तत्सम और तद्भव शब्द | Tatsam Tadbhav Shabd

तत्सम और तद्भव शब्द | Tatsam Tadbhav Shabd हिंदी व्याकरण में कई सारे ऐसे नए आयाम हमें मिलते हैं जिन्हें जानना  और समझना हमें बहुत अच्छा लगता है और जिनके माध्यम से हम हिंदी  व्याकरण की गहराई को भी समझ सकते हैं।

किसी महान लेखक ने कहा था कि “हिंदी व्याकरण वह सागर है जिसमें आप नए-नए आयामों को प्राप्त करते हैं और जिसमें आप यह कह नहीं सकते हिंदी व्याकरण का अंत हो चुका है|” 

तत्सम और तद्भव शब्द | Tatsam Tadbhav Shabd

ऐसे में हमने भी आपको हिंदी व्याकरण के बारे में नई-नई जानकारियां  दी है जो निश्चित रूप से ही आपके लिए कामगार होंगी। सामान्य तौर पर ऐसा होता है कि हम हिंदी भाषा और हिंदी व्याकरण के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं लेना चाहते।

  लेकिन हमने आज आपके लिए हिंदी व्याकरण का एक विशिष्ट पहलू सामने लाने की कोशिश की है जिसके बारे में हमने सुना तो है लेकिन कभी भी जानने की कोशिश नहीं की है| 

ऐसे में हम आपके सामने हिंदी व्याकरण का ही मुख्य तत्सम और तद्भव के बारे में जानकारी देंगे तो निश्चित रूप से ही आपके काम की होंगी और आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारियां पसंद भी आएंगी| 

सामान्य रूप से देखा जाता है कि कई बार भाषा की शैली बदल जाती है और उसमें नए नए शब्द विराजमान होने लगते हैं।

प्राचीन समय से लेकर आज तक भाषा के चलन में कई प्रकार के परिवर्तन लिखे गए हैं जिसे निश्चित रूप से हमने अपने डिक्शनरी में जगह दिया है और उन्हें पढ़ने में हमें अच्छा महसूस होता है| 

कई बार कुछ शब्द अपना अर्थ खो चुके होते हैं, तो कई बार नए शब्दों की वजह से हमें ज्ञान  की प्राप्ति होती है|  ऐसे में आज हम आपको कुछ नई जानकारियां देने वाले हैं|

हिंदी भाषा के कुछ मुख्य शब्द संग्रह

हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसमें नए नए शब्दों का संग्रह दिखाई देता है और जिनके माध्यम से आप हिंदी व्याकरण को और भी अच्छे तरीके से समझ सकते हैं|

आज हम आपके सामने हिंदी व्याकरण के कुछ शब्द संग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं–

  1. तत्सम शब्द
  2.  तद्भव  शब्द
  3.  विदेशी शब्द
  4.   देसी शब्द
  5.  अन्य शब्द

 आज हम आपको इन मुख्य शब्द संग्रह में से तत्सम और तद्भव शब्दों के बारे में जानकारी देंगे|

क्या होते हैं तत्सम शब्द?

मूल रूप से तत्सम शब्द संस्कृत भाषा से बने होते हैं, जो दो शब्दों से मिलकर बने हैं तत + सम|  जिसमें तत्  का अर्थ “उसके” और सम का अर्थ “समान” होता है।

तत्सम शब्दों में संस्कृत के कुछ शब्दों का समावेश होता है और इस वजह से शब्दों में परिवर्तन नजर आने लगता है और उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। 

तत्सम शब्दों में मुख्य शब्दों को हिंदी, बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मलयालम भाषा से सीधा ही  संस्कृत भाषा से लिया गया है क्योंकि इनमें से भी संस्कृत भाषा का उदय माना जाता है|

उदाहरण — अग्नि, अंधकार,  अमूल्य, चंद्र, अज्ञान आदि|

क्या होते हैं तद्भव शब्द?

कई बार हिंदी भाषा में कुछ परिस्थितियों की वजह से शब्दों में परिवर्तन नजर आता है और  किसी परिवर्तन की वजह से बने हुए शब्दों को तद्भव शब्द कहा जाता है।

जहां तद्भव का शाब्दिक अर्थ उससे बने होता है जो सामान्य रूप से संस्कृत भाषा की ओर इशारा करते हैं। इन शब्दों का उदय संस्कृत भाषा से माना जाता है और उन्हें संस्कृत के रूप में स्वीकार किया जाता है|

उदाहरण —- ग्राम से गांव,  दुग्ध से  दूध,  मुख्य से मुंह  आदि|

तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने के खास नियम

अगर आपको हिंदी व्याकरण में रूचि हो और आप तत्सम और तद्भव शब्दों को पहचानने में दिक्कत महसूस करते हो, तो ऐसे में आप हमारे द्वारा बताए गए लोगों के माध्यम से इन मुद्दों को पहचान सकते हैं|

1] यदि हिंदी व्याकरण के तत्सम शब्दों के पीछे  “क्ष”  का प्रयोग  होता है और तद्भव शब्दों के पीछे “ख”   या “छ” शब्द का प्रयोग होता है|  जैसे   पक्षी=  पंछी|

 2] यदि हिंदी व्याकरण में तत्सम शब्दों में  “श्र” का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में “स” का प्रयोग होता हो|  

3] यदि तत्सम शब्दों में  “ष”  का प्रयोग होता  हो|  जैसे  कृषक =  किसान|

4] यदि तत्सम शब्दों में “ऋ”  की मात्रा का प्रयोग होता हो|  जैसे  गृह= घर , नृत्य =  नाचना|

5]  यदि तत्सम शब्दों में “र” मात्रा का प्रयोग होता हो|  जैसे  आम्र =  आम|

कुछ मुख्य तत्सम, तद्भव शब्द 

आज हम आपको कुछ मुख्य  तत्सम, तद्भव शब्द के बारे में जानकारी देंगे जिससे आप भी आसानी से ही उदाहरण के माध्यम से समझ सकेंगे|

  1. कुपुत्र= कपूत
  2.  कदली= केला
  3.  कृषक=  किसान
  4.  कुंभकार=   कुम्हार
  5.  कटु =  कड़वा
  6.  कृष्ण=  किशन
  7.  कार्य=   काम
  8.   कोटी=  करोड़
  9.  कंकड़=  कंगन
  10.  खटवा =  खाट
  11.  गृह =  घर
  12.  ग्राहक =  ग्राहक
  13. आम्र =  आम
  14.  आश्चर्य =   अचरज
  15.  अग्नि =  आग
  16.  आश्रय =  सहारा
  17.  अगणित =  अनगिनत
  18.  उच्च =  ऊंचा
  19.  उज्जवल =  उजाला
  20.  उपर्युक्त =   उपरोक्त
  21.  काक =  कौवा
  22.  कंदूक =   गेंद
  23.  ग्रीष्म =  गर्मी
  24.  गणना =  गिनती
  25.  घाटिका =  घड़ी
  26.  गोपालक =  ग्वाला
  27.  गोधूम =  गेहूं 
  28.  चंद्र =  चांद
  29.  छत्र  =  छाता 
  30.  जीवा =    जीभ
  31.  जमाता  =  जमाई
  32.  ताम्र =  तांबा 
  33.  तिथि वार =  त्यौहार 
  34.   दंत =  दांत 
  35.  दक्षिण =  दाहिना 
  36.  नवीन =  नया
  37.   पुत्र =  पुत
  38.   पंच =  पांच
  39.  पद =   पैर 
  40.   पीत =  पीला 
  41.   परीक्षा =   परख
  42.  पुष्कर =  पोखर
  43.   फाल्गुन =  फागुन 
  44.  बधिर =  बहरा 
  45.   भिक्षुक =  भिखारी
  46.  मृग =  हिरण
  47.  मूल्य =   मोल
  48.  मृतिका =  मिट्टी
  49.  महिषी =  भैंस 
  50.  मयूर =  मोर 
  51.  रज्जू =  रस्सी 
  52.  राशि =  रास
  53.  लज्जा =  लाज 
  54.  लेपन =    लिपना 
  55.  वर्ष =   बरस
  56.  विद्युत =  बिजली  
  57.  बक  =  बगुला 
  58.   वानर =  बंदर 
  59.  वृद्ध =  बुड्ढा 
  60.  सूर्य =  सूरज 
  61.  स्वर्णकार =   सुनार 
  62.  स्थल =   जमीन 
  63.  शलाका =  सिलाई 
  64.  श्रावण =  सावन 
  65.  हास्य =  हंसी
  66.  हस्ती =  हाथी 
  67.  हरिद्रा =  हल्दी 
  68.  होलीका  =  होली
  69.  छत्रिय =  खत्री 
  70.  त्रयोदश =   तेरह
  71.  गवार =  ग्रामीण 
  72.   अंधकार =  अंधेरा
  73.  अमावस्या =  अमावस
  74.  अक्षी =  आंख 
  75.  आम्रचूर्ण =  आमचूर 
  76.   उपवास =  उपास
  77.  कती =   कई
  78.  उपाध्याय =   ओझा 
  79.   कुपच =  कच्चा
  80.   क्षेत्र =    खेत 
  81.  गायक =   गवैया 
  82.   गणन =  गिनना 
  83.  युवा =  जवान 
  84.  जटा =  जड़ 
  85.  यमुना =  जमुना 
  86.  योगी =  जोगी 
  87.  निर्झर =  झरना 
  88.  दाकिनी =  डायन 
  89.   दीपावली =  दिवाली 
  90.  दमन =  दबाना 
  91.   दशम =  दसवा 
  92.   नख =  नाखून 
  93.  निद्रा =  नींद 
  94.  नियम =  नेम 
  95.   पल्लव =  पल्ला 
  96.  परिधान =  पहनावा 
  97.  पाषाण =    पाहन 
  98.  पश्चात =  पीछे 
  99.   पूजा कारी =  पुजारी 
  100. पूर्ण =  पूरा

तत्सम तद्भव का  साहित्य में स्थान 

हम कई बार अपने  लेखन में तत्सम  और  तद्भव शब्दों का उपयोग करते हैं, जिसके माध्यम से हमें इस बात की जानकारी मिलती है कि हिंदी साहित्य में तत्सम और तद्भव का विशेष उपयोग किया जाता है साथ ही साथ  वाक्यों की बेहतरी के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता है| 

प्राचीन काल से ही संस्कृत भाषा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाता रहा है जिसका हम सभी अध्ययन करते हैं और उनके बारे में विस्तार से चर्चा भी किया जा सकता है।

 सामान्य रूप से देखा जाता है कि जब भी प्राचीन धर्म ग्रंथ हो या लेखकों का जिक्र किया जाता है, तो ऐसे में संस्कृत भाषा मुख्य रूप से उपयोग होता  है और जिसका कहीं ना कहीं उल्लेख आज के समय में भी देखने को मिल जाता है|  

जैसा कि हमने बताया कि अभी तक कुछ शब्दों में परिवर्तन हो चुका है, जिन्हें हम  असाधारण रूप से बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल करते हैं और उनका कुछ हद तक असर हमारी बोली गई भाषा पर भी पड़ता है और जिसे ही हम तत्सम और तद्भव के नाम से ही जानते हैं| 

तत्सम और तद्भव शब्दों की विशेषताएं 

हमने  अब तक कई बार इन शब्दों के बारे में  पढ़ा  है लेकिन आज हम इन्हीं विशेषताओं के बारे में भी गहराई से अध्ययन करेंगे ताकि हम इनके बारे में सही तरीके से  ज्ञान अर्जित कर सकें| 

  1. तत्सम और तद्भव शब्द की विशेषता होती है कि वह अपने वाक्यों में  विद्यमान  अर्थ को सही तरीके से बयां करते हैं जिससे पढ़ने वाले को ही वाक्य की गहराई समझ में आती है|
  2.  इन शब्दों के माध्यम से हम प्राचीन काल के कुछ शब्दावली के बारे में जान सकते हैं साथ ही साथ उनका उपयोग भी किया जा सकता है|
  3.  यह शब्द हमें प्राचीन समय के लेखकों के बारे में भी सही तरीके से जानकारी देते हैं और हमें यह भी पता चलता है कि पहले  के  लेखकों और आज के लेखकों की लेखनी में क्या समानताएं और  असमानताएं हैं?
  4.  इन शब्दों के इस्तेमाल से हम उन शब्दों के बारे में भी जानकारी दे सकते हैं  जिनको आज के समय में उपयोग नहीं किया जा सकता है और हम  जिन्हें  भूलते जा रहे हैं| 
  5.  अगर ध्यान दिया जाए तो इन शब्दों को हम बोल चाल  के अलावा भी अपने लेखन  शैली में उपयोग कर सकते हैं ताकि हमारी लेखन शैली और  भी बेहतर हो सके| 
  6. इन शब्दों के माध्यम से हमें  किसी विशेष लेखन  को पढ़ने में आनंद महसूस होता है और हम  इन शब्दों  को सीखना  चाहते हैं|

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इस प्रकार से हमें जाना की हिंदी व्याकरण के कई ऐसी जानकारियां हैं अभी भी दबी हुई है और जिसके बारे में जानना हमारे लिए आवश्यक हो जाता है|  

आज हम आपको हिंदी व्याकरण से संबंधित तत्सम और तद्भव शब्द Tatsam Tadbhav Shabd के बारे में जानकारी दे रहे हैं ताकि इन मुख्य शब्दों  के बारे में जानकारी दे सकें  जिन्हें हम  कहीं ना कहीं  बार-बार  पढ़ते और लिखते हैं| 

ऐसे में आप इन मुख्य शब्दों को भावी पीढ़ी को भी जानकारी दे सकते हैं ताकि  वे  विभिन्न महत्वपूर्ण शब्दों के बारे में जानकारी हासिल कर सके और   इन शब्दों को सीख सकें| 

ऐसे में हमने पूरी कोशिश की है कि आपको तत्सम और तद्भव के बारे में पूरी जानकारी दी जा सके और उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी| इसे अंत  तक पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद| 

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