बाढ़ क्या है कारण प्रभाव उपाय तथा सावधानियां | What Is Flood Meaning Casues Effects Measures In Hindi

बाढ़ क्या है कारण प्रभाव उपाय तथा सावधानियां What Is Flood Meaning Casues Effects Measures In Hindi: बाढ़ एक वैश्विक समस्या तथा आपदा है. खासकर बरसात के दिनों में तो भारत में बाढ़ की विभीषिका को लाखों लोग झेलते आए हैं.

इस लेख में हम जानेगे कि बाढ़ क्या है इसका अर्थ बाढ़ का प्रभाव बचाव के उपाय, बाढ़ आने पर आने से पहले तथा बाद में क्या करें तथा भारत में बाढ़ की स्थिति व आंकड़ों पर विस्तृत जानकारी में दी गई हैं.

बाढ़ क्या है कारण प्रभाव उपाय तथा सावधानियां

बाढ़ क्या है कारण प्रभाव उपाय तथा सावधानियां | What Is Flood Meaning Casues Effects Measures In Hindi

सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित देशों में भारत दूसरे नंबर पर है इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि बाढ़ क्यों आती है बाढ़ के क्या प्रभाव होते हैं तथा आंकड़े क्या कहते हैं तथा बाढ़ के नुकसान को कैसे कम किया जा सकता है.

गौरतलब है कि भारत विश्व में बांग्लादेश के बाद बाढ़ प्रभावित देश है भारत में कुल 62 नदी प्रणालियां हैं जिनमें से 18 नदी प्रणालियां बाढ़ का कारण बनती है मानसून के आगमन के साथ ही भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं.

सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित इलाकों में अत्यधिक जान माल की हानि होती है कई गांव बाढ़ की आगोश में आ जाते हैं हरे भरे लहराते खेत कुछ ही पलों में जलमग्न हो जाते हैं सब कुछ वीरान सा लगता है.

बाढ़ प्रभावित हजारों लोगों को बेघर होकर शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर होना पड़ता है बाढ़ की सर्वाधिक मार समाज के निम्न वर्ग को झेलनी पड़ती हैं.

पिछले कुछ दिनों से कोसी नदी ने तांडव मचा रखा है पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार जैसे अधिक जनघनत्व वाले क्षेत्र प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी बाढ़ की चपेट में हैं.

बाढ़ क्या है what is flood Meaning In Hindi

आमतौर पर बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है बाढ़ से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र का जलमग्न होना है अर्थात जल द्वारा अपने निश्चित मार्ग को छोड़कर अन्य विस्तृत क्षेत्र में फैल जाना सरल शब्दों में बाढ़ वह स्थिति है जिसमें नदी में अत्यधिक जल की मात्रा के कारण नदी उफान के चलते जल का मैदानों में फैलना.

बाढ़ एक राष्ट्रीय आपदा है परंतु गौर करने योग्य बात यह है कि यह राज्य सूची का विषय है जिसके कारण इसके प्रबंधन तथा नियंत्रण संबंधी कार्य राज्यों द्वारा किए जाते हैं.

केंद्र और राज्यों को तकनीकी तथा वित्तीय सहायता प्रदान तो करते हैं परंतु बाढ़ आवश्यक नहीं कि एक ही राज्य को प्रभावित करें कई बार एक साथ कई राज्य प्रभावित होते हैं.

भारत में बाढ़ की स्थिति तथा आंकड़ों का विश्लेषण Analysis of flood status and data in India

भारत में प्रत्येक वर्ष वर्षा ऋतु में बाढ़ तबाही मचाती है भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों तथा तटवर्ती राज्य बाढ़ से ज्यादा प्रभावित है बाढ़ पर राज्यों के अध्ययन से पता चला है कि बिहार 27% तथा उत्तर प्रदेश 33% उत्तराखंड को साथ में शामिल करते हुए बाढ़ से प्रभावित है इसके अलावा पंजाब तथा पूर्वी भारत के राज्यों में बाढ़ प्रतिवर्ष कहर ढाती है.

पश्चिम बंगाल में तीस्ता मयूराक्षी तथा अजय तो ओडिशा में स्वर्ण रेखा महाराष्ट्र में बेनगंगा गुजरात व मध्यप्रदेश में नर्मदा आंध्र प्रदेश में गोदावरी बिहार में कोसी तथा उत्तर पूर्वी भारत में गंगा ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां बाढ़ का कारण बनती है.

उल्लेखनीय है कि कोसी नदी को बिहार का शोक अथवा भी साफ कहा जाता है क्योंकि यह नदी प्रत्येक वर्ष अपना मार्ग बदलती है तथा बिहार में भारी तबाही का कारण बनती है कोसी नदी नेपाल के हिमालय क्षेत्र से निकलती है.

कोसी नदी पर 1954 में भारत तथा नेपाल के बीच समझौते के तहत नेपाल में बांध बनाया गया है यह बांध कई बार जर्जर अवस्था में भी पहुंचा इसके पुनर्निर्माण तथा देखरेख का कार्य भारत द्वारा किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार  आपदाओं की वजह से भारत में होने वाले नुकसान का दो तिहाई से अधिक बाढ़ के कारण  होता है यह नुकसान लगभग 7 अरब डॉलर है.

भारत सरकार द्वारा जारी की जाने वाली विभिन्न रिपोर्ट्स से बाढ़ की भयावह स्थिति स्पष्ट होती है भारत में आजादी के बाद अब तक एक लाख से भी अधिक लोग अपनी जान गवा चुके हैं तथा प्रतिवर्ष लगभग 93 हजार पशु बाढ़ की वजह से मर रहे हैं मानवीय आवासों पर प्रभाव देखें तो प्रतिवर्ष 13 लाख मकान बाढ़ की चपेट में आते हैं.

अन्य रिपोर्ट के अनुसार आजादी के बाद अब तक 2 लाख करोड़ से भी अधिक का नुकसान हुआ है तथा 210 करोड लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं 1953 में बाढ़ से जान गंवाने वालों की संख्या सबसे कम 17 थी तो 1977 में सर्वाधिक 11316 रही.

बाढ़ के कारण Causes Of Flood In India In Points In Hindi

बाढ़ प्राकृतिक आपदा तो है ही इसके साथ ही मानव जनित कारण भी बाढ़ के लिए जिम्मेदार है बाढ़ आती तो अचानक है परंतु इसके कारण एक लंबी श्रंखला में जुड़े हुए होते हैं.

कुछ कारण आकस्मिक भी होते हैं जिनमें बादल का फटना जैसी घटनाएं शामिल है पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में आई बाढ़ का कारण बादल का फटना रहा.

आधुनिक अंधाधुंध विकास के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है वनों का विनाश बाढ़ के लिए उत्तरदाई प्रमुख कारणों में से एक है.

पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की कटाई के कारण नदिया मृदा अपरदन के द्वारा धूल कंकड़ जिसे गाद कहा जाता है का कटाव करती है जो नदी मार्ग में जम जाता है तथा जल बाहरी छात्रों में फैलने लगता है.

अनिश्चित तथा अत्यधिक वर्षा बाढ़ का कारण बनती है भारत के ऊपरी हिमालय क्षेत्र में भारी बारिश के कारण नदियों में जल की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है.

तथा पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में भी अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ जैसे हालात देखने को मिले हैं अत्यधिक वर्षा के कारण नदियों पर निर्मित बांधों में जल उनकी क्षमता से अधिक एकत्र हो जाता है जिससे बांध टूटने का खतरा भी बढ़ता है.

नदियों द्वारा मार्ग परिवर्तन करना नदी मार्ग में परिवर्तन अत्यधिक गाद के जमाव से होता है इसके अलावा भूकंप भी नदी मार्ग में परिवर्तन कर देते हैं.

महाराष्ट्र में भूकंप की वजह से कोयना बांध टूटा था वर्तमान में भी बंधुओं में अत्यधिक जलभराव के कारण भूकंप संवेदनशील इलाकों मे खतरा बना हुआ है हालांकि नई तकनीक के तहत नवनिर्मित बांधों को भूकंप रोधी बनाया गया है. कई बार चक्रवात तूफान तथा सुनामी बाढ़ के कारण बनते हैं.

आमतौर पर देखा गया है कि शहरी क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा के समय जलभराव की समस्या प्रत्येक वर्ष बढ़ती जा रही है भारत के बड़े शहरों मे यह समस्या देखी जा सकती हैं.

इसके लिए जिम्मेदार कारकों में जनसंख्या विस्फोट प्रशासनिक लापरवाही तथा जल निकासी की समुचित व्यवस्था का ना होना प्रमुख है इसके लिए निचले क्षेत्रों को विशेष तरीके से बसाने की आवश्यकता है तथा आवासों को जल रोधी बनाया जाना चाहिए.

बाढ़ के प्रभाव Effects Of Flood On Human Life In Hindi

बाढ़ की चपेट में आने वाले राज्यों मे विस्तृत क्षेत्र जलमग्न होने तथा कई दिनों तक रहने के कारण कृषि चौपट हो जाती है मानव बस्तियां जल के साथ बह जाती है इसके साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हेजा हेपेटाइटिस जैसे रोग फैलते हैं इनके अलावा भी कई प्रकार के रोग फैल सकते हैं.

आधारभूत ढांचे यथा सड़क पुल को भारी नुकसान झेलना पड़ता है कई बार बाढ़ की भयानकता के कारण उस क्षेत्र विशेष का अन्य क्षेत्रों के साथ संपर्क टूट जाता है.

बाढ़ की अधिकांश हानियों के साथ कुछ लाभ भी होते हैं जिनमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर बढ़ जाता है तथा बाढ़ के दौरान जल के साथ आई जलोढ़ मृदा अत्यधिक उपजाऊ होती हैं.

बाढ़ से बचाव हेतु उपाय तथा सावधानियां Measures And Precautions For Flood Prevention In Hindi

बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा लगभग निश्चित क्षेत्रों में घटित होती है तथा अधिकांश बाढ़ मानसूनी वर्षा की अधिकता के कारण नदियों में आने वाले उफान के कारण आती है इसलिए इस आपदा का अच्छी तरह से प्रबंध करते हुए इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है.

इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह अत्यधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना करें इसमें गैर सरकारी संगठनों तथा निजी सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है.

बाढ़ से संबंधित सूचनाओं की पहुंच बाढ़ प्रभावित लोगों तक शीघ्रता से पहुंचे तथा राहत व बचाव के उपायों की जानकारी का प्रसारण किया जा सकता है तथा राहत व बचाव कार्यों को समय पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए.

ढांचागत उपायों में उच्च तकनीकी के द्वारा बांधों तथा सड़कों का निर्माण किया जाना तथा आवश्यकतानुसार ऊंचाई पर सड़कों का निर्माण भवनों के निर्माण आपदाओं को मद्देनजर रखते हुए किया जाना चाहिए, बाढ़ प्रभावित इलाकों में सघन वृक्षारोपण प्रभावी सिद्ध होगा.

बाढ़ से भारी नुकसान क्यों Why the great loss due to flood

जलवायु परिवर्तन के साथ ही माननीय कदमों ने भी बाढ़ की विनाशशीलता को अत्यधिक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है हाल ही में जारी  रिपोर्ट्स की माने तो 2050 तक आते आते हैं.

कई बड़े महानगर महासागरीय जल की चपेट में आ सकते हैं तथा 2035 तक जलवायु परिवर्तन इसी तरह जारी रहा तो मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ जैसे उच्च भूमि वाले राज्य भी बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल हो जाएंगे तथा महाराष्ट्र के विदर्भ  के 10 में से 7 जिले बाढ़ से अत्यधिक प्रभावित हो सकते हैं.

बड़े दुख की बात तो यह है कि मानव जिसे अपने विकास  का अगला पायदान मानता है वह दरअसल में प्राकृतिक आपदाओं  के लिए उत्प्रेरक का काम कर रहा है.

बांधों का निर्माण बाढ़ के संदर्भ में वरदान और अभिशाप दोनों साबित हो रहा है केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 1950 में देश में बांधों की संख्या मात्र 371 थी जो वर्तमान में बढ़कर लगभग 5000 को पार कर चुकी है.

कोसी नदी की विनाश शीलता को रोकने हेतु नेपाल में बनाए गए बांध कई बार टूट चुके हैं पहली बार 1963 में उसके बाद 1968 मे यह बांध 5 जगह से टूटा फिर 1991 तथा 2008 में भी बांध टूटा.

निष्कर्ष conclusion

प्रत्येक वर्ष जिन स्थानों पर बाढ़ के हालात बनते हैं वहां समुचित उपाय अपनाने चाहिए तथा केंद्र व राज्य सरकार सहयोगी भावना से प्रेरित होकर बड़े कदम उठाएं केवल चुनाव के समय में बाढ़ जैसी आपदा को रोकने के वादे करने से इस पर नियंत्रण होता दिखाई नहीं दे रहा.

बाढ़ जैसी आपदा के दायरे में आने वाले लोगों का जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है और सामान्यतया बाढ़ जैसी घटना  बड़े समूह को प्रभावित करती हैं जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है  इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

बाढ़ पर नियंत्रण कठिन तो है पर असंभव नहीं है समुचित नीति निर्माण तथा सुव्यवस्थित क्रियान्वयन के द्वारा बाढ़ नियंत्रण संभव है.

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