Smt. Ratan Shastri Biography In Hindi | श्रीमती रतन शास्त्री का जीवन परिचय: श्रीमती रतनशास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के खाचरोद कस्बे में 15 अक्टूबर 1912 को हुआ.
इनकी शिक्षा रतलाम में हुई और हीरालाल शास्त्री के साथ विवाह हुआ. 1929 ई में हीरालाल शास्त्री ने ग्राम सेवा, ग्रामोउत्थान एवं जनसेवा के उद्देश्य से वनस्थली में जीवन कुटीर की स्थापना की.
श्रीमती रतन शास्त्री का जीवन परिचय
जन्म | अज्ञात |
पूरा नाम | श्रीमती रतन शास्त्री |
जीवनसाथी | हीरालाल शास्त्री |
संस्था | वनस्थली विद्यापीठ |
सम्मान | पद्मश्री, पद्मभूषण, जमनालाल बजाज पुरस्कार |
पहचान | समाजसेवी |
मृत्यु | 29 सितम्बर, 1988 |
श्रीमती रतन शास्त्री जीवन कुटीर में एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में जुड़ गई और समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई. 1935 ई में पुत्री शान्ता की आकस्मिक मृत्यु ने इनके जीवन में एक नवीन मोड़ ला दिया.
शांता के अभाव की पूर्ति के लिए अपनी मित्रों एवं परिचितों की पुत्रियों को वनस्थली लाकर पालन पोषण और शिक्षण व्यवस्था का निश्चय किया.
जिससे शिक्षा कुटीर की नीव पड़ी, जो आगे चलकर वनस्थली विद्यापीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ. बालिका शिक्षा के मामले में वनस्थली की पूरे देश में अपनी विशिष्ठ पहचान हैं.
रतन शास्त्री ने 1939 ई में जयपुर राज्य प्रजामंडल के सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और 1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में भूमिगत कार्यकर्ताओं और उनके परिवार की सेवा की. वे जयपुर राज्य प्रजामंडल की साधारण सभा और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सदस्या रही.
शास्त्री कस्तूरबा स्मारक ट्रस्ट की राजपूताना अभिकत्री, राज्य समाज कल्याण बोर्ड, राज्य शिक्षा सलाहकार बोर्ड, राज्य सहायक अनुदान समिति, राष्ट्रीय स्त्री शिक्षा परिषद, गाँधी स्मारक ट्रस्ट की क्षेत्रीय समिति और लोकवाणी सोसायटी की सदस्य रही.
1955 ई में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. महिला शिक्षा के अलावा इन्होने ग्राम विकास, खादी एवं आत्म निर्भरता, साक्षरता आदि क्षेत्रों में भी कार्य किया.
महिला एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में इनके योगदान के लिए इन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार एवं 1975 ई में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया.
वनस्थली विद्यापीठ
टोंक के निवाई में स्थित वनस्थली विद्यापीठ एक राष्ट्रीय स्तर की महिला शिक्षा की संस्था हैं. शिशु क्लास से लेकर स्नातकोत्तर तक का शैक्षणिक कार्यक्रम चलाए जाते हैं. श्रीमती रतन शास्त्री और हीरालाल जी शास्त्री ने इसकी नींव रखी थी.
1929 में हीरालाल जी ने विदेश विभाग के सचिव पद से इस्तीफा देकर वनस्थली गाँव को अपना कार्यक्षेत्र चुना. यह संस्था उन्होंने अपनी बारह वर्षीय बेटी की स्मृति में बनाई जिनका अल्पायु में देहावसान हो गया था.
भारत सरकार ने उन्हें 1955 में पद्मश्री से तथा 1975 में पद्मभूषण जैसे श्रेष्ठ नागरिक सम्मानों से श्रीमती शास्त्री को नवाजा. इन्हें वर्ष 1990 में जमनालाल बजाज सम्मान से सम्मानित किया गया.
श्रीमती रतनशास्त्री का देहावसान 29 सितम्बर, 1988 को हो गया. इनका अंतिम संस्कार विद्यापीठ के परिसर में ही 30 सितम्बर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ सम्पन्न हुआ.
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