कपड़े धोने की विधि | White Clothes Washing Tips In Hindi

कपड़े धोने की विधि White Clothes Washing Tips In Hindi: कुछ समय तक कपड़े पहने रखने से वे गंदे हो जाते है. इन गंदे कपड़ों को साफ़ करने के लिए कपड़ो की धुलाई की जाती है.

हमारे घरों में कपड़ो की धुलाई में साबुन, डिटर्जेंट व कपड़े धोने का सोडा उपयोग करते है. वस्त्रों की धुलाई हाथ से अथवा वाशिंग मशीन से की जाती है.

वाशिंग मशीन से कपड़ो की धुलाई करते समय कुछ विशेष सावधानियां रखनी चाहिए.

कपड़े धोने की विधि (White Clothes Washing Tips In Hindi)

कपड़े धोने की विधि White Clothes Washing Tips In Hindi

कुछ विशेष प्रकार के वस्त्र जैसे रेशम के आदि को धोया नही जा सकता, उनकी केवल ड्राईक्लीनिंग की जाती है, अन्य शब्दों में इस प्रकार के कपड़ों की धुलाई बिना पानी के की जाती है.

सफेद वस्त्रों की धुलाई से पूर्व यदि वे फट रहे है तो उनकी सिलाई कर लेनी चाहिए, ताकि वे और अधिक न फटे.

यदि कमीज का कोई बटन ढीला हो रहा है, तो उसका भी अच्छी तरह से टांका लगा लेना चाहिए. साथ ही यदि सफेद वस्त्रों पर कोई धब्बा लगा हो तो, तो यह छुड़ाया जाना आवश्यक है.

सफेद कपड़े पर चाय का दाग लगने पर तुरंत पानी से धो लिया जाए तो वह दूर हो जाता है. सूखें हुए चाय या अन्य पदार्थ के दाग को मिटाने के लिए सुहागा लगाकर धोना चाहिए. गिल्सरीन लगाकर भी यह दाग दूर किया जा सकता है.

वस्त्रों की धुलाई की प्रक्रिया/कपड़े कैसे धोएं (White Clothes Washing Tips In Hindi)

STEP-1

कम गंदे वस्त्रों व सफेद वस्त्रों को पानी में गीला कर साबुन लगाकर या डिटरजेंट में डालकर तुरंत रगड़कर साफ़ किया जा सकता है.

सफेद कपड़ों को अधिक देर तक पानी या डिटरजेंट के घोल में डालने से उसका रंग हल्का/उड़ जाने का डर रहता है.

STEP-2 साबुन के घोल में भिगोना

सफेद वस्त्र व अधिक गंदे वस्त्रों को सर्वप्रथम थोड़े गर्म पानी में साबुन डालकर भिगों देना चाहिए. भीगों देने से वस्त्र की गंदगी गीली पड़ जाती है.

जिससे धुलाई करते समय रगड़ने से वस्त्र जल्दी साफ हो जाते है. रेशमी व ऊनी वस्त्रों को भिगोना नही चाहिए.

रेशमी व ऊनी वस्त्रों को धोने के लिए साबुन के स्थान पर लिक्विड सोप जैसे इजी, जेन्टिल आदि में थोड़ी देर भिगोकर पानी में ही बार बार दबाकर निचोड़ना चाहिए, ताकि उनकी गंदगी बाहर निकल आए, उन्हें घुमाकर निचोड़ना नही चाहिए. साथ ही उन्हें रगड़ना भी नही चाहिए.

फिर उन वस्त्रों को 2-3 बार साफ़ पानी में निकालकर सूखा देना चाहिए. वस्त्रों को एक या दो घंटे तक ही भिगोना चाहिए, न कि पूरी रात. ऊनी वस्त्रों के लिए गर्म पानी काम में नही लेना चाहिए. बल्कि हल्का गुनगुना पानी काम में लिया जाना चाहिए.

STEP-3 अच्छी तरह रगड़ना

सूती वस्त्रों को रगड़कर धोना चाहिए ताकि समस्त गंदगी साफ़ की जा सके. वस्त्रों को हाथ से अथवा ब्रश से रगड़कर साफ़ किया जा सकता है. भारी वस्त्रों को डंडे से कूटकर भी साफ़ किया जा सकता है.

कशीदा करे हुए वस्त्र, रेशमी वस्त्र तथा ऊनी वस्त्रों को नही रगड़ना चाहिए. ऊनी वस्त्रों की गंदगी हाथ के हल्के दवाब से साफ़ की जा सकती है.

STEP-4 पानी में झिकोलना

वस्त्रों की गंदगी छुड़ाने के बाद उनकी साबुन निकालने के लिए वस्त्रों को पानी में झिकोला जाता है. यह आवश्यक है कि वस्त्रों में से समस्त साबुन निकल जाए.

रेशमी कपड़ों को तेजी से निछोड़ना नही चाहिए. रेशमी वस्त्रों को आखिरी बार झिकोलते समय पानी में सिरका या निम्बू का रस डालना चाहिए.

इससे उन कपड़ों की चमक बनी रहती है. सफेद ऊनी कपड़े धोते समय नीबू के रस की दो बूंद डालने से कपड़ा पीला नही पड़ता है.

STEP-5 कपड़ा सुखाना

सफेद कपड़ों को अच्छी तरह धोने के बाद अच्छी तरह निचोड़कर सुखाना चाहिए. सफेद वस्त्रों को सूर्य की रोशनी में सुखाना चाहिए लेकिन रंगीन वस्त्रों को छाया में सुखाना चाहिए ताकि उनका रंग व चमक खराब न हो.

ऊनी वस्त्रों को धोने से पूर्व उनकी आकृति को एक बड़े पेपर पर बना लेना चाहिए. धोने के बाद उन कपड़ों को उसी आकृति पर डालकर पेपर पर ही सुखाना चाहिए.

ऊनी वस्त्रों को तार पर लटकाकर नही सुखाना चाहिए. इससे उसकी आकृति खराब हो जाती है. ऊनी वस्त्रों को हवादार छाया वाले स्थान पर सुखाना चाहिए.

कपड़े धोते समय रखी जाने वाली सावधानियां (washing tips laundry washing tips handy washing tips in hindi)

  • रेशमी वस्त्रों के तन्तु बेहद नाजुक होते है. अतः उन्हें अधिक समय तक न तो पानी में रखना या उबालना चाहिए.
  • रेशमी वस्त्रों की धुलाई करते समय हल्के साबुन घोल या रीठे का घोल काम में लेना चाहिए.
  • रेशमी वस्त्रों की अंतिम धुलाई में नीबू का रस या सिरके की कुछ बुँदे डालकर खंगालने से वस्त्र में चमक आ जाती है.
  • कपड़ो में कडापन लाने के लिए कलफ का उपयोग किया जाता है.
  • रेशमी वस्त्रों पर गोंद का कलफ लगाया जाता है.
  • ऊनी वस्त्रों को खगालतें समय पानी में एक चमच्च बोरेक्स डाले, उससें ऊन आपस में नही जुड़ेगी.
  • स्वेटर लप धोकर हमेशा उल्टा सुखाएं, ताकि रंग फीका न पड़े.
  • ऊनी कपड़ों को तार पर लटका कर न सुखाएं , इससे उनकी आकृति बिगड़ती है.
  • ऊनी कपड़ों को अच्छी तरह से सुखाए, गीलापन ऊन को खराब कर देता है.

शुष्क विधि द्वारा कपड़ों की धुलाई (dry cleaning at home in hindi)

विशेष वस्त्रों जैसे ऊनी कोट, रेशमी साड़ियाँ, जरीदार कपड़े कीमती होते है. इन्हें साधारण धुलाई से धोने पर इनकी चमक, कोमलता और बुनाई नष्ट होने का खतरा रहता है.

अतः इसकी धुलाई एक विशेष विधि द्वारा की जाती है. जिसे शुष्क धुलाई (dry cleaning) कहते है.

शुष्क धुलाई वास्तव में सूखी नही होती है. किन्तु धुलाई में साबुन के घोल का प्रयोग न कर वसा घोल या पेंट्रोल का प्रयोग किया जाता है. यह धुलाई की महंगी विधि होने के कारण इससे व्यवसायिक स्तर पर ही काम में लिया जाता है.

वस्त्रों को प्रेस करना (iron box in hindi)

वस्त्रों के सूखने के बाद उसकी प्रेस की जाती है. ताकि वस्त्र की सभी सलवटे दूर हो सके एवं देखने में सुंदर लगे. प्रेस का तापमान वस्त्रों की प्रकृति के अनुसार ही रखा जाना चाहिए. रेशमी वस्त्रों को नम अवस्था में प्रेस कर देने से वस्त्र में अपेक्षित कडापन आ जाता है.

ऊनी वस्त्र पर सफेद कपड़ा बिछाकर हल्की गर्म इस्त्री करनी चाहिए.

वस्त्रों की सुरक्षा (how to wash clothes without a washing machine)

वस्त्रों की प्रेस करने के बाद उन्हें सुरक्षात्मक ढंग से रखा जाना भी आवश्यक है. जिससे उसमें कीड़े न लग सके. अलमारी या बक्से में अखबार बिछाना चाहिए.

अखबार की गंध कीड़ो को वस्त्रों से दूर करती है. बक्सों में वस्त्र रखने से पूर्व नीचे नीम की सूखी पत्तियां बिछाकर ऊपर अखबार रखकर वस्त्र बिछाने चाहिए, इससे कीड़े नही लगते है.

वस्त्रों को सुरक्षित रखने से पूर्व अच्छी तरह सूखा लेना चाहिए. इसके बाद वस्त्र को सूती कपड़े या अखबार में लपेट कर रखना चाहिए. कभी भी पसीने के गंदे वस्त्रों को अलमारी में नही रखना चाहिए.

ऊनी कपड़ों में कीड़े नही लगे, इसके लिए उसकी तहों के बिच नैफ्थलिन (कपूर) की गोलियां रख देनी चाहिए. वस्त्रों को हमेशा धोकर ही अलमारी में रखना चाहिए.

इससे कीड़े लगने की सम्भावना कम हो जाती है. ऊनी वस्त्रों को कीड़ों से बचाने के लिए अखबार में लपेटकर भी रखा जा सकता है.

लम्बे समय तक बक्से में रखे कपड़ो को वर्ष में एक या दो बार धूप में अवश्य डालना चाहिए. ताकि उनमें बदबू नही आए और कीड़े मकोड़े आदि होने की संभावना खत्म हो जाए.

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