वीकार किया गया.

जब 1965 में हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिस्थापित करने का शुभ अवसर आया तो हमारे ही देश के कुछ दक्षिण राज्यों के राजनेताओ और लोगों ने हिंदी के खिलाफ ही विरोध का झंडा खड़ा कर दिया. राजनितिक फायदे के लिए किये गये हिंदी विरोधी इस आंदोलन में बड़े आंदोलन का रूप लेकर शासन व्यवस्था को पूर्ण रूप से ठप सा कर दिया.

भारत में किसी एक भाषा कों राष्ट्रभाषा अभी तक स्वीकार न किये जाने की स्थति का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते है. कि भारतीय सविधान द्वारा 22 अन्य भाषाओ को राजभाषा माना गया. जिनमे सरकारी काम-काज संचालित किया जा सकता था.

भारत में सबसे अधिक लोग हिंदी बोलते है, इसके बाद सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा में बगला है. इसके बाद तमिल, मराठी, कन्नड़, तेलगु, पंजाबी, गुजराती भाषा को बोलने वालों की संख्या करोड़ो में है.

hamari rashtrabhasha hindi essay in hindi language

इस बहुभाषावाद का सबसे बुरा असर हिंदी को सहन करना पड़ा. राजनितिक स्वार्थ के लिए किये गये विरोधों के कारण हमारी मातृभाषा अपने सम्मानित स्थान तक नही पहुच है. ब्रिटिश भारत में अंग्रेजी का प्रचलन पुरे देश में था.

स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद हिंदी ही सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा और पुरे देश की सम्पर्क भाषा के रूप में सामने आई है. उत्तर, दक्षिण पूरब या पश्चिम भारत के किसी कोने में इस भाषा को बोलने व् समझने वाले लोग मिल जाएगे.

यही वजह है कि हमारे सविधान निर्माताओ तथा राष्ट्रिय नेताओं ने हिंदी को ही भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की पुरजोर वकालत की.

हिंदी की लोकप्रियता व् स्वरूप की बात करे तो भारत के 15 से अधिक राज्यों की मुख्य भाषा हैं. इसकी देवनागरी लिपि बेहद सरल हैं. व्यापक शब्दावली और व्याकरण की इस भाषा ने देशी विदेशी सभी शब्दों को आत्मसात कर अपना विस्तार किया है. भाषा लोगों की  भावनाओं से जुड़ा विषय होने के कारण यह राष्ट्रिय एकता और समरूपता बढ़ाने में भी सहायक हैं.

इन्टरनेट के बढ़ते प्रचलन ने हिंदी और अंग्रेजी भाषा के समन्वयित रूप में हिग्लिश अधिक प्रचलन में है. दूसरी तरफ व्यवसायिक शिक्षा के तीव्र प्रचलन ने भी अंग्रेजी को बढ़ावा दिया हैं.

कई बड़े कोर्सेज़ एकमात्र अंग्रेजी में ही हैं. जिस कारण मजबूरन छात्रों को उन्हें अपनाना पड़ता हैं. जिसके परिणामस्वरूप घर में हिंदी तथा संस्थान में अंग्रेजी के बिच वो पूर्ण रूप से सामजस्य नही बिठा पाते हैं.

दूसरी तरफ इन्टरनेट की भाषा कही जाने वाली हिग्लिश मातृभाषा हिंदी के लिए चिंता का विषय साबित हो सकती है, एक तरफ जहाँ अहिंदीभाषी लोग इसके संर्पक में आने से उनका रुझान बढ़ रहा है,

वही मूल हिंदी का उपयोग न होने से इसका प्रचलन भी कम हो रहा है. हमारी राष्ट्रिय भाषा पूर्ण रूप से वैज्ञानिक और परिष्कृत भाषा होने के साथ साथ इसकी नियमावली, व्याकरण और विशाल शब्दकोश इसकी महत्ता को दर्शाते है.

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हिंदी भाषी प्रदेशो में हर साल विद्यालय, कॉलेज तथा विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों में Hindi Diwas मनाया जाता हैं. इसके स्वर्णिम इतिहास और सुनहरे भविष्य को लेकर कई प्रकार की संगोष्टीयों का आयोजन होता है.

इस भाषा के छात्रों को हिंदी भाषा के इतिहास, महत्व, आज के समय में इसकी आवश्यकता जैसे विषयों पर निबन्ध और भाषण प्रस्तुत किये जाते हैं.

भले ही आज के युवा अंग्रेजी की तरफ अधिक ललायित हो रहे है, उन्हें अपनी मातृभाषा कों अपने दिलों में बनाए रखना होगा. हमारे प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी और अटल बिहारी वाजपेयी सर्वोच्च नेता होने के बावजूद राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर सदैव हिंदी में ही अपना वक्तव्य देते हैं.

भारत के अलावा नेपाल, त्रिनिदाद, मारीशस में बोली और समझी जाने वाली हिंदी में बोलने या लिखने में हमे हीनता की भावना की बजाय गर्व होना चाहिए.

Hindi Diwas 2023 Essay In Hindi हिंदी दिवस पर निबंध

Hindi Diwas Essay In Hindi: भारत में हर वर्ष 14 सितम्बर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता हैं. Hindi Diwas Essay स्टूडेंट्स के लिए लेकर आए हैं.

आप 2023 के हिंदी दिवस पर स्पीच भाषण इत्यादि दे सकते हैं. हिंदी की देवनागरी लिपि को भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त हैं. समय समय पर हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए आवाज उठती रही हैं.

14 सितम्बर 1949 के दिन इसे राजभाषा स्वीकार किया था, पहली बार 1953 में हिंदी दिवस मनाया गया था. हिंदी भाषा पर निबंध / Hindi Diwas essay उन स्टूडेंट्स के लिए हैं

Essay On Hindi Diwas 2023 In Hindi For Students: एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति अथवा समुदाय तक अपने भावों या विचारों का आदान प्रदान भाषा के माध्यम से ही करता हैं.

व्यक्तियों से एक समाज का निर्माण होता है तथा समाजों के मिलन से राष्ट्र का जन्म होता हैं. प्रत्येक देश की अपनी पहचान होती हैं. इसी पहचान में उनकी अपनी एक भाषा भी होती हैं जिन्हें राष्ट्र भाषा भी कहा जाता हैं.

वह राष्ट्र भाषा उस क्षेत्र देश के लोगों की संस्कृति एवं सभ्यता की प्रतीक मानी जाती हैं. भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी Hindi Diwas हैं. आजादी के बाद भारत की राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी को स्थापित किया था.

हालाँकि औपचारिक तौर पर इसे 1949 में राजभाषा का दर्जा दिया गया हैं. कई विद्वानों की राय एवं उनकी समझ से ही भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी को स्वीकार किया गया था.

hindi diwas- हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के पीछे कई मुख्य कारण भी थे. एक कारण यह भी था कि भारत के बाहुल्य क्षेत्र में इसे बोला एवं समझा जाता हैं. फिर दूसरी ऐसी कोई भाषा भी नही थी जिसे एक या दो राज्यों से अधिक जनता जानती एवं समझती हो. दूसरी तरफ हिंदी भारत के जन जन की भाषा थी.

छोटा हिंदी दिवस निबंध 2023

हिंदी दिवस पर निबंध 2023:- हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी को अब भी पग पग पर अपमानित होना पड़ रहा हैं. असल में वो जिस सम्मान एवं पद की हकदार हैं वो उसे नही मिल पाया हैं, जिसके लिए उसने लम्बा संघर्ष भी किया हैं.

इस बात से हर कोई वाकिफ है कि भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त होने के लिए सैकड़ों साल तक संघर्ष करना पड़ा था. तब जाकर हमें आजादी मिली थी.

अंग्रेजी शासनकाल में अंग्रेजी ही राजकाज की भाषा हुआ करती थी. भले ही हम गोरों की गुलामी से 70 साल पहले ही मुक्त हो गये मगर उनकी दासता अंग्रेजी के रूप में आज भी हम झेल रहे हैं.

इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हमारे अपने लोगों की सोच हैं, जो अंग्रेजी को सफलता का रास्ता मानते हैं. तथा उनकी पूर्वाग्रह से ग्रसित सोच हिंदी भाषा -Hindi Diwas को दुनियां की पिछड़ी हुई भाषाओं में गिनाते हैं.

यह सत्य है कि आज के समय में एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना कोई बुरी बात नही हैं. मगर एक नौकरी के लिए अपनी मातृभाषा को भुला जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं. हमारे लिए पैसे दौलत से बढ़कर हमारे देश की संस्कृति एवं हमारे देश के लोगों की भाषा यानि Hindi की अहमियत इन सबसे बढ़कर होनी चाहिए.

आज भारत तेजी से आगे बढ़ रहा हैं. भारत के लोग दुनियाभर में रह रहे हैं अथवा नौकरी व्यवसाय के लिए बाहर जाते हैं. यदि हम hindi diwas पर यह निर्णय ले कि हम जहाँ भी रहे अपनी राष्ट्रभाषा में ही बात करेगे तो यकीनन बहुत जल्द विश्व भी भारत एवं हिंदी की तरफ सम्मान की नजर से देखने लगेगा.

तथा एक दिन ऐसा भी आएगा जब हिंदी विश्व की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा बन जाएगी. इसके पीछे वजह यह है कि यह अन्य आधुनिक भाषाओं के मुकाबले बेहद सरल है तथा इसकी व्याकरण व शब्द भंडार अन्य भाषाओं से सम्रद्ध हैं.

यदि हम वस्तुस्थिति पर गौर करे तो भारत में अपनी राष्ट्रभाषा का जितना अपमान, विरोध किया जाता हैं उतना किसी अन्य देश में अपनी राष्ट्रभाषा के विरोध में देखने को नही मिलता हैं.

आज न सिर्फ हमारे कुछ अधिक पढ़े लिखे नागरिक Hindi का अपमान करते है बल्कि हमारे राजनेता, फिल्म अभिनेता और क्रिकेटर इस कार्य में सबसे आगे दिखाई देते हैं.

देश में हर साल हिंदी दिवस मनाना और फिर अगले दिन फिर से उसी ढर्रे पर चलना एक दिखावे जैसा हैं. हम यह कभी देखना पसंद नही करेगे कि हमारी आने वाली पीढ़ी अंग्रेजी या अन्य कोई विदेशी भाषा को अपनाएं और हम इसे मात्र मूक दर्शक बनकर देखते रहे.

हजारों साल पुरानी यह हिंदी हमेशा से इस देश के जन जन की भाषा रही हैं. Hindi Diwas अब भाषा के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई का एक मुख्य अंग हैं. हम सभी को आगे आना होगा तथा हिंदी के अस्तित्व को मिटने से बचाना होगा.

आज भी बहुत से लोग अपनी हिंदी को विदेशों में बड़े गर्व के साथ बोलते हैं. उन्हें इस पर कोई नही रोकता ना ही उन्हें कोई शर्म महसूस होती हैं. क्योंकि यदि मातृभाषा को बोलने से शर्म की अनुभूति होती हैं तो उस शख्स को कोई भाषा सम्मान नही दिला सकती हैं.

हमें लोगों को हिंदी दिवस के बारे में जागरूक करना होगा. तथा इसे भारत की राष्ट्र भाषा बनाने के इस मिशन के लिए प्रेरित करना होगा. इसी में हिंदी का भला है हम सब हिंदी भाषियों का भला हैं.

Hindi Diwas Par Nibandh 2023

14 सितम्बर 2023 को राष्ट्रीय हिंदी दिवस- Hindi Diwas हैं. यह भारत की राजभाषा हिंदी को समर्पित दिन हैं. Hindi Diwas Nibandh उन स्टूडेंट्स के लिए तैयार किया गया हैं. जो इस दिवस पर हिंदी भाषा पर स्पीच देना चाहते हैं.

इस देश के जन जन की भाषा के रूप में जानी जाने वाली हिंदी अपने ही घर भारत में दम घुट-घुटकर जी रही हैं. हिंदी पर दिवस के जरियें कम से कम एक दिन ही सही देश के बुद्धिजीवियों को भारतीय संस्कृति की प्रतीक हिन्दी के बारे में विचार अवश्य आता हैं.

जब मैं पक्षियों को कुंजते हुए, सिहों को दहाड़ते हुए, हाथियों को चिघाड़ते हुए, कुत्तों को भोकते हुए और घोड़ो को हिनहिनाते हुए सुनता हूँ तो अचानक मुझे ख्याल आता है कि सब अपनी भाषा में कुछ कहना चाहते हैं. बातचीत करना चाहते हैं, अपने क्रोध, प्रेम, घ्रणाअथवा इर्ष्या के भावों को अभिव्यक्त करना चाहते हैं.

किन्तु मैं इनकी भावनाओं को पूरी तरह नही समझ पाता हूँ, तभी सोचने लगता हूँ कि मानव कितना महान है उसे अपनी बात कहने के लिए भाषा का वरदान मिला हैं. Hindi Diwas ऐसी ही एक भाषा को समर्पित दिन हैं, जो अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती हैं.

हर मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति किसी न किसी भाषा के माध्यम से ही करता हैं. भाषा के अभाव में न तो किसी सामाजिक परिवेश की कल्पना की जा सकती हैं. न ही सामाजिक एवं राष्ट्रीय प्रगति की ही.

साहित्य विज्ञान कला दर्शन का आधार भाषा ही हैं. किसी भी देश के निवासियों में राष्ट्रीय एकता के निर्माण एव उनमें पारस्परिक सम्बन्ध सम्पर्क बनाए रखने के लिए ऐसी ही एक भाषा होनी चाहिए, जिसका व्यवहार राष्ट्रीय स्तर पर किया जा सके.

Hindi Diwas Essay In 1000 Words

हिंदी दिवस पर निबंध 2023

राष्ट्रभाषा का अर्थ- किसी भी देश में सबसे अधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा ही वहां की राष्ट्रभाषा होती हैं. प्रत्येक राष्ट्र अपना अस्तित्व रखता हैं. उनमें अनेक जातियों, धर्मों व भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं. अतः राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए ऐसी ही एक भाषा की आवश्यकता होती हैं.

जिसका प्रयोग प्रत्येक नागरिक कर सके. राष्ट्र के महत्वपूर्ण कार्य तथा सरकारी कार्य उसी के माध्यम से किए जा सके. दूसरे शब्दों में राष्ट्रभाषा का अर्थ हैं जनता की भाषा भारत में हिंदी Hindi Diwas यहाँ की राष्ट्रभाषा हैं.

राष्ट्रभाषा की आवश्यकता- मनुष्य के मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए एक राष्ट्रभाषा आवश्यक हैं. मनुष्य चाहे कितनी भी भाषाओँ का ज्ञान प्राप्त कर ले, परन्तु अपनी आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने के लिए उसे अपनी ही भाषा की शरण लेनी पड़ती हैं. इससे उसे मानसिक संतोष का अनुभव होता हैं. अतः राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती हैं.

भारत में राष्ट्रभाषा की समस्या – आजादी प्राप्ति के बाद भारत में अनेक विकराल समस्याएं खड़ी हुई हैं. उन समस्याओं में से एक राष्ट्रभाषा की थी. कानून बनाकर इसे राजभाषा बनाने के बाद भी इस समस्या का समाधान नही हो पाया हैं.

इसका मुख्य कारण यह है कि भारत बहुभाषा भाषियों का देश हैं. अतः किसी न किसी स्थान से कोई न कोई विरोध राष्ट्रभाषा की समस्या पर प्रश्न चिह्न लगाता रहा हैं. अपने ही देशवासियों के विरोध के कारण राष्ट्रभाषा की समस्या हमारी सबसे जटिल समस्या बन गई हैं.

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को मान्यता- संविधान का निर्माण करते समय यह प्रश्न उठा था कि किस भाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जाए? प्राचीनकाल में संस्कृत राष्ट्रभाषा थी. धीरे धीरे अन्य प्रांतीय भाषाओं की उन्नति हुई और संस्कृत अपनी पूर्व स्थिति से हट गई. मुगलकाल में उर्दू का विकास हुआ.

अंग्रेजों के शासन में अंग्रेजी पूरे देश की भाषा बनी. अंग्रेजी हमारे जीवन में इतनी बस गई कि अंग्रेजी शासन समाप्त हो जाने के बाद भी देश में अंग्रेजी के प्रभुत्व को समाप्त नही किया जा सका.

भारतीय संविधान द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर देने पर भी उसका उचित उपयोग नही किया जा रहा हैं. यदपि हिंदी व अहिन्दी भाषी विद्वानों ने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का समर्थन किया तथापि आज भी हिंदी Hindi Diwas को उनका गौरवपूर्ण आसन नही दिया गया हैं.

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के विकास में बाधाएं– स्वतंत्र भारत के संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में अंगीकार किया गया, परन्तु आज भी देश के कई प्रान्तों में इसे राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार नही किया गया हैं.

हिंदी विश्व की सबसे सरल, सुकोमल, मधुर और वैज्ञानिक भाषा हैं. फिर भी हिंदी का विरोध जारी हैं. राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की प्रगति के लिए सरकारी प्रयास पर्याप्त नही होंगे वरन इसके लिए जनसाधारण का सहयोग भी अपेक्षित हैं.

पक्ष विपक्षीय विचारधारा- हिंदी भारत के विस्तृत क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा हैं, जिसे देश के लगभग 50 करोड़ लोग बोलते हैं. यह सरल तथा सुबोध हैं. और इसकी लिपि भी बोधगम्य हैं. कि थोड़े से अभ्यास से ही समझ में आ जाती हैं.

फिर भी एक वर्ग ऐसा हैं, जो हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार नही करता हैं. इनमें अधिकाँश वे व्यक्ति हैं, जो अंग्रेजी के पुजारी हैं या प्रांतीयता के समर्थक. उनका कहना है कि हिंदी केवल उत्तर भारत तक सीमित हैं.

यदि हिंदी- Hindi Diwas को राष्ट्रभाषा बना दिया गया तो अन्य प्रांतीय भाषाएँ समाप्त हो जाएगी. इस वर्ग की यह धारणा यह है कि हिंदी का ज्ञान उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्रदान नही कर सकता, जबकि अंग्रेजी विश्व सम्पर्क भाषा हैं, अतः यही राष्ट्रभाषा हो सकती हैं.

विरोध, भ्रांतियां एवं निराकरण- कतिपय अहिन्दी भाषियों के हिंदी विरोध का कारण यह है कि हिंदी स्वीकार कर लेने से उनका प्रभाव कम हो जाएगा तथा हिंदी भाषी सम्पूर्ण महत्वपूर्ण पदों पर अधिकार कर लेंगे.

किन्तु इस भावना के पीछे उनका राजनीतिक स्वार्थ हैं. वास्तव में हिंदी को राजनीती के कारण धकेला जा रहा हैं. यदि सरकार व नेता द्रढ़ता से काम ले तो इस विरोध का निस्तारण किया जा सकता हैं.

हिंदी दिवस (hindi divas) के प्रति हमारा कर्तव्य- हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हैं, उसकी उन्नति ही हमारी उन्नति हैं, भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने कहा था.

निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल
बिनु निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल

अतः हमारा कर्तव्य यह हैं कि हम उदार दृष्टिकोण अपनाएं. विभिन्न प्रांतीय भाषाओं की सरल शब्दावली को अपनाएं. भाषा का प्रचार नारों से नही होता, वह निरंतर परिश्रम व धैर्य से होता हैं.

हिंदी व्याकरण का प्रमाणीकरण किया जाना चाहिए. इस विषय में बाबू गुलाबराय ने कहा था. परिभाषिक शब्दावली का सारे देश के लिए प्रमाणीकरण आवश्यक हैं. क्योंकि जब तक हमारी शब्दावली सारे देश में समझ न आएगी, तब तक न तो वैज्ञानिक क्षेत्र में सहकारिता संभव हो पाएगी, न ही विद्यार्थी इसका लाभ उठा पाएगे.

राष्ट्रभाषा हिंदी का भविष्य उज्जवल हैं. यदि हिंदी विरोधी अपनी स्वार्थमयी कुंठाओं को त्याग दे और हिंदी भाषी भी धैर्य, संतोष और प्रेम से काम ले तो हिंदी भाषा भारत के लिए समस्या न बनकर राष्ट्रीय जीवन का आदर्श बन जाएगी. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने हिंदी की आत्मा को पहचानकर उनके समर्थन में कहा था-

मैं हमेशा यह मानता हूँ कि हम किसी भी हालत में प्रांतीय भाषाओं को नुकसान पहचाना या मिटाना नही चाहते. हमारा मतलब सिर्फ यह हैं कि विभिन्न प्रान्तों के पारस्परिक सम्बन्ध के लिए हम हिंदी भाषा सीखे.

ऐसा कहने से हिंदी के प्रति हमारा पक्षपात प्रकट नही होता. यदि हम हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं यह राष्ट्रीय होने के लायक हैं. वही भाषा राष्ट्रीय बन सकती हैं, जिसे अधिक संख्या में लोग जानते हों, बोलते हो और सीखने में सुगम हो.

Short Essay On Hindi Diwas 2023

हिंदी दिवस पर निबंध 2023

हिंदी भारत की राजभाषा हैं, 14 सितम्बर 1949 को भारतीय संविधान द्वारा इसे यह दर्जा दिया गया था Hindi Diwas Essay वर्ष 2023 के हिंदी दिवस कार्यक्रम में विद्यार्थियों के लिए तैयार एक भाषण का रूप हैं.

पहली बार इसे 1953 में मनाया गया था, इसके पश्चात हर साल इसका आयोजन देश के विभिन्न राज्यों के सरकारी एवं निजी कार्यालयों विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में आयोजित होता हैं. Short Essay On Hindi Diwas/ हिंदी भाषा पर छोटा निबंध में इस विषय पर अधिक जानकारी प्रदान की गई हैं.

हर साल 14 सितम्बर के दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता हैं. हिंदी भारत की राजभाषा हैं, जिसकी देवनागरी लिपि को मान्यता प्रदान की गई हैं.

14 सितम्बर 1949 वह ऐतिहासिक दिन है, जब हिंदी को 22 अन्य भाषाओं के साथ भारत के शासन की भाषा के रूप में स्वीकार किया था.

हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा व भारत में 50 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली सबसे बड़ी सम्पर्क भाषा भी हैं. लोग सम्मान में हिंदी को मातृभाषा कहते हैं, जिसका अर्थ होता हैं माँ की भाषा.

हिंदी की व्याकरण, शब्दकोश व साहित्य बेहद विस्तृत हैं. इसमें अरबी, फ़ारसी, उर्दू, अंग्रेजी सभी भाषाओं के शब्द बहुतायत मिलते हैं.

हिंदी दिवस – Hindi Diwas के दिन राजकीय अवकाश नही होता हैं, मगर सभी सरकारी विद्यालयों एवं दफ्तरों में कार्यक्रम आयोजित होते हैं. काव्यकारों के कवि सम्मेलन भी टेलीविजन पर प्रसारित किए जाते हैं. हिंदी एकमात्र भारत की सम्पर्क भाषा हैं, जिसे बोलने एवं समझने वाले भारत के हर राज्य में मिल जाएगे.

अंग्रेजी तथा चीनी के बाद विश्व में सबसे अधिक लोगों की भाषा हिंदी ही हैं. मगर जिसे अपने ही घर में सम्मान प्राप्त नही हैं. दुनियां के 10 से अधिक छोटे-बड़े देशों में हिंदी को बोलने वाले लोग रहते हैं.

हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य राजभाषा के अस्तित्व को बसाकर इन्हें लोगों के दिलों की भाषा बनाना हैं. इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाता हैं.

Hindi भाषा हमारे देश की धरोहर है, जो हमें संस्कृत की पुत्री के रूप में मिली हैं. विदेशों में हिंदी को भारत की संस्कृति सभ्यता की प्रतीक के रूप में देखा जाता हैं. यदि हम स्वयं इसकें सम्मान के लिए आगे नही आएगे तो यह उम्मीद करना बेकार है कि अन्य लोग भी इसका सम्मान करेगे.

मात्र इसे राजभाषा मानना गलत हैं क्योंकि हमारे घरों में बच्चा जन्म लेने के बाद पहला शब्द माँ इसी भाषा में बोलता हैं. इस कारण इसे मातृभाषा माना जाता हैं. यह न सिर्फ भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों को जोड़कर एक करने का कार्य करती हैं.

बल्कि दुसरे देशों के साथ सम्बन्ध प्रगाढ़ करने में मदद कर रही हैं. पाकिस्तान के साथ भारतीय जनमानस के सम्बन्ध एवं सोच उनकी और हमारी एक जुबान हिंदी उर्दू मिश्रित होने की वजह से हैं.

हिंदी दिवस को अन्य दिनों की तरह मनाकर भूल जाना हिंदी के साथ हमारा धोखा हैं. हम इसे खुले ह्रदय के साथ अपनाएं तथा हिंदी का यह मार्मिक संदेश तथा हिंदी का महत्व जन जन तक पहुचाना ही इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हैं.

यदि हम अपने नित्य व्यवहार में हिंदी का उपयोग करने लगेगे तो निश्चय ही वह वक्त दूर नही होगा जब अहिन्दी भाषी लोग भी हिंदी सीखने की कोशिश कर देश की एकता के पक्ष में खड़े होंगे.

एक भारतीय नागरिक के तौर पर हमारा यह कर्तव्य है कि राष्ट्रीय सम्मान की सूचक राष्ट्रभाषा हिंदी के सम्मान में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में सक्रिय भागीदारी निभाए. अपने आस-पड़ोस, विद्यालय आदि में आयोजित हिंदी भाषा से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होकर हिंदी के महत्व को जन जन तक पहुचाएं.

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