वसंत ऋतु पर निबंध | Essay on Spring Season in Hindi Language

Essay on Spring Season in Hindi Language प्रिय विद्यार्थियों आज के लेख में हम वसंत ऋतु पर निबंध में मेरे प्रिय मौसम एवं ऋतु वसंत पर हिंदी निबंध बता रहे हैं.

ऋतुराज पर यहाँ सरल शब्दों में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 तथा 10 के विद्यार्थियों के लिए 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्दों में Essay on Spring Season in Hindi Language आपके साथ शेयर कर रहे हैं.

वसन्त ऋतु पर निबंध (Long and Short Essay on Spring Season in Hindi

वसन्त ऋतु पर निबंध (Long and Short Essay on Spring Season in Hindi

हम आपके लिए essays on Spring Season in Hindi language के इस निबंध को 100, 150, 250, 350, 450 और 500 शब्दों की सीमा के साथ यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं.

Essay on Spring Season in Hindi Language

बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है. सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ इस ऋतु को हम सभी पसंद करते है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह फरवरी और मार्च महीने में हल्की फुलकी ठंड और गर्मी के हल्के मौसम की सुगबुगाहट में होती हैं.

स्कूल के विद्यार्थियों को वसंत ऋतु के बारे आर्टिकल अथवा निबंध लिखने को कहा जाता है. हमेशा की तरह आज भू हम आपके लिए वसंत ऋतु पर निबंध लेकर आए हैं.

हमने बड़े विस्तार के साथ वसंत ऋतु पर निबंध को आपके सामने रखने की कोशिश की हैं. जिससे आप अपने मनचाहे स्वरूप में इसे याद कर सकते हैं.

वसंत ऋतु पर निबंध 1 कक्षा 1,2 के लिए

एक वर्ष में बारह महीने होते है. तथा छः ऋतुएँ होती है. दो दो महीने की हर एक ऋतु की शोभा निराली हैं. चैत और वैशाख में बसंत ऋतु होती है. अंग्रेजी के मार्च अप्रैल महीने होते है. इस ऋतु में दिन और रात एक जितने होते हैं.

बसंत का मौसम बड़ा ही सुहावना होता है. इस कारण इसे ऋतुराज की संज्ञा भी दी जाती हैं. इस ऋतु में नयें नयें पत्ते और फूल खिलते है, फूलों पर भौरों का गुंजन सभी के मन को भाता हैं. खेतों में हरियाली छा जाती हैं. मंद मंद पवन बहती है.

उसमें एक अजीब सी खुशबु का एहसास होता हैं. पूरा आसमा स्वच्छ व नीले रंग का हो जाता हैं. आम के वृक्ष पर बौर आ जाती है जिस पर बैठी कोयल का मीठी वाणी में कुहू कुहू का मधुर संगीत सभी के मन को भा जाता हैं.

वसंत ऋतु पर निबंध 2, कक्षा 3,4 के लिए

वसंत के दिनों में सब ओर प्रसन्नता और ख़ुशी का माहौल छा जाता है. हिन्दुओं के तीन बड़े पर्व होली, रामनवमी और वैशाखी इसी ऋतु में आते है.

वसंत ऋतु में सैर करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है. तथा शरीर में नयें रक्त का जन्म होता है. शरीर का अंग अंग खिल जाता है और पाले तथा सर्दी का पूरी तरह समापन हो जाता है. भगवान कृष्ण ने गीता में कहा था कि मैं सभी ऋतुओं में वसंत हूँ.

वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर ये भारत की मुख्य ऋतुएँ है जो बारी बारी से आकर हमारे जीवन में नयें उत्साह का संचार करती हैं. इन सभी का काल दो दो माह का ही होता है.

हर एक ऋतु का अपना विशेष महत्व है. सभी का मौसम तथा उल्लास एक दूसरी से पूर्णतया भिन्न होता है. फाल्गुन से चैत्र तक चलने वाला मौसम मनभावन वसंत का होता है. इसमें मानव व सम्पूर्ण जीव जगत प्रसन्न हो जाता हैं. यह ऐसा मौसम होता हैं जिसमें न अधिक सर्दी सताती है न ही गर्मी.

वसंत ऋतु पर निबंध 3 कक्षा 5,6 के लिए

भारत की छः ऋतुएँ वर्षा, ग्रीष्म, शरद, शिशिर एवं हेमंत में सबसे अधिक मनोहर वसंत का मौसम होता है. जो हेमंत के ठीक पश्चात इसकी शुरुआत होती हैं. इसे ऋतुराज की उपाधि प्रदान की गई हैं. अंग्रेजी माह के अनुसार यह दो महीने मार्च और अप्रैल तक होता हैं.

कई बार मौसम चक्र में परिवर्तन के चलते इसकी शुरुआत जनवरी में तथा अंत अप्रैल में भी होता हैं. मुख्य रूप से जनवरी का अंतिम सप्ताह इसके आगमन की आहट दे जाता हैं.

इस मौसम में तापमान सामान्य स्तर का रहता हैं. शिशिर ऋतु के ठंडे झोकों से परेशान मानव जीवन वसंत के आगमन पर चैन की सांस लेता हैं.

वसंत में प्रकृति दुल्हन की तरह सज धजकर तैयार हो जाती हैं. पेड़ों पर नयें पत्ते और फूल आने लगते हैं. फूलों की सुगंध हवा में घुलकर सम्पूर्ण वातावरण को सुगन्धित बना देती हैं. सरसों तथा महुए की सुगंध से हवा में एक अनोखा स्वाद उत्पन्न हो जाता हैं.

इस ऋतु को प्रकृति का उत्सव भी कहा जाता हैं. जिसमें प्रक्रति की सुषमा अपने चरमोत्कर्ष पर होती हैं. यह जीवन में यौवनकाल की तरह आन्न्दायी जीवन होता हैं.

इस ऋतु में चारो ओर आनन्द ही आनन्द रहता हैं. लहलहाते खेतों को देखकर किसान फूला नहीं समाता हैं. अधिकतर भाषाओं के कवियों ने अपने लेखनी में वसंत का बखान अवश्य ही किया हैं.

वसंत ऋतु पर निबंध 4 कक्षा 7,8 के लिए

भारत में वर्ष में छः ऋतुएँ होती है. हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म और शरद, इन सभी में वसंत सबसे सुहावनी होती हैं. इसी कारण इसे कवि कालिदास ने ऋतुराज कहा हैं. इस ऋतु में न गर्मी होती है न ठंड. प्रातःकाल, दोपहर और सायंकाल और रात्रि चारो काल मधुर होते है.

वसंत ऋतु में प्रकृति की शोभा बहुत सुंदर होती हैं. पेड़ पौधों बेलों पर रंग बिरंगे फूल खिल जाते हैं. वन उपवन की छटा आनन्द देती हैं. आम के पेड़ों पर बौर लग जाता हैं. उनकी डाली पर बैठी कोयल कूकती है. खेतों में सरसों के पीले पीले फूल ही दिखाई देते है.

वसंत में शीतल, मंद, सुगन्धित पवन चलती है. वह शरीर को सुखदायी लगती हैं. वसंत में जो सैर का आनन्द आता है वह किसी और मौसम में नहीं.

इस मौसम में हर एक मनुष्य का मन प्रसन्न हो जाता हैं. उदासी दूर हो जाती है. शरीर में नया खून दौड़ने लगता हैं. मन में उत्साह पैदा होता हैं. मुखड़े पर लाली छा जाती हैं.

वसंत में मनुष्य ही नहीं पशी पक्षी भी आनन्द में भरकर मीठी बोली बोलने लगते हैं. फूलों पर भौरें गुंजन करने लगते हैं. रंग बिरंगी तितलियाँ फूल फूल पर जाकर मीठा रस पीती हैं. सचमुच वसंत ऋतुराज हैं.

Essay on Spring Season in Hindi Language In 500 words With Headings

प्रस्तावना- वसंत ऋतु का आगमन हेमंत ऋतु के बाद होता है तथा इसका काल ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रैल तक एवं हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन से चैत्र मास तक होता हैं.

कभी कभी फरवरी के मध्य से लेकर अप्रैल के मध्य तक वसंत का मौसम रहता हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन हर वर्ष माघ शुक्ल पंचमी से होता हैं.

भारत में ऋतुएँ- भारत की धरा प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से विश्व में अनूठा स्थान रखती हैं. विश्व के अन्य देशों में प्रायः तीन ऋतुएँ ही होती हैं. पर भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर तथा वसंत इन छः ऋतुओं का चक्र गतिशील रहता हैं.

ऋतुराज कहलाने का कारण- इस ऋतु में प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती हैं. पेड़ों पर नयें पत्ते उग आते हैं. तो ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने हरियाली एवं खूबसूरत फूलों की चादर ओढ़कर अपना श्रृंगार किया हो. इस सुहावने मौसम में जीवन का आनन्द दुगुना हो जाता हैं.

हर तरफ नयें फूलों की सुगंध वातावरण को मनमोहक बना देती हैं. आमों के पेड़ों की सुगंध भरी मादकता का तो कहना ही क्या. कोयल की कूक भी इस मौसम की ख़ास विशेषता हैं. सरसों के पीले फूल जहाँ प्रकृति की स्वर्णमयी होने का आभास कराते है,

वही महुए एवं आम्रमंजरी की मादक गंध से प्रकृति बौराई हुई सी नजर आती हैं, यह स्थिति मन को मोहने के लिए पर्याप्त होती हैं. ऋतुराज वसंत को कवियों एवं लेखकों का विशेष अनुराग प्राप्त होता हैं. लेखकों एवं कवियों ने भी वसंत ऋतु को केंद्र में रखकर रचनाएं की हैं.

हाँ, वसंत की सरस घड़ी है जी करता मैं भी कुछ गाऊ
कवि हूँ आज प्रकृति पूजन में निज कविता के दीप जलाऊं

सत्य ही है कि वसंत के आगमन के साथ ही त्योहारों की एक श्रंखला शुरू हो जाती हैं. सरस्वती पूजन से प्रारम्भ हुआ वसंतोत्सव ,शिवरात्रि की उन्माद एवं होली के उत्साह के साथ अपने चरम पर होता हैं.

किन्तु इसका उत्साह काफी पहले से ही लोगों में देखने को मिलने लगता हैं. इस तरह वसंत अपने साथ न केवल प्रकृति की सुंदर छटा बल्कि त्योहारों की सौगात भी लेकर आता हैं. वसंत की इन्ही विशेषताओं के कारण इसे ऋतुराज ऋतुओं का राजा कहा जाता हैं.

प्राकृतिक वातावरण- वसंत ऋतु में वातावरण का तापमान सामान्य बना रहता है. न अधिक गर्मी और न अधिक ठंड होती हैं. शीत ऋतु की समाप्ति के बाद शिशिर ऋतु ठंडी होती हैं. ठंडी हवाओं के झोके से प्राणी सिहरने लगते हैं. इसी के बाद जब वसंत आता है, वातावरण सुहाना हो जाता हैं.

उपसंहार- वसंत ऋतु मानव को यह संदेश देती हैं कि दुःख के बाद एक दिन सुख का आगमन भी होता है. जिस तरह परिवर्तनशीलता प्रकृति का नियम है उसी प्रकार जीवन में भी परिवर्तनशीलता का नियम लागू होता है.

जिस तरह शिशिर ऋतु के बाद वसंत की मादकता का अपना एक अलग ही आनन्द होता है, उसी प्रकार जीवन में भी दुखों के बाद सुख का आनन्द दुगुना हो जाता हैं.

ऋतुराज वसंत पर निबंध, essay on basant ritu in hindi for class 8, Spring Season par nibandh

प्रस्तावना-

भारत भूमि पर विधाता की विशेष कृपा दृष्टि प्रतीत होती है, क्योंकि यहाँ पर समय की गति के साथ ऋतुओं का चक्र घूमता रहता है. इससे यहाँ प्राकृतिक परिवेश में निरंतर परिवर्तन एवं गतिशीलता दिखाई देती है.

सामाजिक चेतना, भौगोलिक सुषमा एवं पर्यावरणीय विकास की दृष्टि से भारत में ऋतु परिवर्तन का अनेक तरह से काफी महत्व माना जाता है. इसमें भी वंसत ऋतु का अपना विशिष्ट सौन्दर्य सभी को आनन्ददायी लगता है.

भारत में ऋतुएँ

हमारे भारत में एक वर्ष में छः ऋतुएँ होती है वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत. प्रत्येक ऋतु का समय दो माह का होता है. जब सूर्य कर्क रेखा पर होता है, तब ग्रीष्म ऋतु पड़ती है. इस ऋतु में भयानक गर्मी और तपन रहती है. फिर सावन भादों में वर्षा ऋतु आती है और चारों ओर जल वर्षण होता रहता हैं.

सूर्य विषुवत रेखा पर रहता है तब शरद ऋतु आती है, दीपावली के बाद शिशिर ऋतु प्रारम्भ होती है. इसमें कड़ाके की ठंड पड़ती है तथा पर्वतीय स्थलों पर बर्फ व पाला गिरता है.

इसके बाद हेमंत ऋतु आती है, इसमें वृक्षों लताओं के पत्ते सूखकर झड़ने लगते है. सूर्य वापिस विषुवत रेखा पर पहुचते ही वसंत ऋतु का आगमन होता है. इस प्रकार भारत में वर्ष भर में छः ऋतुएँ बदल जाती हैं.

ऋतुराज कहलाने का कारण

प्रत्येक ऋतु का अपना अलग महत्व है परन्तु वसंत ऋतु का विशेष महत्व हैं. इस ऋतु में समस्त प्रकृति में सौन्दर्य एवं उन्माद छा जाता हैं. धरती का नया रूप सज जाता है, प्रकृति अपना श्रृंगार सा करती है तथा समस्त प्राणियों के ह्रदय में उमंग, उत्साह एवं मादकता से भर जाते हैं.

इस ऋतु का आरम्भ माघ शुक्ल पंचमी से होता है, होली का त्यौहार इसी ऋतु में पड़ता है. नयें संवत्सर का आरम्भ भी इसी से माना जाता हैं. इन सब कारणों से वसंत को ऋतुराज अर्थात ऋतुओं का राजा कहा जाता हैं. कवियों एवं साहित्यकारों ने इस ऋतु की अनेकश प्रशंसा की हैं.

प्राकृतिक वातावरण

वसंत ऋतु में सभी पेड़ पौधे नयें पत्तों, कोपलों, कलियों एवं पुष्पों से लद जाते हैं. शीतल, मंद एवं सुगन्धित हवा चलती है. न गर्मी और न सर्दी रहती है.

कोयल कूकने एवं भौरें गुंजार करने लगते है. होली, फाग एवं गणगौर का उत्सव किशोर किशोरियों को उमंगित करता है. सारा ही प्राकृतिक वातावरण अतीव सुंदर, मनमोहक एवं मादक बन जाता हैं.

कवियों के कंठ से श्रृंगार रस झरने लगता है. दूर दूर तक सौन्दर्य एवं पीताभ सुषमा फ़ैल जाती है. रात्री का परिवेश भी अतीव मनोरम लगता हैं.

उपसंहार

भारत में वैसे सभी ऋतुओं का महत्व है, सभी उपयोगी है और समय परिवर्तन के साथ प्राकृतिक परिवेश की शोभा बढ़ाती है. परन्तु सभी ऋतुओं में वंसत का सौन्दर्य सर्वोपरि रहता है.

इसी से इसे ऋतुराज कहा जाता है. यह ऋतु कवियों, प्रकृति प्रेमियों एवं भावुकजनों को अतिशय प्रिय लगती है.

आशा करता हूँ दोस्तों आपकों Essay on Spring Season in Hindi Language & वसंत ऋतु पर निबंध का यह लेख अच्छा लगा होगा. यदि आपकों यह लेख पसंद आया हो तो प्लीज अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे.

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