नारायण का अर्थ और संधि | Meaning and Treaty of Narayan – हिन्दु धर्म में भगवान को नारायण भी कहते हैं।
नार का अर्थ है ‘जल’ और ‘अयम’ का अर्थ है ‘निवास ‘ अर्थात् जल में जिसका निवास है। जल में सृष्टि के प्रारम्भ में नारायण का निवास था। अंग्रेजी में इसे Narayana/ narayan पढ़ा जाता है.
नारायण का अर्थ और संधि | Meaning and Treaty of Narayan
नारायण शब्द का शाब्दिक अर्थ भगवान विष्णु, मनुष्य का रिफ्यूज माना जाता है इसी संधि और संधि विच्छेद इस प्रकार होगा,
- नारायण का संधि विच्छेद होगा-
(अ) नार+आयण
(ब) नर+आयण
(स) नार+अयन
(द) नर+आयन
स सही जवाब होगा क्योंकि
संधि में पहले शब्द का अंतिम वर्ण ओर दूसरे शब्द का पहला वर्ण के मेल से जो विकार होता है उसे हम संधि कहते है नारायण में दीर्घ संधि है
- संधि का नाम संधि विच्छेद
नारायण (Narayan) नार + अयन
नारायण में संधि का प्रकार (Type of Sandhi) : Dirgha Sandhi (दीर्घ संधि).
अयन प्रत्यय से शब्द (Ayan Pratyay Se Shabd)
अयन | रामायण | राम |
अयन | नारायण | नार |
अयन | अन्वयन | अन्वय |
अयन | इंद्रायण | इंद्र |
अयन | उत्तरायण | उत्तर |
अयन | दक्षिणायन | दक्षिण |
अयन | परायण | पर |
अयन | चंद्रायण | चंद्र |
अयन | बोधायन | बोध |
नारायण से सम्बन्धित अन्य शब्दों की संधि
शब्द | संधि विच्छेद | संधि प्रकार |
रामायण | राम + अयन | व्यंजन संधि |
उतरायण | उत्तर + अयन | दीर्घ संधि |
दक्षिणायन | दक्षिण+ अयन | दीर्घ सन्धि |
तत्परायण | तद् + परायण | व्यंजन संधि |