दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना राजस्थान Deen Dayal Upadhyay Gramin Kaushal Yojana: यह योजना भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं राज्य के ग्रामीण विभाग के सयुक्त तत्वाधान में राजस्थन कौशल एवं आजीविका विकास निगम द्वारा क्रियानवाह्न की जा रही हैं.
इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के बेरोजगार ग्रामीण गरीब युवाओं को विभिन्न आर्थिक क्षेत्रो में कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर उनके लिए रोजगार सुनिश्चित करवाना हैं.
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के सभी बीपीएल, नरेगा के गत तीन वर्षो में प्रतिवर्ष 15 दिवस तक काम करने वाले परिवार के सदस्यों तथा ऐसे ग्रामीण गरीब युवक जिनका चयन विशेष ग्राम सभाओं (PIP) के तहत किया गया हो, प्रशिक्षण हेतु पात्र होते हैं.
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना राजस्थान
इस योजना का शुभारम्भ जुलाई 2014 में किया गया था. तथा अप्रैल 2016 तक 28715 प्रदेश के युवा इस योजना से लाभान्वित हो चुके थे.
राजस्थान सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के द्वारा 43 PROJECT INPLEMENTING PARTENERS [PLAS] के साथ MOU किये गए है
जिनमे से 36 PLAS द्धारा वर्तमान में 35 कौशल प्रशिक्षण केंद्र संचालित किये जा रहे हैं. इस योजना के माध्यम से कौशल विकास के लिए 15 से 35 वर्ष के बिच के युवावर्ग को चिन्हित किया हैं.
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना की विशेषता
- लाभकारी योजनाओं तक निर्धन और सीमांत लोगों को पहुचाने में सक्षम बनाना.
- ग्रामीण गरीबो के लिए मांग आधारित निशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना.
- समावेशी कार्यक्रम तैयार करना.
- सामाजिक तौर पर वंचित समूहों 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति/जनजाति/15 प्रतिशत अल्पसंख्यक और 33 प्रतिशत महिला को शामिल करना.
- प्रशिक्षण से लेकर आजीविका उन्नयन पर जोर देना.
- रोजगार स्थायी करने, आजीविका उन्नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से पन्थ प्रदर्शन के उपाय करना.
- नियोजन पश्चात सहायता, प्रवास सहायता और पूर्व छात्र नेटवर्क तैयार करना.
- रोजगार साझेदारी तैयार करने की दिशा में सकारात्मक पहल करना.
- कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षित उम्मीदवारों के लिए रोजगार की गारंटी करना.
- कार्यान्वन सेवा प्रदान करने वाली नई एजेंसी तैयार करके कौशल विकास करना.
- क्षेत्रीय तौर पर जोर देना.
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना कार्यान्वन
DDU-JKY एक तीन स्तरीय क्रियान्वन व्यवस्था का अनुकरण करती हैं. ग्रामीण विकास मन्त्रालय की DDU-JKY राष्ट्रिय इकाई एक निति निर्माता, तकनीकी सहायक और सुविधा एजेंसी के रूप में कार्य करती हैं.
DDU–JKY के राजकीय मिशन कार्यान्वन सहायता प्रदान करते है और परियोजना क्रयान्वयन एजेसियाँ कैशल प्रदान करने और रोजगार परियोजनाओं के माध्यम से कार्यक्रम का कियान्वयन करती है|
योजना वित्त पोषण सहायता
डीडीयू -जिकेवाई के माध्यम से कौशल प्रदान करने वाली परियोजनाओं से जुड़े रोजगार के लिए वितपोषण सहायता उपलब्ध करवाई जाती हैं, जिससे प्रतिव्यक्ति वितपोषण सहायता के साथ बाजार की मांग का समाधान किया जाता हैं.
जो परियोजना की अवधि और आवासीय अथवा गैर आवासीय परियोजना पर आधारित हैं. ddu jky के माध्यम से तीन माह से लेकर बारह माह की अवधि तक वाली प्रशिक्षण परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण किया जाता हैं.
वित् पोषण सम्बन्धी घटकों में प्रशिक्षण के खर्च, रहने व खाने-पीने, परिवहन खर्च, नियोजन पश्चात् सहायता खर्च में सहायता देना शामिल हैं.
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के माध्यम से खुदरा आतिथ्य, स्वास्थ्य, निर्माण, स्वचालित, चमड़ा, बिजली, प्लमबिंग रत्न और आभूषण जैसे अनेक 250 से अधिक उद्योगों में अनेक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ युवाओं को जोड़ा जाता हैं.
कौशल विकास पहल योजना (SDIS)
इस योजना के अंतर्गत सरकार ने युवकों को कौशल पूर्ण बनाने की आवश्यकता को देखते हुए तथा उन्हें रोजगार योग्य बनाने के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में पांच करोड़ व्यक्तियों को कौशलपूर्ण बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.
इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2314 युवाओं को विभिन्न आर्थिक क्षेत्रो म प्रशिक्षित किया गया.
इस योजना के अंतर्गत सरकारी आईटीआई एवं निजी संस्थानों के माध्यम से लघु अवधि के कार्यक्रम आयोजित किये जाते
नियमित कौशल विकास कार्यक्रम (RSTP)
राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम द्वारा शुरू की गईं इस योजना के तहत प्रायोजित लघु अवधि कौशल प्रशिक्षण के उपरांत वे सक्षम बनकर स्वरोजगार प्रारम्भ करके अथवा रोजगार प्रदान करने हेतु अपनी आजीविका अर्जित कर सके.
इस योजना के अंतर्गत समुचित मात्रा में संसाधन तथा प्रशिक्षको की व्यवस्था कर अभियर्थियो को अधिकाधिक प्रायोगिक कार्य करने का अवसर प्रदान करता हैं.
प्रशिक्षण अवधि के लगभग 70 प्रतिशत समय का उपयोग प्रायोगिक कार्य एवं शेष 30 प्रतिशत का विषय से सम्बन्धित सैदान्तिक जानकारी देने में होता हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आधार पर 31 आर्थिकी क्षेत्रो के 163 पाठ्यक्रमो में बाटा गया हैं.
प्रशिक्षणार्थियों की पात्रता
आयु 18 से 45 वर्ष. प्रशिक्षण हेतु यथा संभव आस-पास के गाँवों क्षेत्रो से ऐसे विशेष योग्य जन युवाओं का चयन किया जाना चाहिए. जो कि निर्धारित प्रशिक्षण विषय क्षेत्र में आजीविका हेतु कार्य करने के इच्छुक हो.
शिक्षा स्तर राज्य के अल्पसंख्यक शिक्षित बेरोजगार युवाओं को चयन में स्थानीय स्तर पर प्राथमिकता दी जावेगी.
प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सूची में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता दर्शाई गई हैं. समस्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों में न्यूनतम संख्या पांच व अधिकतम संख्या 30 रहेगी.