पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा Papmochani Ekadashi Story In Hindi Vrat Katha Pooja Vidhi 2024 Papmochani Ekadashi Vrat Katha Kahani : 28 मार्च को भारत में पाप मोचनी एकादशी का व्रत 2024 में किया जाएगा, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह चैत्र माह की एकादशी तिथि को किया जाता हैं. मान्यता के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.
पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा | Papmochani Ekadashi Story In Hindi
इस दिन चारभुजाधारी विष्णु जी का पूजन होता हैं. पापमोचनी एकादशी करने से भक्त के समस्त पाप समाप्त होकर उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं इसके महात्म्य को भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था. यहाँ आपकों एकादशी की व्रत कथा कहानी बता रहे हैं.
बहुत समय पहले की एक पौराणिक कथा जिसके अनुसार उत्तर भारत का एक पर्वतीय वन हुआ करता था जहाँ देवता अप्सराएं गन्धर्व कन्याएं इंद्र आदि साथ ही किन्नर भी अप्सराओं के साथ यहाँ आया करते थे. इस वन में हर ऋतु में फूल खिले रहा करते थे हर वक्त वसंत का मौसम रहा करता था.
इस क्रीड़ा वन में मेधावी नाम के ऋषि सैकड़ो वर्षों से तपस्या में लीन थे तथा भगवान शिवजी की तपस्या कर रहे थे. इंद्र देव किसी तरह मेधावी की तपस्या में विघ्न डालना चाहते थे. उन्होंने कामदेव के रूप में एक अप्सरा का रूप धरकर मञ्जुघोषा नामक अप्सरा बनकर हाथ में वीणा लिए ऋषि को रिझाने के लिए उनके आश्रम के पास मधुर आवाज में वीणा बजाने लगे.
मेधावी ऋषि युवा व हष्ट पुष्ट थे वे मञ्जुघोषा के मधुर वादन एवं उनके सौन्दर्य के मोहित हो गये तथा काम भावना से प्रेरित होकर वे उसके साथ आलिगन करने लगे. वे इस पल शिव तपस्या को भूलकर कामवासना से वशीभूत होकर उस अप्सरा के संग नाच रहे थे.
वे उस अप्सरा के साथ इतने तल्लीन हो गये कि समय के चक्र का भी उन्हें ज्ञान नहीं रहा, कब दिन उदय हुआ तथा कब अस्त इसका भी आभास वे भूल गये. जब अप्सरा ने ऋषि से काफी समय व्यतीत हो जाने पर वापिस देवलोक जाने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने एक दिन और रूकने का निवेदन किया.
इस तरह ऋषि अप्सरा ने कुछ समय और साथ बिताया तथा फिर से एक बार मञ्जुघोषा ने एक दिन ऋषि से कहा- ‘हे विप्र! अब आप मुझे स्वर्ग जाने की आज्ञा दीजिये. इस पर मुनि ने उन्हें थोड़े समय के लिए और रूकने के लिए निवेदन किया. तब अप्सरा बोली मुझे लगता हैं ऋषिवर मुझे यहाँ आए काफी समय हो गया हैं आप ही सोचिये क्या इतने समय तक यहाँ रूकना उचित हैं.
अप्सरा की यह बात मुनि को बेहद गम्भीर लगी तब इन्होने अपने अतीत में झाका तो पाया कि वे भोग विलास के इस खेल में अपने 57 साल व्यतीत कर चुके हैं. और उन्हें इतना तक आभास नहीं हुआ कि वे अपने कर्म का त्याग कर विलास के काबू हो गये. ऋषि को बेहद क्रोध आया तथा वे भ्रकुटी तानकर उस अप्सरा की तरफ देखने लगे जिन्होंने उनके जीवन के एक बड़े अध्याय को भोग विलास की ओर प्रेरित किया था.
क्रोध से कांपते हुए मुनि ने उस अप्सरा को शाप दिया- ‘मेरे तप को नष्ट करने वाली दुष्टा! तू महा पापिन और बहुत ही दुराचारिणी है, तुझ पर धिक्कार है। अब तू मेरे शाप (श्राप) से पिशाचिनी बन जा।’
तपस्यालीन मुनि के शाप से वह अप्सरा पिशाचिनी हो गई तथा अपने इस रूप को पाकर वह ऋषि से क्रोध का त्याग कर अपने श्राप के निवारण का उपाय पूछने लगी. वह ऋषि से बोली साधुओं की संगत अच्छा फल देती हैं मैंने इतना समय आपके साथ व्यतीत किया हैं.
लोग क्या कहेगे एक ऋषि आत्मा ने यह संगति का फल दिया. मुनि को अपनी बात पर ग्लानी हुई तथा उन्होंने अप्सरा को इस श्राप से मुक्त होने के लिए चैत्र माह की कृष्ण एकादशी जिन्हें पापमोचनी एकादशी कहते हैं इसका व्रत रखने का सुझाव दिया.
अप्सरा ने विधि विधान के साथ इस व्रत को किया तथा ऋषि अपने इस कृत्य से नष्ट हुए तप का प्रायश्चित करने के लिए पिता च्यवन ऋषि के पास गये. पिता ने उनके तप के नष्ट होने का कारण पूछा तो उन्होंने अप्सरा के साथ 57 साल तक रमन करने की कथा बताई तथा मलिन तप से छूटने का उपाय पूछा.
ऋषि ने कहा- ‘हे पुत्र! तुम चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पापमोचिनी एकादशी का विधि तथा भक्तिपूर्वक उपवास करो, इससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।’
इस तरह मुनि मेधावी ने भी पापमोचिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत धारण किया तथा उनके पापों का छुटकारा मिल गया. उस तरफ मञ्जुघोषा भी व्रत करने से पिशाचिनी की योनि से मुक्ति पाकर अप्सरा बनी तथा देवलोक को लौट गई.
Papmochani Ekadashi 2024 कब है
भगवान विष्णु की साधना-आराधना का दिन पापमोचिनी एकादशी का दिन माना जाता हैं, इस दिन विधि विधान के अनुसार व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप कट जाते है तथा उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साल 2022 में यह व्रत 28 मार्च 2022 सोमवार को हैं.
पापमोचिनी एकादशी महत्व
शास्त्रों में लिखा है पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने से मानव ग्रह नक्षत्र के हानिकारक प्रभावों से मुक्त हो जाता हैं. चन्द्रमा भी साधक को सुफल देता हैं.
मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को एकादशी का व्रत बेहद प्रिय हैं. अतः इस दिन विधि विधान के अनुसार उनकी पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को सुख की प्राप्ति होती हैं.
ऐसा भी कहा जाता है कि पापमोचिनी का व्रत रखने से व्यक्ति अपने सभी पापों और कष्टों से मुक्ति पा लेता हैं. इसका फल कई प्रकार के यज्ञों से बढकर हैं.
इसका व्रत रखने का फल हजारों गायों के दान करने के बराबर माना गया हैं. ब्रह्म ह्त्या, सुवर्ण चोरी, सुरापान और गुरुपत्नी गमन जैसे बड़े पाप भी इस व्रत को रखने से धुल जाते हैं.