भारतीय संस्कृति पर भाषण | Speech On Indian Culture In Hindi

भारतीय संस्कृति पर भाषण | Speech On Indian Culture In Hindi प्राचीन भारतीय संस्कृति में धार्मिक कृत्यों में एकांत साधना पर अधिक बल दिया गया है. यद्यपि सामूहिक प्रार्थना का अभाव नही है.

हमारे कीर्तन आदि तथा महात्मा गांधी द्वारा परिचालित प्रार्थना सभाएं धर्म में एकत्व की सामाजिक भावना को उत्पन्न करती आई है. हमारे यहाँ सामाजिकता की अपेक्षा पारिवारिकता को अधिक महत्व दिया गया है.

भारतीय संस्कृति पर भाषण | Speech On Indian Culture In Hindi

भारतीय संस्कृति पर भाषण | Speech On Indian Culture In Hindi

पारिवारिकता को खोकर सामाजिकता को ग्रहण करना तो मुर्खता होगी. किन्तु पारिवारिकता के साथ साथ सामाजिकता बढ़ाना श्रेयस्कर होगा. भाषा और पोशाक में अपनत्व खोना जातीय व्यक्तित्व को तिलांजली देना होगा.

हमे अपनी सम्मिलित परिवार की प्रथा को इतना न बढ़ा देना चाहिए कि व्यक्ति का व्यक्ति ही न रह जाए और न ही व्यक्ति को इतना महत्व देना चाहिए कि गुरुजनों का आदर भाव ही न रहे और पारिवारिक एकता पर कुठाराघात हो.

कपड़े और जूतों की सभ्यता और कम से कम कपड़ा पहनने और नगे पैर रहने की सभ्यता में भी समन्वय की आवश्यकता है. अंग्रेजी सभ्यता में जूतों का विशेष महत्व है, किन्तु उसे अपने यहाँ के चौका और पूजग्रहों की सीमा पर आक्रमण नही करना चाहिए.

अंग्रेजी सभ्यता चीनी और कांच के बर्तनों की सभ्यता है. हमारी सभ्यता मिटटी और पीतल के बर्तनों की है. हमारी सभ्यता और संस्कृति विज्ञान के नियमों के अधिक अनुकूल है.

यदि हम कुल्हड़ो के कूड़े का अच्छा बन्दोबस्त कर सके तो उससे अच्छी कोई चीज नही है. आलस्य को वैज्ञानिकता पर विजय न पाना चाहिए. अंग्रेजी संस्कृति से भी सफाई और समाज की पाबंदी की बहुत सी बाते सीखी जा सकती है.

किन्तु अपनी संस्कृति की मूल अंगो को ध्यान में रखते हुए समन्वय बुद्धि से काम लेना चाहिए. समन्वय द्वारा ही संस्कृति क्रमशः उन्नति करती रही है जो आज भी हमे उसे समन्वयशील बनाना है.

भाषण 1

माँ शारदा के चरणों में नमन आदरणीय शिक्षकगण गाँव से पधारे हुए अतिथि और मेरे प्यारे साथियों आज के इस भव्य आयोजन में मुझे इस मंच पर भारत की संस्कृति के बारे में बोलने का शुभ अवसर दिया इसलिए मै आप सब का आभारी हूँ.

हमारी संस्कृति अपने आप में अद्दुत रही है. हमारे देश की संस्कृति प्राचीन समय से पुरे विश्व में प्रसिद्ध है. हमारी संस्कृति हमें एक भारतीय होने पर गौरवान्वित करती है.

हमारी वेशभूषा,रीती-रीवाज,धार्मिक संस्कृति और त्योहारों के मानाने का ठंग हमें दुसरे देशो से श्रेष्ठ बनाता है.

हमारी संस्कृति संस्कारो से निपुण है. बचपन से ही बच्चो को बड़ो का आदर तथा सम्मान करना, छोटो के साथ प्रेम से रहना आदि हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है. हमारी संस्कृति में शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा अर्चना के साथ करते है.

हमारी संस्कृति हमें गर्व से भर देती है. हमारी संस्कृति की प्रशंसा भारत सहित पुरे विश्व में की जाती है. सभी हमारी संस्कृति का सम्मान करते है. तथा इस संस्कृति को अपनी संस्कृति का रूप देते है. हमें ये कहते हुए गर्व हो रहा है. कि विश्व के बड़े-बड़े देश हमारी इस संस्कृति को सलाम करते है.

भारतीय संस्कृति का उदय बचपन में ही होता है.विद्यालय से लेकर राष्ट्र तक सभी जगह संस्कृति के ही गुणगान गाए जाते है. गुरुजनों की आज्ञा की पालना करना,बड़ो का सम्मान करना, माता पिता की सेवा करना तथा राष्ट्र हित में कार्य करना सभी गुण भारतीय संस्कृति के अंतर्गत समाहित है.

हमारी संस्कृति हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है. हम एक भारतीय नागरिक होते हुए हमें अपनी संस्कृति का सम्मान करना तथा अपनी संस्कृति को ओर भी प्रशंसनीय बनाना हमारा प्रथम कर्तव्य है. ओर हम सभी को संकल्प लेकर इस कार्य को बढ़ावा देना चाहिए.

भारतीय संस्कृति में जन्म लेना हमारे लिए बड़ी बात है.हमारी संस्कृति के विकास का जिम्मा हमारी नवपीढ़ी पर है. हमारी संस्कृति में जो उदारता,समन्यवादी तथा सहिष्णुता के गुण नजर आते है. उनके अस्तित्व  को बनाए रखना हमारा धर्म है.

संस्कृति हमारा धर्म है. देश की सेवा हमारा कर्म है. संस्कृति का सम्मान करो तथा इसमे विकास करो. इन्ही शब्दों से में अपनी वाणी को विराम देता हूँ. जय हिंद जय भारत जय हमारी संस्कृति||

भाषण 2

हमारे देश में अनेक त्यौहार बनाए जाते है.अनेक धर्म के लोग इस देश में निवास करते है.सभी धर्मो के अलग-अलग त्यौहार बोलिया, देवी देवता,वेशभूषा तथा रीती रीवाज है. फिर भी हमारा देश विविधता में एकता वाला देश है. यही हमारी संस्कृति को विश्व प्रसिद्ध बनाती है.

हमारे देश में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों तथा वार्षिक उत्सवो को बड़े सम्मान के साथ तथा बड़े उत्साह द्वारा बनाया जाता है. एकता ही हमारी संस्कृति की पहली पहचान है. इसलिए एकता बनाए रखे तथा सभी मिलकर त्योहारों तथा उत्सवो को बेहतर बनाए.

हमारी संस्कृति में सम्पूर्ण पृथ्वी को अपना परिवार बताया गया है. इसलिए वसुधैव कटुम्बकम’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ जैसे लोग कल्याणकारी भावो को शामिल किया गया है. सभी एक समान है. जाति पाती भेदभाव सभी को दूर करने में हमारी संस्कृति काफी महत्वपूर्ण है.

हमारी संस्कृति में सुबह उठकर देवताओ की पुँज अर्चना की जाती है. तथा अपने माता पिता के चरणों को स्पर्श कर उनसे दुआ प्राप्त की जाती है. इन रिवाजो से ही हमारी संस्कृति सबसे अग्रणी है.

हमारी संस्कृति में आध्यात्मिकता,कर्मवाद,समन्वयवादिता,जाति एवं वर्णाश्रम व्यवस्था,संस्कार तथा लोगो में राष्ट्रप्रेम की भावना हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है.

हमारी संस्कृति आशावादी संस्कृति है.जो निराशा को नकारती है.और आशा की किरण को जगाती है. इसलिए हमारे देशवासी हमेशा मरते दम तक उम्मीद नहीं छोड़ते है.

हमारी संस्कृति और सभ्यता एक दुसरे के पूरक माने जाते है. हमारी संस्कृति या सभ्यता भारतीयों की आत्मा है. भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है. वही धरा को मातृभूमि और महिलाओ को लक्ष्मी माना जाता है.

हमारी संस्कृति में सभी मनुष्यों को एक माना गया है.सभी को एक रूप से देखा जाता है.पर आधुनिक युग में हो रहे भेदभाव जातिवाद तथा छुआछुत जैसे मामले हमारी संस्कृति का अपमान करते है. इससे हमारी संस्कृति को ठेस पहुंचती है.

आज की नई फैशन को देखकर लोग अपनी संस्कृति को भूल रहे है. जो कि हमारी संस्कृति के लिए अच्छा संकेत नहीं है. हमारी संस्कृति हमारा धर्म है.और इसके नियमो को तोड़ना हमारे धर्म का अपमान है.

हमारे देश में लोग जहाँ एक दुसरे से मिलाने पर सम्मान के साथ हाथ जोड़कर नमस्ते शब्द का प्रयोग करते है. इस परम्परा की आज कोरोना काल में काफी प्रशंसा की जा रही है. तथा अनेक देश इसका अनुसरण कर रहे है.

हमें अपनी संस्कृति के के सम्मान को बढ़ावा देने के लिए हर समय पर्यत्न करना चाहिए.किसी भी प्रकार से संस्कृति का अपमान नहीं होने देना है.

संस्कृति का सम्मान ही हर भारतीय का सम्मान है. इन्ही शब्दों से में अपनी वाणी को विराम देता हूँ. जय हिन्द जय हिन्द की संस्कृति||

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