In this article, we are providing about Paradhinta par Nibandh in Hindi Language. पराधीनता पर निबंध Paradhinta par Nibandh in Hindi,
Paradhin sapne hun sukh nahi essay in hindi class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 ,12 Students.
पराधीनता पर निबंध Paradhinta par Nibandh in Hindi
प्रस्तावना– सर्वें परवंश दुख सर्वमात्मवशं सुखं परवशता में सब कुछ दुःख है और स्वाधीनता में सब कुछ सुख हैं. यह कथन हम प्रकृति के सारे प्राणी जगत के जीवन में प्रत्यक्ष देख सकते हैं. स्वतंत्रता हर प्राणी का जन्मसिद्ध अधिकार हैं.
फिर भी चिड़िया
मुक्ति का गाना गाएगी
मारे जाने की आशंका होने पर भी
पिंजड़े से जितना अंग निकाल सकेगी, निकालेगी
हर सू जोर लगायेगी
और पिंजड़ा खुल जाने पर उड़ जायेगी.
पराधीन का अभिशाप– संयोग से भारत एक ऐसी भूमि रहा है. जहाँ के बारे में विदेशों की धारणा थी कि भारत सोने की चिड़ियाँ हैं.
बौद्ध काल में हमारे देश के लोग पानी के जहाजों, ऊँटों अथवा बैलों पर माल लेकर विदेशों में जाते थे. उस समय हमारे देश का व्यापार अरब देशों, मिस्र, बेबीलोन, मेसोपोटामिया, यूनान तथा अन्य देशों से था.
भारत की समृद्धि को देखकर यूनान के यात्री मेगस्थनीज, अरब के यात्री अबूबकर, चीन के यात्री फाह्यान और ह्वेंसाग ने भारत की यात्राएं की थी.
इस समृद्धि को लूटने के लिए यूनान के सिकन्दर, मध्य एशिया के कुषाण, हुण, शक अरब देशों के महमूद बिन कासिम से लेकर मुगलों तक के लगातार भारत पर आक्रमण होते रहे.
अंत में भारत को लगभग एक हजार वर्षों तक विदेशी पराधीनता में रहना पड़ा किन्तु भारत की जीवनी शक्ति का क्षय कभी नहीं हुआ.
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा
स्वाधीनता संग्राम– विदेशी ताकतों के विरुद्ध भारत में सदैव संघर्ष होते हैं. मुगल शासन के अंतिम शक्तिशाली शासक औरंगजेब के शासन को उखाड़ फेकने के लिए दक्षिण में शिवाजी, पंजाब में गुरु गोविन्द सिंह, राजस्थान में वीर दुर्गादास राठौड़ और मध्य भारत में छत्रसाल आदि ने सशस्त्र संघर्ष किये.
संघर्षों से जर्जर हुआ मुगल शासन अंत में समाप्त हुआ, लेकिन तब तक यूरोप के पुर्तगाली, डच, अंग्रेज आदि ने भारत की स्वतंत्रता को छीन लिया.
सन 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम अंग्रेजों के विरुद्ध था. लगभग ९० वर्षों तक चलने वाला यह स्वाधीनता संग्राम अंत में १५ अगस्त १९४७ को सफल हुआ. भारत आजाद हुआ,
इस स्वतंत्रता संग्राम में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, दादाभाई नौरोजी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सरोजिनी नायडू, महात्मा गांधी आदि अनेक नेताओं ने भाग लिया.
जेलों में यातनाएं भोगी. घर बर्बाद हुए, अनेक वीरों ने सीनों पर गोलियां खाई. आज हम स्वतंत्र वायुमंडल में सांस ले रहे हैं.
अपने देश का मनचाहा विकास करने के लिए स्वतंत्र हैं. अनेक वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्रों में उन्नति करते हुए आज भारत विश्व की एक शक्ति बनने की तैयारी कर रहा हैं.
स्वतंत्रता जीव मात्र का अधिकार– दार्शनिक दृष्टि से मनुष्य ही नहीं संसार के सभी प्राणियों को स्वतन्त्रता पूर्वक रहने का अधिकार हैं. इसके लिए अनेक आयोग बने हुए हैं.
मनुष्यों के लिए विश्वस्तर पर मानवाधिकार आयोग हैं. जो धरती के हर देश में संयुक्त राष्ट्रसंघ की देख रेख में मानवों के अधिकार की रक्षा करने का कार्य करता हैं.
इसी प्रकार वन्यजीवों की रक्षा हेतु भी आयोग बने हुए हैं. कोई भी व्यक्ति आज पशु पक्षियों को भी परतंत्र नहीं बना सकता.
सर्कस में कार्य करने वाले पशुओं को लेकर आयोग सदैव सक्रिय रहता हैं. शेर, रीछ, वानर आदि के खेल दिखाने पर पाबंदी हैं. इस प्रकार संसार का हर प्राणी स्वाधीन रहने का अधिकारी हैं.
उपसंहार– लोकमान्य तिलक ने कहा था स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार हैं. इस अधिकार के अंतर्गत मानव मात्र ही नहीं वरन पशु पक्षी भी आते हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने सारे विश्व को एक गाँव में परिवर्तित कर दिया हैं.
सारा संसार आज स्वतंत्रता का सुख भोग रहा हैं. छोटे से छोटा देश भी बिना सेना और हथियारों के स्वतंत्रता का अधिकारी हैं.
मानव संसार का बुद्धिमान प्राणी है, उसने सारे संसार के सभी जीवों को स्वतंत्रता का सुख भोगने का अधिकारी बना दिया हैं.