धूम्रपान पर निबंध दुष्परिणाम व रोकने के उपाय व कानून | Smoking Introduction Articles Effects Causes Essay In Hindi:- धूम्रपान का अर्थ बीड़ी, सिगरेट, चिलम, सिगार या अन्य कोई भी वस्तु जो तम्बाकू या ऐसे पदार्थों से बनी हो, जिसकों जलाकर उसके धुंए को निगला जाता है.
यह धुआं छाती में जाता है और फिर नाक और मुंह से घना सफ़ेद धुआं बनकर निकलता है. धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए खरतनाक है.
तथा यह कैंसर का कारण बनता है, यदि आप भी धूम्रपान करते है तो आज ही छोड़े, यहाँ आपकों छोड़ने के उपाय भी बता रहे है.
धूम्रपान पर निबंध Smoking Essay In Hindi
विभिन्न नशीले पदार्थ जैसे बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चिलम आदि को जलाकर धुंए को निगलते हुए नशा करना धूम्रपान कहलाता हैं. धूम्रपान के साधनों में मुख्यतः तम्बाकू होता हैं.
तम्बाकू निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखाकर बनता हैं. तम्बाकू में निकोटिन होता हैं जो नशा प्रदान करता हैं.
धूम्रपान क्या है (What Is Dhumrapan In Hindi)
फ्रांसीसी जीन निकोट ने 1560 में फ्रांस को तम्बाकू से परिचित करवाया, भारत में पुर्तगाली तम्बाकू लेकर आए. तम्बाकू शरीर को शिथिल कर शरीर के अंगों को कमजोर करता हैं.
तथा फेफड़े, ह्रदय व श्वासनली सम्बन्धित बीमारियों, केंसर, अस्थमा व पाचन तंत्र के रोग आदि समस्याएं होती हैं. धूम्रपान में तम्बाकू के अलावा, भांग का भी सेवन किया जाता हैं.
धूम्रपान के नुकसान (Loss of smoking)- सिगरेट, बीड़ी, सिगार, चुरुट, नास तथा तम्बाकू में निकोटिन पदार्थ पाए जाते है. निकोटिन शिथिलता पैदा करता है. इसका अधिक सेवन करने से दिल की बिमारी, फेफड़े का कैंसर तथा श्वासनली शोथ उत्पन्न कर सकता है.
भारत सरकार ने 2 अक्टूबरः 2008 से धूम्रपान निषेध अधिनियम लागू कर सभी सार्वजनिक स्थलों, कार्यालयों, रेस्टोरेंट, बार तथा खुली गलियों में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया है.
ताकि धूम्रपान न करने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा हो सके एवं उन्हें अप्रत्यक्षतः धूम्रपान की हानियों से बचाया जा सके.
धूम्रपान के दुष्परिणाम, हानियाँ, नुकसान (side effects of smoking in hindi)
- हमारे शरीर को नुकसान– धूम्रपान में जहरीले पदार्थ जैसे निकोटिन, टार कार्बन मोनोऑक्साइड, आर्सेनिक, बेन्जोपाइरिन आदि होते है, जो शरीर के अंगो को नुकसान पहुचाते है. इसके अधिक सेवन से फैफड़ों, आतों व गले का कैंसर, टीबी, ह्रदयघात, अस्थमा, बाँझपन, पाचन तन्त्र का संक्रमित होना, उच्च रक्तदाब, नर्वसनेस, मुंह व दांतों की बीमारियाँ आदि कई घातक प्रभाव पड़ते है. धूम्रपान व्यक्ति की आयु को सामान्य व्यक्ति की आयु से 10 साल तक कम कर देता है.
- धूम्रपान से मस्क्युलोस्केलेटन सम्बन्धित यानि हड्डियों एवं मांसपेशियों सम्बन्धित बिमारी हो सकती है. धूम्रपान से महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है. यह हार्मोन आसिट्योपोरोसिस से बचाने में मदद करता है.
- यही नही धूम्रपान महिलाओं की रीढ़ में फैक्चर के खतरे को भी बढ़ा देता है. क्योंकि इससे हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है.
- धूम्रपान से फ्रेक्चर ठीक होने में अधिक समय लगता है. व ऊतकों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नही मिल पाती है, जिससे घाव भरने में भी समय लगता है.
- तंबाकू सेवन से व्यक्ति की पौरुष क्षमता भी प्रभावित होती है.
- धूम्रपान व्यक्ति की स्मरण शक्ति व इच्छा शक्ति को भी कम करता है, लम्बें समय तक सेवन से हाथ पैर में कम्पन आरम्भ हो जाता है.
- धूम्रपान में निकला धुआं उस व्यक्ति के बच्चों, पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों को भी नुकसान पहुचाता है.
- अगर कोई व्यक्ति किसी गम्भीर बिमारी से ग्रसित है तो यह जहरीला धुआं अपने साथ उस बिमारी के कीटाणु भी बाहर लाता है. इससें उस बिमारी का अन्य लोगों को संक्रमण होने का खतरा पैदा हो जाता है.
- धूम्रपान से व्यक्ति को आर्थिक नुकसान भी उठाने पड़ते है.
- धूम्रपान नैतिक पतन का रूप है. यह सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण को भी दूषित करता है. तथा परिवार के अन्य सदस्य भी इसकी ओर प्रवृत होते है.
धूम्रपान रोकने के प्रयास, उपाय व कानून
तम्बाकू सेवन की बढ़ती हुई लत को कम करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर साल 31 मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है.
तम्बाकू उत्पादों का अवैध व्यापार बड़े पैमाने पर होता है. जो देश के लोगों के स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारण है.
भारत सरकार द्वारा सबसे पहले 1975 में तंबाकू निषेध कानून बनाया था. सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है इसी सिगरेट कानून 1975 के बाद इन उत्पादों पर वैधानिक चेतावनी दी जाती है.
1981 के प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान व थूकना निषिद्ध किया गया है.
वर्तमान में धूम्रपान को रोकने के लिए 2003 में बनाया गया COTPA (सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद प्रतिषेध अधिनियम) प्रभाव में है. इसे 18 मई 2003 से पूरे भारत में लागू किया गया. इस कानून के मुख्य प्रावधान ये है.
धूम्रपान रोकने के उपाय कानून व तरीके (How To Stop Tobacco Smoking Low, Act)
- भारत सरकार ने सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पाद प्रतिषेध अधिनियम Copta 2003 बनाकर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान को प्रतिबंधित किया तथा साथ ही किसी शौक्षणिक संस्थान के 100 मीटर की परिधि में भी तम्बाकू उत्पादों की बिक्री नहीं की जा सकती हैं.
- इस अधिनियम के अनुसार तम्बाकू उत्पादों के पैकेट में स्वास्थ्य को होने वाले नुक्सान के सन्दर्भ में चेतावनी लिखना भी आवश्यक हैं.
- यह अधिनियम तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन व प्रचार प्रसार पर भी रोक लगाता हैं.
- इस अधिनियम सन्दर्भ में सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पाद प्रतिषेध नियम 2004 में जारी किये गये व 2005 व 2008 में संशोधन भी हुए.
- भारत में 2 अक्टूबर 2008 को धूम्रपान निषेध अधिनियम लागू हुआ.
- भारत का पहला तम्बाकू मुक्त गाँव गारिफेमा
- देश का पहला धूम्रपान रहती शहर- चंडीगढ़
- विश्व तम्बाकू निषेध दिवस- 31 मई
- राजस्थान में 18 जुलाई 2012 को तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन भण्डारण, क्रय, ब्रिकी वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
- 9 दिसम्बर 2011 को राजस्थान के जयपुर शहर में हुक्का बार पर रोक.
- राजस्थान सरकार ने 4 अक्टूबर 2013 को भर्ती नियमों में संशोधन कर प्रावधान किया गया कि नियुक्ति पाने वाले अभियर्थियों को कार्यग्रहण से पूर्व धूम्रपान व गुटका सेवन नहीं करने की वचनबद्धता देनी आवश्यक हैं.
सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद प्रतिषेध अधिनियम (cotpa act in hindi)
- कोटपा की धारा 4 के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है.
- इस अधिनियम की धारा 5 के अनुसार ऑडियो, विडियो या प्रिंट मिडिया के जरिये तंबाकू के किसी भी उत्पाद का विज्ञापन, संवर्धन या स्पोंसरशिप नही की जा सकेगी.
- इसकी धारा 6 में 18 वर्ष से कम आयु के बालकों का इन पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह रोक है.
- इसके साथ ही किसी भी सार्वजनिक परिसर की 100 मीटर की दूरी तक कोई भी तम्बाकू उत्पाद बिक्री नही किया जाएगा.
- धारा 7 के अनुसार तम्बाकू के किसी भी पॉकेट पर स्वास्थ्य के होने वाले नुकसान की चेतावनी को लिखना होगा.
भारत सरकार द्वारा कोटपा में बदलाव करते हुए 2004 में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद नियम लागू किये गये. जिनमें 2008 में फिर से संशोधन किया गया.
सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद प्रतिषेध अधिनियम के मुख्य प्रावधान व सजा
- इस अधिनियम के नियमों का उल्लघंन करने पर 200 रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- कोटपा कानून के विज्ञापन एक्ट का उल्लघंन करने पर 1 हजार से 5 हजार का जुर्माना व 2 से 5 साल तक की कारावास हो सकती है.
- भारत सरकार द्वारा 2005 में फिल्म एवं टीवी सीरियल में तम्बाकू उत्पाद के सीन दिखने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है.
- आजकल टीवी पर स्पंज व मुकेश की कहानी द्वारा tobacco products के उपयोग से होने वाले नुकसान को दिखाया जाता है.